अगस्त्योन्मुखः(అగస్త్యోన్ముఖ અગસ્ત્યોન્મુખ)🇮🇳 Profile picture
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Jan 22, 2023 39 tweets 8 min read
#वेदकोषामृत #संस्कृत #स्कन्दपुराण #भागवतमाहात्म्य
#VedakoshAmrita #Sanskrit #Skandpurana #BhAgvatmahatmya

Dialogue between Rishi Shandilya King Vajranabha and Parikshita on the divinity of Vraj Kshetra. शाण्डिल्य उवाच
श्रृणुतं दत्तचित्तौ में सहस्यं व्रजभूमिजम्।
व्रजनं व्याप्तिर्त्यिुक्त्या व्यापनाद् व्रज उच्यते॥
परीक्षित और वज्रनाभ व्रजभूमि का रहस्य
बतलाता हूँ दत्तचित्त हो सुनो। व्रज शब्द का अर्थ है व्याप्ति।
इस व्रद्धवचन के अनुसार व्यापक होने के कारण ही इस भूमि का
नाम व्रज है
Jan 21, 2023 5 tweets 1 min read
।।श्रीभैरवाष्टकम्।।

श्रीभैरवो रुद्रमहेश्वरो यो महामहाकाल अधीश्वरोऽथ।
यो जीवनाथोऽत्र विराजमानः श्रीभैरवं तं शरणं प्रपद्ये॥१॥
पद्मासनासीनमपूर्वरूपं महेन्द्रचर्मोपरि शोभमानम्।
गदाऽब्ज पाशान्वित चक्रचिह्नं श्रीभैरवं तं शरणं प्रपद्ये॥२॥ यो रक्तगोरश्च चतुर्भुजश्च पुरः स्थितोद्भासित पानपात्रः।
भुजङ्गभूयोऽमितविक्रमो यः श्रीभैरवं तं शरणं प्रपद्ये॥३॥
रुद्राक्षमाला कलिकाङ्गरूपं त्रिपुण्ड्रयुक्तं शशिभाल शुभ्रम्।
जटाधरं श्वानवरं महान्तं श्रीभैरवं तं शरणं प्रपद्ये॥४॥
Jan 20, 2023 6 tweets 1 min read
Bandhuvar there is lot in this संसार that takes place not on physical/material level but on subtle levels of existence. There exists so much that is beyond normal human senses.
Beyond a point whole superstition thing is a tool to attack & shake the confidence of a practicing Hindu.
Jan 9, 2023 81 tweets 11 min read
#वेदकोषामृत #संस्कृत #महाभारत
#VedakoshAmrita #Sanskrit #Mahabharata

Dialogue between Maharishi Vedvyasa and Drupada revealing the secret of previous lives of Pandavas and Devi Draupadi. व्यास उवाच
पुरा वे नैमिषारण्ये देवाः सत्रमुपासते।
तत्र वैवस्वतो राजञ्शामित्रमकरोत् तदा॥

पाञ्चाल नरेश पूर्व काल की बात है नैमिषारण्य क्षेत्र में देवता लोग एक
यज्ञ कर रहे थे उस समय वहाँ सूर्यपूत्र यम शामित्र यज्ञ कार्य करते थे।
Jan 9, 2023 4 tweets 1 min read
।।श्रीपञ्चनदीशाष्टकम्।।

महादेव भवाकार नीलकण्ठ त्रिलोचन।
शिवशङ्कर सर्वात्मन् पाहि पञ्चनदीपते॥ १॥
त्रिपुरान्तक सर्वेश चन्द्रशेखर धूर्जटे।
वामदेव क्रतुध्वंशिन् रक्ष पञ्चनदीपते॥ २॥
देवदेव जगन्नाथ पार्वती रमणप्रभो।
भूतेश सर्व कौमारे पाहि पञ्चनदीपते॥ ३॥ शम्भो पशुपते स्थाणो गङ्गाधर मृढाव्यय।
नागाभरण विश्वेश पाहि पञ्चनदीपते॥ ४॥
पिनाकपाणे श्रीकण्ठ कपाल धृतशेखर।
अघोरसद्योजातत्वं पाहि पञ्चनदीपते॥ ५॥
शूलिन् कपर्दिन् गिरीश भवोद्भव मनोन्मम।
अस्तिभूष दयासिन्धो पाहि पञ्चनदीपते॥ ६॥
Jan 8, 2023 5 tweets 1 min read
।।श्री सूर्याष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र।।

