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Significance of #Sengol or #Rajdanda as explained in the Mahabharata.
In Shanti Parva of Mahabharata Yudhishthira enquires about the origin of Rajdanda from Bhishma Pitamah. Bhishma explains how upon Brahma deva’s request Mahadev himself manifested in the form of Rajdanda.
Brahma ImageImageImageImage
deva passed the Rajdanda on to Bhagwan Vishnu. It was later handed over to Manu, and then to his sons. The holder of this Danda is supposed to protect Dharma with the energy of Mahadev himself.
Being staunch bhakts of Mahadeva it is most likely that the Chola Kings took ImageImage
inspiration from Mahabharata to create this beautiful tradition; where Bhagwan Shiva is represented by the Rajdanda; thus always reminding the kings that they are the upholders of Dharma (righteousness) on behalf of Mahadeva.
Images 5 and 6 - Mahabharata, Shanti Parva,

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May 28
कांग्रेस का हाथ देश के गद्दारों के साथ
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May 28
सिन्धु घाटी की लिपि : क्यों अंग्रेज़ और कम्युनिस्ट इतिहासकार नहीं चाहते थे कि इसे पढ़ाया जाए! इतिहासकार अर्नाल्ड जे टायनबी ने कहा था- विश्व के इतिहास में अगर किसी देश के इतिहास के साथ सर्वाधिक छेड़ छाड़ की गयी है, तो वह भारत का इतिहास ही है।
भारतीय इतिहास का प्रारम्भ सिन्धु घाटी
की सभ्यता से होता है, इसे हड़प्पा कालीन सभ्यता या सारस्वत सभ्यता भी कहा जाता है। बताया जाता है, कि वर्तमान सिन्धु नदी के तटों पर 3500 BC (ईसा पूर्व) में एक विशाल नगरीय सभ्यता विद्यमान थी। मोहनजोदारो, हड़प्पा, कालीबंगा, लोथल आदि इस सभ्यता के नगर थे।
पहले इस सभ्यता का विस्तार सिंध,
पंजाब, राजस्थान और गुजरात आदि बताया जाता था, किन्तु अब इसका विस्तार समूचा भारत, तमिलनाडु से वैशाली बिहार तक, आज का पूरा पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान तथा (पारस) ईरान का हिस्सा तक पाया जाता है। अब इसका समय 7000 BC से भी प्राचीन पाया गया है।
इस प्राचीन सभ्यता की सीलों, टेबलेट्स और
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May 28
सावरकर माने तेज, सावरकर माने त्याग, सावरकर माने तप, सावरकर माने तत्व, सावरकर माने तर्क, सावरकर माने तारुण्य, सावरकर माने तीर, सावरकर माने तलवार..' पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सावरकर के हिंदुत्व का मतलब हिंदू जीवन पद्धति और हिंदु सभ्यता में गर्व करने वाले लोग हैं.
