अपनी दलाली वाली दुकान का शटर गिर जाने से कलपते Paid news के दल्ले....भांड मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर हमेशा की तरह एक बार फिर जुट गये है अपने साजिश वाले एजेंडा के नैरेटिव सेट करने वाले मिशन मे....भले ही पिछले सात साल मे उनकी लॉबी कई बार मुंह की खाई है...
लेकिन बेहया कुनबा मे एक फिर हर कोई जुट गया है कुछ सौ चुने लोगों के आधार पर किये गये सर्वे को दिखा कर जनता को बहकाने मे....तो कुछ दल्ले माइक लेकर अपने एजेंटों का सड़को पर लिये गये इंटरव्यू को दिखा कर जनता को फुसलाने मे...तो कुछ ऐसे पीड़ित पेड चम्मचचोर पत्तलकार हैं
जो बेसिरपैर के तर्क देकर बता रहे हैं कि बीजेपी तो पांचो राज्य हारने जा रही है.कुछ ऐसे भी हैं जो अपने कथित निष्पक्ष प्रोग्राम मे बैठाये गये चिलगोजों के पास ही माइक और कैमरा ले जाकर उनका सरकार विरोधी बयान दिखा कर बीजेपी सरकार विशेष कर योगी के विरूद्ध एक माहौल बनाने मे लग चुके हैं.
जिससे वो आपके अचेतन दिमाग मे योगी विरोधी छवि को बिठा कर अपने मालिकों की साजिश को अंजाम तक पहुंचा सकें.....दीनार और डालर पर पलने वाले मीडिया के कपूतों द्वारा बड़ा मनोवैज्ञानिक अभियान चलाया जाता रहा है और चलाया जा रहा है कि ...कैसे भी हो...सामान्य जनता, जिसके मन,मस्तिष्क मे मोदी,
योगी बसे है,उसके दिमाग और दिल से दोनो की छवि उतारना ही इन भांडो का लक्ष्य और उद्देश्य है...खैर...मेरा अपना जो अनुभव है....जो मेरा मानना है...वो यह है कि ये चाहे जितने सर्वे और भ्रमित करने वाली नौटंकी मतदान तक कितने ही दिखा लें..कितना ही भौंक ले..कितने प्रोपेगैंडा को फैला लें.
कितनी भी ड्रामेबाजी कर लें.......लेकिन चुनाव परिणाम के बाद देखियेगा कि यही मीडियाई कोठे के दलाल और इनको न्योछावर पहुंचाने वाले देश और सनातन विरोधी आका...आपको EVM पर रूदन करते दिखेंगे....सड़कों पर एक बार फिर मुजरा करते दिखेंगे.....चूडीयां तोड़ कर विधवा विलाप करते मिलेंगे...
क्योंकि आज की तारीख मे सनातनी जनता की समझ मे अच्छी तरह से आ गया है कि कौन उनका अपना है....कौन उनका हितचिंतक है...कौन उनकी अस्मिता की लड़ाई लड़ रहा है..कौन उनके राष्ट्र की रक्षा करने मे नि:स्वार्थ भाव से समर्पित है..यहां कहूंगा कि खून पानी पर भारी पड़ता है..
यानी "ब्लड इज थिकर दैन वॉटर"....अपने तो अपने ही होते है.......बहरहाल आजादी के बाद से छली गई सनातनी जनता अब तक समझ चुकी है कि कौन उसका अपना है...किसे उसके दुख से दर्द होता है....किसे उसके सनातन और राष्ट्र से प्यार है....कौन है जो मुस्लिम आक्रांताओ द्वारा रौंदे गये धर्मस्थलो को
उनकी गरिमा वापस दिला रहा है....कौन है जो मां भारती की प्राणप्रण से सेवा करके उनकी गरिमा,उनका गौरव वापस लौटाने के लिये दृढ़संकल्प है....और कौन है जो हमेशा सनातनियो के स्वाभिमान,राष्ट्राभिमान और धार्मिक सम्मान से खिलवाड़ करते रहे हैं.........और कौन है जिसने सनातन के साथ
मां भारती के गौरव उनकी अस्मिता और अखंडता के साथ खेल खेलता रहा है....!!!!!!!!!!!!

