देश का सबसे बड़ा बैंकिंग लोन स्कैम के आरोपी FIR दर्ज होने से पहले ही देश छोड़कर फरार हो गए हैं सूत्रों के अनुसार ऋषी अग्रवाल सिंगापुर भाग गया है। अब CBI ने एबीजी शिपयार्ड के मुख्य आरोपियों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया है।
भास्कर में छपी खबर के अनुसार, यह मामला 2018 में ही डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल अहमदाबाद के सामने आ गया था। तब देना बैंक, ICICI बैंक और SBI की 3 अलग-अलग शिकायतों पर 3 अलग-अलग फैसले दिए गए थे।
देना बैंक के पहले फैसले ट्रिब्यूनल ने 27 दिसंबर 2018 को ब्याज (सालाना 12.7% की दर से) सहित 35 हजार करोड़ रु. रिकवरी का आदेश दिया था।
दूसरे फैसले में ICICI बैंक द्वारा दर्ज कराए गए मामले पर ट्रिब्यूनल ने 2 अक्टूबर 2018 को आदेश दिया कि जिम्मेदारों से क्रमश: 4503.94 करोड़ रु. और 174.7 करोड़ रु. दो महीने के अंदर वसूले जाए।
12 अप्रैल 2018 को SBI ने भी ट्रिब्यूनल में केस कराया था। इस पर आदेश दिया गया था कि ऋषि अग्रवाल से 2510 करोड़ रु. वसूले जाएं।
इन तीनों फैसलों मे यह भी कहा था कि रिकवरी न हो सके तो बैंक कंपनी की चल-अचल संपत्ति बेचकर वसूली करे।
यह भी झूठ हैं कि 2014 के बाद ऋषि अग्रवाल को नया लोन नहीं दिया गया ....इसी ख़बर मे कहा गया है कि 31 मार्च 2016 को ऋषि अग्रवाल ने 2.66 लाख करोड़ रु. की चल-अचल संपत्ति बताकर 1935 करोड़ का लोन लिया था। और बैंकों से लिए लोन को करार के अनुसार चुकाने के समझौते भी किए।
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ABG Shipyard ने 28 बैंकों को पूरे 22 हजार 842 करोड़ रुपये का घोटाला किया है। अब एक और बड़ी जानकारी सामने आई है। इंडिया टुडे/आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक 2007 में ABG शिपयार्ड को कथित रूप से गलत तरीके से आधे से भी कम दाम में 1.21 लाख स्क्वायर मीटर ज़मीन दी गई थी।
यह वह समय था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। इंडिया टुडे से जुड़ीं गोपी घांघर की रिपोर्ट के मुताबिक ABG को जमीन दिए जाने के बाद गुजरात विधानसभा में भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक यानी कैग (या CAG) की एक रिपोर्ट पेश की गई थी।
इस रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि उस समय शिपयार्ड के लिए कॉर्पोरेशन का दाम 1400 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर चल रहा था. लेकिन ABG शिपयार्ड को मात्र 700 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर में जमीन दे दी गई थी।
नरेंद्र मोदी का "गुजरात मॉडल" - चरणबद्ध तरीके से इस प्रकार समझि ये,
● 1. कंपनियों के नाम पर बैंकों से कर्ज का बड़ा पैसा लें। Important: यदि आपने यूपीए सरकार के समय में कर्ज लिया है तो यह बहुत बेहतर है।
● 2. कंपनी से पैसा निकालो और बैंकों को ऋण वापस करना बंद करो।
● 3. कंपनी को नुकसान में घोषित करें।
● 4. 70% पैसे चुनावी बांड के जरिए बीजेपी को दान करें।
● 5. बीजेपी कंपनी को बैंकों से एनपीए घोषित करने के लिए कहेगी और "राइट ऑफ" दिया जाएगा।
● 6. कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया जाएगा और फिर नियमों को बदलकर चुनिंदा रूप से बीजेपी/आरएसएस उद्योगपति मित्रों को हस्तांतरित कर दिया जाएगा कि कंपनी को भागों में खरीदा जा सकता है और परिवार के सदस्य भी दिवालियापन के माध्यम से कंपनियों को खरीद सकते हैं।
ABG शिपयार्ड ने बैंकों को लूटा या ABG शिपयार्ड एक संगठित बैंक लूट का प्लॉट है?