सूर्योऽर्यमा भगस्त्वष्टा पूषार्कः सविता रविः।
गभस्तिमानजः कालो मृत्युर्धाता प्रभाकरः॥

पृथिव्यापश्च तेजश्च खं वायुश्च परायणम्।
सोमो बृहस्पतिः शुक्रो बुधोऽङ्गारक एव च॥ इन्द्रो विवस्वान्दीप्तांशुः शुचिः शौरिः शनैश्चरः।
ब्रह्मा विष्णुश्च रुद्रश्च स्कन्दो वैश्रवणो यमः॥

वैद्युतो जाठरश्चाग्निरैन्धनस्तेजसां पतिः।
धर्मध्वजो वेदकर्ता वेदाङ्गो वेदवाहनः॥

कृतं त्रेता द्वापरश्च कलिः सर्वामराश्रयः।
कला काष्ठा मुहुर्ताश्च पक्षा मासा ऋतुस्तथा॥
Dec 21, 2022 90 tweets 13 min read
#वेदकोषामृत #संस्कृत #महाभारत
#VedakoshAmrita #Sanskrit #Mahabharata

Dialogue between Devi Draupadi and Devi Satyabhama. ॥वैशम्पायन उवाच॥
उपासीनेषु विप्रेषु पाण्डवेषु महात्मसु।
द्रौपदी सत्यभामा च विविशाते तदा समम्॥
जाहस्यमाने सुप्रीते सुखं तत्र निषीदतुः।
चिरस्य दृष्टा राजेन्द्र ते अन्योन्यस्य प्रियंवदे॥
Dec 21, 2022 5 tweets 1 min read
।।श्रीगणाधीशस्तोत्रं।।

नमस्ते गणनाथाय गणानां पतये नमः।
भक्तिप्रियाय देवेश भक्तेभ्यः सुखदायक॥ १॥
स्वानन्दवासिने तुभ्यं सिद्धिबुद्धिवराय च।
नाभिशेषाय देवाय ढुण्ढिराजाय ते नमः॥ २॥ वरदाभयहस्ताय नमः परशुधारिणे।
नमस्ते सृणिहस्ताय नाभिशेषाय ते नमः॥ ३॥
अनामयाय सर्वाय सर्वपूज्याय ते नमः।
सगुणाय नमस्तुभ्यं ब्रह्मणे निर्गुणाय च॥ ४॥
Dec 20, 2022 7 tweets 1 min read
।श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् ।

दुर्गा शिवा महालक्ष्मीर्महागौरी च चण्डिका।
सर्वज्ञा सर्वलोकेशा सर्वकर्मफलप्रदा॥ १ ॥
सर्वतीर्थमया पुण्या देवयोनिरयोनिजा।
भूमिजा निर्गुणा चैवाधारशक्तिरनीश्वरा॥ २ ॥ निर्गुणा निरहङ्कारा सर्वगर्वविमर्दिनी।
सर्वलोकप्रिया वाणी सर्वविद्याधिदेवता॥ ३ ॥
पार्वती देवमाता च वनीशा विन्ध्यवासिनी।
तेजोवती महामाता कोटिसूर्यसमप्रभा॥ ४ ॥
Dec 19, 2022 9 tweets 1 min read
।।श्रीहरिशङ्करस्तोत्र।।

