"मुझे आज भी याद है कि एक सैनिक ने कहा था, 'बहनजी मुझे जल्द से जल्द ठीक करो ताकि मैं देश के लिए फिर से बलिदान दे सकूं,'" यह कहना है 94 वर्षीय रमा खंडेलवाल का। 1/13
रमा बतातीं हैं कि फ़ौज के सभी सैनिकों को ज़मीन पर सोना होता था और वो फीका खाना खाते थे। फिर पूरा दिन ट्रेनिंग करते, वह भी बिना आराम किए। 3/13
नेताजी के इस कथन को सुन रमा की आँखे नम हो गईं और उनका मन हौसले से भर गया। 8/13
साल 1946 में वह दिल में देश की आज़ादी की तमन्ना लिए बॉम्बे(अब मुंबई) पहुंचीं थीं। 9/13
50 बरसों से भी ज्यादा समय तक बतौर टूरिस्ट गाइड काम करने वाली रमा को नेशनल टूरिज्म अवॉर्ड से नवाज़ा गया है। 10/13
सभी सुख सुविधाओं को त्यागकर देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने वाली रमा खंडेलवाल को द बेटर इंडिया नमन करता है!
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