उपर से तटस्थ और भीतरसे भक्त एक मित्रके साथ बैठा था।मित्र ने कहा-तू दिन रात मोदीके पीछे लगा रहता है।मान लिया कि उसने एकभी अच्छा काम नही किया,क्योकि वो कम पढा लिखाहै
लेकिन इतनी बड़ी सरकारहै,इतने पढे लिखे अनुभवी आइएएस,मैनेजमण्ट इकानमिस्ट लोग है
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क्या सब मिलकरजो फैसले कर रहे है,क्या वो सब गलतहै??
मैने एक किस्सा सुनाया
सेकेन्ड वर्ल्ड वारमे हारने के बाद हिटलर के टाप 20नाजी अफसरो पर मुकदमा चलाया गया।ये अनुभवी सैन्य अफसर थे,डाक्टर,इजीनियर, पायलट,डिप्लोमैट,साइंटिस्ट,ब्रिलियंट लोग।
इनमे अल्बर्ट स्पीयर था,मास्टर आर्किटेक्ट।
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रिबनट्राप था -जर्मन विदेश मंत्री और हरमन गोयरिंग जो डेकोरेटेड एयरफोर्स पायलट, वायुसेनाध्यक्ष,और हिटलर का घोषित नंबर2 था।
हरमन गोयरिंग नरेम्बर्ग के इस एतिहासिक मुकदमे मे स्टारथा।
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आरोप क्राइम अगेंस्ट ह्यूमनिटी, युद्ध छेड़ने और मास मर्डर का था।सभीने पहले खुदको निरपराध बताया,
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हिटलर को दोष दिया और कहा कि वे तो सिर्फ आदेश का पालन कर रहे थे।
सिर्फ गोयरिंग था, जो नही डिगा। वो हिटलर और नाजिज्म के प्रति अपनी आस्था पर अटल था। उसने तगड़ी जिरह की, और प्रासीक्यूटर पर भारी पड़ा, एलाई ताकतों पर शानदार व्यंग्य कसे। लेकिन मास मर्डर, और होलोकास्ट की विडियो,
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भरी अदालत मे चलाए जाने के बाद, वह जरा नरम पड़ा।
कहा- मै जर्मनी मे घट रही इन घटनाओ से अंजान था।
लेकिन प्रोसिक्यूटर ने ज्यूस को उनकी प्रोपर्टी से बेदखल करने और कान्सट्रेशन कैंपों मे भेजे जाने के कुछ आदेश सामने रख दिए। जिस पर दस्तखत गोयरिंग के थे। अब वह स्पीचलेस हो गया।
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बचाव की अंतिम समरी मे उसने कहा - इस अदालत मे जो अपराधी बनकर बैठे है, सभी हिटलर के यस मैन है। क्योकि जो भी नो मैन थे ...
"बरसों पहले, जमीन के छह फुट भीतर दफनाए जा चुके है"
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तो मेरे दोस्त।
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इस सरकार मे जो आज बैठे हैं, वो यस मैैन हैं, बौड़म और रीढविहीन हैं, इसलिए सर्वाइव कर रहे है। जो भी बौद्धिक, दूरदर्शी, अक्लमन्द, समझदार थे... जिनका कद, बौने नेता को सहमा देता था ..
किसी नकारात्मक खबर को मीडिया द्वारा सरकारात्मक होकर किस तरह पेश किया जा सकताहै,इसपर नजर डालिये
मेक इन इंडिया को बढ़ावा देनेके लिए सरकार ने ये बड़ा कदम उठायाहै.
