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#चाणक्य
भाग १

यह धारावाहिक उस महापुरूष के जीवन, उनके विचारोंपे आधारित है, जिन्होंने #राष्ट्रहितसर्वोपरि विचार सर्वप्रथम रखा और #अखंडभारत को सशक्त एवं एकसंघ राष्ट्र बनाने का स्वप्न देखा!

इस धारावाहिक को मूर्तरूप देने वाले 'पागल' व्यक्ति का नाम है - डॉ.चंद्रप्रकाश द्विवेदी।

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चलिए देखते है #चाणक्य धारावाहिक से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य:

१) लेखक एवं निर्देशक डॉ.चंद्रप्रकाश द्विवेदीजी ने पूरे ५ साल एकाग्र चित्तसे अनुसंधान (research) करने के पश्चात इस धारावाहिक की निर्मिती की है। मराठी, गुजराथी, हिंदी, अंग्रेजी एवं अन्य भारतीय प्रादेशिक भाषा -

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में चाणक्य एवं उस कालखंड के उपर लिखित कई पुस्तकोंका आधार बनाकर द्वेवेदीजी ने अपना अनुसंधान किया है।

२) धारावाहिक का प्रत्यक्ष छायाचित्रण शुरू होने के पूर्व ही द्वेवेदीजी ने पहले ३३ भागोंका लेखन पूर्ण कर दिया था।

३) ३३ से आगे सभी भागोंका लेखन करने का दायित्व जिस -

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- लेखक पर सौंपा था, उस लेखक ने १ महीने पश्चात यह कहकर उस दायित्व का निर्वाहन नही किया, कि उसने लिखे भागों की द्वेवेदीजी ने लिखे ३३ भागों से तुलना होगी, और उसके लिए वह 'Professional Suicide' होगा ।

४) यह सुनकर द्वेवेदीजी जो कि इस धारावाहिक के अभिनेता एवं निर्देशक थे -

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उन्होंने ३४ से ४७ तक सभी भाग (episodes) छायाचित्रण के समय सेट पे लिखे।

५) जब #चाणक्य धारावाहिक का प्रस्ताव #दूरदर्शन को दिया गया था तो उसे प्रथम अस्वीकार कर दिया गया था।

६) उस समय अकबर, टीपू जैसे हिंदूओ का नरसंहार करनेवाले शासको के उपर धारावाहिक बन रहे थे, किंतु #चाणक्य-

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जैसे राष्ट्रपुरुष के लिए #दूरदर्शन ने मना कर दिया था।

७) लगभग २ साल तक द्विवेदीजीने #दूरदर्शन के साथ अपना पत्र व्यवहार जारी रखा। अपने हर २०-२५ पन्नोंवाले पत्र में द्विवेदीजी लिखते थे कि #चाणक्य करना क्यों आवश्यक है। लेकिन दूरदर्शन की तरफ से किसीभी पत्र का कोई उत्तर नही आया।
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८) जब द्वेवेदीजी के धैर्य का बांध टूट गया तब उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री स्व.राजीव गांधीजी को पत्र लिख कर इस विषय को उनके संज्ञान में लाया।
उस पत्र का असर यह हुवा की #दूरदर्शन ने द्विवेदीजी को एक पत्र भेजा जिसमें लिखा था की - "प्रधानमंत्री को लिखे पत्र के संदर्भ में आपको -
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यह सूचित किया जाता है कि #दूरदर्शन के निर्णायक मंडल का निर्णय अपरिवर्तनीय है।"

९) कुछ समय पश्चात १९८९ में दूरदर्शन ने द्विवेदीजी को पत्र लिख कर उनका प्रस्ताव पुनश्च भेजने को कहा।

१०) इस बार द्विवेदीजी ने अपने प्रस्ताव के साथ साथ पूरे अनुसंधान का पिटारा उनके सामने रख दिया।

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११) अंतः #चाणक्य के प्रति द्विवेदीजी का वह 'पागलपन' देख अचंबित हुवे #दूरदर्शन के वरिष्ठ अधिकारीयोंने उस धारावाहिक को स्वीकृती दे दी।

१२) १९८९ में #चाणक्य के पहले भाग (pilot) का चित्रीकरण करने की कूल लागत '१८ लाख रुपये' आयी, जो की आज के समय में भी बहुत जादा मानी जाती है।

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१३) #चाणक्य के पहले भाग के चित्रीकरण के लिए १८ दिनोंका कालावधी लगा था। जो कि अपने आप में एक विक्रम है।

क्रमशः...

इस धारावाहिक से जुड़े कुछ और दिलचस्प तथ्योंको जानने के लिए अगली ट्विट श्रुंखला को अवश्य पढ़ें।

सप्तसिंधु की संस्कृती की विजय निश्चित है !
माँ भारती की जय !
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