, 36 tweets, 16 min read Read on Twitter
#DelhiEducation #MythVsReality

आप ने जो घोषणापत्र जारी किया है, उसको 2 खंडो में विभाजित किया है-
1) जो काम उसने "मोदी सरकार" के तमाम रुकावटों के बावजूद किया है
2) जो पार्टी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद करेगी

आईये समझते है #AAP के घोषणापत्र को. बात केवल शिक्षा की
#AAP- 2015 में #Delhi के स्कूलों में कुल 24,157 कक्षाएं थी. केंद्र सरकार की तमाम रुकावटों के बावजूद 8213 नए क्लासरूम बनाए हैं. Nov 2019 तक 12748 और नए क्लासरूम बनकर तैयार हो जायेंगे.

असलियत- आप 2017 से यही कह रही है कि उसने 8000 नए कमरे बनवाये. कितना बना, जाँच होना चाहिए.
7 मार्च 2017 को विधानसभा में दिए अपने बजट भाषण में @msisodia ने यही कहा था- 8000 कमरे बन गए. (पढ़े- delhi.gov.in/wps/wcm/connec… )

लेकिन आप द्वारा 7 Oct 2017 को जारी की गयी आधिकारिक जारी प्रेस रिलीज बताती है कि केवल 5695 ही कमरे बने. (पढ़े- aamaadmiparty.org/aap-govt-inaug…)

झूठ कौन बोल रहा?
2017 से ही #AAP यही माला जप रही है कि हमने 8000 कमरे बनवा दिए. सच्चाई कुछ और ही थी.

भला हो #EconomicSurvey का, जिसने ये बताया कि बने तो 8000 लेकिन लगे पुरे 4.5 साल. 24-25% बजट के बावजूद 4.5 सालों में 8000 कमरा बनवाये, वह केवल 6 महीने में 12000 बनवाने का दावा करे तो हँसी आती है
कमरा बनवाये, स्कूलों की मरम्मती करवाई, 52 मॉडल स्कूलों पर काम किया, 12000 नए कमरे बनवायेंगे- ये सब बताकर आप ने पूर्ण राज्य के अपने मांग के तर्क से ठीक उलट बातें कर दी. आप ने अपनी घोषणापत्र में यह कहा कि सभी बच्चों को शिक्षा का समान अवसर प्रदान करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर जरुरी है
जिस प्रकार के इंफ्रास्ट्रक्चर की जरुरत है, उसे पूर्ण राज्य के दर्जे के बगैर पूरा कर पाना संभव नही है. दिल्ली सरकार के पास ज़मीन व शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति करने का अधिकार न होना इसमें सबसे बड़ी रुकावट है.
दोनों झूठ के सिवा कुछ नही है. सरकार के पास ज़मीन भी है,बहाली का अधिकार भी
आप की सरकार ने सिवाए लड़ने के, काम निकालने के लिए कभी संघर्ष नही किया. केवल गेस्ट टीचरों के नाम पर राजनीति की, उन्हें स्थाई करने के सपने दिखाए, लेकिन उनकी गुणवत्ता पर ध्यान नही दिया. हाल ये है कि DSSB की नियुक्ति के लिए बैठे 77% गेस्ट टीचर न्यूनतम अंक भी नही ला पाए
आप सरकार ने पहले दिन से सभी स्कूलों के हितों की चिंता की वजाए दिल्ली के केवल 54 स्कूल मॉडल स्कूल के नाम पर चुने (edudel.nic.in/upload_2015_16…), उन्हें बेहतर स्कूल बनाने के लिए करोड़ों खर्च किये है. अच्छी बात है लेकिन सरकार ने यहाँ भी काम नही किया.पढ़िए रिपोर्ट
indianexpress.com/article/cities…
केजरीवाल समर्थक अमूमन जिन चमकती-धमकती तस्वीरों को वर्ल्ड क्लास स्कूल बनाने के दावे के साथ साझा करते है, दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर स्थित वह स्कूल सर्वोदय बाल विद्यालय भी इन्हीं में से एक है. इसी स्कूल में सरकार ने 10 करोड़ खर्च किये है,जिसमें जिम भी बना है-
hindustantimes.com/delhi-news/del…
दिल्ली के 2 स्कूलों- मयूर विहार फेज-2 & ईस्ट विनोद नगर के स्कूलों में 5 करोड़ की लागत से स्विमिंग पूल बनवाये, लेकिन चित्र देशभर में ऐसे साझा किये गए, मानो सभी स्कूलों में जिम और स्विमिंग पूल है, जहाँ बच्चें तैराकी सीख रहे है, जिम जा रहे है.
navbharattimes.indiatimes.com/metro/delhi/ot…
जो सरकार जिम, स्विमिंग पूल और वर्ल्ड क्लास स्कूल बनाने के लिए करोड़ों खर्च करने का अधिकार रखती है, उसका इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए पूर्ण राज्य की दर्जा की बेतुकी मांग के आड़ में काम न करके बाकी के सैंकड़ों स्कूलों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखना समझ से परे है.
नए स्कूल कम खुले, वही अधिकांश स्कूलों में बच्चों के बैठने की जगह पर्याप्त नही है या अधिक बच्चें एक ही कक्षा में बैठकर पढ़ते है. 4.5 साल के काम व भारी-भरकम बजट के बावजूद स्थिति ख़राब है. सरकार द्वारा फरवरी 2019 में जारी की गयी उपलब्धि देखिये, केवल सपने दिखाए गए है.
AAP- शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फ़िनलैंड, सिंगापूर, ब्रिटेन जैसे देशों में भेजा गया ताकि दिल्ली के बच्चे भी विश्वस्तरीय शिक्षा प्राप्त कर सकें.

