प्रश्न = नीम करौली बाबा कौन थे वे इतने प्रसिद्ध कैसे हुए बाबा कभी अमेरिका नही गए लेकिन भारत से ज्यादा अमेरिकी भक्त कैसे हो गए ?
नीम करौली बाबा को, आप बाबा भी कह सकते हैं, भगवान का अवतार भी कह सकते हैं और संत भी कह सकते हैं।
जिनकी भारत में ही नहीं, अपितु पूरे विश्व में उनकी ख्याति थी।
बाबा के बचपन का नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था
और जन्म उनका सन् 1900 के आसपास उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गॉव मैं हुआ था
बाबा के कई ऐसे प्रसिद्ध शिष्य हुये हैं, जिनका नाम जानकर आप हैरान हो जायेंगे वो भारत के नहीं अपितु विदेशों मैं भी हुए
जिसमें पहला नाम आता है एप्पल के सीईओ स्टीब्स जॉब्स का उसके बाद फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग का और ऐसे अनगिनत शिष्य हुये हैं,
जिनमें से एक के बारे में आप जानें कि बाबा के विषय में उसने क्या कहा।
अमेरिका से भारत घूमने आया एक नशेबाज अमेरिकी वो एक दिन में दो-तीन एलएसडी (नशा करने की सबसे तीव्र दवा) निगल जाता था
एक दिन वो Neem Karoli Baba के पास गया, जो असाधारण काबिलियत के धनी एक अदभुत गुरू थे वे दिव्यदर्शी एक बहुत काबिल तांत्रिक एक असाधारण व्यक्ति और हनुमानजी के भक्त थे।
वो बाबा के पास आया और बोला कि मेरे पास एक असली माल है जो स्वर्ग का आनंद देता है
आप इसे खांये तो ज्ञान के सारे दरवाजे खुल जाते हैं क्या आप इसके बारे में कुछ जानते हैं नीम करोली बाबा ने पूछा ये क्या है मुझे बताओ
उसके पास 300 नशे की गोलियॉ थी और वो बाबा की परीक्षा लेने के लिए बाबा को 300 गोलियॉ दे दिया बाबा ने 300 गोलियॉ मुंह में डाली और निगल गये
फिर वो बैठे और अपना काम करते रहे अमेरिकी वहॉ इस उम्मीद से बैठा रहा कि ये आदमी अभी मरने वाला है,
मगर नीम करोली बाबा पर नशीली दवाओं का कोई असर नहीं दिखा वो काम करते रहे उनका मकसद बस उसे ये बताना था
कि तुम एक फालतू सी चीज पर अपना जीवन बर्बाद कर रहे हो, ये चीज तुम्हारे किसी काम आने वाली नहीं है।
फिर उस अमेरिकी पर बाबा का ऐसा प्रभाव पड़ा कि उसने अपना नाम रामदास रख लिया और Neem Karoli Baba का शिष्य बन गया और उसने बाबा पर एक किताब लिखी, जिसका नाम मिड नाइट बिद दा मिस्टिक है,
जिसमें उसने इस चमत्कार का जिक्र किया है।
बाबा पूरे भारत में भ्रमण करते रहे और वो कई नामों से प्रसिद्ध हुये जिनमें से उनहें कुछ लोग तलैया वाला बाबा, हांडी वाला बाबा, लक्ष्मणदास, तिकोनिया वाला बाबा, चमत्कारी बाबा आदि नामों से भक्त उनके पुकारते थे।
भारत भ्रमण के दौरान बाबा अपने भक्तों को संदेश देते रहे और उस दौरान उन्होंने कई ऐसे चमत्कार किये कि उनकी ख्याति भारत में ही पूरे विश्व में फैल गयी एक बार बाबा ट्रेन से यात्रा कर रहे थे और उनके पास टिकट नहीं था, जब टीटी जब टिकट चेक करने आया और बाबा से बोला कि टिकट दिखाओ तो
उन्होंने मुस्कुराते हुये कहा कि मेरे पास टिकट नहीं है तब टीटी बाबा को अपमानित कर के ट्रेन से उतार देता है। ट्रेन से बाबा उतर के प्लेटफार्म में एक खंभे से टिककर बैठ जाते हैं उसके बाद ट्रेन चलने के लिए झंडी दिखाई जाती है, लेकिन ट्रेन आगे नहीं बढती फिर पुन प्रयास किया जाता है
