चीफ़ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कोलिजियम के अपने नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट में 7 जज बनाए हैं। उनमें एक भी SC/ST/OBC नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में अब 34 जज हैं। SC/ST/OBC को मिलाकर 3 जज हैं। चंद्रचूड़ बात सामाजिक न्याय की करेंगे, पर मौका अपने जाति समूह को ही देंगे। #Casteist_Collegium
वैसे अंबेडकर और ज्योतिबा फुले पर वे बहुत ज़ोरदार भाषण देते हैं। आप सुनेंगे तो आँखों में आँसू आ जाएँगे। इतना शानदार बोलते हैं कि क्या बताएँ कि कितना शानदार बोलते हैं। काम वे आपके ख़िलाफ़ करेंगे। उन्हें भाषणों से नहीं, उनके फ़ैसलों से जानिए।
आदमी दिल का अच्छा है। जातिवादी हुआ तो क्या हुआ।
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सुप्रीम कोर्ट में 34 जजों में से कोई ठाकुर यानी क्षत्रिय जज नहीं है। एक जज वैश्य होता है। गुप्ता के रिटायर होने पर बिंदल आए हैं। डायवर्सिटी की लड़ाई में मैं ठाकुरों/वैश्य के साथ हूँ। चूँकि ठाकुर जज नहीं बनते, इसलिए सुप्रीम कोर्ट के महँगे टॉप 200 वकील में भी कोई ठाकुर नहीं है।
ठाकुरों में न्याय भावना होती है। वरना वीपी सिंह और अर्जुन सिंह ने वह न किसी होता जो उन्होंने किया।
उनकी ये न्याय भावना स्थापित चली आ रही समाज व्यवस्था के लिए ख़तरा है। ठाकुर लोग जाति व्यवस्था के लिए विश्वसनीय नहीं माने जाते। इसलिए उच्च न्यायपालिका से वे बाहर रखे जाते हैं।
न्यायपालिका में डायवर्सिटी के लिए अगर ठाकुर और वैश्य संघर्ष करें तो उनका समर्थन करना चाहिए। वे भी तो देश के नागरिक हैं। उनका भी राष्ट्र निर्माण में योगदान है। #Casteist_Collegium
Over 16 lakh Indians renounced citizenship since 2011, 2.5 lakh in 2022 alone.
Rich Indians turn secessionist, giving up citizenship. ‘Nationalism’ poor man’s burden. A thread 🧵 ⬇️⏬
US was the preferred destination in 2021. Over 78,000 Indians acquired the American citizenship. Other preferred destinations are also mostly western countries — Australia (23,533), Canada (21,597), UK (14,637), Italy (5,986) and so on.
The question is why are these people giving up the Indian passport at a time when we are entering the ‘Amrit Kaal’, the nomenclature Narendra Modi government is using to define the period between India’s 75th Independence Day and the 100th in 2047? Don’t they love India?
आपने यहाँ #हिंडेंनबर्ग को शॉर्ट सेलिंग फ़र्म बताया है। शॉर्ट सेलिंग का सरल हिंदी में मतलब है जब कोई निवेशक किसी शेयर के टूटने पर दांव खेलता है। #हिंडेंनबर्ग ने माना है कि उसने #Adani के शेयर को शॉर्ट किया था। वर्तमान खुलासे में सबसे बड़ी कमाई हिंडनबर्ग ने की है।
On January 24, Hindenburg revealed, “held short positions in Adani companies through bonds and non-Indian-traded derivative instruments” thehindubusinessline.com/markets/probe-…
We, as south Asians, have not invented anything worthwhile in the entire epoch of modern history. No #ChatGPT no #Google no #Amazon no fb, no car, no phone, no electricity, no printing press, no motion pictures. Nothing. What could be the reasons? #MaxWeber Thread 🧵⬇️
I sometimes do this simple exercise of asking university students during a lecture or seminar to list the objects around them, and name any item that might have been invented by Indians or Indian institutions. Not once have I encountered anyone affirmatively naming an object.
It holds out if we just look at the items in our homes — bulb, fan, cooler, air conditioner, air purifier, washing machine, OTG, microwave, pen, watch, phone, TV, radio, etc. We can’t attach a single invention to an Indian name. This proves that India is a no invention nation.
Remembering P K Rosy, the Dalit Chrisitan woman, who was the first heroine of the first film in Malayalam, Vigathakumaran, which was made and released by J C Daniel in 1928 in Trivandrum. #google#Doodle Thread 🧵source- Dr Jenny Rowena @ROUNDTABLEIND
Rosy’s pioneering step was met with violence from Nair caste lords. On the very first day on which her film was released, men from theNair community tore the screen and broke up the show, unable to bear the sight of a Dalit woman in the role of a Nair woman acting out love scene.
J C Daniel who made the film, tried to get her protection from the King, but the Nair landlords came in large numbers and burned down her hut and chased her out of the village. She was forced to run away from Kerala, never to return to the field of cinema.
ये ट्वीट 🧵विभाजन की त्रासदी के मारे, भारत में रह रहे दो करोड़ नागरिकता-विहीन, अभागे लोगों के बारे में, जो पाकिस्तानी फ़ौज से पीटकर 1971 के आसपास बांग्लादेश से आए। सरकार को चाहिए कि मिशन मोड में इनको नागरिकता दे। भारत के अलावा उनका कोई देश नहीं है। ⬇️ @narendramodi@RahulGandhi
बांग्लादेश की पाकिस्तान से आजादी भारत के लिए भी एक गौरवशाली क्षण था. 1971 का वह दृश्य देखकर भारत के लोगों का सीना आज भी चौड़ा हो जाता है, जिसमें लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा पाकिस्तान के 90,000 फौजियों से आत्मसमर्पण करवा रहे हैं.
भारत के पास इस युद्ध में शामिल होने का एक तर्क था. पाकिस्तान के अत्याचार के कारण बड़ी संख्या में बांग्ला भाषी शरणार्थी सीमा पार करके भारत आ रहे थे. इनकी संख्या इतनी ज्यादा थी कि अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ रहा था. ये लोग अलग-अलग शहरों में बिखर गए थे और इससे अराजकता फैल रही थी.