असलियत- सरकारी रिपोर्ट की माने तो बीते 4.5 साल में 695 शिक्षकों को विदेश यात्रा पर भेजा गया है. दिल्ली में लगभग 36000 स्थाई शिक्षक है
विदेश भेजना अच्छी बात है,लेकिन किसे भेज रहे है?
दिल्ली के केवल 291 स्कूलों में विज्ञान पढ़ाई होती है. जहाँ होती भी है, वहां पर्याप्त शिक्षक नही है. गणित के 5758 में से 2408 & विज्ञान के 5570 पदों में से 2165 पदों पर आज भी कोई स्थाई शिक्षक नियुक्त नही है
timesofindia.indiatimes.com/city/delhi/les…
सवाल उठता है कि जिस सरकार की प्राथमिकता में विज्ञान है ही नही, क्या वह विज्ञान के शिक्षकों की वजाए शिक्षकों को 'इतिहास कैसे पढ़ाया जाए', इसका प्रशिक्षण लेने के लिए शिक्षकों को विदेश यात्राएँ करवा रही है! विदेश में तो STEM केन्द्रित शिक्षा व्यवस्था को जाने-समझने लोग जाते है.
दिल्ली के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि को देखते हुए क्या सरकार को उन कमजोर बच्चों पर ध्यान देने के लिए प्रशिक्षण नही दिलवाने चाहिए थे, जिन्हें वह हर साल बड़ी संख्या स्कूलों से फेल करके बाहर निकाल देती है?
विश्व स्तरीय शिक्षा की नक़ल करने से पहले दिल्ली सरकार को दिल्ली-स्तरीय शिक्षा व्यवस्था बनाने की कोशिशें करनी चाहिए. ऐसा करने में जो सरकार विफल रही हो, वहां ऐसे प्रयास भले ही प्रथम दृष्टया अनुचित नही लगते हो, लेकिन भटकी हुई प्राथमिकता की जरुर गवाही देते है.
#AAP- विशेष पहल के द्वारा बच्चों की सीखने की बुनियादी क्षमताओं को सुदृढ़ करने का सफल प्रयास किया गया. इसके अतिरिक्त हैप्पीनेस पाठ्यक्रम, एंटरपेन्योरशिप पाठ्यक्रम व संवैधानिक मूल्यों पर कैम्पेन के द्वारा बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जा रहा है.

