पीएम मोदी ने बस्ती में कहा:
" हमारे पास तेल रिफाइनरियां नहीं हैं, हम कच्चे तेल का आयात करते हैं... उन्होंने (विपक्ष) इस पर कभी ध्यान नहीं दिया।"
असलियत:
● भारत के पास दुनिया के कुल तेल भंडार का केवल 0.3% है।
लेकिन इसकी रिफाइनिंग क्षमता दुनिया की कुल रिफाइनिंग क्षमता का 5.1% है।
● भारत रिफाइनिंग में विश्व में शीर्ष 4 में अग्रणी! और हमारे पीएम कहते हैं कि भारत में तेल रिफाइनरियां नहीं हैं, दूसरों ने ध्यान नहीं दिया!
● तथ्य यह है कि मोदी के शासन के दौरान, भारत का घरेलू कच्चे तेल का उत्पादन 53 लाख मीट्रिक टन गिर गया, यानी लगभग 33%।
यूपीए के दौरान भारत का घरेलू कच्चे तेल का योगदान 23.5% था। अभी यह सिर्फ 15.8% है।
हां, यही हकीकत है। यही तथ्य है।
भारत के कच्चे तेल के उत्पादन में यह गिरावट अकारण नहीं है। यह विकास का नया डिजाइन है।
● मोदी सरकार ओएनजीसी को खत्म कर रही है.
नए तेल कुओं की खोज पर ओएनजीसी का खर्च वित्त वर्ष 2014 में 11,687 करोड़ रुपये से गिरकर वित्त वर्ष 2020 में 4,331 करोड़ रुपये हो गया।
अब मोदी सरकार ने उत्पादन बढ़ाने और इसे ओएनजीसी से दूर ले जाने के लिए अंतरराष्ट्रीय भागीदारों को मुंबई हाई और बेसिन एंड सैटेलाइट (बी एंड एस) की अपतटीय संपत्तियों की 60% हिस्सेदारी और संचालन का फैसला किया है। लेकिन प्रधानमंत्री अपने भाषणों में आत्मनिर्भार की धुन गाते रहते हैं!
2014 में ओएनजीसी का नकद भंडार ₹10799 करोड़ था। 2021 में यह काफी कम होकर ₹302 करोड़ पर आ गया।
यह लगभग एक ऋण मुक्त कंपनी थी, जिसका कुल ऋण, 2014 में सिर्फ ₹36 लाख था, जो 2020 में बढ़कर ₹2824 करोड़ हो गई।
अगस्त 2021 में, मोदी सरकार ने ओएनजीसी के लिये एक 7-सूत्रीय कार्य योजना दी है, जो फर्म को 2024 तक तेल और गैस उत्पादन को एक-तिहाई तक बढ़ाने में मदद करेगी - यानी यह 2014 के स्तर पर वापस आ गया है!
इसमें पन्ना-मुक्ता और रत्ना में ओएनजीसी की हिस्सेदारी और पश्चिमी अपतट में आर-सीरीज़ की बिक्री शामिल है;
● ओएनजीसी से गैर-निष्पादित सीमांत क्षेत्रों का विनिवेश/निजीकरण करने के लिए कहा;
● गैस समृद्ध ब्लॉक KG-DWN-98/2 में वैश्विक खिलाड़ियों को लाना, जहां अगले साल तक उत्पादन में तेजी से वृद्धि होने की उम्मीद है;
● ड्रिलिंग, वेल सर्विसेज, लॉगिंग के लिए अलग-अलग इकाइयां बनाने का पता लगाएं
यानी ओएनजीसी को खत्म करना, उसका निजीकरण करना! #ONGC
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अक्सर कुछ मित्र कह रहे हैं कि यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को सरकार सुरक्षित निकालने का कोई न कोई प्रबंध कर ही रही होगी। यह बात सच हो सकती है। क्योंकि युद्ध के माहौल में रेस्क्यू बचाव आसान नही होता है।
लेकिन मुसीबतों के समय जनता के दुःख कष्ट में पिछले कुछ सालों में सरकार ने जिस असंवेदनशीलता का परिचय दिया है उसे देखते हुए सरकार के इरादों और प्रयासों पर किसी को भी संदेह होना स्वाभाविक है।
कुछ उदाहरण हैं,
● ज्यादा दिन नहीं हुए, इसी सरकार के कार्यकाल में, ऑक्सीजन और इलाज के अभाव में, सैकड़ों मौतें, कोरोना महामारी की त्रासदी से हो गयीं। उनके प्रति संवेदनशीलता दिखाना तो दूर, सरकार ने संसद में कह दिया कि ऑक्सीजन की कमी से कोई भी मृत्यु नहीं हुयी।
देश का सबसे बड़ा बैंकिंग लोन स्कैम के आरोपी FIR दर्ज होने से पहले ही देश छोड़कर फरार हो गए हैं सूत्रों के अनुसार ऋषी अग्रवाल सिंगापुर भाग गया है। अब CBI ने एबीजी शिपयार्ड के मुख्य आरोपियों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया है।
भास्कर में छपी खबर के अनुसार, यह मामला 2018 में ही डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल अहमदाबाद के सामने आ गया था। तब देना बैंक, ICICI बैंक और SBI की 3 अलग-अलग शिकायतों पर 3 अलग-अलग फैसले दिए गए थे।
