पिछली कुछ श्रृंखलाओं को आपने सराहा इसका हृदय से आभार।
इसी विचार में एक और, सामान्य बात लेकिन विस्तृत वर्णन|
श्री हनुमान जी को अष्ट सिद्धि नौ निधि का दाता कहा,
प्रायः सामान्य पूजा या अन्य श्लोक में भी आता है
क्या है ये अष्ट सिद्धि और कैसे श्री हनुमान ने इनका उपयोग किया
जब हनुमान जी ने लंका में प्रवेश किया तब -
'मसक समान रूप कपि धरी'
यहाँ मसक समान (मछर जैसा) ना की मसक का।
जब अशोकवन में छिप कर प्रतीक्षा करते है -
'तरु पल्लव् महुँ रहा लुकाई'
(पेड़ के पत्ते के पीछे छिपे)
आभार (मानस पीयूष, कल्याण हनुमानांक)
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