असलियत -95% गलत! हकीक़त कुछ और है
दिल्ली सरकार के द्वारा बच्चों के सीखने की बुनियादी क्षमताओं को सुदृढ़ करने के लिए 2 मशहूर कार्यक्रम चलाये गए.
1) मिशन चुनौती(2016)
2) मिशन बुनियाद

मिशन चुनौती में सरकार का लक्ष्य था-

1.6-8वीं कक्षा के बीच लर्निंग गैप को खत्म करना
2.9वीं कक्षा में ड्राप आउट दर को 0 करेंगे
मिशन चुनौती अखबारों में भले सफल दिखे हो, अपने मकसद में सफल नही हो सका. लर्निंग गैप पाटने के तमाम दावे खोखले साबित हुए. परिणामों में मामूली सुधार देखने को मिले, स्थिति वैसी की वैसी ही बनी रही. सरकार की उपलब्धियों के साथ जारी बुकलेट का अंश देखिये. कोई ख़ास सुधार नही आया.
वर्ष 2016-17 में नौवीं के 59897 कमजोर बच्चों को विश्वास समूह में रखकर दिल्ली के स्कूलों से उठाकर सीधे पत्राचार कार्यक्रम में कक्षा-10 में रख दिया गया. इनमें से केवल 2% ही पास हो सकें। पत्राचार कार्यक्रम में शिक्षक भी पर्याप्त संख्या में नही थे. देखे @Prajafoundation की रिपोर्ट
मिशन बुनियाद कार्यक्रम की भी हालत कुछ खास अच्छी नही रही. अप्रैल 2018 में शुरू हुआ यह कार्यक्रम कक्षा- 3 से लेकर 9वीं तक के बच्चों में टेक्स्टबुक पढ़ने और सामान्य गणितीय समझ बढ़ाने पर केन्द्रित था. तब 52% बच्चें गणित व हिंदी से संबंधित दक्षताओं में अपनी कक्षा के अनुरूप नही थे.
मिशन चुनौती के चलने के बाद हुए नेशनल अचिवेमेंट सर्वे (NAS) में दिल्ली का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से भी कम था. वही 3 साल कार्यक्रम चलने के बाद भी 9वीं में लगभग 40 से 50% बच्चों का फेल होना जारी है. बीते दो शैक्षणिक सत्रों में केवल 0.4% का सुधार दिखा.
पढ़े-indianexpress.com/article/educat…
कक्षा 7 व 8 के जिन बच्चों की दक्षता बढ़ने के दावे किये गए,उनके कक्षा 9 में जाने के बाद भी परीक्षा परिणामों पर कोई विशेष फर्क नही पड़ा और बड़ी संख्या में बच्चें फेल होते रहे. जहाँ 2017-18 में 57.4% बच्चें 9 वीं उतीर्ण हुए, वही 2018-19 की परीक्षा में 0.4% की वृद्धि के साथ 57.8 रहा
सबसे ख़तरनाक जो ट्रेंड दिल्ली के स्कूलों में चल रहा है, वह है कक्षा-12 की वार्षिक परीक्षा में प्रतिवर्ष बैठने वाले बच्चों की घटती संख्या। इन बच्चों में पिछले वर्ष फेल हुए कुछ बच्चें भी शामिल रहते है, जो यह साबित करता है कि बेहद कम बच्चें कक्षा-12 वीं तक पहुँच पा रहे है.
बहुचर्चित हैप्पीनेस क्लास पिछले वर्ष शुरू किया गया. इसमें शिक्षकों को प्रतिदिन किये जाने वाले गतिविधियों को करने संबंधी जो दिशा निर्देश गए है, उसके अंश गौर से देखिये (टीचर हैंडबुक, पृष्ठ संख्या-9, कक्षा-3-5/6-8)
अब जरा MP के स्कूलों में लागू होने वाले टाइम टेबल को गौर से देखिये
देखने से एक बात स्पष्ट हो जायेगी-दिल्ली के स्कूलों में कुछ अनोखा नही हो रहा. हैप्पीनेस पाठ्यक्रम दशकों से स्कूलों में होनेवाली गतिविधियों की रि-पैकेजिंग है, जिसमें कहानियों का संग्रह और दैनिक जीवन के व्यावहारिक गुणों के बारे में विशेष जोर है. फर्क बस बुकलेट व PR एक्टिविटी का है.
एंटरपेंयोरशिप पाठ्यक्रम अभी ज़मीन पर उतरा भी नही है लेकिन आप ने इसे अपनी उपलब्धियों में शामिल कर लिया. यह कार्यक्रम जुलाई 2019 से लागू होगी.
13.02.2019 को एक बड़े समारोह में जो Entrepreneurship Mindset Curriculum दिल्ली सरकार द्वारा जारी किया गया, उसमें काम की बातें बेहद कम है.
Entrepreneurship Mindset Curriculum में दिल्ली के नेताओं/अधिकारीयों के भाषण अधिक है. 40 पृष्ठों के इस बुकलेट में 16 पृष्ठ इन्ही सबके लिए है. मुख्य विषयवस्तु अंग्रेजी में 11 पन्ने व इसका हिंदी अनुवाद 10 पन्ने में लिखा गया है. ऐसा लगता है मानो आनन-फानन में लोगों के बीच लाना मकसद हो
AAP- स्कूल मैनेजमेंट कमेटी(SMC) के तहत पहली बार बच्चों के माता-पिता को स्कुल संचालन में शामिल किया गया. दिल्ली के सरकारी स्कूलों में हर 3 महीने पर मेगा पैरेंट्स टीचर मीटिंग हो रही है.

