चीन ने अपने न आने का कारण गिना ही दिया, तुर्की व सऊदी न आने को लेकर कुछ बोले ही नहीं।
एक बात विशेष ध्यान रखिए, बात जब कश्मीर (मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र) की हो तो कुछ भी कूटनीतिक नहीं होता, सब एजेंडे के अनुसार ही होता है। इसलिए ये देश अपने एजेंडों की पूर्ति हेतु ही कश्मीर नहीं आए।
चीन :-
अव्वल तो भारत से नफरत के कारण उपजे पाकिस्तानी प्रेम के चलते चीन ने #G20Kashmir में आने से मना किया।दूसरा यदी चीन कश्मीर आता तो अक्साई-चिन पर उसका दावा कमजोर होता।
पाक के मुस्लिम एजेंडा को भी साधना था और अपनी विस्तारवादी नीति को भी। दोनों साधे चीन ने।
अब चीन की दोगली नीति के बारे में क्या ही कहा जाए। एक ओर तो चीन अपने देश के मुसलमान को उनकी औकात बता रहा है दूसरी तरफ कश्मीर पर पाकिस्तान का "मुस्लिम एजेंडा" भी चला रहा है।
अगर ये कश्मीर आते तो जो ये मुस्लिम जगत की ठेकेदारी लिए घूम रहे हैं उस पर तुर्की अपना दावा ठोक देता। ठेकेदारी चली जाती तो इज्जत का भाजी-पाला हो जाता इनकी।
मार्च 2020 में करोना प्रोटोकॉल का पालन न करने के कारण जब तब्लीगी जमात के सदस्यों को detained किया गया तब उसमें एक बड़ा समूह इंडोनेशिया के जमातियों का था। इंडोनेशिया ने इस मुद्दे को आसियान मीटिंग में भी उठाया था।
मिस्र, #G20 का सदस्य नहीं है लेकिन भारत ने विशेष अतिथि के रूप में मिस्र को न्यौता भेजा था। मिस्र ने पहले न्यौता स्वीकार कर लिया लेकिन ऐन मौके पर आने से मना कर दिया।
हाल ही में अरब लीग की बैठक हुई थी जिसमें बहुत समय के बाद अरब दुनिया में एकता देखी गई। सीरिया की अरब लीग में वापसी हुई है। फलस्तीन, लीबिया, यमन और सूडान के मुद्दे पर सभी सदस्य एकमत हैं।
मिस्र, अरब लीग का संस्थापक सदस्य है और अरब लीग की एकता में दरार नहीं बनना चाहता है।
बहुत ही आम लोगों के लिए लिखा है। अगर आपकी नेताओं, पत्रकारों और अधिकारियों से सेटिंग वगैरह है तो इसे पढ़ने में अपना अमूल्य समय व्यर्थ मत किजिएगा।
#UPSC का परिणाम आया, प्रधानमंत्री से लेकर पत्रकारों तक ने और पत्रकारों से लेकर उन लोगों तक ने अभ्यर्थियों को बधाई, शुभकामनाएं दे डालीं जिनका उनसे दूर दूर तक कोई नाता नहीं है।
नेताओं और पत्रकारों का तो समझ आता है लेकिन भाई तु न तीन में न तेरह में फिर तु किस बात पर खुश हो रहा है? तु किस बात की बधाई दे रहा है?
पास होने वालों ने समाज पर कौन सा उपकार कर दिया? या पद पर बैठने के बाद समाज के लिए करते क्या हैं ये लोग?