मत्स्यं नमस्ये देवेशं कूर्मं देवेशमेव च।
हयशीर्षं नमस्येऽहं भवं विष्णुं त्रिविक्रमम्॥
नमस्ये माधवेशानौ हृषीकेषकुमारिलौ।
नारायणं नमस्येऽहं नमस्ते गरुडासनम्॥
जयेशं नरसिंहं च रूपधारं कुरुध्वजम्।
कामपालमखण्डं च नमस्ये ब्राह्मणप्रियम्॥ अजितं विश्वकर्माणं पुण्डरीकं द्विजप्रियम्।
हरिं शम्भुं नमस्ये च ब्रह्माणं सप्रजापतिम्॥
नमस्ये शूलबाहुं च देवं चक्रधरं तथा।
शिवं विष्णुं सुवर्णाक्षं गोपतिं पीतवाससम्॥
नमस्ये च गदापाणिं नमस्ये च कुशेशयम्।
अर्धनारीश्वरं देवं नमस्ये पापनाशनम्॥
Dec 3, 2022 17 tweets 4 min read
।।श्रीमद्भगवतगीताप्राकट्योत्सव।।
ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन्।
यः प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम्।।८-१३।।

जो साधक 'ऊँ' इस एक अक्षर ब्रह्मका उच्चारण और मेरा स्मरण करता हुआ शरीरको छोड़कर जाता है, वह परमगतिको प्राप्त होता है। He who departs by leaving the body while uttering the single syllable, viz Om, which is Brahman, and thinking of Me, he attains the eternal bliss.
Dec 1, 2022 4 tweets 1 min read
।।श्रीकृष्णाष्टक।।

वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्।
देवकीपरमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥ १॥
अतसीपुष्पसङ्काशम् हारनूपुरशोभितम्।
रत्नकङ्कणकेयूरं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥ २॥ कुटिलालकसंयुक्तं पूर्णचन्द्रनिभाननम्।
विलसत्कुण्डलधरं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥ ३॥
मन्दारगन्धसंयुक्तं चारुहासं चतुर्भुजम्।
बर्हिपिच्छावचूडाङ्गं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥ ४॥
उत्फुल्लपद्मपत्राक्षं नीलजीमूतसन्निभम्।
यादवानां शिरोरत्नं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥ ५॥
Nov 30, 2022 8 tweets 2 min read
#काव्यरश्मि
रचना - जयद्रथवध प्रथमसर्ग प्रथम भाग।
रचनाकार - मैथिली शरण गुप्त

वाचक ! प्रथम सर्वत्र ही ‘जय जानकी जीवन’ कहो,
फिर पूर्वजों के शील की शिक्षा तरंगों में बहो।
दुख, शोक, जब जो आ पड़े, सो धैर्य पूर्वक सब सहो,
होगी सफलता क्यों नहीं कर्त्तव्य पथ पर दृढ़ रहो।। अधिकार खो कर बैठ रहना, यह महा दुष्कर्म है;
न्यायार्थ अपने बन्धु को भी दण्ड देना धर्म है।
इस तत्व पर ही कौरवों से पाण्डवों का रण हुआ,
जो भव्य भारतवर्ष के कल्पान्त का कारण हुआ।।
Nov 23, 2022 7 tweets 3 min read
मेरी सीमित समझ के अनुसार 'शास्त्रार्थ' पूर्ण रूप से एक धार्मिक प्रक्रिया है।
जैसे आधुनिक समय में संविधान की विवेचना किसी भी विषय पर संविधान के मत को स्थापित करने का कार्य करती है उसी प्रकार 'शास्त्रार्थ' किसी भी विषय पर धर्मानुकूल शास्त्र मत को जानने के लिये किया जाता है। 'शास्त्रार्थ' के द्वारा स्थापित मत विधि के रूप में स्वीकार्य होता है।
किसी भी चर्चा या वाद को 'शास्त्रार्थ' का नाम नहीं दिया जा सकता।
'शास्त्रार्थ' करने के भी अपने विधि-निषेध हैं।
संपूर्ण नियमों की पूर्ति करनेवाला वाद ही 'शास्त्रार्थ' कहा जा सकता है।
Nov 23, 2022 11 tweets 1 min read
।।श्रीगणेशगकारादिशतनामस्तोत्र।।

