दोनो तस्वीर एकय की है ।इसका नाम है - अभिजीत सराग । यह जहाँ है , जहाँ से जुड़ा है , वहाँ का सबसे पढ़ा लिखा और उड़नबाज माना जाता है । आठ कलम तक पहुँच कर पढ़ाई को जय श्री राम बोल गया और दूसरे हुनर में लग गया । ज़माना चोला रंगाने का चला , तो इस आठवीं वाला सराग दाढ़ी मूँछ बढ़ाया ,
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नारंगी चादर ओढ़ लिया और माथे पर सबसे बड़ा बुंदा लगा लिया।इक्सट्रा लार्ज।घरवालों ने इसे घरसे निकाला और इंदौर इसके मौसीके यहाँ छोड़ दिया,सुधारनेके लिए।सुधारने के लिए इसने सबसे पहले नाम बदला,अभिजीतlसे काली चरणहो गयाऔर देशका सबसे“ नामी गिरामी“आश्रम
पकड़ लिया।उसके सबसे बड़े महराज थे2
-भय्यूजी महराज ।
हाफ़िज़ा कमजोर है वरना भय्यू जी सुनते ही आपके रोंएँ तक खड़े हो गये होते।नही याद आया ?सियासत यानी राजनीति की सबसे बड़ी बिसात जब धर्म की बाड़ में खड़ी होनी शुरू हुयी तो,पहला बड़ा ठेकेदार एक इक्केवान आशूमल उर्फ़ आशाराम बापू बने। क़िस्सा आपको मालूम है- “काम रोगी “
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“निकला और जेल चला गया।उसकी जगह दूसरा कामरोगी आया-भय्यू जी महराज।बड़े नेता जी(?)जब उपवास पर जाँय तब यह दूसरे बाबा भय्यू जी महराज नारंगीका अर्क पिला कर विजयी भव की थाप उसकी पीठ पर देतेथे।मोदीजी का उपवासहो या अन्ना हज़ारे का,उस समय यही भय्यू जी सामने आए थे।
इंदौर मे अभिजीत इनही
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भय्यू जीका शिष्य बना और इक्सट्रा लार्ज बन कर खिसक लिया क्यों तब तक भय्यूजी कई बालाओंके साथ तस्वीरें बाहर निकलने लगी थी,भय्यू जीने खुदको गोली मार लिया।ये काली चरण उस आश्रमका खिलाड़ीहै।यह मकड़जाल जितना खोलेंगे उतना हाई उलझता जायगा।ये सब अन्ना हज़ारेके साथ उसके पीछेखड़े प्यादे हैं।
धर्म संसद का एक और बकवादी निसादेवी हलुआइन लुधियाना वाली उर्फ़ साध्वी ऋतंभरा का वह गुरु भीहै जिसने निशा देवी को सम्भ्रांत भाषा में मुसलमानों को कटुआ बोलने के पीछे का पूरा कर्मकांड समझाया है।ये सब“धर्म संसद “के धार्मिक संत हैं।इस धर्म संसद में बहुत रोचक और बहु धंधी लोग जुटे थे।
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एक संत कैटरर है।लगन,मरनी,करनी,और भंडारे में खाना बनाने का ठेका लेताहै ख़ाली समय में मेकप करके धारम धर्म संसदमें बैठता है
पूरे आठ साल हो गए खटे हुए-इन कथित साधुओं,साधवीयों का मर्दमसुमारी कराओ और सब की कुंडली खोलो कौन क्या है?वरना अब ये देश खाने में लग गएहैं 7 @BramhRakshas
एक ऐसी सरकारी कम्पनी जो भारतके रक्षा ओर अंतरिक्ष विभागके लिए विभिन्न उपकरणों और कल-पुर्जों का उत्पादन कर रही थी ऐसी कम्पनी जो मिसाइल प्रणालियों में लगने वाले उपकरणों का उत्पादन कर रही थी,ऐसी कम्पनी जो स्वाति और राजेन्द्र राडार जैसे विभिन्न राडारके लिए इस्तेमाल होने वाले कैडमियम
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जिंक टेल्यूरियमके लिए सब्सट्रेट बनातीहो
ऐसी कम्पनी जो 3500करोड़के आयात शुल्क बचा चुकीहै।..ऐसी कम्पनी जो हर साल वह हजारों करोड़के ऑर्डर पूरा करतीहै,ऐसी कम्पनी जहां300स्थाई कर्मचारी तथा उससे भी अधिक अस्थाई कर्मचारी कार्यरतहै।ऐसी कम्पनीको मोदी सरकारने सिर्फ210करोड़ में बेच दिया है
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हम बात कर रहे हैं सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड(सीईएल)की...इस कम्पनी को एक अननोन सी कम्पनी नांदल फाइनेंस ने खरीदा है..मजे की बात यह है कि नांदल फाइनेंस कंपनी में केवल 10 एम्प्लॉई है...