ऐसी खबरें पहलेसे आ रहीथीं कि सरकार जल्द ही उन सौदों को रद्द या फिर स्थगित कर सकतीहै जिनमें पूरी तरह विदेशी देशों पर
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निर्भरता है.तीनों सेनाओंको भी स्पष्ट कर दिया गयाहै कई पुराने सौदोंको अब स्थगित या फिर कैंसिलकर दिया जाएगा.सरकार इस समय कई सौदोंकी समीक्षा कर रहीहै.2
पुरानी रणनीति,अमलीजामा पहनाने का समय
इस लिस्ट मेंP-8Iएयरक्रॉफ्ट,रूस का शॉट एयर डिफेंस सिस्टम जैसे हथियारभी शामिलहैं जिनके आयात पर
अभी रोकतो नहीं लगीहै लेकिन सरकारने इस पर भी अपना मंथन शुरू कर दियाहै.अब जानकारी के लिए बता दें कि भारत सरकार ने ये कदम उठाने से पहले कई अधिकारियों से बातचीत की है.कई बैठकों का दौर पहले ही हो चुका है.एक बैठक में पीएम मोदी संग तब के सीडीएस बिपिन रावत भी मौजूदथे.ऐसेमें सरकारने अपनी3
अनिवार्य टीकाकरण पर जुलाई 2021 में मेघालय हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि....'ज़बरदस्ती वैक्सीनेशन मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है'
मेघालय हाईकोर्ट ने जबर्दस्ती वैक्सीन लगाए जाने के विरुद्ध दिए गए अपने डिसीजन में कहा है ......
'भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में स्वास्थ्य के अधिकार को
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मौलिक अधिकार के रूप में शामिल किया गया है। इसी तरह से स्वास्थ्य देखभाल का अधिकार, जिसमें टीकाकरण शामिल है, एक मौलिक अधिकार है। हालांकि ज़बरदस्ती टीकाकरण के तरीकों को अपनाकर अनिवार्य बनाया जा रहा है, यह इससे जुड़े कल्याण के मूल उद्देश्य को नष्ट कर देता है। यह मौलिक अधिकार
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(अधिकारों) को प्रभावित करता है, खासकर जब यह आजीविका के साधनों के अधिकार को प्रभावित करता है जिससे व्यक्ति के लिए जीना संभव होता है।"
पीठ ने इसके अलावा कहा कि.. "टीकाकरण के लिए अधिकार और कल्याण नीति कभी भी एक प्रमुख मौलिक अधिकार को प्रभावित नहीं कर सकती है, यानी जीवन का अधिकार,
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महमूद गजनवी ने 17हमलों मे भी हिंदुस्तान की हालत वो नहीकी होगी जो मोदी अपने दो कार्यकाल में कर जाएंगे...कुल मिलाकर2024 तक36सरकारी कंपनियों को बेचने का प्लान है,...LICका नम्बर लगने ही वाला है...वैसे सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड की बिक्री से कल सरकार पीछे जरूर हटी है लेकिन उसने
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प्रोजेक्ट्स & डेवलपमेंट इंडिया लिमिटेड PDIL ओर HLLको बेचने की निविदा पहले से ही निकाल रखी है ...मोदी सरकार लिटमस टेस्ट की तरह पहले छोटे छोटेPSUको बेच रही है
कहने को यह छोटेPSUहै लेकिन यह जो काम करते हैं वो बहुत महत्वपूर्ण है इन छोटे PSU की वजह से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को अपने
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पाँव जमाने का मौका नही मिल पाता...
PDIL को ही ले लीजिए...... स्वतंत्रता के बाद भारत के लगभग जितने भी यूरिया खाद के प्लांट लगे है और वर्तमान में बन रहे अधिकतर Lpg bottling प्लांट ( आपके घर के सिलेंडर से लेकर कमर्शियल सिलेंडर की फिलिंग के प्लांट) और ऑयल टर्मिनल
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पिछले कई दिनोंसे मीडिया चीनकी मोबाइल कम्पनियोंके पीछे पड़ा है अगर आप जानना चाहतेहैं कि ऐसा क्यो है तो पोस्ट अंत तक पढ़िएगा आज खबर आयी है कि2019-20में चीनी ब्रांड शाओमी,ओप्पो,वीवो ने हर साल एक लाख करोड़से अधिकके फोन भारतीय बाजारों में बेचे लेकिन एक रुपयेका सरकार को टैक्स नहीदिया
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आपको याद होगा मोदी जी ने एक बार बड़ी लम्बी फेंकी थी कि मोबाइल फोन उत्पादन में भारत महाशक्ति बन रहा है2014से पहले देश में दो मोबाइल कंपनियां थीं जो अब125हो गई हैं।.....यह सही है कि कंपनिया तो बढ़ गयी लेकिन उससे देश को क्या फायदा हुआ?सारा पैसा तो चीन चला गया टैक्स के नाम पर तो फ
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फूटी कौड़ी भी हाथ नही आई !...