असलियत-SMC दिल्ली सहित देश के हर सरकारी स्कूलों में बहुत पहले से है, जिसमें अभिभावक भी होते है
दिल्ली में @sheilaDikshit की सरकार के समय 25.03. 2013 को एक पत्र जारी किया गया था, जिसमें स्पष्ट लिखा है कि 16 सदस्यीय SMC में 12 सदस्य बच्चों के माता-पिता/अभिभावक होंगे. इसी पत्र में कम से कम दो महीने में एकबार SMC की बैठक अवश्य करने की बात थी.
mhrd.gov.in/sites/upload_f…
AAP-पहली बार पिछले 3सालों से लगातार 12वीं के रिजल्ट प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले बेहतर रहे है.
असलियत-12वीं का परिणाम इसलिए बेहतर नही आ रहे कि स्कूलों में बेहतर पढ़ाई हो रही है, बल्कि इसलिए आ रहे है क्योंकि बड़ी संख्या में बच्चों को 9वीं में फेल किया जा रहा
theprint.in/india/governan…
12वीं के परिणाम को इस बात से भी समझा जा सकता है कि 9वीं व11वीं में बड़ी संख्या में बच्चों को फेल कर दिया जाता है ताकि 10वीं-12वीं की बोर्ड में अच्छे बच्चें ही बैठ सकें. इसी वजह से बड़ी संख्या में बच्चें ड्राप आउट हो रहे है, वही हर वर्ष 12वीं की परीक्षा में बच्चें कम होते जा रहे
2019 के 12वीं के परिणाम की बात करें तो 29% बच्चें पिछले साल 11वीं में फेल हो गए. 2015-16 में 9वीं कक्षा में कुल विद्यार्थी 288094 थे. इनमें से 164065 अगले सत्र में कक्षा-10 वीं में गए, सत्र 2017-18 में कुल 171613 बच्चें बचे 11वीं में, 122428 बच्चें ही 12वीं की परीक्षा दे सकें.
पिछले सत्र में फेल हुए और दुबारा बैठे बच्चों की संख्या को नजरअंदाज भी कर दे तो कुल अंतर 165666 बच्चों का है. इनकी किसे सुध है! इतनी बड़ी संख्या में बच्चों को फॉर्मल स्कूली शिक्षा से दूर करना और कोई हो-हल्ला भी न होना,समझ में आता है आप सरकार मीडिया मैनेजमेंट पर कितना काम कर रही है
AAP- 12 वीं के बाद उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली के बच्चों को 10 लाख रुपये तक गारंटी फ्री लोन की व्यवस्था की गई.

असलियत- दिल्ली जैसे अमीर राज्य के लिए गारंटी फ्री लोन दिलाना मामूली काम है. मध्य प्रदेश जैसा राज्य तो अपने बच्चों को पूरी फीस माफ़ कर देता है. scholarshipportal.mp.nic.in/MedhaviChhatra…
Missing some Tweet in this thread?
You can try to force a refresh.

Like this thread? Get email updates or save it to PDF!

Subscribe to Abhishek Ranjan
Profile picture

Get real-time email alerts when new unrolls are available from this author!

This content may be removed anytime!

Twitter may remove this content at anytime, convert it as a PDF, save and print for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video

1) Follow Thread Reader App on Twitter so you can easily mention us!

2) Go to a Twitter thread (series of Tweets by the same owner) and mention us with a keyword "unroll" @threadreaderapp unroll

You can practice here first or read more on our help page!

Follow Us on Twitter!

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just three indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3.00/month or $30.00/year) and get exclusive features!

Become Premium

Too expensive? Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal Become our Patreon

Thank you for your support!