सीईएल की वास्तविक कीमत1000करोड़ रुपये से1,600करोड़ रुपये के बीचका अनुमान लगाया गयाथा लेकिन
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गांधी की अहिंसा, बहादुरी का सबसे ऊंचा रत्न है। यह अत्याचार के सामने, निहत्थे अड़े रहने की ऐसी जिद है, कि आप अपने दुश्मन को भी पलटकर मारना नही चाहते। आप सत्य के प्रति अपने आग्रह पर तक अडिग रहते हैं, दुश्मन की राह पर अड़े रहते हैं,
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जब तक कि वो अपना दुराग्रह न छोड़ दे।
गांधी की कांग्रेस के लिए यह ठीक है।
राहुल की कांग्रेस के लिए नही।
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राहुल की कांग्रेस कोई जनजागरूकता का आंदोलन नही, कोई जनसंगठन नहीं।ये पोलिटीकल पार्टी है,जिसने देश पर रूल किया है, और अब भी अनेक राज्यों में कर रही है।
राज्य, उसकी सरकार,
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सभ्यता, अहिंसा, सत्याग्रह औऱ गांधीगिरी नही बरत सकती। उसका काम, कानून व्यवस्था, और सुरक्षा को बनाये रखना है। इसमे सीमा के भीतर डंडे, औऱ सीमाओं पर गोली भी चलानी पड़ती है। चलाई जानी चाहिए। यह राज्य का अधिकार ही नही, जिम्मेदारी भी है।
कैथोलिक चर्च ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी के विदेशी चंदे वाले बैंक खातों पर रोक को सबसे गरीब तबके पर क्रूर प्रहार कहा है।
मदर टेरेसा द्वारा स्थापित मिशनरीज ऑफ चैरिटी देश भर में अनाथ और बेसहारा लोगों के लिए 240 अनाथालय चलाती है। इनमें कई एड्स रोगी भी पल रहे हैं।
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खाते पर रोक से इन सभी पर भूख और दवाओं की कमी की मार पड़ेगी। इनमें अनाथ, बेसहारा बच्चों पर सबसे ज़्यादा आफ़त आनी है।
मिशनरीज ऑफ चैरिटी के FCRA खाते की मियाद 31 दिसंबर तक थी। संस्था ने अपनी सारी इकाइयों से इन खातों का इस्तेमाल न करने को कहा है।
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मिशनरीज ऑफ चैरिटी ने FCRA खाते के नवीनीकरण का आवेदन किया था, जिसे मोदी सरकार ने मंजूर नहीं किया।
कलकत्ता के आर्चडिओसिस फादर डोमिनिक गोम्स ने कहा है कि अगर देश में ईसाई धर्मांतरण हो रहा होता तो आबादी में ईसाइयों का अनुपात मौजूदा 2.3% से काफी बढ़ गया होता।
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" पिछले पखवाडे मे सैनिक बदकिस्मतीयों ने युद्ध के हालात पूरी तरह से बदल दिये है।हमने पचास हजार से ज्यादा जवान खो दिये हैें। रोमेल 400 मील आगे बढ चुका है।और अब वो नील नदी के उपजाउ डेल्टा की तरफ बढ रहा है।इन घटनाओ के नतीजे कितने घातक होंगे, कहा नही जा सकता"
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ब्रिटिश पार्लियामेण्टमे चर्चिलकी आवाज गूंज रहीहै