क्रोनोलॉजी समझिए..
● 2004- 2014 : कांग्रेस का समय..ABG शिपयार्ड एक मुनाफे वाली उभरती हुई डिफेंस सेक्टर की कंपनी थी..कोई लोन डिफ़ॉल्ट नही, कोई घपला नही..
● 2015 : अचानक से ABG शिपयार्ड घाटे में आती है..ABG शिपयार्ड खुद को बेचने के लिए अडानी, जिंदल से बातचीत करती है..पर बात नही बनती..ABG शिपयार्ड के मालिक "बड़े साहब" के साथ पब्लिक में दिखाई देते है..
● 2015 : ABG शिपयार्ड का 11,000 करोड़ का लोन "रिस्ट्रक्चर" कर दिया जाता है..कई क्रिमिनल केस दर्ज होते है..पर कंपनी के मालिक की गिरफ्तार तो दूर पूछताछ भी नही होती।
UP के खीरीहिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जमानत दे दी है लेकिन, जमानत मिलने के बाद भी आशीष मिश्रा का जेल से बाहर आना अभी मुश्किल है। क्योंकि जमानत आदेश में धारा 302 और 120बी का जिक्र नहीं किया गया है।
पुलिस ने कोर्ट में जो चार्जशीट दायर की है, उसमें आशीष मिश्रा को आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 302, 307, 326, 34, 427 और 120बी के तहत आरोपी बनाया गया है. इसके साथ ही आर्म्स एक्ट की धारा 3/25, 5/27 और 39 के तहत भी केस दर्ज है।
जबकि, बेल ऑर्डर में आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 307, 326 और 427 के अलावा आर्म्स एक्ट की धारा 34 और 30 का जिक्र है. इसमें धारा 302 और 120बी का जिक्र नहीं है। धारा 302 हत्या और 120बी आपराधिक साजिश रचने से जुड़ी हुई है।
RBI द्वारा नवम्बर/21 में जारी आंकड़े बताते हैं कि, UP की Nominal Gross State Domestic Product – NGSDP ₹ 19,48,000 करोड़ था। जबकि तमिलनाडु ₹21,24,000 करोड़ दूसरे स्थान और महाराष्ट्र ₹30,79,086 करोड़ प्रथम था। 22.8 करोड़ की जनसंख्या वाले UP की GSDP दस साल से स्थिर है।
उत्तर प्रदेश की कुल प्रति व्यक्ति जीएसडीपी सिर्फ 65,431 रुपए है। बिहार को छोड़ अन्य सभी राज्यों से कम। बाकी सामाजिक व आर्थिक पैमानों पर भी प्रदेश, अंतिम छोर पर खड़े ‘बीमारू राज्य’ बिहार के आस-पास ही नज़र आता है।
उत्तर प्रदेश ने 2016-17 और 2019-20 के BJP राज के दौरान पूरे देश में सबसे कम आर्थिक वृद्धि दर्ज की। केवल गोवा और मेघालय की जीएसडीपी वृद्धि दर (स्थिर कीमतों पर) उ.प्र. से कम थी। उ.प्र. 33 में 31वां स्थान पर था।
चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से सितंबर 2021 में निपटाए गए जीवन बीमा के दावे पिछले सात बिना महामारी वाले वर्षों के लिए इसी अवधि के औसत से लगभग 136 प्रतिशत अधिक थे। यह इस बात का एक स्पष्ट संकेत है कि वास्तव में कितने भारतीयों ने कोविड की दूसरी लहर के दौरान इसकी वजह से अपनी जान गंवाई।
दावों में आयी यह भारी वृद्धि भारत में ‘अतिरिक्त मृत्यु दर’ के बारे में व्यक्त किये गए उस संदेह की पुष्टि करती है, जो महामारी के दौरान होने वाली मृत्यु की संख्या में हुई बेहिसाब वृद्धि की तरफ संकेत करता है। परन्तु, यह उन कई अनुमानों के आस-पास भी नहीं है जो सरकार बता रही है।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, महामारी की इस पूरी समय अवधि के दौरान कोविड संक्रमण से बुधवार शाम तक 5.05 लाख मौतें हो चुकी थी। 1 अप्रैल से 31 मार्च तक दावों में आयी यह तीव्र वृद्धि 2021 में दूसरी कोविड लहर के चरम के साथ की आई थी।