भारतीय बसावट की सभ्यता अन्य सभ्यताओं से ज़्यादा अलग नही रही है।यह आदिम युग में “क़बीला “ रहा। सामंती युग में यह “प्रजा “ हो गया ,और अंग्रेज़ी साम्राज्य ने इसे “ ग़ुलाम “ बना दिया। कांग्रेस ने ग़ुलामी तोड़ कर इसे आज़ादी दिया और ख़ुदमुख़्तारी का अधिकार देकर इसे “नागरिक” बनाया । 4/1
47 इसका बँटवारा हो गया। एक ( पाकिस्तान ) ने अपने को - पहले “धर्म “ बनाया, फिर छोटे छोटे कबीले में बंट कर प्रायश्चित करने लगा । इसके उलट भारत ने अपने को नागरिक बनाया । आज भारत फिर घूम कर पाकिस्तान की डगर चल पड़ा है और यहाँ का नागरिक कूद कर क़बीला बन गया है ।हिंदू , मुसलमान
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सिख ,मराठा ,गुजराती ,ब्राह्मण ,अहीर , बनिया , कबीले ही कबीले ।
क़बीला क़ायम करना ,एकाधिकारवादी सत्ता का खेल है जिस पर उसकी उमर फैलती है । प्रबुद्ध जनों ,जनतंत्र में यक़ीन रखने वालों का दाइत्व बनता है क़ि कबीलायी तमीज़ को नष्ट करके नागरिक सभ्यता को मज़बूत करें ।
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हम दोनो ने बहुत मेहनत की क़ि राष्ट्रभक्त की शिनाख्त करने का कोई अचूक नुस्ख़ा बना लें । हम समाजवादी कांग्रेसी ,वह खाँटी गिरोही , लेकिन बच्चन जी ( हरिवंश जी ) हम दोनो का कान उमेठ कर जीवनसूत्र देते हैं - गाज गिरी कब मदिरालय पर , कंचन बरसा कब मंदिर पर ? मंदिर मस्जिद भेद बढ़ाते ,
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मेल कराती मधुशाला॥फ़लसफ़े में उतरे तो - बीरबल अकबर के दरबार में हाज़िर मिले - हुजूरे आला!ख़ादिम ने दुनिया नाप लिया है ,आप जहाँ तसरीफ रखे हैं यही मरकज़ है यानी दुनिया बहुत छोटी है।हम और हमारा दोस्त एक नुक़्ते पर राज़ी हो गया -बनाने वाला बड़ा होता है की बेचनेवाला बड़ा होता है ?
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इसी “ बड़े” को राष्ट्रभक्त के नाध दो क़ि कौन है राष्ट्र भक्त ?
बनानेवाला या बेचनेवाला ?
गिरोही अनंत में चला गया - मत पूछ क्या गुजरती है दिल पर ? । हमारा बेटा , परदादी की सहेजी हुई पीतल की कलछुल बेच कर सिम ख़रीद रहा है । 4/3
शकुनि एक भला आदमी था,जो कि कुरुवंश के लोगो द्वारा 90साल तक सताया गया था।
असल में हुआ यह कि हस्तिनापुर के मौजूदा राजा के पिताजी के पिताजी ने एक बार गंधार पर किया था अटैक,और बम मारकर सब धुआं धुआं कर दिया।।
गंधार उर्फ कंधार तब एक इंडिपेंडेंट सॉवरिन नेशन था।
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उसने नाटो से मदद मांगी और जिसने मदद नही की। नतीजा सेनानायक भीष्म में कन्धार किंग की फोर वाइफ और फोर्टी बच्चो को मार डाला।
इस कत्लेआम के बारे में हर शब्द इतिहास से मिटा दिया गया।वामपंथी व्यास की सम्पूर्ण महाभारत इस विषय पर मौन है।
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खैर, तो कंधार को हस्तिनापुर में एनेक्स कर
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एक प्रोविंस बना लिया गया।शकुनि काफी छोटा था।उसकी बहन बेहद रूपवती थी।
चूंकि अब इंडिया वाले कंधार की लड़कियों से ब्याह कर सकते थे।सो युद्ध का सोल पर्पज था। इसलिए सबसे पहले भीष्म ने अपने अंधे रिश्तेदार धृतराष्ट्र का गांधारीसे का ब्याह रचा दिया।
छोटेसे शकुनि को दुल्हनका संगी बनाकर
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आजकल जो लोग जुहू बीच रोज़ जाते हैं उन्हें एक अजीब नज़ारा देखने को मिलता है। सवेरे नौ साढ़े नौ के आसपास एक चमचमाती जगुआर रुकती है। उसमें से फटे पुराने कपड़े पहने एक शख्स बाहर आता है। कार के अंदर से एक महिला की आवाज़ सुनने को मिलती है - कमा कर लाओगे तभी शाम को खाना मिलेगा। 11/1
वह फकीर बेचारा पोस्ट ऑफिस के डब्बे के बगल में ही एक बोरा बिछा लेता है और बैठ जाता है।उधर से निकलने वाले लोग अपनी हिसाब से 1,2,5रुपया डाल देते हैं उस गरीब के डब्बे में।यहां तक तो ज्यादा अजीब कुछ नहीं है।
11.30से 12बजे के बीच में एक प्राइवेट हेलीकॉप्टर उस गरीब के सर के ऊपर दो
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चक्कर लगाता है और फिर निकट की एक बिल्डिंग में उतर जाता है।उस हेलीकॉप्टर में से 4 लोग सुटेड बूटेड उतरते हैं और उसी भिखारी के पास जाते हैं। पता नहीं कहां से दो मेज आती हैं। एक मीटिंग चालू हो जाती है।आस पास से गुजरते लोग राफेल राफेल बार बार सुनते हैं।एक गुप्ता जी,जिन्होंने पूरे
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