शकुनि एक भला आदमी था,जो कि कुरुवंश के लोगो द्वारा 90साल तक सताया गया था।
असल में हुआ यह कि हस्तिनापुर के मौजूदा राजा के पिताजी के पिताजी ने एक बार गंधार पर किया था अटैक,और बम मारकर सब धुआं धुआं कर दिया।।
गंधार उर्फ कंधार तब एक इंडिपेंडेंट सॉवरिन नेशन था।
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उसने नाटो से मदद मांगी और जिसने मदद नही की। नतीजा सेनानायक भीष्म में कन्धार किंग की फोर वाइफ और फोर्टी बच्चो को मार डाला।
इस कत्लेआम के बारे में हर शब्द इतिहास से मिटा दिया गया।वामपंथी व्यास की सम्पूर्ण महाभारत इस विषय पर मौन है।
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खैर, तो कंधार को हस्तिनापुर में एनेक्स कर
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एक प्रोविंस बना लिया गया।शकुनि काफी छोटा था।उसकी बहन बेहद रूपवती थी।
चूंकि अब इंडिया वाले कंधार की लड़कियों से ब्याह कर सकते थे।सो युद्ध का सोल पर्पज था। इसलिए सबसे पहले भीष्म ने अपने अंधे रिश्तेदार धृतराष्ट्र का गांधारीसे का ब्याह रचा दिया।
छोटेसे शकुनि को दुल्हनका संगी बनाकर
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साथ इंडिया ले आया गया।यहां एक बात बता दी जाए कि शकुनि बचपनसे जुआरी था।शकुनि के पिता अपने पुत्रकी जुएकी आदत छुड़ा नही पाएथे।वे जानतेथे कि बेटा जुआ खेलना नही छोड़ेगा।
तो उन्होंने इस तथ्य का फायदा उठाया था।उन्होंने मृत्यु पूर्व शकुनिको बुलाकर कहा कि वह उनकी हड्डियोंको सुरक्षितरखे
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और वक्त आने पर उससे एक"इलेक्ट्रॉनिक पासा मशीन"यानेEPMबनवा ले,जो जुए में उसकी मदद करेगी।
पिता से मशीन का डिजाइन कोड और फार्मूला शकुनि ने उनकी हड्डीयों के साथ सुरक्षित रखा।
शकुनि ने हस्तिनापुर के नाश की कसम खायी थी।उसे पता था कि हस्तिनापुर बेहद मजबूत है। इसे बाहर से कोई नही हरा
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सकता,केवल घर मे फूट डालकर ही इसका नाश किया जा सकता है।
इसलिए उसने धृतराष्ट्र के सभी पुत्रों को बचपन से ही प्रोपगंडा फीडिंग देकर उनका माइंड हैक कर लिया। धृतराष्ट्र के सौ पुत्र और आधी जनता नफरती हो गए।पांडवो से नफरत करने लग। इस तरह राज्य विभाजन के कगार पर पहुँच गया।जिसके बारेमें
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डिटेल आपको बुक्स में मिल जाएगी।
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युधिष्ठिर धर्मराज थे, भले आदमी थे, लेकिन जुए का लालच उनको खूब था। खास तौर पर जब राज्यसिंहासन का निर्धारण ही जुए से होना हो, तो स्टेक्स बड़े हाई थे।
शकुनि ने गुप्त फार्मूले निकाले। एक मशीन बनवाई जो दिखने में मासूम पांसे जैसी थी। लेकिन अंदर
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माईनूट बायो इंजीनियरिंग थी।इसके चिप में शकुनि के पिता की हड्डी लगी थी।उस चिप में प्रोग्रामिंग कुछ ऐसी थी,कि वो साउंड फ्रीक्वेंसी के हिसाब से रिएक्ट करती।
याने जब धर्मराज बोलें पांच तो आता है हुआ5 भी पलट कर कुछ और हो जाये।लेकिन शकुनि की साउंड फ्रीक्वेन्सी जो बोले, वही फिगर आता।
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लेकिन शकुनि चतुर था।इसमें सेटिंग ऐसी भी थी कि जब शकुनि चाहे,युधिष्ठिर के नम्बर्स भी आते रहें। इससे किसी को शक नही होता कि EPM में कोई सेटिंग है।
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युधिष्ठिर हार गए,और फिर वनवास जाना पड़ा। हस्तिनापुर14साल तक पांडव मुक्त रहा।मगर टेंशन बिल्ड होती रही।
नतीजा महाभारत के युद्ध मे
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हुआ जहां,जहां भाई पर भाई टूटे,सौभाग्य मनुज के फूटे और वायस सृगालों ने सुख लूटे।
हस्तिनापुर का सत्यानाश हुआ।वह कभी अपनी पूर्व की ऊंचाइयोंको नही छू सका।इस युद्ध मे शकुनि भी खेत रहा पर वंश का नाश करने की उसकी योजना सफल रही।
वंशवादी राजनीति से नफरत करने वाला शकुनि वस्तुतः भारतीय
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इतिहास का नायक है। उसने अपने 40 भाइयों और चार माताओं की मौत का बदला लेने के लिए भरतखण्ड की ईंट से ईंट बजा दी।
इसलिए शकुनि और उसकी EPMएक मास्टरस्ट्रोक के रूप में कन्धार के लोग आज भी याद रखते हैं।
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मैं हैरान हूं कि यह सच आज तक दबा रहा। मेरी प्रार्थना है कि यह जानकारी जन जन
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तक पहुचाएं और लेखक की पोस्ट को हिट करवाएं। पेटीएम से मना नही किया जा रहा। मन हो तो कर ही दें।
हम दोनो ने बहुत मेहनत की क़ि राष्ट्रभक्त की शिनाख्त करने का कोई अचूक नुस्ख़ा बना लें । हम समाजवादी कांग्रेसी ,वह खाँटी गिरोही , लेकिन बच्चन जी ( हरिवंश जी ) हम दोनो का कान उमेठ कर जीवनसूत्र देते हैं - गाज गिरी कब मदिरालय पर , कंचन बरसा कब मंदिर पर ? मंदिर मस्जिद भेद बढ़ाते ,
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मेल कराती मधुशाला॥फ़लसफ़े में उतरे तो - बीरबल अकबर के दरबार में हाज़िर मिले - हुजूरे आला!ख़ादिम ने दुनिया नाप लिया है ,आप जहाँ तसरीफ रखे हैं यही मरकज़ है यानी दुनिया बहुत छोटी है।हम और हमारा दोस्त एक नुक़्ते पर राज़ी हो गया -बनाने वाला बड़ा होता है की बेचनेवाला बड़ा होता है ?