सावरकर के हिंदू राष्ट्र की अवरधारणा सप्त सिंधु में निवास करने वाले लोगों से है. सावरकर के हिंदुत्व में हिंदू वे हैं जिनकी पितृभूमि (Fatherland) और पुण्य भूमि (Worship land) दोनों सप्त सिंधु यानी हिंदुस्तान में हो. जिनकी पितृभूमि सप्त सिंधु में है लेकिन पुण्य भूमि कहीं और
उन्हें ये साबित करना होगा कि वे दोनों से किसे चुनेंगे पितृभूमि या पुण्य भूमि. अगर पितृभूमि को चुनते हैं तो वे हिंदू राष्ट्र में है अगर पुण्य भूमि को चुनते हैं तो फिर हिंदू नहीं.1921 में मालाबार तट के नजदीक रहने वाले मोफला मुस्लिम समुदाय के जिहाद के ऐलान ने सावरकर की हिंदू
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May 28
“नेहरू परिवार का सच
30 दिसंबर, 2011 द्वारा नेहरू परिवार
नेहरू परिवार शुरू होता है मुगल आदमी गीहसूद्दीन गाजी नाम के साथ, मुगल शासन के तहत वह 1857 के विद्रोह से पहले दिल्ली के पुलिस अधिकारी थे। 1857 में दिल्ली पर कब्जा करने के बाद, विद्रोह के वर्ष में, ब्रिटिश हर जगह सभी मुगलों को Image
मार रहे थे। अंग्रेजों ने पूरी तरह से खोज की और हर मुगल को मार डाला जिससे कि दिल्ली के सिंहासन का कोई भविष्य में दावेदार न हो। इसलिए, आदमी गीहसूद्दीन गाजी (शब्द का अर्थ है काफ़ी-हत्यार) ने एक हिंदू नाम गंगाधर नेहरू को अपनाया और इस प्रकार उन्होंने अपना जीवन बचा लिया।घायसुद्दीन गाजी
जाहिरा तौर पर लाल किले के नजदीक एक नहर (या नेहर) के किनारे पर रहते थे। इस प्रकार, उन्होंने नाम 'नेहरू' को अपना परिवार नाम दिया। एम.के. सिहं द्वारा "आजादी के भारतीय युद्ध के विश्वकोष" (आईएसबीएन: 81-261-3745-9) का 13 वां खंड में इसे विस्तृत रूप से बताते हैं भारत सरकार इस तथ्य को
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May 27
कांग्रेस नई संसद के उद्घाटन समारोह का ये कहकर बहिष्कार कर रही है कि प्रधानमंत्री खुद से उद्घाटन कर राष्ट्रपति का अपमान कर रहे हैं। संयोग से आज पंडित जवाहर लाल नेहरू की पुण्यतिथि है। कांग्रेस को जान लेना चाहिए कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू का राष्ट्रपति के प्रति कितना सम्मान
था।
हिन्दुस्तान टाइम्स के पूर्व संपादक दुर्गा दास अपनी किताब ‘इंडिया फ्रॉम कर्जन टू नेहरू एंड ऑफ्टर’ में एक वाकये का जिक्र करते हैं। 1961 की बात है। ठंड का समय था। दिल्ली के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ लॉ में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के अधिकार विषय पर राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद
का लिखित भाषण बंटना था। पंडित जी ने कहा कि राजेन्द्र प्रसाद का भाषण विवादास्पद है । प्रधानमंत्री ने उसे मीडिया में प्रसारित होने से रोक दिया। इतना ही नहीं ना सिर्फ उसका प्रकाशन रुकवाया बल्कि उसकी प्रतियां भी जलवा दीं।
पंडित नेहरू जिस चश्मे से धर्म को देखते थे उसी चश्मे से वह ये
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May 27
क्या आपने कभी पढ़ा है कि #हल्दीघाटी के बाद अगले १० साल में #मेवाड़ में क्या हुआ..
इतिहास से जो पन्ने हटा दिए गए हैं उन्हें वापस संकलित करना ही होगा क्यूंकि वही हिन्दू रेजिस्टेंस और शौर्य के प्रतीक हैं.
इतिहास में तो ये भी नहीं Image
पढ़ाया गया है कि हल्दीघाटी युद्ध में जब महाराणा प्रताप ने कुंवर मानसिंह के हाथी पर जब प्रहार किया तो शाही फ़ौज पांच छह कोस दूर तक भाग गई थी और अकबर के आने की अफवाह से पुनः युद्ध में सम्मिलित हुई है. ये वाकया अबुल फज़ल की पुस्तक
अकबरनामा में दर्ज है.
क्या हल्दी घाटी अलग से एक युद्ध था..या एक बड़े युद्ध की छोटी सी घटनाओं में से बस एक शुरूआती घटना..
महाराणा प्रताप को इतिहासकारों ने हल्दीघाटी तक ही सिमित करके मेवाड़ के इतिहास के साथ बहुत बड़ा अन्याय किया है.
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