देना बैंक के पहले फैसले ट्रिब्यूनल ने 27 दिसंबर 2018 को ब्याज (सालाना 12.7% की दर से) सहित 35 हजार करोड़ रु. रिकवरी का आदेश दिया था।
ABG Shipyard ने 28 बैंकों को पूरे 22 हजार 842 करोड़ रुपये का घोटाला किया है। अब एक और बड़ी जानकारी सामने आई है। इंडिया टुडे/आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक 2007 में ABG शिपयार्ड को कथित रूप से गलत तरीके से आधे से भी कम दाम में 1.21 लाख स्क्वायर मीटर ज़मीन दी गई थी।
यह वह समय था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। इंडिया टुडे से जुड़ीं गोपी घांघर की रिपोर्ट के मुताबिक ABG को जमीन दिए जाने के बाद गुजरात विधानसभा में भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक यानी कैग (या CAG) की एक रिपोर्ट पेश की गई थी।
इस रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि उस समय शिपयार्ड के लिए कॉर्पोरेशन का दाम 1400 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर चल रहा था. लेकिन ABG शिपयार्ड को मात्र 700 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर में जमीन दे दी गई थी।
नरेंद्र मोदी का "गुजरात मॉडल" - चरणबद्ध तरीके से इस प्रकार समझि ये,
● 1. कंपनियों के नाम पर बैंकों से कर्ज का बड़ा पैसा लें। Important: यदि आपने यूपीए सरकार के समय में कर्ज लिया है तो यह बहुत बेहतर है।
● 2. कंपनी से पैसा निकालो और बैंकों को ऋण वापस करना बंद करो।
● 3. कंपनी को नुकसान में घोषित करें।
● 4. 70% पैसे चुनावी बांड के जरिए बीजेपी को दान करें।
● 5. बीजेपी कंपनी को बैंकों से एनपीए घोषित करने के लिए कहेगी और "राइट ऑफ" दिया जाएगा।
● 6. कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया जाएगा और फिर नियमों को बदलकर चुनिंदा रूप से बीजेपी/आरएसएस उद्योगपति मित्रों को हस्तांतरित कर दिया जाएगा कि कंपनी को भागों में खरीदा जा सकता है और परिवार के सदस्य भी दिवालियापन के माध्यम से कंपनियों को खरीद सकते हैं।
ABG शिपयार्ड ने बैंकों को लूटा या ABG शिपयार्ड एक संगठित बैंक लूट का प्लॉट है?
क्रोनोलॉजी समझिए..
● 2004- 2014 : कांग्रेस का समय..ABG शिपयार्ड एक मुनाफे वाली उभरती हुई डिफेंस सेक्टर की कंपनी थी..कोई लोन डिफ़ॉल्ट नही, कोई घपला नही..
● 2015 : अचानक से ABG शिपयार्ड घाटे में आती है..ABG शिपयार्ड खुद को बेचने के लिए अडानी, जिंदल से बातचीत करती है..पर बात नही बनती..ABG शिपयार्ड के मालिक "बड़े साहब" के साथ पब्लिक में दिखाई देते है..
● 2015 : ABG शिपयार्ड का 11,000 करोड़ का लोन "रिस्ट्रक्चर" कर दिया जाता है..कई क्रिमिनल केस दर्ज होते है..पर कंपनी के मालिक की गिरफ्तार तो दूर पूछताछ भी नही होती।
UP के खीरीहिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जमानत दे दी है लेकिन, जमानत मिलने के बाद भी आशीष मिश्रा का जेल से बाहर आना अभी मुश्किल है। क्योंकि जमानत आदेश में धारा 302 और 120बी का जिक्र नहीं किया गया है।
पुलिस ने कोर्ट में जो चार्जशीट दायर की है, उसमें आशीष मिश्रा को आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 302, 307, 326, 34, 427 और 120बी के तहत आरोपी बनाया गया है. इसके साथ ही आर्म्स एक्ट की धारा 3/25, 5/27 और 39 के तहत भी केस दर्ज है।
जबकि, बेल ऑर्डर में आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 307, 326 और 427 के अलावा आर्म्स एक्ट की धारा 34 और 30 का जिक्र है. इसमें धारा 302 और 120बी का जिक्र नहीं है। धारा 302 हत्या और 120बी आपराधिक साजिश रचने से जुड़ी हुई है।