क्या आप जानते है? हमारे जज साहिबान कितने त्याग करते है? नहीं जानते? कोई बात नहीं ये लेख पढ़ें, सब जानकारी है।
हाईकोर्ट के जजों को लगभग 8 घरेलू नौकर मिलते हैं। घर के सभी काम करने के लिए, वो घर जो कम से कम चार बड़े कमरों वाला मकान होता है और जो साहब को देश की जनता के दिये
टैक्स से फ्री में रहने को दिया जाता है। जिसके हर कमरे में, और जज साहब चाहें तो टॉयलेट में भी AC लगे हुये होते हैं, जिनका बिल कभी साहब को नहीं चुकाना होता। हां, ये AC हर साल बदले जाते हैं, फ्री में, उसी तरह जैसे साहब का मोबाइल (जो हमेशा मार्केट में उपलब्ध सबसे मंहगा फोन होता है)
और लैपटॉप भी हर साल बदला जाता है। और ये पुराने AC, लैपटॉप या मोबाइल साहब को जमा नहीं करना पड़ता। वो उनके बच्चों या रिश्तेदारों के काम आते हैं।
साहब को सुरक्षा के नाम पर (तीन शिफ्टों के मिलाकर) 12 पुलिसवाले मिले होते हैं जिनमें एक समय में तीन हर समय घर की सुरक्षा करते हैं और
एक दरोगा रैंक का व्यक्ति बॉडी गार्ड रुप में साथ चलता है। मैडम को अलग से कहीं शॉपिंग करने जाना हो तो वह भी (दूसरी) सरकारी गाड़ी से, सरकारी ड्राइवर व सरकारी सुरक्षा गार्ड के साथ जा सकती हैं। रिटायर होने के बाद भी साहब को एक प्रोटोकॉल ऑफिसर मिलता है जो विभिन्न काम निपटाता है
जैसे कि किसी बीमारी की हालत में साहब किसी हॉस्पीटल पहुँचें तो वह प्रोटोकॉल ऑफिसर पहले से हॉस्पीटल पहुंचकर सब इन्तजाम देखता है कि साहब को प्राइवेट हॉस्पीटल में भी एक रुपया भी न देना पड़े।
देश भर में कहीं भी जाने पर फ्री हवाई यात्रा (या ट्रेन में फ्री प्रथम श्रेणी AC में)
पत्नी व परिवार सहित, जहां जायें वहां फ्री A ग्रेड रहने की व्यवस्था, कहीं प्राइवेट आने जाने के लिए 4.50₹ प्रति किमी चार्ज (जी हां, सही पढ़ा आपने) पर इनोवा जैसी गाड़ी और ऐसी ही न जाने कितनी सुविधायें साहब को फ्री में दी जाती हैं।
और इसके बाद भी गर्मियों में एक महीने की और सर्दियों में करीब 12 दिनों की छुट्टी कम से कम मिलें, ये साहब का अधिकार है।
लेकिन खबरदार, साहब के संविधान की जानकारी पर कभी कोई सवाल न उठायें, न उनके फैसले पर कोई बुराई करें, बावजूद इसके कि हाईकोर्ट के जज का फैसला सुप्रीम कोर्ट में
बदल सकता है, और सुप्रीम कोर्ट की सिंगल जज वाली बैंच का फैसला तीन या पांच जज वाली बैंच बदल सकती है। पता नहीं इन सबके पास संविधान की एक ही प्रति होती है या अलग अलग।
और सबसे बड़ी बात यह कि अगले जज चुनने का अधिकार ये साहब लोग अपने पास ही रखते हैं जिससे अपने बच्चों,
रिश्तेदारों और मित्रों के बच्चों को खुद #जज चुन सकें। वैसे भी, इतनी ताकतवर और ऐशोआराम से पूर्ण कुर्सी पर बैठने का अधिकार तो अपने ही बच्चों व रिश्तेदारों को ही तो देना चाहिए। इसीलिये देश में हर समय कार्य कर रहे हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के जजों में से 65-70%
पुराने जजों के बच्चे या नजदीकी रिश्तेदार ही होते हैं।
खैर यह भारत है, यहां नेता जनता की भलाई के नाम पर जनता को ही लूटते रहते हैं और साहब जनता को न्याय दिलाने के नाम पर ऐशोआराम की ज़िन्दगी व्यतीत करने में लगे रहते हैं। बाकी रही जनता तो वो नेताओं की '
जनता की भलाई'के लिए किये गये कामों और साहब से मिले न्याय के सपने देखते अपनी मृत्यु की प्रतीक्षा करती रहती है। अगला जन्म लेकर फिर से प्रतीक्षा ही करते रहने के लिए।
(पोस्ट साभार)।
लिखने वाले के लेखनी को नमन @Sabhapa30724463@badal_saraswat@Sunnyharsh44@Trishul_Achuk@BablieV
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अपनी दलाली वाली दुकान का शटर गिर जाने से कलपते Paid news के दल्ले....भांड मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर हमेशा की तरह एक बार फिर जुट गये है अपने साजिश वाले एजेंडा के नैरेटिव सेट करने वाले मिशन मे....भले ही पिछले सात साल मे उनकी लॉबी कई बार मुंह की खाई है...