शिवराज मामा के नेतृत्व में सत्ताधारी हिंदू हितैषी कमल दल ने एक चुनाव के पहले एक योजना निकाली है "लाड़ली बहना योजना"।
इस योजना में महिलाओं को प्रति माह 1000 रुपए दिए जाएंगे। इस योजना का लाभ लेने के लिए बैंकों के बाहर, सरकारी कार्यालयों के बाहर माताओं की लंबी लाइनें लगी हुई हैं।
अब यहां से शुरू होता है असली खेल, लाड़ली बहना योजना की आड़ में खेला जा रहा तृप्तिकरण का असली खेल, उनके "कागज" बनाने का असली खेल।
"उनके इलाकों में" हिंदू हितैषी दल के नेता शिविर/कैंप लगा रहे हैं ताकि इस योजना के लिए "उनके" आवश्यक "कागज" (कागज को ध्यान में रखियेगा) बनाए जा सकें।
जब छोटे थे तब हिंदू राष्ट्र, अखंड भारत जैसे शब्द बहुत आकर्षित किया करते थे लेकिन जब सामाजिक और जमीनी सच्चाई के बारे में थोड़ा बहुत पता चला तब समझ आया कि इन शब्दों का प्रयोग एक सांस्कृतिक संगठन की राजनीतिक शाखा मात्र अपनी राजनीतिक स्वार्थ सिद्धी हेतु कर रही है।
न तो उस सांस्कृतिक संगठन का और न ही उसकी राजनीतिक शाखा का हिंदू राष्ट्र, अखंड भारत, हिंदू हित जैसे शब्दों से कोई लेना-देना है।
वो राजनीतिक दल अगर आपका हित चिंतक होता तो आपको दिल्ली में जनवरी 2020 में दो दिनों के लिए मरने के लिए नहीं छोड़ता।
शांतिप्रिय भाईयों को एक पूरा देश देने के बाद यदि आपके अपने ही देश में रामनवमी की शोभायात्रा को "अति विशिष्ट स्थानों" से ये कहकर नहीं निकलने दिया जाता कि "ये तो हमारा इलाका है" या शोभायात्रा निकालने पर पत्थरबाजी की जाती है तो ऐसे में "हिंदू राष्ट्र" दूर की कौड़ी ही प्रतित होता है।
मात्र मैं, मेरा परिवार और मेरी पार्टी। इससे आगे कुछ सूझता ही नहीं सिर से लेकर पांव तक अंहकार में डूबे परिवार विशेष को। स्वयं के सिर पर सामंतवाद सवार है और बात की जा रही है लोकतंत्र को बचाने की।
दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक राष्ट्र भारत के प्रधानमंत्री को दस साल... जी हां पूरे दस साल अपनी अंगुली पर नचाने वाले लोग लोकतंत्र की दुहाई देते कतई अच्छे नहीं लगते।
The Red Sari नामक पुस्तक पर प्रतिबंध लगवा दिया था इस परिवार विशेष ने अपनी कठपुतली सरकार से कहकर। ये बात करेंगे तानाशाही की? ये बात करेंगे लोकतंत्र की?
जब वो क्रिकेट की दुनिया में आया तो क्रिकेट पंडितों ने उसे "क्रिकेट के भगवान" का उत्तराधिकारी बताया।
उस बात को उसने सही भी सिद्ध किया खूब चौके-छक्के लगाए, दे दनादन शतक लगाए। अपने समय के Fab Four खिलाड़ीयों में भी सबसे आगे खड़ा दिखाई देने लगा।
एटिट्यूड तो उसमें पहले से था ही और समय भी अच्छा चल रहा था उसका... अभिमान हो गया उसे, सामान्य बात है समय अच्छा होता है तो प्राणी इसी अभिमान जनति भ्रम में जीने लगता है कि जो कुछ हो रहा है वही कर रहा है भगवान समझने लगता है अपने आप को, वो भी अपने आपको भगवान समझने लगा था संभवतः।
ठीक से तो याद नहीं लेकिन शायद उसके अच्छे समय में ही एक प्रश्न पूछा गया था उससे और उसके उत्तर में उसने कहा था "Do I look पूजा-पाठ टाइप्स? और एक अभिमानी ठहाका लगाया उसने.... साथ बैठे पत्रकारों ने भी।
मैस्सी के फुटबॉल विश्वकप जीतने के बाद से #CristianoRonaldo के प्रशंसकों का पारा सातवें आसमान पर है। #Messi की जीत को वे लोग पचा ही नहीं पा रहे हैं। कुछ ने तो ये तक कह डाला है कि ये विश्व कप मैस्सी को जीताने के लिए ही आयोजित किया गया था
इस प्रकार के आरोप लगा रहे #CR7 के फैंस ने क्या कभी इस बात पर ध्यान दिया कि मैस्सी को विश्वकप जीताने के लिए उसकी टीम के खिलाड़ी और कोच जी-जान लगाने की तैयारी करके आए थे। स्वयं मैस्सी भी एड़ी चोटी का जोर लगाने के लिए आए थे और मैस्सी सहित अर्जेंटीना के खिलाड़ीयों ने ऐसा किया भी।
लेकिन #CristianoRonaldo का क्या? खराब फॉर्म के चलते मैनचेस्टर यूनाइटेड के कोच ने रोनाल्डो को बैंच पर बिठाया इस फ्रस्ट्रेशन में विश्व कप प्रारंभ होने के पूर्व एक विस्फोट साक्षात्कार में रोनाल्डो ने अपने क्लब (मैनचेस्टर यूनाइटेड) को गरियाया।