प्रश्न = भारत में किस नौकरी को उतना सम्मान नहीं दिया जाता जितना उसे मिलना चाहिए ?

तीर्थ स्थानों के पंडे

****************

क्या कभी आप #बद्रीनाथ, #केदारनाथ #हरिद्वार आदि की यात्रा पर गए हैं ?

यहाँ के पण्डे आपके आते ही आपके पास पहुँच कर आपसे सवाल करेंगे

आप किस जगह से आये है ?
मूल निवास ?

आदि पूछेंगे और धीरे धीरे पूछते पूछते आपके #दादा, #परदादा ही नहीं बल्कि #परदादा के #परदादा से भी आगे की #पीढ़ियों के नाम बता देंगे जिन्हें आपने कभी सुना भी नही होगा

और ये सब उनकी #सैंकड़ो सालों से चली आ रही #किताबो में सुरक्षित है
#विश्वास कीजिये ये #अदभुत #विज्ञान और #कला का #संगम है

आप #रोमांचित हो जाते है जब वो आपके #पूर्वजों तक का #बहीखाता सामने रख देते हैं

आपके पूर्वज कभी वहाँ आए थे और उन्होंने क्या क्या #दान आदि किया
लेकिन आजकल के #शहरी इन सब बातों को फ़िज़ूल समझते हैं उन्हें लगता है कि ये #पण्डे सिर्फ #लूटने बैठे हैं जबकि ऐसा नही है

यात्रा के दौरान एक व्यक्ति के पैसे चोरी हो गए थे या गिर गए थे वो बहुत घबरा गया कि घर कैसे जाएगा,
कहाँ रहेगा खायेगा आदि तो पण्डे ने तत्काल पूछा कितने #पैसे चाहिए आपको ?

और पण्डे जी ने ना #सिर्फ पैसे दिए बल्कि #रहने और #खाने की व्यवस्था भी करवाई

ये तीर्थो के पण्डे हमारी सभ्यता संस्कृति के अटूट अंग है इनका अस्तित्व हमारे पर ही है

अपनी संस्कृति बचाइए और इन्हें #सम्मान दीजिये
वैसे हिन्दुओ के नागरिकता रजिस्टर हैं ये लोग

पीढ़ियों के डेटा इन्होंने मेहनत से बनाया और संजोया है.

इन्हें सम्मान दीजिये 🙏

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Jan 24
प्रश्न = पिप्पलाद ऋषि कौन थे ? पिप्पलाद ऋषि का शनिदेव से क्या संबंध है ? Image
श्मशान में जब महर्षि दधीचि के मांसपिंड का दाह संस्कार हो रहा था तो उनकी पत्नी अपने पति का वियोग सहन नहीं कर पायीं और पास में ही स्थित विशाल पीपल वृक्ष के कोटर में 3 वर्ष के बालक को रख स्वयम् चिता में बैठकर सती हो गयीं।
इस प्रकार महर्षि दधीचि और उनकी पत्नी का बलिदान हो गया किन्तु पीपल के कोटर में रखा बालक भूख प्यास से तड़प तड़प कर चिल्लाने लगा।

जब कोई वस्तु नहीं मिली तो कोटर में गिरे पीपल के गोदों(फल) को खाकर बड़ा होने लगा।
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Jan 22
प्रश्न = इंसान को भगवान ने बनाया तो भगवान को किसने बनाया?

ये एक बहुत पुराना पर प्रासंगिक प्रश्न है। इसके दो भाग हैं

भगवान क्या है —

आस्तिक हो या नास्तिक कोई भी ईश्वर को माने या न माने पर एक स्वचालित व्यवस्था की सत्ता में तो हम सब मानते ही हैं ।
ऐसा नही है तो हम हिरण्यकश्यप हो जाएंगे जो यह कहता था कि वही जीव को प्राण देता है, पालन-पोषण करता हैं, और वो ही प्राणों का हरण करता है। इसलिए उसी की पूजा हो।

जो ईश्वर को मानना चाहे माने, जो न माने वो इसी बड़ी सत्ता को माने।
इस शाश्वत स्वचालित व्यवस्था को ही मेरे जैसे भक्त भगवान कहते हैं। इसको किसी ने नही बनाया, इसके बिना कोई हो ही नही सकता।

2. भगवान की ज़रूरत क्यों है

हवा की ज़रूरत हम सबको है पर इसकी जरूरत महसूस नही होती क्योंकि यह हमेशा हर जगह उपलब्ध है।इसलिए हम हवा के लिए कोई कोशिश नही करते।
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Jan 22
प्रश्न = क्या भगवान हनुमान बलशाली राजा बलि को हराने के लिए काफी मजबूत थे?