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इसी “ बड़े” को राष्ट्रभक्त के नाध दो क़ि कौन है राष्ट्र भक्त ?
बनानेवाला या बेचनेवाला ?
गिरोही अनंत में चला गया - मत पूछ क्या गुजरती है दिल पर ? । हमारा बेटा , परदादी की सहेजी हुई पीतल की कलछुल बेच कर सिम ख़रीद रहा है । 4/3
आजकल जो लोग जुहू बीच रोज़ जाते हैं उन्हें एक अजीब नज़ारा देखने को मिलता है। सवेरे नौ साढ़े नौ के आसपास एक चमचमाती जगुआर रुकती है। उसमें से फटे पुराने कपड़े पहने एक शख्स बाहर आता है। कार के अंदर से एक महिला की आवाज़ सुनने को मिलती है - कमा कर लाओगे तभी शाम को खाना मिलेगा। 11/1
वह फकीर बेचारा पोस्ट ऑफिस के डब्बे के बगल में ही एक बोरा बिछा लेता है और बैठ जाता है।उधर से निकलने वाले लोग अपनी हिसाब से 1,2,5रुपया डाल देते हैं उस गरीब के डब्बे में।यहां तक तो ज्यादा अजीब कुछ नहीं है।
11.30से 12बजे के बीच में एक प्राइवेट हेलीकॉप्टर उस गरीब के सर के ऊपर दो
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चक्कर लगाता है और फिर निकट की एक बिल्डिंग में उतर जाता है।उस हेलीकॉप्टर में से 4 लोग सुटेड बूटेड उतरते हैं और उसी भिखारी के पास जाते हैं। पता नहीं कहां से दो मेज आती हैं। एक मीटिंग चालू हो जाती है।आस पास से गुजरते लोग राफेल राफेल बार बार सुनते हैं।एक गुप्ता जी,जिन्होंने पूरे
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श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा- जाओ भ्राता,रावण से शासन प्रशासन की शिक्षा लेकर आओ। लक्ष्मण गए, और सिर के पास खड़े हो गए। रावण ने ज्ञान न दिया।
तो राम के समझाने पर वे पैरों के पास खड़े हुए, तब रावण ने ज्ञान देना शुरु किया। यह कथा आप
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वाल्मीकि रामायण में पढ़ चुके है।
अब आगे।
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रावण ने कहा- "लक्ष्मण, जनता को व्यस्त रखना जरूरी है। व्यस्त न रखने पर वह उद्विग्न हो जाती है। विद्रोह की संभावना रहती है"
तो उसे व्यस्त रखने के लिए क्या किया जाए महाराज- लक्ष्मण ने हाथ जोड़कर पूछा।
रावण बोला- हे लक्ष्मण।
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जनता को व्यस्त रखने के लिए रोजगार देना पड़ता है। रोज़गार देने उद्योग खोलने पड़ते हैं। उद्यमशील लोगो को ऋण, सुविधा और मदद देनी होती है। लेकिन फिर भी आपके यहां निजी क्षेत्र विकसित न हो, तो उद्यम सरकार को खोलने पड़ते है। इसे पीएसयू कहते हैं।
शकुनि के बारे में एक बड़ा फैक्ट यह है कि वह स्त्रियों के सम्मान का बड़ा समर्थक था ।
अपनी बहन के सम्मान के लिये उसके आजीवन संघर्ष को पहले की पोस्ट में बता चुका हूँ। उस पोस्ट में जो न पढ़ पाए ,उन्हें बता दूं कि शकुनि ने अपनी बहन का विवाह एक अंधभक्त से कर दिये जाने के कारण,
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उस परिवार का सत्यानाश कर दिया।
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लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि दुशाशन ने प.पू.शकुनि जी के समझाने पर ही द्रोपदी की लाज की रक्षा की थी।
दलाल मीडिया ने यह बात छुपा दी हैं कि असल में कौरवों को बदनाम करने के लिए पांडवो ने पूरे चीर हरण का स्वांग रचा था।पांडवों ने पहले ही योजना बना
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रखी थी की तमाम छल कपट के बावजूद हार गए तो पासा टेम्परिंग का इल्जाम लगाना है, और फिर द्रोपदी को अपने वस्त्र फाड़कर शोर मचाना है।इस दौरान श्रीकृष्ण जो ऊपर बालकनी में छुपे रहेंगे,इस नाटक में द्रोपदी की मदद करेंगे।
योजना अनुसार द्रोपदी द्यूत सभा मे अपने वस्त्र उतार कर फेंकने लगी।
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