कुशल जैन Profile picture
Jun 1 12 tweets 5 min read Twitter logo Read on Twitter
मथुरा में जैन धर्म
प्राचीन मूर्तियाँ कई स्थानों से प्राप्त हुईं हैं,लेकिन यहाँ दो स्थान प्रमुख हैं जिन की प्रसिद्धि जैन तीर्थ के रूप में है।पहला है सिद्ध क्षेत्र चौरासी , जिस का संबंध महावीर के पट्ट शिष्य सुधर्माचार्य के उत्तराधिकारी जम्बू स्वामी से है।जैन मान्यताओं के अनुसार ImageImageImageImage
जम्बू स्वामी ने न केवल यहाँ निवास किया अपितु कैवल्य तथा मोक्ष प्राप्त कर इस स्थान को सदा के लिए सिद्ध क्षेत्र बना दिया। दूसरा प्रमुख स्थान है कंकाली टीला जो प्राचीनता की दृष्टि से मथुरा के लिए ही नहीं,वरन् जैन धर्म के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।ब्रिटिश काल तक यह क्षेत्र एक ImageImage
विस्तृत टीले के रूप में था।कंकाली देवी का एक छोटा मंदिर होने के कारण इसे ' कंकाली टीला ' कहा जाता था। सन् 1871 ईस्वी में प्रसिद्ध पुरातत्वविद् कनिंघम की नज़र इस टीले पर पड़ी ।उसने यहाँ से कई जैन प्रतिमाएं प्राप्त कीं ,लेकिन कंकाली टीले पर व्यवस्थित उत्खनन का अभियान सन् 1888-91
ईस्वी के बीच तत्कालीन लखनऊ संग्रहालय के अध्यक्ष डॉ फ्यूरर के नेतृत्व में ही चलाया जा सका यह मथुरा में पुरातात्त्विक उत्खनन का एक बड़ा अभियान था जिसमें कंकाली टीले से सैकड़ों प्राचीन जैन प्रतिमाएँ,भग्नावशेष ,वास्तु खंड आदि प्राप्त हुए।यह विपुल कलाराशि राज्य संग्रहालय,लखनऊ भेज दी
गई और आज भी वहीं पर सुरक्षित है।लखनऊ संग्रहालय की सबसे विशाल मूर्ति जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ की है जो मथुरा के कंकाली टीले की ही देन है। दर्शकों के आकर्षण हेतु इस मूर्ति को संग्रहालय के मुख्य प्रवेश द्वार के सामने ही प्रदर्शित किया गया है।इस के अलावा राजकीय संग्रहालय,मथुरा में भी
कंकाली टीले से प्राप्त जैन मूर्तियों एवं पुरा शेषों का विशाल भंडार है। इसे ध्यान में रखकर ही कई वर्ष पूर्व राजकीय संग्रहालय ने मथुरा कचहरी स्थित अपने पुराने भवन को एक स्वतंत्र 'राजकीय जैन संग्रहालय का स्वरूप प्रदान कर दिया है।जहाँ यह पुरा संपदा अब प्रदर्शित है।
कंकाली टीले के
उत्खनन से दो जैन मंदिरों,पुष्करिणी तथा एक स्तूप के अवशेष प्राप्त हुए हैं। कुषाणकालीन एक मूर्ति की पीठ पर उत्कीर्ण अभिलेख से यह ज्ञात होता है कि इस मूर्ति को देव निर्मित स्तूप में दान स्वरूप प्रतिष्ठापित किया था जिस से यह प्रमाणित होता है कि कंकाली का स्तूप ही वह स्तूप है जिसे
प्राचीन जैन ग्रंथों में देव निर्मित कहा गया है इसे देव निर्मित बताने का तात्पर्य यह है कि पहली -दूसरी शताब्दी में ही यह स्थान इतना प्राचीन माना जाता था कि इसके निर्माण का इतिहास विस्मृत हो चुका था।स्तूप की प्राचीनता के कारण ही ऐसा लगता है कि बौद्धों ने भी इस पर अधिकार करने के
प्रयास किये होंगे। इसी लिए यहाँ से कुछ बौद्ध मूर्तियां भी प्राप्त हुई हैं।इस प्रसंग की 'व्यवहार सूत्र -भाष्य ' में एक रोचक कथा मिलती है कि बौद्ध लोग उसे अपना कह कर जैन स्तूप पर दखल करना चाहते थे।छह माह तक विवाद चला।तब राजा ने जैन संघ के पक्ष में निर्णय दिया ।
जिनप्रभ सूरि कृत ' विविध तीर्थ कल्प ' के अनुसार इस प्राचीन स्तूप का निर्माण कुबेरा यक्षी द्वारा भगवान सुपार्श्वनाथ के सम्मान में कराया गया।कालांतर में 23 वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ के समय में इस स्तूप पर ईटों का खोल चढ़ाया गया। महावीर के तेरह सौ वर्ष बाद बप्प भट्टि ने इसका पूरा
संस्कार कराया।यहाँ से प्राप्त गुप्तकालीन प्रतिमाएं उसी समय की ज्ञात होती हैं। संभवतः एक से अधिक बार स्तूप का संस्कार हुआ।मूल स्तूप मिट्टी का रहा होगा जिसके भीतर स्वर्ण एवं रत्नों का और भी छोटा स्तूप गर्भित किया गया होगा।वह मिट्टी का स्तूप ईटों से और बाद में पत्थरों से आच्छादित
किया गया।तीसरे संस्कार के अवसर पर स्तूप को दूार-तोरण ,वेदिका स्तंभ ,पुष्प मंचिका आदि से सुसज्जित किया गया। #jain #mathura #UttarPradesh #history