गकाररूपो गम्बीजो गणेशो गणवन्दितः।
गणनीयो गणो गण्यो गणनातीतसद्गुणः॥१॥
गगनादिकसृद्गङ्गासुतो गङ्गासुतार्चितः।
गङ्गाधरप्रीतिकरो गवीशेड्यो गदापहः॥ २॥ गदाधरनुतो गद्यपद्यात्मककवित्वदः।
गजास्यो गजलक्ष्मीवान् गजवाजिरथप्रदः॥३॥
गञ्जानिरतशिक्षाकृद्गणितज्ञो गणोत्तमः।
गण्डदानाञ्चितो गन्ता गण्डोपलसमाकृतिः॥४॥
Nov 22, 2022 8 tweets 1 min read
।।श्रीमदाञ्नेयाष्टोत्तरशतनामस्तोत्र।।

आञ्जनेयो महावीरो हनुमान्मारुतात्मजः।
तत्वज्ञानप्रदः सीतादेवीमुद्राप्रदायकः॥१॥
अशोकवनिकाच्छेत्ता सर्वमायाविभञ्जनः।
सर्वबन्धविमोक्ता च रक्षोविध्वंसकारकः॥२॥ परविद्यापरीहारः परशौर्यविनाशनः।
परमन्त्रनिराकर्ता परयन्त्रप्रभेदकः॥३॥
सर्वग्रहविनाशी च भीमसेनसहायकृत्।
सर्वदुःखहरः सर्वलोकचारी मनोजवः॥४॥
Nov 15, 2022 22 tweets 5 min read
#वेदकोषामृत #संस्कृत #श्रीमद्भागवत #नवयोगीश्वरसंवाद #कर्मयोग
#VedakoshAmrita #Sanskrit #SrimadbhAgvata #NavyogIshvarasamvAda #Karmyoga राजोवाच
कर्मयोग वदत नः पुरुषो येन संस्कृतः।
विधूयेहाशु कर्माणि नैष्कर्म्यं विन्दते परम॥ २-११-३-४१
राजा निमि ने कहा - योगीश्वरो अब आप कर्मयोग का वर्णन कीजिये जिसके द्वारा मनुष्य
शीघ्रातिशीघ्र परम नैष्कर्म्य अर्थात कर्म,कर्तत्व और कर्मफल की निवृत्ति करनेवाला ज्ञानप्राप्त करता है।
Nov 15, 2022 6 tweets 5 min read
Some random morning clicks.
Jul 21, 2022 5 tweets 1 min read
क्षीरोदशायी श्रीविष्णु या वह ब्रह्म कण-कण मे विद्यमान फिर भी जीवात्माओं को और देह को अनेक शुभ-अशुभ गतियों का अपने कर्मानुसार भोगना पड़ता
क्योंकि वह शाश्वत व्यवस्था शास्त्रोचित न्याय को ही धारण करती है। केवल जो प्रतिक्षण ब्रह्मानुभूति करता वह इनसे परे होता है पर वह भी शास्त्रोचित लोक व्यवहार का त्याग नहीं करता। हर स्थान पर हर प्रकार का विषय नहीं लाना चाहिये।
Jul 19, 2022 5 tweets 1 min read
My initial tweet was with good intention without any iota of personal attack in it still you came up with ridiculing response exposed all the duplicity there and then for me. It doesn't make a difference to me whether you listen or not as some people have tendency to disregard any sane advice or thought coming to them.

If Pandit ji knowingly or unknowingly didn't object that doesn't make these kind of things write.
Jul 19, 2022 7 tweets 2 min read
The director Trivikram has shown how प्रारब्ध cannot be altered even if one tries to.
I will try to put my view as precisely I can.

Valmiki(Murali Sharma) the real villain in the film wickedly changes his son with the son of Yashoda(Tabu) and Ramchandra(Jayaram) Thinking that his son will become rich & great. Valmiki gets punished for his sin the very moment as his leg becomes deformed in the hospital itself.

As the events unfold and story moves on the प्रारब्ध comes into play.