दुन्नो बेसिकली नकारा...जुआ खेलते बखत गुजरता।पप्पा को पसन्द थे।होना ही था। नकारा बच्चे थे यह इम्पोर्टेन्ट नही था।इम्पोर्टेन्ट ये था कि पापे के बच्चेथे।
तो दुन्नो को बिजनिस करनेकी सलाह दी गई। पप्पाजी ने बनाये भापेके गोलगप्पे।
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एक डब्बा भर दिया।बोला-बचुआ लोग। जाओ,इसे मेला में बेच आओ।घर का जीडीपी, इसे बेचनेसे दनादन बढ़ेगा।
ठीक।तो अम्बे-अंडे ने डब्बा उठाया,और मेले की ओर बढ़चले।मेला जरा दूर था।जब थक गए तो जरा ठहर गए।अंडे को भूख लग आई थी।उसने अम्बे से पूछा-भाई, एक गोलगप्पा खा लूं??
अम्बे ने मना करदिया
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धंधे में पैसा बड़ा है,भाई नही। ऐसा बोलकर माल ढीला करने से इनकार किया।अंडे की जेब मे अठन्नी पड़ी थी। उसने कहा- फ्री में नही, पैसे देकर लूंगा।
अम्बे मान गया।अठन्नी ले ली, और एक गोलगप्पा दे दिया। कारवां आगे बढ़ा। अब अम्बे को भूख लगी। प्रिसिडेंट सेट हो चुका था। अठन्नी अंडे को दी,
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और एक गोलगप्पा खा लिया।
तो मेला काफी दूर था। अठन्नी अम्बे और अंडे के बीच चक्कर लगाती रही। गोलगप्पे दोनों के पेट मे समाते रहे। मेला स्थल पर पहुंच कर दुकान लगानी शुरू की, तो देखा.. माल तो बचा ही नही था।
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दुन्नो जबर खुश। इनके माल की क्वालिटी औऱ मार्केटिंग इतनी शानदार थी, की बाजार पहुचते पहुचते ही सारा माल बिक गया। एक्सीलेंट .. दुन्नो खुशी खुशी बाप के पास भागे। पहुंचकर किस्सा सुनाया, अठन्नी हथेली पर रखकर डकार ली। बाप ने शाबासी दी। एड छपवाये- बेटों ने कर ली दुनिया मुट्ठी में..
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तमाम बेहतरीन परफॉर्मेंस के बावजूद, पता नही क्यों.. घर का जीडीपी माईनस में चला गया। उधर अम्बे अंडे को कल से खट्टी डकारें, पतली दस्त और बदहज़मी की भी शिकायत है।
मुझे लगता है यह पेट की इकॉनमी पर कॅरोना का असर है।
6 @BramhRakshas
" पिछले पखवाडे मे सैनिक बदकिस्मतीयों ने युद्ध के हालात पूरी तरह से बदल दिये है।हमने पचास हजार से ज्यादा जवान खो दिये हैें। रोमेल 400 मील आगे बढ चुका है।और अब वो नील नदी के उपजाउ डेल्टा की तरफ बढ रहा है।इन घटनाओ के नतीजे कितने घातक होंगे, कहा नही जा सकता"
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ब्रिटिश पार्लियामेण्टमे चर्चिलकी आवाज गूंज रहीहै
पिछले प्रधानमंत्री नेविल चेम्बरलेन,हिटलरको समझने और सम्हाल पानेमे गच्चाखा गएथे।पूरे वक्त चर्चिल पार्लियामेण्टमे शरमिंदा करनेवालों मे सबसे आगेथे।पहलेसे ही हिटलरके खिलाफ सैनिक अभियानों की वकालत करते रहेथे।जब चेम्बरलेनने इस्तीफा दिया2
चर्चिल को जिम्मेदारी मिली,और वे आज, इसमे फेल चुकेथे।
1942की जून तक,युद्ध लड़ते प्रधानमंत्री चर्चिल को दो साल हो चुके थे।लंदन पर दिन रात बम गिर रहे थे।एम्पायर का जलवा खत्म होने को था।हिटलर यूरोप का मालिक हो चुका था, आधा रूस भी कब्जे अपने मे ले चुका था। चहुं ओर हार, बरबादी थी।
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18पुत्र,22 रानियां, 52 पोते पोती शय्या के इर्द गिर्द हाथ बांधे खड़े थे।शोक का वातावरणथा। पण्डित कानो में श्लोक पढ़ रहा था।गंगाजल मंगा लिया गया।राजा साहबकी नब्ज गिरती जा रही ही।हकीमने जवाब दे दियाथा।
जब उम्मीद टूटनेलगी तो राजा साहबको शय्यासे
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उठाकर भूमि पर लिटा दिया गया।मुंह मे गंगाजल डाला जाने लगा।महिलाएं रो रही थी। बाहर दरबारी हाथ बांधे खड़े थे। अर्थी तैयार की जाने लगी।किसी भी समय सांसों की डोर टूट जाती।
राजा साहब से मुंह का गंगाजल भी निगला न जा रहा था,मुंह की कोर से बहकर तकिए पर गिर रहाथा।तभी उनके होठ फड़फड़ाये
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सुनना कठिन था।प्रमुख अमात्य ने झुककर होठों से कान लगाये।सुनने की कोशिश की। कपकपाते होठों से निकली आवाज बड़ी मुश्किल से समझ सके - "शादी करूँगा"
"राजकुमारी नागफनी से शादी करूँगा"
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फिलहाल हरीश रावत को देख रहे है। इसके पहले गुलाम नबी आजाद,भूपिंदर हुडा, कैप्टन अमरिंदर, कमलनाथ,
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चौबेजी को मैं पांडे जी के घर ले गया।
चौबे जी के लड़केकी शादी की बात पांडे जी की लड़की से चल रही थी।
हम पांडे जी के घर के बरामदे में बैठे थे। लड़की चाय-नाश्ता दे गई थी।चौबे जी ने उसे देख लिया था। पांडे जी का पैतृक मकान था।वह शहर के पुराने मुहल्ले में था।गंदा मुहल्ला था।बरामदे से
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कचरे के ढेर दिख रहे थे। आसपास सूअरों की कतारें घूम रही थीं।
चौबे जी यह देख रहे थे और उन्हें मतली-सी आ रही थी। वे बोले- हॉरीबल! इस कदर सूअर घूमते हैं, घर के आसपास!