• • •

Missing some Tweet in this thread? You can try to force a refresh
 

Keep Current with कुशल जैन

कुशल जैन Profile picture

Stay in touch and get notified when new unrolls are available from this author!

Read all threads

This Thread may be Removed Anytime!

PDF

Twitter may remove this content at anytime! Save it as PDF for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video
  1. Follow @ThreadReaderApp to mention us!

  2. From a Twitter thread mention us with a keyword "unroll"
@threadreaderapp unroll

Practice here first or read more on our help page!

More from @know_jainism

Feb 12
अफगानिस्तान में जैनधर्म

अफगानिस्तान प्राचीनकाल में भारत का ही भाग था, जहाँ श्री आदिनाथ के पुत्रों का शासन हुआ करता था, उस समय अखंड भारत के इस क्षेत्र जिसे वर्तमान में (अफगानिस्तान) में सर्वत्र जैन मुनि भ्रमण किया करते थे।चीनी यात्री ह्वेनसांग ६८६-७१२ ईस्वी के यात्रा के विवरण के
अनुसार कपिश देश में १० जैनमंदिर थे । वहाँ जैन मुनि भी धर्म प्रचारार्थ विहार करते हैं।
अफगानिस्तान के सुदूर प्रान्त में प्राप्त 5000 वर्ष प्राचीन 24

तीर्थंकर भगवान की प्रतिमाएं हुई। तीर्थंकर भगवान के समवसरण

को भी बहुत सुंदर तरह से उत्कृष्ट किया हुआ है ।
एक बार भारत सरकार के पुरातत्व विभाग के भूतपूर्व संयुक्त महानिर्देशक श्री टी. एन. रामचंद्रन अफगानिस्तान गये । उन्होंने एक शिष्टमंडल के नेता के रूप में यह मत व्यक्त किया था, कि यहाँ जैन तीर्थंकरों के अनुयायी बड़ी संख्या में थे। उस समय एलेग्जेन्ड्रा में जैनधर्म का व्यापक प्रचार था।
Read 8 tweets
Feb 9
साविरा कम्बदा मंदिर (साविरा कंबाडा बसदी) या त्रिभुवन तिलका कुडामणी), एक बसदी या जैन मंदिर है जो मूडबिद्री, कर्नाटक, भारत में अपने 1000 स्तंभों के लिए विख्यात है। मंदिर को "चंद्रनाथ मंदिर" के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह तीर्थंकर चंद्रप्रभा का सम्मान करता है, जिनकी आठ फुट की ImageImageImageImage
मूर्ति की पूजा मंदिर में की जाती है।बसदी का निर्माण 1430 में स्थानीय सरदार, देवराय वोडेयार द्वारा किया गया था और इसे पूरा करने में 31 साल लगे, [5] मंदिरों में 1962 में जोड़ दिए गए। इस मंदिर में 50 फीट लंबा मोनोलिथ मनस्थंभ है।करकला भैरव रानी नगला देवी द्वारा बनवाया गया। Image
मंदिर को वास्तुशिल्प का चमत्कार माना जाता है। [8] मंदिर विस्तृत मूर्तियों और सजावट से भरा है।मंदिर का द्वार में जटिल नक्काशी है और अलंकृत दीवारों से घिरा हुआ है। मंदिर के विशाल स्तंभों को एक अष्टकोणीय लकड़ी के लट्ठे के समान उकेरा गया है एक बारिंग शिलालेख। [9] [10] [11] अति सुंदर Image
Read 8 tweets

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3/month or $30/year) and get exclusive features!

Become Premium

Don't want to be a Premium member but still want to support us?

Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal

Or Donate anonymously using crypto!

Ethereum

0xfe58350B80634f60Fa6Dc149a72b4DFbc17D341E copy

Bitcoin

3ATGMxNzCUFzxpMCHL5sWSt4DVtS8UqXpi copy

Thank you for your support!

Follow Us on Twitter!

:(