"महाराजा गंगा सिंह जी कलयुग के भागीरथ"
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
वर्ष 1899-1900 में राजस्थान में एक बदनाम अकाल पड़ा था...
विक्रम संवत १९५६ (1956) में ये अकाल पड़ने के कारण राजस्थान में इसे छप्पनिया-काळ कहा जाता है...
एक अनुमान के मुताबिक इस अकाल से राजस्थान में लगभग पौने-दो करोड़ लोगों की मृत्यु हो गयी थी...
पशु पक्षियों की तो कोई गिनती नहीं है...
लोगों ने खेजड़ी के वृक्ष की
छाल खा-खा के इस अकाल में जीवनयापन किया था...
यही कारण है कि राजस्थान के लोग अपनी बहियों (मारवाड़ी अथवा महाजनी बही-खातों) में पृष्ठ संख्या 56 को रिक्त छोड़ते हैं...
छप्पनिया-काळ की विभीषिका व तबाही के कारण राजस्थान में 56 की संख्या अशुभ मानी है....
इस दौर में बीकानेर रियासत के यशस्वी महाराजा थे...
गंगासिंह जी राठौड़(बीका राठौड़ अथवा बीकानेर रियासत के संस्थापक राव बीका के वंशज)....
अपने राज्य की प्रजा को अन्न व जल से तड़प-तड़प के मरता देख गंगासिंह जी का हृदय द्रवित हो उठा....
उन्होंने सोचा क्यों ना बीकानेर से पँजाब तक नहर बनवा के सतलुज से रेगिस्तान में पानी लाया जाए, ताकि मेरी प्रजा को किसानों को अकाल से राहत मिले...
नहर निर्माण के लिए गंगासिंह जी के प्रयास से एक अंग्रेज इंजीनियर आर जी कनेडी (पँजाब के तत्कालीन चीफ इंजीनियर) ने
वर्ष 1906 में इस सतलुज-वैली प्रोजेक्ट की रूपरेखा तैयार की...
लेकिन....
बीकानेर से पँजाब व बीच की देशी रियासतों ने अपने हिस्से का जल व नहर के लिए जमीन देने से मना कर दिया....
नहर निर्माण में रही-सही कसर कानूनी अड़चनें डाल के अंग्रेजों ने पूरी कर दी...
महाराजा गंगासिंह जी ने परिस्थितियों से हार नहीं मानी और इस नहर निर्माण के लिए अंग्रेजों से एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी और जीती भी...
बहावलपुर (वर्तमान पाकिस्तान) रियासत ने तो अपने हिस्से का पानी व अपनी ज़मीन देने से एकदम मना कर दिया...
महाराजा गंगासिंह जी ने जब कानूनी लड़ाई जीती तो वर्ष 1912 में पँजाब के तत्कालीन गवर्नर सर डैंजिल इबटसन की पहल पर दुबारा कैनाल योजना बनी...
लेकिन...
किस्मत एक बार फिर दगा दे गई...
इसी दरमियान प्रथम विश्वयुद्ध शुरू हो चुका था...
4 सितम्बर 1920 को बीकानेर बहावलपुर व पँजाब रियासतों में ऐतिहासिक सतलुज घाटी प्रोजेक्ट समझौता हुआ...
महाराजा गंगासिंह जी ने 1921 में गंगनहर की नींव रखी...
26 अक्टूम्बर 1927 को गंगनहर का निर्माण पूरा हुआ....
हुसैनवाला से शिवपुरी तक 129 किलोमीटर
लंबी ये उस वक़्त दुनियाँ की सबसे लंबी नहर थी...
गंगनहर के निर्माण में उस वक़्त कुल 8 करोड़ रुपये खर्च हुए...
गंगनहर से वर्तमान में 30 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है...
इतना ही नहीं...
वर्ष 1922 में महाराजा गंगासिंह जी ने बीकानेर में हाईकोर्ट की स्थापना की...
इस उच्च-न्यायालय में 1 मुख्य न्यायाधीश के अलावा 2 अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति भी की...
इस प्रकार बीकानेर देश में हाईकोर्ट की स्थापना करने वाली प्रथम रियासत बनी...
वर्ष 1913 में महाराजा गंगासिंह जी ने चुनी हुई जनप्रतिनिधि सभा का गठन किया... और बीकानेर रियासत के
कर्मचारियों के लिए एंडोमेंट एश्योरेंस स्कीम व जीवन बीमा योजना लागू की...