बाकी बातें मुझे करनी थीं। हम लौटे। चौबे जी से मैं दो-तीन दिन बाद मिला। उन्होंने कहा- भई, लड़की ताे बहुत अच्छी है।
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मगर पांडे का घर बहुत गंदी जगह परहै।सूअर आसपास घूमते हैं।हॉरीबल!
मैंने कहा-मगर आपको उस घरसे क्या करना है?आपकोतो लड़की ब्याह कर लानीहै।
चौबेजी ने कहा-मगर क्या लड़का ससुराल नहीं जाएगा?या मैं समधीसे कोई संबंध नहीं रखूंगा? मैं सबसे ज्यादा इस सूअरसे नफरत करताहूं। आई हेट दीज़ पिग्ज़।
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जब मोदी व शाह ने टेनी,केशव प्रसाद मौर्या और अरविंद शर्मा के माध्यमसे योगी पर शातिराना हमले करने शुरू किएतो उसका कुछ न कुछ नतीजा निकलना ही था।अब योगी आदित्यनाथने अपने चेलेको गुजरातमे न केवल लांच कर दिया है बल्कि ट्विटर पर ट्रेंड कर दियाहै।
ट्वीटर पर ट्रेंड कर रहा'गुजरात का योगी"1
दरअसल और कोई नही योगीका चेला देबनाथ है।नाथ संप्रदाय से संबंध रखनेवाला योगी देवनाथ उत्तर प्रदेशके मुख्यमंत्रीका गुरुभाईहै। योगी देवनाथका गुजरातके कच्छ जिलेमें अच्छा-खासा प्रभावहै।इतनाही नहीं कच्छ जिले की रापर विधानसभा क्षेत्रसे योगी देवनाथको अगले विधानसभा चुनावमें उतारनेकी अटकलें2
भी लगाई जा रही हैं।
आपको बता दें देबनाथ गुजरात में हिंदू युवा वाहिनी के प्रभारी होने के साथ-साथ कच्छ संत समाज का अध्यक्ष हैं और अखिल भारतीय साधु समाज का सदस्य हैं। करीब 25 बरस से भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ा देबनाथ एकलधाम आश्रम का महंथ भी हैं।
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एक मजेदार ऑब्जर्वेशन है,महसूस कीजिएगा। अधिकांश भाजपा प्रेमी धार्मिक नही हैं। वो मांसाहार करते हैं,पब जाते है,शराब पीते है, पोर्न शेयर करते हैं,सीडी वीडी बनवाते रहते हैं। वैष्णो देवी और तिरुपति का तीर्थाटन,असल मे दोस्तोंके साथ हैंग आउट
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और छुट्टी पर्यटन का बहाना होताहै।
इनमे से किसी ने पुराण,वेद,गीता,धर्मशास्त्र का अध्ययन नही किया।गणेश पंडाल,या कांवर उत्सव में उन्मत्त नाचने के अलावे,दैनिक पूजन पाठ भी नही करते।चार श्लोक याद नही,उनके अर्थ जानना तो दूरकी बात है।
लेकिन इसकी जरूरत भी नही।क्योकि धर्मका पूरा सबाब,
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एक ढोंगी नौटंकीबाज को वोट देकर पूरा हो जाता है। पांच साल के लिए अपना धर्म इन्होंने समूची सरकार बनाकर आउटसोर्स किया हुआ है।
अतएव प्रधानमंत्री को मन्दिर में देखकर खुश होते हैं। मुख्यमंत्री को घण्ट डुलाते देख चरमसुख पाते हैं। इसके बाद पलटकर निजी चरमसुखों में डूब जाते है।
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आजकल बच्चे दसवीं,बारहवीं कक्षाकी छमाही परीक्षा का एक पर्चा दे रहे थे ,कुछ बच्चों ने पर्चा पूरा कर लिया था।अभी पर्चे का समय समाप्त नहीं हुआ है,इसलिए निरीक्षक अध्यापिका उन बच्चों,जिन्होंने पर्चा पूरा करके उत्तर पुस्तिका अपनी बेंचपर रख दीहै
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को एक-एक पोस्टकार्ड देकर कहती है,"हमारे प्रधानमंत्रीने जो संघर्ष किये हैं,उन्हें इस पोस्टकार्डपर लिखिए.ये पोस्टकार्डPMOकी एक दीवारपर लगाए जाएगे"
मेरेदोस्त की बेटी भी उस कक्षामें बैठीहै और अपना पर्चा पूरा कर चुकीहै.परन्तु जैसेही निरीक्षक अध्यापिका उसके पास पोस्टकार्ड देनेके लिएआई
तो उसने बेंच पर रखी उत्तर पुस्तिकाको उठाते हुएकहा,"मैम, मुझे कुछ याद आ गयाहै, इसलिएमैं पेपर चेक करुँगी"
दोस्तकी बेटीने घर आकर पोस्टकार्ड वाली बात बताई और कहा,"मैंने जानभूझकर पोस्टकार्ड नहींलिया.क्या लिखती प्रधानमंत्रीके संघर्षके बारे,उन्होंने कुछ किया तोहै नहीं."
इस घटना से
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