तस्यामात्या गुणैरासन्निक्षवाकोः सुमहात्मनः।
मन्त्रज्ञाश्चेङ्गितज्ञाश्च नित्यं प्रियहिते रताः॥१॥
अष्टौ बभूवुर्वीरस्य तस्यामात्या यशस्विनः।
शुचयश्चानुरक्ताश्च राजकृत्येषु नित्यशः॥२॥
धृष्टिर्जयन्तो विजयः सुराष्ट्रो राष्ट्रवर्धनः।
अकोपो धर्मपालश्च सुमन्त्रश्चाष्टमोऽर्थवित्॥३॥
इक्ष्वाकुवंशी वीर महामना महाराज दशरथ के मन्त्रिजनोचित गुणों से सम्पन्न आठ मन्त्रि थे जो मन्त्र के तत्व को जाननेवाले और बाहरी चेष्टा को देखकर मन के भाव को समझने वाले थे ।वे सदा ही राजा के प्रिय और हितमें लगे रहते थे।इस कारण उनका यश बहुत फैला हुआ था।
वे सभी शुद्ध आचार-विचारसे युक्त थे और राजकीय कार्योंमें निरन्तर संलग्न रहते थे।
उनके नाम इस प्रकार हैं धृष्टि,जयन्त,विजय,सुराष्ट्र,राष्ट्रवर्धन,
अकोप,धर्मपाल और आठवें सुमन्त्र जो अर्थशास्त्र के ज्ञाता थे।
श्रत्विजौ द्वावभिमतौ तस्यास्तामृषिसत्तमौ।
वसिष्ठो वामदेवश्च मन्त्रिणश्च तथापरे॥४॥
सुयज्ञोऽप्यथ जाबालिः कश्यपोऽप्यथ गौतमः।
मार्कण्डेयस्तु दीर्घायुस्तथा कात्यायनो द्विजः॥५॥
ऋषियों में श्रेष्ठतम वसिष्ठ जी और वामदेव दोनों महाराज दशरथ के श्रत्विज(पुरोहित) थे।सुयज्ञ,जाबालि कश्यप, गौतम,मार्कण्डेय और कात्यायन ऋषि भी उनके मन्त्रि थे।

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May 26
उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्।
वर्षं तद्भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः।।२-३-१।।

नव योजन साहस्त्रो विस्तारो अस्य महामुने।
कर्मभूमिरियं स्वर्गपवर्गं च गच्छताम्।।२-३-२।।
हे मैत्रेय जो समुद्र के उत्तर तथा हिमालय के दक्षिण में स्थित है वह भारतवर्ष कहलाता है।उसमें भरत की सन्तान बसी हुई हैं।
इसका विस्तार नौ हजार योजन है । यह स्वर्ग और अपवर्ग प्राप्त करनेवालों की कर्मभूमि है।
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May 26
Thanks to this South Korean series 'Rich Man' got to know that Christianity is a big thing in South Korea almost 30% identify themselves as Christian.
Christianity is deeply interwoven with modern Korean history and especially with Koreans’ relationship with the United States.
foreignpolicy.com/2021/05/09/min….)
The Christian faith was a major conduit through which Koreans negotiated modernity and personally and ideologically connected with the United States.
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May 22
स कच्चिद् ब्राह्मणो विद्वान् धर्मनित्यो महाद्युतिः।
इक्ष्वाकूणामुपाध्यायो यथावत् तात पूज्यते॥९॥
तात क्या तुम इक्ष्वाकुकुलके पुरोहित ब्रह्मवेत्ता,विद्वान सदैव धर्म में तत्पर रहनेवाले महातेजस्वी ब्रह्मऋषि वशिष्ठ जी का यथावत पूजन तो करते हो ना।
तात कच्चिद् कौसल्या सुमित्रा च प्रजावती ।
सुखिनी कच्चिदार्या च देवी नन्दति कैकयी॥१०॥
भरत क्या माता कौसल्या और सुमित्रा सुख से हैं,और क्या माता आर्या कैकयी आनन्दित हैं ।
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May 21
स तत्र ब्रह्मणः स्थानमग्नेः स्थान तथैव च॥३-१२-१७
विष्णोः स्थानं महेन्द्रस्य स्थान चैव विवस्वतः।
सोमस्थानं भगस्थानं स्थानं कौबेरमेव च॥३-१२-१८
धातुर्विधातुः स्थाने च वायोः स्थानं तथैव च।
नागराजस्य च स्थानमनन्तस्य महात्मनः॥३-१२-१९
स्थानम तथैव गायत्र्या वसूनां स्थानमेव च।
स्थानं च पाशहस्तस्य वरुणस्य महात्मनः॥३-१२-२०
कार्तिकेयस्य च स्थानं धर्मस्थानं च पश्यति।३-१२-२१
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May 4
Importance of Rudraksha.

शिवप्रियतमो ज्ञेयो रुद्राक्षः परपावन‌ः।
दर्शनात् स्पर्शनाज्जाप्यात् सर्वपापहरः स्मृतः।।२-५-२।।
रुद्राक्ष शिव को अत्यंत प्रिय है। इसे परम पावन समझना चाहिये। रुद्राक्ष का स्पर्श,दर्शन और जप समस्त पापों का हरण करनेवाला कहा गया है।
वर्णैस्तु तत्फलं धार्यं भुक्तिमुक्तिफलेुसुभिः।
शिवभक्तैर्विशेषेण शिवयोः प्रीतये सदा॥२-५-१३॥
भोग और मोक्ष की इच्छा वाले चारों वर्णों के लोगों और विशेषत शिवभक्तों शिव पार्वती की प्रसन्नताके लिये रुद्राक्ष फलोंको अवश्य धारण करना चाहिये॥
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May 4
Description of different types of Brahmins.
विभिन्न प्रकार के ब्राह्मणों का वर्णन।

सदाचारयुतो विद्वान् ब्राह्मणो नाम नामत।
वेदाचारयुतो विप्रो ह्येतैरेकैकवान्द्विजः॥ १-१२-२॥
सदाचार का पालन करनेवाला विद्वान ब्राह्मण ही 'ब्राह्मण' नाम धारण करने का अधिकारी है।
वेदोक्त आचार और विद्या से युक्त ब्राह्मण 'विप्र' कहलाता है। सदाचार, वेदाचार और विद्या से युक्त ब्राह्मण 'द्विज' कहलाता है।
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