और उसके इंजन में कुछ रिपेयरिंग भी की जाती है तब भी ट्रेन आगे नहीं बढती है ये सिलसिला बहुत देर तक चलता रहा है उसके बाद टीटी को ये याद आता है कि जब से मैंने इस बाबा को उतारा है तब से ट्रेन आगे नहीं बढ रहीहै तब टीटी प्लेटफार्म में बैठे बाबा के पास जाता है और बाबा सेक्षमा मांगता है
और बाबा को ट्रेन में बैठने के लिए कहता है बाबा ट्रेन में बैठने से पहले टीटी को एक शर्त स्वीकार करने के लिए कहते है और वो शर्ता होती है कि अब आगे से किसी ऐसे साधू या बाबा, जो बिना टिकट होगा, उसे ट्रेन से नहीं उतारा जायेगा,
ये शर्त टीटी द्वारा स्वीकार कर लेने के बाद बाबा ट्रेन में बैठते हैं बाबा जैसे ही ट्रेन में बैठते हैं ट्रेन चल पडती है। तब से उस स्टेश्न का नाम नीम करोली स्टेश्न रख दिया गया जो फरूखाबाद जिले में आता है।
एक दिन दिव्य आशीर्वाद की तलाश में, स्टीव जॉब्स और उनके दोस्त डैनियल कॉटके ने 1974 में नीम करोली बाबा के आश्रम का दौरा किया। दुर्भाग्य से, महाराजजी का एक साल पहले निधन हो गया था। उन्होंने बाद में फेसबुक के संथापक मार्क जकरबर्ग को आश्रम का दौरा करने की सलाह दी क्यों की फेसबुक अपने
सबसे बुरे वक्त से गुजर रहा था मार्क जकरबर्ग भारत आए और बाबा के आश्रम मैं 3 दिन रहे उसके बाद मार्क जकरबर्ग की किस्मत ही बदल गयी लैरी ब्रिलिएंट ने लैरी पेज, अल्फाबेट इंक के सीईओ और तीर्थयात्रा पर ईबे के सह-संस्थापक जेफरी स्कोल को लिया। इससे पहले,
लैरी ब्रिलियंट और रिचर्ड अल्परट गुरु के साथ वर्षों तक रहे। जूलिया रॉबर्ट्स हिंदू धर्म की ओर आकर्षित हुईं और नीम करौलीबाबा की तस्वीर देखकर धर्म परिवर्तन किया। बाबा के भक्तों मैं
पं. गोविंद वल्लभ पंत, डॉ सम्पूर्णानन्द, राष्ट्रपति वीवी गिरि, उपराष्ट्रपति गोपाल स्वरुप पाठक, राज्यपाल व केन्द्रीय मन्त्री रहे के. एम. मुंशी, राजा भद्री, जुगल किशोर बिड़ला, महाकवि सुमित्रानन्दन पन्त, अंग्रेज जनरल मकन्ना, देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरु और भी ऐसे अनेक
लोग बाबा के दर्शन के लिए आते रहते थे। बाबा राजा-रंक, अमीर-गरीब, सभी का समान रुप से पीड़ा-निवारण करते थे। उनके उपदेश लोगों को पतन से उबारते और सत्मार्ग-सत्पथ पर चलाते।
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh
प्रश्न = श्री कृष्ण अपने ही वंश का नाश क्यों नहीं रोक पाए?
क्योंकि वो रोकना नहीं चाहते थे। यह सृष्टि के नियम, काल व कर्म के सिद्धांत के विरुद्ध होता। कृष्ण स्वयं धर्म हैं, तो वे ऐसे अधर्म को क्यों करते?
हम सब अपने रिश्ते-नातों के प्यार और आकर्षण में इतना डूबे रहते हैं कि हमें अच्छाई-बुराई कुछ दिखाई नहीं देती। हमें लगता है हम खुद तो सही हैं ही, हमारे माता-पिता, भाई-बहन, बेटा-बेटी, पति या पत्नी इत्यादि भी बिलकुल सही हैं और कोई कुछ ग़लत कर ही नहीं सकता।
और चाहे हमारे सगों ने जो किया हो, उनके हर सही-ग़लत काम पर पर्दा डालना और उन्हें उनके किए की सज़ा मिलने से रोकना भी हमें अपना फ़र्ज़ लगता है।
शायद यह भी एक फ़र्क़ है भगवान और इंसान में। कृष्ण जानते थे कि उनके कुल के लोग बेहद लालची और क्रूर हो गए हैं।
प्रश्न = टीभी सिरियल 'राधा कृष्ण' में क्या क्या त्रुटियाँ हैं जो कि सच्चाई से भिन्न हैं?
