पुलवामा हमले वक्त वाइल्डलाइफ सफारी में हाथी का गु सूंघते मोदी द्वारा थोपी गई सर्जिकल का परिणाम ये रहा था, (जो मात्र 9 मिनिट में ही खत्म हो गई) हमारा पायलट उनके कब्जे में चला गया, हमला भूल भाल कर अचानक से गोदी मीडिया द्वारा भड़काए देश मे पायलट बचाने की प्रार्थनाए शुरू हो गई ,
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अभिनंदन का पाकिस्तान में गिरना पाक द्वारा मिराज मार गिराया जाना पुलवामा हमला 9 मिनिट में ही राष्ट्रीय शर्म का विषय था,जिसे कांगेर्स ने सिर्फ देश हित मे चुनाव जीतने के लिए नही उठाया इसका भी प्रचार कांगेर्स नही करती , देश का असली हित कांग्रेस सोचती है bjp नही ..! जनता तक कांग्रेस
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की नीतियां नही पहुच पा रही , bjp का झूट पहुच रहा है, राहुल से जनता को कोई उम्मीद नही है, वे भले पढ़े लिखे हार्वर्ड शिक्षित सुसभ्य होने के वजह से लोकप्रिय नही रहे , क्योकि कमर के नीचे वार करना उनकी एथिक्स नही है, मगर प्रियंका गांधी और बाकी बची
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कांग्रेसी लीडरशिप को इस ओर ध्यान देना चाहिए ! पूरे देश मे गंधाते कमल को तोड़ने किसी को इस कीचड़ में तो उतरना ही पड़ेगा
4 @BramhRakshas
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अच्छा एक बात नोटिस की आपने l?
तथाकथित रूप से800साल बाद हिंदुओं की सत्ताके आने के बावजूद ..
दो दो बार पूर्ण बहुमत मिलने के बावजूद भी यदि आप किसी भक्त से बात करो तो वो झुंझलाया हुआ ,बौराया हुआ ,गालियां देता हुआ,दुख से सराबोर ,रोता हुआ रुंदड़ मचाता हुआ
और पूरीतरह असंतुष्ट मिलेगा।
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इसके उलट आप किसी बीजेपी विरोधी को देखो तो वो मस्त मजे में हंसी मज़ाक करता हुआ टेंशन मुक्त मिलेगा।
कभी सोचा है क्यों?
इसके कारण बहुत गहरे और मनोवैज्ञानिकहै।
चूँकि ये फ़र्ज़ी विकास और हिन्दू सत्ताका छद्मावरण जो इनके पप्पाने जो क्रिएट किया है,ये खुद इन्हे भी अपने गहरे अंतर्मन में
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विश्वास नहीं की टिक पायेगा।एक्चुयलि टिक ही नहीं सकता।
बाकी ये मुंह से भले ना कहें ,लेकिन आर्थिक रूप से बर्बाद होने का डर और लुटेरी पूंजीवादी नीतियों की ताप अब इन्हे भी सताने लगीं हैं।
इसलिए इस कुंठाको मिटानेके लिए ये हमेशा गाली गलौच,अपन हर वैचारिक विरोधी को मार डालने ख़तम कर
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सदी की सबसे बड़ी आर्थिक विपन्नता में फंसी हुई सरकार, रात की रोटी दारू के लिए दिन में बर्तन बेच रही है। बहाना-"गवर्नमेंट मस्ट नॉट डू बिजनेस"
अगर बॉम्बे हाई को सरकार चला नही सकती, तो एक कम्पनी बनाकर शेयर कमर्चारियों में बांटदे।हो गया प्राइवेटाइजेशन। 4/1
सरकार बाहर, कमर्चारी अंदर। आज तक बॉम्बे हाई को इंजीनियर्स और मैनजर्स ही चलाते आये थे, भाजपा नही। आगे भी चला लेंगे।
ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन के अधिकारियों की एक यूनियन ने कंपनी के सबसे बड़े तेल एवं गैस क्षेत्र मुंबई हाई को ‘थाली में सजाकर’ विदेशी कंपनियों को देने के
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पेट्रोलियम मंत्रालय के प्रस्ताव का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि सरकार को ऐसा करने की बजाय कंपनी को सशक्त कर उसे समान अवसर देने चाहिए।