पिछले प्रधानमंत्री नेविल चेम्बरलेन,हिटलरको समझने और सम्हाल पानेमे गच्चाखा गएथे।पूरे वक्त चर्चिल पार्लियामेण्टमे शरमिंदा करनेवालों मे सबसे आगेथे।पहलेसे ही हिटलरके खिलाफ सैनिक अभियानों की वकालत करते रहेथे।जब चेम्बरलेनने इस्तीफा दिया2
चर्चिल को जिम्मेदारी मिली,और वे आज, इसमे फेल चुकेथे।
1942की जून तक,युद्ध लड़ते प्रधानमंत्री चर्चिल को दो साल हो चुके थे।लंदन पर दिन रात बम गिर रहे थे।एम्पायर का जलवा खत्म होने को था।हिटलर यूरोप का मालिक हो चुका था, आधा रूस भी कब्जे अपने मे ले चुका था। चहुं ओर हार, बरबादी थी।
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दुन्नो बेसिकली नकारा...जुआ खेलते बखत गुजरता।पप्पा को पसन्द थे।होना ही था। नकारा बच्चे थे यह इम्पोर्टेन्ट नही था।इम्पोर्टेन्ट ये था कि पापे के बच्चेथे।
तो दुन्नो को बिजनिस करनेकी सलाह दी गई। पप्पाजी ने बनाये भापेके गोलगप्पे।
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एक डब्बा भर दिया।बोला-बचुआ लोग। जाओ,इसे मेला में बेच आओ।घर का जीडीपी, इसे बेचनेसे दनादन बढ़ेगा।
ठीक।तो अम्बे-अंडे ने डब्बा उठाया,और मेले की ओर बढ़चले।मेला जरा दूर था।जब थक गए तो जरा ठहर गए।अंडे को भूख लग आई थी।उसने अम्बे से पूछा-भाई, एक गोलगप्पा खा लूं??
अम्बे ने मना करदिया
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धंधे में पैसा बड़ा है,भाई नही। ऐसा बोलकर माल ढीला करने से इनकार किया।अंडे की जेब मे अठन्नी पड़ी थी। उसने कहा- फ्री में नही, पैसे देकर लूंगा।
अम्बे मान गया।अठन्नी ले ली, और एक गोलगप्पा दे दिया। कारवां आगे बढ़ा। अब अम्बे को भूख लगी। प्रिसिडेंट सेट हो चुका था। अठन्नी अंडे को दी,
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18पुत्र,22 रानियां, 52 पोते पोती शय्या के इर्द गिर्द हाथ बांधे खड़े थे।शोक का वातावरणथा। पण्डित कानो में श्लोक पढ़ रहा था।गंगाजल मंगा लिया गया।राजा साहबकी नब्ज गिरती जा रही ही।हकीमने जवाब दे दियाथा।
जब उम्मीद टूटनेलगी तो राजा साहबको शय्यासे
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उठाकर भूमि पर लिटा दिया गया।मुंह मे गंगाजल डाला जाने लगा।महिलाएं रो रही थी। बाहर दरबारी हाथ बांधे खड़े थे। अर्थी तैयार की जाने लगी।किसी भी समय सांसों की डोर टूट जाती।
राजा साहब से मुंह का गंगाजल भी निगला न जा रहा था,मुंह की कोर से बहकर तकिए पर गिर रहाथा।तभी उनके होठ फड़फड़ाये
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सुनना कठिन था।प्रमुख अमात्य ने झुककर होठों से कान लगाये।सुनने की कोशिश की। कपकपाते होठों से निकली आवाज बड़ी मुश्किल से समझ सके - "शादी करूँगा"
"राजकुमारी नागफनी से शादी करूँगा"
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फिलहाल हरीश रावत को देख रहे है। इसके पहले गुलाम नबी आजाद,भूपिंदर हुडा, कैप्टन अमरिंदर, कमलनाथ,
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