संदर्भ: वाल्मीकि रामायण।
आदिकाल में भगवान् ब्रह्मा के मानस पुत्र प्रजापति कुश हुए। उनके 3 पुत्र थे इनमें से एक थे महाराज कुशनाभ। कुशनाभ की १०० पुत्रियां थीं जो रूपवान तथा गुणवान थी।
@Aabhas24
१/n
ऐसा सुन कर राजकन्याओं ने कहा -
@getmesomelatte
जाहिर है उस काल में स्वयंवर को मान्यता प्राप्त नहीं थी।
@mahan_saria
3/n
अपने रूप से हीन हो राजकुमारियां काफी दुखी हुई तथा अपने महल लौट गई।
@arpita_pedia
४/n
महाराज अपनी पुत्रियों के लिए उचित वर की खोज में लग गए।
@idreamofghouls
५/n
@ShefVaidya
६/n
तब महर्षि ने अपने तेज से एक परम ओजस्वी मानस पुत्र को जन्म दिया। जो आगे चल कर ब्रह्मदत्त नाम के राजा बने।
@sambhashan_in
७/n
@gopugoswami
८/n
महाराज गाधि की ज्येष्ठ पुत्री सत्यवती तथा पुत्र कौशिक हुए।
@saket71
९/n
राजकुमार कौशिक आगे चल कर महर्षि विश्वामित्र के नाम से जाने गए।
@Shrimaan
१०/n
उन्हें ब्रह्म ऋषि का स्थान भी प्राप्त है।
महर्षि विश्वामित्र अनेकों अस्त्र शस्त्र के ज्ञाता तथा गायत्री के रचयिता भी है।
ओम्।
११/११