महाराजा गंगासिंह जी ने निजी बैंकों की सुविधाएं आम नागरिकों को भी मुहैय्या करवाई...
महाराजा गंगासिंह जी ने बाल-विवाह रोकने के लिए शारदा एक्ट कड़ाई से लागू किया....
महाराजा गंगासिंह जी ने बीकानेर शहर के परकोटे के बाहर गंगाशहर नगर की स्थापना की....
बीकानेर रियासत की इष्टदेवी माँ करणी में गंगासिंह जी की अपने पूर्व शासकों की भाँति अपार आस्था थी...
इन्होंने देशनोक धाम में माँ करणी के मंदिर का जीर्णोद्धार भी करवाया...
महाराजा गंगासिंह जी की सेना में गंगा-रिसाला नाम से ऊँटों का बेड़ा भी था...
इसी गंगा-रिसाला ऊँटों के बेड़े के साथ महाराजा गंगासिंह जी ने प्रथम व द्वितीय विश्वयुद्ध में अदम्य साहस शौर्य वीरता से युद्ध लड़े...
इन्हें ब्रिटिश हुकूमत द्वारा उस वक़्त सर्वोच्च सैन्य-सम्मान से भी
नवाजा गया...
गंगासिंह जी के ऊँटों का बेड़ा गंगा-रिसाला आज सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की शान है.... व देश सेवा में गंगा-रिसाला हर वक़्त मुस्तैद है....
(बीकानेर महाराजा करणीसिंह... निशानेबाजी में भारत के प्रथम अर्जुन पुरस्कार विजेता)...
(वर्तमान में करणीसिंह जी की पौत्री व बीकानेर राजकुमारी सिद्धि कुमारी जी (सिद्धि बाईसा) बीकानेर से भाजपा विधायक हैं)....
कहते हैं माँ गंगा को धरती पे राजा भागीरथ लाये थे इसलिए गंगा नदी को भागीरथी भी कहा जाता है...
21 वर्षों के लंबे संघर्ष और कानूनी लड़ाई के बाद
महाराजा गंगासिंह जी ने अकाल से जूझती बीकानेर/राजस्थान की जनता के लिए गंगनहर के रूप रेगिस्तान में जल गंगा बहा दी थी...
गंगनहर को रेगिस्तान की भागीरथी कहा जाता है...
इसलिए...
महाराजा गंगासिंह जी को मैं कलयुग का भागीरथ कहूँ तो इसमें अतिशयोक्ति नहीं होगी!!!!....
चित्र- गंगा नहर परियोजना की खुदाई के दुर्लभ चित्र उस समय ऊँटगाड़ी की सहायता से नहर खुदाई का कार्य सम्पन्न हुआ था। नमन है उन कामगारों को जिनकी मदद से आज वीरान राजस्थान हरा भरा हुआ है।
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh
कालिदास बोले :- माते पानी पिला दीजिए बड़ा पुण्य होगा.
स्त्री बोली :- बेटा मैं तुम्हें जानती नहीं. अपना परिचय दो।
मैं अवश्य पानी पिला दूंगी।
कालिदास ने कहा :- मैं पथिक हूँ, कृपया पानी पिला दें।
स्त्री बोली :- तुम पथिक कैसे हो सकते हो, पथिक तो केवल दो ही हैं सूर्य व चन्द्रमा, जो कभी रुकते नहीं हमेशा चलते रहते। तुम इनमें से कौन हो सत्य बताओ।
कालिदास ने कहा :- मैं मेहमान हूँ, कृपया पानी पिला दें।
स्त्री बोली :- तुम मेहमान कैसे हो सकते हो ? संसार में दो ही मेहमान हैं।
पहला धन और दूसरा यौवन। इन्हें जाने में समय नहीं लगता। सत्य बताओ कौन हो तुम ?
.
(अब तक के सारे तर्क से पराजित हताश तो हो ही चुके थे)
कालिदास बोले :- मैं सहनशील हूं। अब आप पानी पिला दें।
स्त्री ने कहा :- नहीं, सहनशील तो दो ही हैं। पहली, धरती जो पापी-पुण्यात्मा सबका बोझ सहती है।
तुलसी का काढ़ा पीने के फायदे
सर्दी, जुकाम और गले में खराश से जल्द राहत दिलाने के लिए तुलसी का काढ़ा पीने की सलाह दी जाती है.