बहरहाल मै और कोई भूमिका बनाने से पहले साफ साफ बता दूं कि २०२२ से लेकर २०२४ तक का संग्राम अगर आप बीजेपी बनाम विपक्ष समझ रहे हैं तो यह आपकी गलतफहमी है....सच्चाई तो यह है कि २२ से लेकर २४ तक
जो कुछ भी होगा....वह केवल जेहादियों और उनके संरक्षको के द्वारा सनातन राष्ट्रवादियों पर आक्रमण और सनातन राष्ट्रवाद के संरक्षको के बीच हो रहे अस्तित्व का संग्राम का ही एक अँश होगा...जिसका परिणाम सीधे सीधे आपके और आपकी आने वाली संतति के भविष्य से जुड़ा है....आप आप माने या न माने
लेकिन आप भी इस संघर्ष मे एक सैनिक की भूमिका मे हैं....भले ही आप माने या न माने...अगर स्वयं को सनातन राष्ट्रवाद की वैचारिक अवधारणा का एक सचेत सैनिक समझते हैं तो फिर मनसा,वाचा,कर्मणा अपने नेतृत्व के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़े हो जाइये....और विरोधियों को मुंहतोड़ जवाब दीजिये....
और अगर कुछ नही कर सकते हैं तो कम से कम अपने सेनापति और सैनिकों का मनोबल बढ़ायें...भले ही वो गिलहरी रूप मे हो.....यह संघर्ष न केवल आपका है....वरन् आप और आपके भविष्य,आपके अस्तित्व के साथ
आपके राष्ट्र और आप के धर्म की अक्षुणता के लिये भी है....!!
साभार
#वंदेमातरम्
#Ajit_Singh
@Sabhapa30724463 @badal_saraswat @modified_hindu @Sunnyharsh44 @Trishul_Achuk @RamRam97655607 @chhotiradha @arunbajpairajan @AlokTiwari9335 @eurasiawale @drpandeyanil @BablieV @SengarAjay_

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2 Dec
क्या आप जानते है? हमारे जज साहिबान कितने त्याग करते है? नहीं जानते? कोई बात नहीं ये लेख पढ़ें, सब जानकारी है।

हाईकोर्ट के जजों को लगभग 8 घरेलू नौकर मिलते हैं। घर के सभी काम करने के लिए, वो घर जो कम से कम चार बड़े कमरों वाला मकान होता है और जो साहब को देश की जनता के दिये
टैक्स से फ्री में रहने को दिया जाता है। जिसके हर कमरे में, और जज साहब चाहें तो टॉयलेट में भी AC लगे हुये होते हैं, जिनका बिल कभी साहब को नहीं चुकाना होता। हां, ये AC हर साल बदले जाते हैं, फ्री में, उसी तरह जैसे साहब का मोबाइल (जो हमेशा मार्केट में उपलब्ध सबसे मंहगा फोन होता है)
और लैपटॉप भी हर साल बदला जाता है। और ये पुराने AC, लैपटॉप या मोबाइल साहब को जमा नहीं करना पड़ता। वो उनके बच्चों या रिश्तेदारों के काम आते हैं।
साहब को सुरक्षा के नाम पर (तीन शिफ्टों के मिलाकर) 12 पुलिसवाले मिले होते हैं जिनमें एक समय में तीन हर समय घर की सुरक्षा करते हैं और
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1 Dec
दोस्तो आजकल पूरी दुनिया में सिर्फ एक ही धंधा चल रहा हैं कि -जो जिसका जितना बड़ा बैवकूफ बनायेगा उतने बड़े प्रोफिट में रहेगा या कहो कि झटके का धंधा मने एक झटके में करोड़पति बनने का चस्का।इस धंधे में कामयाब एक आदमी होता हैं और बर्बाद करोड़ो लोग होते हैं।
और दुनिया में लोगो को बैवकूफ बनाने के लिए सबसे इजी टारगेट इस देश के लोग है जो शार्ट कट ढू़ढ़ते हैं और सबसे जल्दी शिकार हे जाते हैं।।
-अब आप देखिए आज मैं पीएनबी की खबर पढ रहा था जिसके माध्यम से कहा गया हैं कि पीएनबी अब बचत खाते धारको को केवल 2.80 का ब्याज देगा।
अब लोग क्या करेगें..अपना पैसा बेंको से निकालेगे और लालच में फंसकर वन टू का फोर करने के चक्कर में इन क्रिप्टो -लिर्पटो में पैसा लगायेगें। और फिर रोयेगें, सुसाईड करते फिरेगें। मैने पहले भी कई बार लिखा हैं कि गरीबो और मध्यम परिवारो तक पंहुचने वाली सारी नीतियों और योजनाओ में
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30 Nov
#फेमनिज्म

जब मुस्लिम स्त्रियों में फेमनिज्म जागता है तो वे हिजाब जैसे दमघोंटू लिबास का भी परंपरा के प्रति गर्व के साथ समर्थन करती हैं।

जब हिंदू लड़कियों में फेमनिज्म जागता है तो सिंदूर, बिंदी, मंगलसूत्र और यहाँ तक कि साड़ी भी पितृसत्ता का दमन नजर आने लगती है।
कोई मुस्लिम फेमनिस्ट पूरे इस्लामिक इतिहास की धुर जानकार होने के बावजूद अपनी बहू जैनब व छः साल की बच्ची के साथ निकाह करने वाले अपने पैगम्बर के खिलाफ कभी भी एक शब्द नहीं बोलती।