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि शाओमी, ओप्पो और वीवोने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीजकी फाइलिंगमें घाटा दिखायाहै।जबकि इस दौरान उनकी जबरदस्त बिक्री रही।ज्यादा फोन बेचने वाली कंपनियोंकी लिस्टमें वे टॉप पर रहीं।कागजोमें देशके स्मार्टफोन मार्केटमें लीडर होनेका दावा
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चीन की आर्थिक मजबूती का सबसे चमकदार तमगा उसकी हाइस्पीड ट्रेन का नेटवर्क है। बुलेट ट्रेन के नामसे ये जापान ने शुरू हुआ था, चीन ने दुनियाका सबसे बड़ा बुलेट नेटवर्क खड़ा कर,अपनी ताकत और समृद्धि का सिंबल बना लिया।
प्रोजक्ट आफ प्राइड के हालात अब कैसे हैं??
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तीससाल पहले चीन"चल गया तो चांद तक- नही चला तो शामतक"वाले सस्ते इलेक्ट्रानिक प्रोडक्टका हब बनना शुरू हुआ
ग्रामीण आबादी शहरोमे आकर फैक्ट्रियोंमे नौकरी करनेलगी।उनकी बस और सामान्य रेल यात्रा,लम्बा समय लेती।हाइस्पीड नेटवर्ककी योजनाऐ तब बनी।2
लेकिन सिरे चढ़ी2008की वैश्विक मंदीके वक्त
अब तक दुनिया भरमे माल बेच बेच कर चीन की जेबें भर चुकीथी।खूब पैसा इन नेटवर्क मे डाला गया।ये असल मे मंदी का स्टिमुलस पैकेज था,जिसके बूते चीन पर उस मंदीका असर नहीं पड़सका।तो इन ट्रेनोंने मंदीभी टाली,और रेल नेटवर्क भी बन गया।
डगर बंद ।काम चालू आहें
पिछले कई पोस्ट से देश की तमाम विसंगतिया और द्रुतगति से भागती एकाधिकारवाद की आँधी की ज़िम्मेदार ताक़तों पर चर्चा करते समय यह लेखक -उस समाज को ज़िम्मेदार बनाता जा रहा है जिसमें वह खुद हिस्सेदारी कर रहा है ,और डंके की चोट पर स्वीकार करता है 12/1
क़ि इस समय देश आफ़तके दौरको स्वीकार कर,वो परिस्थिति बना रहा है जी तानाशाही तक को न्योत सकती है।यह है हमारे समाज की अजगरी प्रवृत्ति।एक ताज़ा वाक़या लीजिए -
मुस्लिम महिलाओंके ख़िलाफ़ माहौल रचनेके लिए दक्षिण पंथी अपनी पुरानी कटार चलायी है - चरित्र पर हमला।बहुत आसान होता है 12/2
महिलाओं के लिए तो और ज़्यादा।अपने को हिंदू कहनेवाली यह टीम खुद हारा किरी में लगी है । उस गिरोह का एक लड़का मैथिल है । मैथिल समाज की क्या ज़िम्मेदारी बनती है , मैथिल समाज को क्या करना चाहिए इस सवाल को लेकर मैथिल समाज से ,और दरभंगा राज घराने की Kumud Singh ने उस आरोपी मैथिल
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