हाँ भगवान हनुमान सुग्रीव के भाई बली को हराने के लिए काफी ताकतवर थे। जब भगवान हनुमान ने रावण के अभयारण्य को नष्ट कर दिया था, तो रावण ने अपने सैनिकों को चेतावनी दी थी कि हनुमान शक्तिशाली है , Image
अन्य सभी वानरों को उन्होंने पहले देखा था जैसे कि बली, सुग्रीव, जंभवन, निल और द्विविद।

"इससे पहले, मैंने बली और सुग्रीव, पराक्रमी जांबवान, नील के सेनापति और दविवि जैसे महान शूरवीरों के रूप में बंदरों को देखा है ।
उनकी प्रदर्शन इस तरह भयभीत करनेवाली नहीं है;और ना हीं उनकी बुद्धि, न ही उनकी क्षमता या इच्छा शक्ति को बदलने की कौशल ऐसी है । "

"यह ध्यान में रखते हुए कि यह एक महान दुष्ट आत्मा है, जो बंदर के रूप में खड़ी है, एक जोड़दार प्रयास करो और इसे पकड़ लो ।
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Jan 21
प्रश्न = अक्सर ऐसा कहा जाता है कि " शिक्षा ही शक्ति है " लेकिन फिर रावण का विनाश क्यों हुआ था जबकि वह एक महान विद्वान था ?

गो0 तुलसीदासजी ने विनय-पत्रिका में लिखा है--

पाँचइ पाँच परस रस, शब्द गन्ध अरु रूप।

इन्हकर कहा न कीजिये, बहुरि परब भव-कूप।।
भावार्थ- रूप, रस, गन्ध, स्पर्श और शब्द; इन पाँचों के आकर्षण से बचो, नहीं तो बारम्बार जन्म-मरण के कूप में गिरोगे।

मृग-मीन-भृंग-पतंग-कुंजर एक दोष विनासहीं।।

पञ्च दोष असाध्य जामें। ताकी केतिक आसहीं।।

भावार्थ-- मृग (हिरण), मीन (मछली), भृंग (भँवरा), पतंग (पतंगा) और कुञ्जर (हाथी);
इनका विनाश एक-एक दोष के कारण हो जाता है। जैसे- हिरण कर्ण-सुख, मछली जिह्वा-सुख, भँवरा नासिका-सुख, पतंगा दृष्टि-सुख और हाथी स्पर्श-सुख की लालसा में अपने प्राण गँवाता है। हम में यदि पाँचो जानलेवा दोष एक साथ उपस्थित हों तो हमारी विनाश से बचने की कितनी संभावना होगी ?
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Jan 20
राम और माता शबरी " संवाद " के सुंदर भाव ।
माता सबरी बोली- यदि रावण का अंत नहीं करना होता तो राम तुम यहाँ कहाँ से आते ? " भगवान राम गंभीर हुए । कहा , " भ्रम में न पड़ो अम्मा ! राम क्या रावण का वध करने आया है ? छी ... अरे रावण का वध तो लक्ष्मण अपने पैर से वाण चला कर भी कर सकता है ।
राम हजारों कोस चल कर इस गहन वन में आया है तो केवल तुमसे मिलने आया है अम्मा , ताकि हजारों वर्षों बाद जब कोई पाखण्डी भारत के अस्तित्व पर प्रश्न खड़ा करे तो इतिहास चिल्ला कर उत्तर दे कि इस राष्ट्र को राम और उसकी भीलनी माँ ने मिल कर गढ़ा था !
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Jan 20
उद्धवजी द्वारा भगवान् की लीलाओं का वर्णन

( उद्धवजी कह रहे हैं ) चराचर जगत् और प्रकृति के स्वामी भगवान् ने जब अपने शान्त - रूप महात्माओं को अपने ही घोररूप असुरों से सताये जाते देखा ,
तब वे करुणाभाव से द्रवित हो गये और अजन्मा होने पर भी अपने अंश बलरामजी के साथ काष्ठ में अग्नि के समान प्रकट हुए ॥ अजन्मा होकर भी वसुदेवजी के यहाँ जन्म लेने की लीला करना , सबको अभय देने वाले होने पर भी मानो कंस के भय से व्रजमें जाकर छिप रहना और अनन्तपराक्रमी होने पर भी
कालयवन के सामने मथुरापुरी को छोड़कर भाग जाना- भगवान् की ये लीलाएँ याद आ आकर मुझे बेचैन कर डालती हैं ॥ उन्होंने जो देवकी - वसुदेवकी चरण - वन्दना करके कहा था- पिताजी माताजी ! कंसका बड़ा भय रहनेके कारण मुझसे आपकी कोई सेवा न बन सकी आप मेरे इस अपराधपर ध्यान न देकर मुझपर प्रसन्न हों ।
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