बदलते मौसम में सर्दी-जुकाम से बचने के लिए जरूर पिएं तुलसी काढ़ा, जानिए आसान रेसिपी
किचन में मौजूद कुछ मसालों का इस्तेमाल करके तुलसी का काढ़ा तैयार किया जा सकता है. जानिए इसकी रेसिपी.
10-15 तुलसी के पत्ते 2-3 दालचीनी के छोटे टुकड़े 1-2 काली मिर्च
1 छोटा चम्मच सूखा धनिया
1 इंच अदरक का टुकड़ा
1 चम्मच मिश्री
सेंधा नमक (वैकल्पिक)
बनाने की विधि 1. एक पैन में पानी गर्म होने के लिए रख दें. 2. जब पानी उबलने लगे तो उसमें तुलसी के पत्ते, दालचीनी, काली मिर्च, सूखा धनिया, अदरक का टुकड़ा और मिश्री डालकर 15-20 मिनट तक उबाल लें.
थ्रेड....
मृत्यु होती ही रहती है, देह की । जिस देह में थे जो भोग था वह भोग रहे थे ।
फिर भोग से भागने की इच्छा हुई तो प्राणों का उत्सर्ग किया । लेकिन उससे क्या होगा भोले, प्रारब्ध भोगने फिर यहीं आओगे । अब एक ही बार भोग लो या बार-बार भोगो..
बीच में भागो और फिर से A B C D करते रहो...
जीवन की यही कथा है ।
कहीं पढ़ा था कि जीवन का आरम्भ रुदन से होता है और जीवन का अंत आपके आस पड़ोस के लोगों के रुदन से होता है , किन्तु आरम्भ और अंत के बीच का जीवन हास्य और रस से परिपूर्ण होना चाहिए ।
क्योंकि जो हम समझते हैं वह होता ही नहीं है । सूत से बनी शर्ट की भाँति है दुनिया.. शर्ट के तन्तु उधेड़ते जाईये, और फेंकते जाईये । कुछ बचता ही नहीं ! पुनः व्यवस्थित क्रम में देख लो तो परिधान के प्रति एक आकर्षण, मोह और रुचि उत्पन्न होती है ।
इसलिए अनेक विदेशी आक्रांताओं की नजर भारत की संपत्ति पर थी ।
✍ विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत को आकर लुटा तो है साथ में भारतीय सनातन संस्कृति को विकृत भी कर दिया और #हिंदुओं_का_कत्ल भी किया और #महिलाओं_के_साथ_बलात्कार भी किये और भारत के मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें भी
पिछले *4* सालों में *7* से *19* राज्यों में पैर पसारते *BJP* से सहमे हुए हैं!
ओड़िशा-बंगाल से तमिलनाडु तक की राजनीति में मोदी की धमक से डरे हैं! उन्हें मालूम है कि अगले दो सालों में अगर मोदी जी के विजयरथ को नहीं रोका गया, तो 2025 तक *RSS* - *विहिंप* - *HUV* जैसे हिन्दुवादी संगठनों के झंडे के नीचे, हिन्दू इतने शक्तिशाली हो जायेंगे
कि उन्हें दबाना नामुमकिन हो जायेगा!
उनके लिए तो अगला वर्ष अस्तित्व की लड़ाई के हैं!
हिन्दू वोट बैंक को क्षत - विक्षत करने का हर हथकंडा अपनाया गया! बरसों की जातिवादी और तुष्टिकरण की राजनीती को यूँ बर्बाद होते देखना उनके लिए असहनीय है!
कोविद ने ज़्यादातर लोगों के लंग्स और हार्ट को कमजोर कर दिया है। इन्फेक्शन अभी भी जारी है और एक बड़ी आबादी को इन्फेक्टेड होने का पता भी नहीं चला है।
सर्दियों में दो और बातें होती हैं – वायु प्रदूषण बढ़ जाता है और हार्ट फेल होने के मामले भी बढ़ जाते हैं। हार्ट फेल होने का एक कारण सर्दियों में लोगों का पानी कम पीना और चाय-कॉफी ज्यादा पीना भी है, इससे डिहाइड्रेशन हो जाता है और खून गाढ़ा और चिपचिपा हो जाता है।
इस साल चाय-कॉफी की जगह गरम पानी पिये।
शहरी वायु प्रदूषण का बड़ा कारण, जिसे हम अक्सर गिनते भी नहीं हैं – हमारी अपनी कार और सांस है। सांस लेना कम नहीं किया जा सकता है लेकिन कार के उपयोग को कम करने की कोशिश करनी चाहिए।