लेकिन बेहया कुनबा मे एक फिर हर कोई जुट गया है कुछ सौ चुने लोगों के आधार पर किये गये सर्वे को दिखा कर जनता को बहकाने मे....तो कुछ दल्ले माइक लेकर अपने एजेंटों का सड़को पर लिये गये इंटरव्यू को दिखा कर जनता को फुसलाने मे...तो कुछ ऐसे पीड़ित पेड चम्मचचोर पत्तलकार हैं
जो बेसिरपैर के तर्क देकर बता रहे हैं कि बीजेपी तो पांचो राज्य हारने जा रही है.कुछ ऐसे भी हैं जो अपने कथित निष्पक्ष प्रोग्राम मे बैठाये गये चिलगोजों के पास ही माइक और कैमरा ले जाकर उनका सरकार विरोधी बयान दिखा कर बीजेपी सरकार विशेष कर योगी के विरूद्ध एक माहौल बनाने मे लग चुके हैं.
दोस्तो आजकल पूरी दुनिया में सिर्फ एक ही धंधा चल रहा हैं कि -जो जिसका जितना बड़ा बैवकूफ बनायेगा उतने बड़े प्रोफिट में रहेगा या कहो कि झटके का धंधा मने एक झटके में करोड़पति बनने का चस्का।इस धंधे में कामयाब एक आदमी होता हैं और बर्बाद करोड़ो लोग होते हैं।
और दुनिया में लोगो को बैवकूफ बनाने के लिए सबसे इजी टारगेट इस देश के लोग है जो शार्ट कट ढू़ढ़ते हैं और सबसे जल्दी शिकार हे जाते हैं।।
-अब आप देखिए आज मैं पीएनबी की खबर पढ रहा था जिसके माध्यम से कहा गया हैं कि पीएनबी अब बचत खाते धारको को केवल 2.80 का ब्याज देगा।
अब लोग क्या करेगें..अपना पैसा बेंको से निकालेगे और लालच में फंसकर वन टू का फोर करने के चक्कर में इन क्रिप्टो -लिर्पटो में पैसा लगायेगें। और फिर रोयेगें, सुसाईड करते फिरेगें। मैने पहले भी कई बार लिखा हैं कि गरीबो और मध्यम परिवारो तक पंहुचने वाली सारी नीतियों और योजनाओ में
जब मुस्लिम स्त्रियों में फेमनिज्म जागता है तो वे हिजाब जैसे दमघोंटू लिबास का भी परंपरा के प्रति गर्व के साथ समर्थन करती हैं।
जब हिंदू लड़कियों में फेमनिज्म जागता है तो सिंदूर, बिंदी, मंगलसूत्र और यहाँ तक कि साड़ी भी पितृसत्ता का दमन नजर आने लगती है।
कोई मुस्लिम फेमनिस्ट पूरे इस्लामिक इतिहास की धुर जानकार होने के बावजूद अपनी बहू जैनब व छः साल की बच्ची के साथ निकाह करने वाले अपने पैगम्बर के खिलाफ कभी भी एक शब्द नहीं बोलती।
हिंदू फेमनिस्ट मोहतरमाएँ वेद उपनिषद तो छोड़िये रामायण व महाभारत का अध्ययन करे बिना राम,
कृष्ण,युधिष्ठिर व भीष्म जैसे उदात्त चरित्रों की गाड़ी भर भरकर ऐसे निंदा करेंगी कि ये चरित्र महापुरुष तो छोड़िये सामान्य मानव से भी गये गुजरे दिखते हैं।
कोई भी मुस्लिम फेमनिस्ट कभी भी इस्लाम को अपनी पहचान मानना बंद नहीं करती और उसे जीवन के हर पहलू में अमल में लाती है।
अभी राजस्थान में एक शादी में जाने का मौका हुआ। एक अच्छे रिसोर्ट में हाई प्रोफाइल शादी थी...!
कुछ ऐसी चीजें देखी जोकि मन में खटकी..
बारात में जो बैंड आया था उसका नाम इस्माइल बैंड ..
गाने वाले का नाम इरफान..
आगे आगे जो लाउड स्पीकर वाली गाड़ी चल रही थी वह शमीम डीजे की थी...
घर की कन्याएं और महिलाएं पीठ और नाभि दर्शना कपड़ों में सड़क पर नाच रही थीं...उन पर घर के लोग रुपये निछावर करके बैंडवालों को ही दे रहे थे..!
रिसेप्शन के समय संगीत का कार्यक्रम चल रहा था जिसमें सूफी कव्वालियां और नगमे में प्रस्तुत किए जा रहे थे....
गाने वाले भी अल्लाह और मौला के भक्त थे...इसके पहले घर की कन्याओं के जो मेहंदी लगा रहे थे या मेकअप और हेयर स्टाइल कर रहे थे वह लड़के भी उसी समाज के ही थे...
एक दिन में ही एक शादी से उस समाज वालों को 8-10 लाख रुपए मिले..!
त्रिपुरा की जीत के पीछे उस भयंकर लूट के खात्मे की कहानी भी है जिसने त्रिपुरा के नौजवानों की किस्मत बदल दी है और पूरे पूर्वोत्तर का खर्च आधा कर दिया है।
2018 में कम्युनिस्टों के सफाए के साथ त्रिपुरा में पहली बार बनी भाजपा की सरकार के
नौजवान मुख्यमंत्री विप्लव कुमार देव की नज़र उस लूट पर पड़ी थी जिसके कारण त्रिपुरा समेत पूरा पूर्वोत्तर लुट रहा था।
समुद्री मार्ग से आने वाली वस्तुएं पूर्वोत्तर तक पहुंचाने का एकमात्र मार्ग बंगाल का हल्दिया बंदरगाह हुआ करता था।
पूर्वोत्तर के प्रवेश द्वार गुवाहाटी की हल्दिया बंदरगाह से दूरी थी 1220 किमी तथा त्रिपुरा की राजधानी अगरतला की दूरी थी 1645 किमी। जबकि त्रिपुरा से बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह, जिसे अब चट्टोग्राम बंदरगाह कहा जाता है, की दूरी थी मात्र 67 किमी।