हिंदू फेमनिस्ट मोहतरमाएँ वेद उपनिषद तो छोड़िये रामायण व महाभारत का अध्ययन करे बिना राम,
कृष्ण,युधिष्ठिर व भीष्म जैसे उदात्त चरित्रों की गाड़ी भर भरकर ऐसे निंदा करेंगी कि ये चरित्र महापुरुष तो छोड़िये सामान्य मानव से भी गये गुजरे दिखते हैं।

कोई भी मुस्लिम फेमनिस्ट कभी भी इस्लाम को अपनी पहचान मानना बंद नहीं करती और उसे जीवन के हर पहलू में अमल में लाती है।
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30 Nov
न्यायाधीश कोई भी हों,
मोदी को नाकारा साबित
करने में लगे हैं -
NGT के चेयरमैन भी पगला
गए लगते हैं, किसी गटर को
गंगा समझ लिया क्या?

संविधान दिवस पर जजों के सामने
बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने
कहा था कि उपनिवेशवादी सोच के
कारण हमारे विकास के
प्रोजेक्ट्स
पर अड़ंगा लगा दिया जाता है और
अब अभिव्यक्ति की आज़ादी एवं
पर्यावरण भी इसके आधार बन रहे
हैं --

एक सूचना के अनुसार अभी तक
सरकार के 40 प्रतिशत प्रोजेक्ट्स
पर्यावरण की वजह से लटकाये
गए हैं जिसकी वजह से उनकी
लागत हज़ारों करोड़ बढ़ी है -
प्रधानमंत्री के बोलने के 4 दिन बाद
आज NGT, अध्यक्ष, आदर्श कुमार
गोयल का "झाड़ू मारने वाला बयान"
आया है (Sweeping Statement)
जिसमे कहा है -

"36 साल से गंगा मैली की मैली,
तय हो जवाबदेही -
एनजीटी ने गंगा स्वच्छता कार्यक्रम
पर उठाये सवाल"
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30 Nov
अभी राजस्थान में एक शादी में जाने का मौका हुआ। एक अच्छे रिसोर्ट में हाई प्रोफाइल शादी थी...!

कुछ ऐसी चीजें देखी जोकि मन में खटकी..

बारात में जो बैंड आया था उसका नाम इस्माइल बैंड ..
गाने वाले का नाम इरफान..
आगे आगे जो लाउड स्पीकर वाली गाड़ी चल रही थी वह शमीम डीजे की थी...
घर की कन्याएं और महिलाएं पीठ और नाभि दर्शना कपड़ों में सड़क पर नाच रही थीं...उन पर घर के लोग रुपये निछावर करके बैंडवालों को ही दे रहे थे..!

रिसेप्शन के समय संगीत का कार्यक्रम चल रहा था जिसमें सूफी कव्वालियां और नगमे में प्रस्तुत किए जा रहे थे....
गाने वाले भी अल्लाह और मौला के भक्त थे...इसके पहले घर की कन्याओं के जो मेहंदी लगा रहे थे या मेकअप और हेयर स्टाइल कर रहे थे वह लड़के भी उसी समाज के ही थे...

एक दिन में ही एक शादी से उस समाज वालों ‌को 8-10 लाख रुपए मिले..!
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28 Nov
त्रिपुरा की जीत के पीछे उस भयंकर लूट के खात्मे की कहानी भी है जिसने त्रिपुरा के नौजवानों की किस्मत बदल दी है और पूरे पूर्वोत्तर का खर्च आधा कर दिया है।
2018 में कम्युनिस्टों के सफाए के साथ त्रिपुरा में पहली बार बनी भाजपा की सरकार के
नौजवान मुख्यमंत्री विप्लव कुमार देव की नज़र उस लूट पर पड़ी थी जिसके कारण त्रिपुरा समेत पूरा पूर्वोत्तर लुट रहा था।
समुद्री मार्ग से आने वाली वस्तुएं पूर्वोत्तर तक पहुंचाने का एकमात्र मार्ग बंगाल का हल्दिया बंदरगाह हुआ करता था।
पूर्वोत्तर के प्रवेश द्वार गुवाहाटी की हल्दिया बंदरगाह से दूरी थी 1220 किमी तथा त्रिपुरा की राजधानी अगरतला की दूरी थी 1645 किमी। जबकि त्रिपुरा से बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह, जिसे अब चट्टोग्राम बंदरगाह कहा जाता है, की दूरी थी मात्र 67 किमी।
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