(1/6)गुरबक्श सिंह ढिल्लों का जन्म 18 मार्च 1914 को पंजाब के एक गाँव में हुआ। ढिल्लों बचपन से ही दिमाग से तेज थे, पढ़ने-लिखने में उन्हें काफी रूचि थी। शुरुआत में वह स्पष्ट नहीं थे कि उन्हें आगे क्या करना है। उनका पूरा ध्यान बस ज्यादा से ज्यादा पढ़ने पर था।
(2/6)इसी बीच, एक दिन किसी ने उन्हें सेना में भर्ती होने की सलाह दी! फिर क्या था, उनके दिल में यह बात घर कर गयी और उनके जीवन का लक्ष्य सेना में भर्ती होना बन गया।

साल 1936 के आसपास भारतीय सेना से उन्हें बुलावा आया। वह 14वीं पंजाब रेजिमेंट की प्रथम बटालियन का हिस्सा बनाए गए।
(3/6)उन्होंने अपनी कार्यशैली से सीनियर्स को काफी प्रभावित किया। आगे चलकर उन्हें द्वितीय विश्वयुद्ध में हिस्सा लेने का मौका मिला, इस जंग में उन्होंने विरोधियों को मुंहतोड़ जवाब दिया था।

हालांकि, अंत में वह जापान द्वारा युद्धबन्दी बना लिये गये थे।
(4/6)बाद में, 1942 में भारत को स्वतन्त्र कराने के लिए आजाद हिन्द फौज का संगठन हुआ, तो ढिल्लों के अंदर भी देश प्रेम का ज्वार फूटा और वह इस सेना में भर्ती हो गये। यहाँ भर्ती होकर, उन्होंने बाकी सिपाहियों के साथ मिलकर अंग्रेजों को खूब छकाया।

परिणामस्वरूप, युद्ध समाप्त होने के बाद
(5/6)अंग्रेज सरकार ने उनपर मुकदमा चलाया। साथ ही, उन्हें दोषी ठहराते हुए कोर्ट-मार्शल के बाद सजा भी सुनाई। 'लाल किला ट्रायल' के नाम से ढिल्लों पर चलाया गया यह मुकदमा भारत की आजादी की राह आसान करने में मील का पत्थर साबित हुआ।
(6/6)आजादी के सालों बाद, 6 फ़रवरी 2006 को अंतत: आज़ाद हिन्द फौज के इस योद्धा ने मृत्यु को गले लगा लिया। उनके जीवन पर एक फ़िल्म भी बनाई गई, जिसे 'रागदेश' के नाम से जाना जाता है।
#freedomfighter #Inspiring #AzadHindFauj #FreedomStruggle #GurubakshSinghDhillon

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Dec 29, 2021
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(3/5)मैनेजर के तौर पर काम करने लगे। यहीं से उन्हें राज कपूर के साथ काम करने का मौका भी मिला। साल 1950 में उन्होंने प्रोडक्शन कंपनी सागर आर्ट कॉरपोरेशन बनाई। रामानंद सागर के कई सीरियल और फिल्में पॉपुलर हुईं लेकिन 'रामायण' की सबसे ज्यादा चर्चा रही।
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Dec 27, 2021
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@manishmehrotra
(2/4)वह जादू होता है परम्पराओं को संजोकर रखने का, वह जादू होता है एक ही निवाले में पेट भर खिलाने का। नानी घर की ढेरों कहानियां हमें याद होती हैं और साथ ही, याद होती है उनके लज़ीज़ खाने का स्वाद। आजकल के नए-नए व्यंजन हमें कितना भी आकर्षित कर लें, लेकिन जब घर से दूर हों,
(3/4)तो याद सबसे पहले घर के खाने की ही आती है।
ओडिशा, समुन्द्र के किनारे बसा एक राज्य। यहाँ के लोकप्रिय पेय पदार्थों में से एक है घोला दही। यह बिलकुल छाछ जैसा ही होता है, पर स्वाद और ताजगी के लिए पुदीना, मिर्च और अन्य स्थानीय मसालों को इसमें डाला जाता है,
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