इष्टदेव की सुरति में, कृश हो गया शरीर
कृश हो गया शरीर, प्राणपण में तलबेली
व्याकुल तन मन नयन, शबरिगिरि गईं अकेली
फेमिनिस्टों सम भक्त, न मीरा गोपि न गणिका
सर्वेश्वर कविराय, बचावें श्री अय्यप्पा
(कुण्डली छन्द)
#Sabarimala
होगी नाची प्रेम में मीरा सुधबुध खोय
बाट देखती व्यथित मन वर्षों शबरी होय
वर्षों शबरी होय तजो भगती वह भाई
नूतन नवधा भक्ति कर रहीं तृप्ति देसाई
प्रेम प्रतीक्षा प्रार्थना न पादसेवन जो होगी
सर्वेश्वर कविराय “गुरिल्ला टैक्टिक” होगी
(कुण्डली छन्द)