आइए जानें इन रीतियों के वैज्ञानिक कारण:
• चप्पल मंदिर के बाहर उतारना
• दीपक के ऊपर हाथ घुमाना
• मंदिर में घंटा बजाना
• भगवान की मूर्ति को गर्भगृह के बीच रखना
• मंदिर की परिक्रमा करना
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चप्पल बाहर क्यों उतारते हैं:
इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि मंदिर की फर्शों का निर्माण इस प्रकार किया जाता है कि ये इलेक्ट्रिक और मैग्नैटिक तरंगों का सबसे बड़ा स्त्रोत होती हैं। जब इन पर नंगे पैर चला जाता है तो अधिकतम ऊर्जा पैरों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाती है। 2/6
दीपक के ऊपर हाथ घुमाने का वैज्ञानिक कारण:
आरती के बाद सभी लोग दिए पर या कपूर के ऊपर हाथ रखते हैं और उसके बाद सिर से लगाते हैं और आंखों पर स्पर्श करते हैं। ऐसा करने से हल्के गर्म हाथों से दृष्टि इंद्री सक्रिय हो जाती है और बेहतर महसूस होता है। 3/6
मंदिर में घंटा लगाने का कारण:
जब भी मंदिर में प्रवेश किया जाता है या जहां भगवान की मूर्ति होती है, घंटा या घंटी बजाई जाति है, इसके पीछे कारण यह है कि इसे बजाने से निकलने वाली आवाज से सात सेकंड तक गूंज बनी रहती है जो शरीर के सात हीलिंग सेंटर्स को सक्रिय कर देती है। 4/6
भगवान की मूर्ति को गर्भ गृह के बिल्कुल बीच में रखने का कारण:
ऐसा माना जाता है कि इस जगह पर सबसे अधिक ऊर्जा होती है जहां सकारात्मक सोच से खड़े होने पर शरीर में सकारात्मक ऊर्जा पहुंचती है और नकारात्मकता दूर भाग जाती है। 5/6
परिक्रमा करने के पीछे वैज्ञानिक कारण:
हर मुख्य मंदिर में दर्शन करने और पूजा करने के बाद 8-9 बार परिक्रमा की जाती है। परिक्रमा से सारी सकारात्मक ऊर्जा शरीर में प्रवेश कर जाती है और मन को शांति मिलती है।
📷: Various sources (pls tag for credit) 6/6
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#Long_Thread #Sri_Raghava_Yadhaveeyam
A VERY UNIQUE & STRANGE SANSKRIT SCRIPTURE..!!
In straight order it narrates story of Shri Rama whereas in reverse order, the story is of Shri Krishna..
इस ग्रन्थ को
‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है। पूरे ग्रन्थ में केवल 30 श्लोक हैं। इन श्लोकों को सीधे-सीधे
पढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती है और
विपरीत (उल्टा) क्रम में पढ़ने पर..
कृष्णकथा। इस प्रकार हैं तो केवल 30 श्लोक, लेकिन कृष्णकथा के भी 30 श्लोक जोड़ लिए जाएँ तो बनते हैं 60 श्लोक।
पुस्तक के नाम से भी यह प्रदर्शित होता है, राघव (राम) + यादव (कृष्ण) के चरित को बताने वाली गाथा है ~ "राघवयादवीयम।"
#देव_शयनी_एकादशी
"चातुर्मास" आज से प्रारंभ, #Thread
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से शुरु होकर चातुर्मास कार्तिक शुक्ल की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन पूर्ण होता है। पुराणों के अनुसार इस वक्त भगवान विष्णु क्षीर सागर की अनन्त शैय्या पर योगनिद्रा के लिए चल जाते हैं..
इसलिए चातुर्मास के प्रारम्भ की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं। इस चौमासे के अंत में जो एकादशी आती है उसे देव उठनी एकादशी कहते हैं क्योंकि यह समय भगवान के उठने का समय होता है। चूंकि इन चार महीनों में श्री विष्णु शयन करते हैं इसलिए इन महीनों में कोई भी धार्मिक व..
मांगलिक कार्य नहीं किया जाता।
धर्म शास्त्रों के अनुसार सृष्टि के संचालन का कार्य भगवान विष्णु के हाथ में रहता है, लेकिन उनके शयनकाल में चले जाने के कारण सृष्टि के संचालन का कार्यभार भगवान शिव और उनके परिवार पर आ जाता है। इसलिए चातुर्मास में भगवान शिव और उनके परिवार से..
#thread
You would be surprised to learn that our Rishis & Munis could accurately predict what today's modern gadgets/equipments can not.
Our 'Panchang' system already predicted the inauspiciousness of last 2 yrs.. 1/4
where whole world suffered due to COVID
Our Panchang system has a cycle of 60 yrs, each year has a specific name with meaning. So, there are 60 names of years (Samvatsars) & each name replays after 60 years. The year typically begins in mid-April
Year 2019-20 was named.. 2/4
‘Vikari’, that lived up to its name by being an ‘illness’ year!
Year 2020-21 was named ‘Sharvari’, meaning 'darkness', and it did push the world into a dark phase!
Year 2021-2022 is named as ‘Plava’ meaning "that - which ferries us across". So the year 2021-2022 ferried.. 3/4