स्नानाचारविहीनस्य सर्वा:स्यु: निष्फला: क्रिया: (वाधूलस्मृति 69)
स्नान और शुद्ध आचार के बिना सभी कार्य निष्फल हो जाते हैं, अतः: सभी कार्य स्नान करके शुद्ध होकर करने चाहिए।
#स्वच्छ
#करोना_वायरस #bathing #गद्य_कृति
नियम्य प्रयतो वाचं संवीताङ्गोऽवगुण्ठित:।
(मनुस्मृति 4/49)
नाक, मुंह तथा सिर को ढ़ककर, मौन रहकर मल मूत्र का त्याग करना चाहिए।
यन्मे मनसा वाचा कर्मणा वा दुष्कृतं कृतम्।
तन्म इंद्रो वरुणो बृहस्पतिस्सविता च पुनन्तु पुन: पुनरिति॥
(बौधायन. अध्याय 5, खंड 8, प्रश्न 2, श्लोक 3)