( उद्धवजी कह रहे हैं ) चराचर जगत् और प्रकृति के स्वामी भगवान् ने जब अपने शान्त - रूप महात्माओं को अपने ही घोररूप असुरों से सताये जाते देखा ,
तब वे करुणाभाव से द्रवित हो गये और अजन्मा होने पर भी अपने अंश बलरामजी के साथ काष्ठ में अग्नि के समान प्रकट हुए ॥ अजन्मा होकर भी वसुदेवजी के यहाँ जन्म लेने की लीला करना , सबको अभय देने वाले होने पर भी मानो कंस के भय से व्रजमें जाकर छिप रहना और अनन्तपराक्रमी होने पर भी
कालयवन के सामने मथुरापुरी को छोड़कर भाग जाना- भगवान् की ये लीलाएँ याद आ आकर मुझे बेचैन कर डालती हैं ॥ उन्होंने जो देवकी - वसुदेवकी चरण - वन्दना करके कहा था- पिताजी माताजी ! कंसका बड़ा भय रहनेके कारण मुझसे आपकी कोई सेवा न बन सकी आप मेरे इस अपराधपर ध्यान न देकर मुझपर प्रसन्न हों ।
श्रीकृष्णकी ये बातें जब याद आती हैं , तब आज भी मेरा चित्त अत्यन्त व्यथित हो जाता है
॥ - - गीताप्रेस , गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण ( विशिष्टसंस्करण ) पुस्तककोड 1535 से
ॐ नमो नारायणाय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
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इनका विनाश एक-एक दोष के कारण हो जाता है। जैसे- हिरण कर्ण-सुख, मछली जिह्वा-सुख, भँवरा नासिका-सुख, पतंगा दृष्टि-सुख और हाथी स्पर्श-सुख की लालसा में अपने प्राण गँवाता है। हम में यदि पाँचो जानलेवा दोष एक साथ उपस्थित हों तो हमारी विनाश से बचने की कितनी संभावना होगी ?
माता सबरी बोली- यदि रावण का अंत नहीं करना होता तो राम तुम यहाँ कहाँ से आते ? " भगवान राम गंभीर हुए । कहा , " भ्रम में न पड़ो अम्मा ! राम क्या रावण का वध करने आया है ? छी ... अरे रावण का वध तो लक्ष्मण अपने पैर से वाण चला कर भी कर सकता है ।
राम हजारों कोस चल कर इस गहन वन में आया है तो केवल तुमसे मिलने आया है अम्मा , ताकि हजारों वर्षों बाद जब कोई पाखण्डी भारत के अस्तित्व पर प्रश्न खड़ा करे तो इतिहास चिल्ला कर उत्तर दे कि इस राष्ट्र को राम और उसकी भीलनी माँ ने मिल कर गढ़ा था !
हमारे विभिन्न ग्रंथो में भगवान शिव का अवलोकन करने के बाद जो रिजल्ट आता उसके अनुसार शिव अजन्मा,अनन्त,अविनाशी, निराकारी ,साकार,अखण्ड ऊर्जा ,आदि योगी,जन्म म्रत्यु से परे,जिसका कोई नियम नही,ब्रमांड नियंता,त्रिकालदर्शी,
पूरा ब्रमांड शिव से ही उत्तपन्न है ओर सब जड़,चेतन स्वर्ग ,नरक ,सब शिव से ही उत्तपन्न होते हुए है ओर अपनी यात्रा पूरी करके वापस शिव में ही विलीन होजाते है ! सत्य ही शिव ! शिव ही एक मात्र ऐसे भगवान है जो आधुनिक विज्ञान के सबसे नजदीक है
बिग बैंग थ्योरी,क्वांटम थ्योरी,का अध्ययन करने एवम पुराणों के अनुसार भगवान शिव के बारे में जैसे बताया गया है यदि उस पर गहराई से विचार करे तो समझ मे आएगा अरे इनमे तो बहुत समानताएं है यानी ये बिग बैंग ओर क्वांटम थ्योरी तो शास्त्रो में पहले से ही मौजूद है
प्रश्न = रामायण काल में लोग बिन साबुन के कपड़े कैसे धो लेते थे? क्या कपड़े साफ भी हो पाते थे?
इस कहते हैं अज्ञान या फिर अज्ञानता कहिये. हम आज के भारतीयों की सबसे बड़ी समस्या यही है.
आपने यह चित्र तो बार बार देखा होगा लेकिन यह कभी नहीं सोचा कि इस चित्र के पीछे की सच्चाई क्या है.
जी हाँ, आप कहेंगे कि इसमें सोचना क्या है. हनुमान जी पहाड़ उठा कर ले जा रहे हैं.
मित्रो, इस चित्र की सच्चाई यह है कि उस समय भी वैद्य (चिकित्सक) महाशय यह बात जानते थे कि सुदूर उत्तर में उत्तराखंड में एक पर्वत पर एक ऎसी जड़ी बूटी पायी जाती है जो प्रभु राम के मूर्छित पड़े अनुज लक्षमण की प्राण रक्षा करने में उपयोगी है
प्रश्न = पुराणों में जब विष्णु भगवान ने वराह का रूप लिया था। तब उन्होंने पृथ्वी को समुद्र की गहराई से बचाकर बाहर निकाला था तो आप हमें यह बताएं कि पृथ्वी आखिर समुद्र में कैसे डूबी क्योंकि समुद्र तो पृथ्वी में ही है तो पृथ्वी कौन से समुद्र में डूबी थी ??????
पहली बात ये है कि किसी भी पुराण में ये नहीं लिखा है कि हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को समुद्र में छिपाया था। दशावतार की कथा सबसे विस्तार में विष्णु पुराण में मिलती है। इसके अतिरिक्त 24000 श्लोकों वाले वाराह पुराण में भी इसका विस्तार से वर्णन किया गया है।
दोनों ग्रंथों में साफ़-साफ लिखा है कि हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को "रसातल" में छिपा दिया।
पुराणों में 14 लोकों का वर्णन है। इसमें से जो सात लोक पृथ्वी से ऊपर की ओर हैं वे हैं - भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक और ब्रह्मलोक।q
प्रश्न = मादा ऑक्टोपस को दुनिया की सबसे महानतम मां क्यों कहते हैं ?
बेहतरीन सवाल !
क्योकि मादा ऑक्टोपस जितनी कोई माँ अपने बच्चो के लिए नहीं कर सकती।
मादा ऑक्टोपस जब अंडे पोषित करने की शुरुआत करती है तब उसकी मृत्यु की घडी की भी शुरआत हो जाती है।
ऑक्टोपस माँ अपने जीवन में सिर्फ एकबार प्रेगनेंट हो सकती है।
मादा ऑक्टोपस 4-5 महीने तक गर्भवती रहती है फिर पानी का तापमान इत्यदि सही रहने पर अंडे देना शुरू करती है। एक एक करके अंडे अपने शरीर से बाहर निकालती है। यह क्रिया महीने तक चलता है और हजारों की संख्या में अंडे निकलते है।
माँ इन अंडो को एक साथ बटोरकर कई अंगूर के गुच्छे जैसी लड़ी जैसी तैयार करती है।
अब ऑक्टोपस मॉम के सामने अंडो को बचाने की चुनौती है।
वो समुद के अंदर, चट्टानों के निचे गुफा में, इन अंगूरी रुपी गुच्छों को सहेज कर रख देती है। ये गुच्छे चट्टानों से चिपके रहते है।