इसके लिए बहुत लंबे चौड़े उत्तर की आवश्यकता नही है। ये सीरियल कितना बकवास है, इसका अंदाजा तो केवल इसके प्रोमो को देख कर ही लगाया जा सकता है। क्या आप विश्वास करेंगे कि यूट्यूब पर इस सीरियल के
कॉमेडी सीन" बहुत मशहूर हैं। धर्म कभी हास्य का प्रतीक नही होता, ये जरा सी बात लोगों को समझ मे नही आती।
इसके अतिरिक्त श्रीकृष्ण और राधा के पवित्र संबंध को जब आज कल के कलियुगी निर्माताओं द्वारा "ड्रामा" एवं "रोमांस" की संज्ञा दे दी जाए तो उस वाहियात सीरियल के विषय में कुछ और बोलने की आवश्यकता ही क्या है?
प्रश्न = शास्त्रों के अनुसार मनुष्यों ने खेती बॉडी करना कैसे सीखा ?
दुनिया के अन्य महाद्वीपों के लोग जब वर्षा , बादलों की गड़गड़ाहट के होने पर भयभीत होकर गुफाओं में छुप जाते थे ! जब उन्हें एग्रीकल्चर का ककहरा भी मालूम नहीं था !
उससे भी हजारों वर्ष पूर्व महर्षि पाराशर मौसम व कृषि विज्ञान पर आधारित भारतवर्ष के किसानों के मार्गदर्शन के लिए " कृषि पाराशर ” नामक ग्रंथ की रचना कर चुके थे ! पराशर एक मन्त्रद्रष्टा ऋषि , शास्त्रवेत्ता , ब्रह्मज्ञानी एवं स्मृतिकार है !
यह महर्षि वसिष्ठ के पौत्र , गोत्रप्रवर्तक , वैदिक सूक्तों के द्रष्टा और ग्रंथकार भी हैं ! पराशर शर - शय्या पर पड़े भीष्म से मिलने गये थे ! परीक्षित् के प्रायोपवेश के समय उपस्थित कई ऋषि मुनियों में वे भी थे ! वह छब्बीसवें द्वापर के व्यास थे।
ग्रन्थों मैं ज्ञान-विज्ञान की बहुत सारी बातें भरी पड़ी हैं। आज का विज्ञान जो खोज रहा है वह पहले ही खोजा जा चुका है। बस फर्क इतना है कि आज का विज्ञान जो खोज रहा है उसे वह अपना आविष्कार बता रहा है और उस पर किसी पश्चिमी देशों के वैज्ञानिकों का लेबल लगा रहा है।
हालांकि यह इतिहास सिद्ध है कि भारत का विज्ञान और धर्म अरब के रास्ते यूनान पहुंचा और यूनानियों ने इस ज्ञान के दम पर जो आविष्कार किए और सिद्धांत बनाए उससे आधुनिक विज्ञान को मदद मिली। यहां प्रस्तुत है भारत के उन दस महान ऋषियों और उनके आविष्कार के बारे में।
महृषि कणाद = परमाणु सिद्धांत के आविष्कारक : आधुनिक दुनिया जे. रॉबर्ट ओपनहाइमर को परमाणु का अविष्कारक मानती है लेकिन उनसे हजारो साल पहले कणाद ने वेदों मैं लिखे सूत्रों के आधार पर परमाणु सिद्धांत का प्रतिपादन किया था
भारतीय इतिहास में ऋषि कणाद को परमाणुशास्त्र का जनक माना जाता है
यह तो आधुनिक विज्ञान भी कहता है कि बिना कारण के कोई क्रिया नहीं होती, बिना क्रिया के कोई कर्म नहीं होता और बिना कर्म के कोई परिणाम (फल) नहीं होता। एक ही क्रिया से एक से अधिक कर्म भी होते हैं।
अब प्रश्न यह उठता है कि मनुष्य बिना कर्म किये कैसे जी सकता है? और जब वह कर्म करेगा तो उसे उनके फल भी भोगने होंगे। तो वह कर्मफल-शून्य कैसे हो और कैसे वह इन योनियों के चक्र से छूटे? इस सम्बंध में मेरा पंथ कहता है कि यदि मनुष्य ईश्वर के कहे वचनों के अनुसार निष्काम भाव से जीवन
व्यापन करे तो उसे उसके द्वारा किये गए कर्मों के फल नहीं भोगने पड़ेंगे। अब ईश्वर के वचन तो बहुत हैं और उन सबका मनुष्य को ज्ञान भी नहीं होता। तो चाहकर भी वह कैसे उन वचनों का पालन करे। तो समझने के लिए इसका एक व्यावहारिक उपाय है।