शायद कुछ जगह उन्हे भांड भी कहते हैं वो हमेशा दुआ किया करते थे कि उनके जजमान ( नंबरदार ) के घर बेटा पैदा हो बेशक नंबरदार नी मर चुकी हो उसकी जगह मिरासन को ही ये कुर्बानी क्यों न करनी पड़े।
कुछ ऐसा ही अभी भारत महान के मीडिया पर संबित
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संबित पात्रा की क्लिप और पीछे से एंकर साहिबा के उद्घोष सुनकर अहसास हुआ।
नवजोत सिंह सिद्धू आज करतार पुर साहिब की यात्रा पर गए हुए थे वहां उन्होंने बोला कि वो भारत पाकिस्तान के बीच खुले व्यापारिक सम्बन्धों के हिमायती हैं और इमरान खान उनके बड़े भाई जैसे है।
वैसे याद रखना चाहिए कि
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श्री करतार पुर कॉरिडोर बनने के पीछे सिद्धू की ही कूटनीति थी और इसका कितना सम्मान वहां जाने वाले श्रद्धालुओं के मन में होता है उसको शब्दो मे बयान नहीं किया जा सकता।
अगली कड़ी में कल से बड़े साहब की जलालत से ध्यान भटकानेके लिए इसी विषय पर पेडिग्री पॉल्यूशन फैलाया जाएगा जिसके लिए
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क्या गमहै जिसको छिपा रहेहो.
कॉलेजके दिनोंके हमारे एक सहपाठी हैं!बड़ेही हँसमुख और मिलनसार आदमी हैं!एक बार मुझे उनके गांव(विलेज)जाना हुआ!ऐसे बतकही चल रही थी..कि तभी बरामदे में 20-22साल का एक नौजवान दाखिल हुआ!
उसकी तरफ इशारा करके उन्होंने मुझसे कहा- कपिल!एकरा से पूछ!शरीफ़ा खाई?
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(इससे पूछो शरीफ़ा खायेगा)
मैंने पूछ लिया!
अब वो नौजवान लगा मुझे गरियाने! मैं भी आश्चर्यचकित!! हमारी पहले कभी मुलाकात भी नहीं हुई और ये गरिया ऐसे रहा है जैसे हम वर्षों से पडोसी हों!
गाली वाली देकर जब वो चला गया तो मैंने मित्र से पूछा- ये शरीफा वाला मामला क्या है बे?
मित्र महोदय जब नौवीं कक्षा में थे तो उन्होंने अपने बगीचे में शरीफे का एक पेड़ लगाया! नर्सरी से लाकर! जो नौजवान गरिया रहा था वो भी उसी स्कूल में पढता था! दो या तीन कक्षा नीचे!
पौधा लगाने के दो तीन महीने बाद स्कूल में किसी बात पर मित्र में और नौजवान में कहासुनी हो गयी!
7/3
एक बादशाह के दरबार में एक अनजान आदमी नौकरी मांगने के लिए हाजिर हुआ
काबिलियत पूछी गई तो कहा सियासी हूं
(अरबी में सियासी का मतलब अफहाम फहम तफहीम से मसला हल करने वाले को कहते हैं )
बादशाह के पास
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सियासतदानों की भरमार थी उसे खास घोड़ों के अस्तबल का इंचार्ज बना दिया गया जिस का इंचार्ज हाल ही में इंतकाल कर गया था।
कुछ रोज़ बाद बादशाह ने उसे अपने सबसे महंगे प्यारे घोड़े के बारे में पूछा उसकी चाल ढाल हक़ीक़त
उसने कहा कि घोड़ा नस्ली नही है।
बादशाह को हैरत हुई उसने जंगल से
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घोड़े वाले को बुलवाया जिस से लिया था उस से पूछा क्या यह बातें सच है उसने बताया घोड़ा नस्ली है लेकिन इसकी पैदाइश पर इसकी माँ मर गई थी यह एक गाय का दूध पीकर उस के साथ पला बढ़ा है।
अस्तबल के इंचार्ज को बुलाया गया।
बादशाह ने सवाल किया तुम्हें कैसे पता चला यह घोड़ा नस्ली नहीं है
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