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पहचानिए इस हस्ती को, वृंदावन में करीब 54 एकड़ परिसर में साध्वी ऋतंभरा जी का 'वात्सल्य ग्राम' आश्रम है।
आश्रम के विशाल दरवाजे के बाईं ओर एक पालना है, जहां कोई भी व्यक्ति, किसी भी समय अनचहा या अनाथ शिशु को रखकर जा सकता है।
पालने में बच्चा छोड़कर जाने वाले व्यक्ति को आश्रम से संबंधित सदस्य किसी भी प्रकार का प्रश्‍न नहीं पूछता। पालने में कोई बच्चा रखते ही पालने पर लगा सेंसर आश्रम के व्यवस्थापन को इसकी सूचना देता है और आश्रम का कोई अधिकारी आकर उस बच्चे को आश्रम ले आता है।
आश्रम में प्रवेश होते ही वह बच्चा वात्सल्य ग्राम परिवार का सदस्य हो जाता है। अब वह वह अनाथ नहीं कहलाता, उसे आश्रम में ही माँ, मौसी, दादा-दादी; सब रिश्तेदार मिल जाते हैं !

इसके बाद सीबीएसई की पढ़ाई ....प्राकृतिक चिकत्सा .... योग..
मिलिट्री ट्रेनिंग सब देते हुए उसकी शादी तक करवाई जाती है ..

ये है हिंदुत्व का एक दर्शन ..🚩🙏

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27 Oct
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27 अक्तुबर

#बन्दा_बैरागी_जी का जन्म दिवस पर शत-शत नमन

बन्दा बैरागी का जन्म 27 अक्तूबर, 1670 को ग्राम तच्छल किला, पुंछ में श्री रामदेव के घर में हुआ। उनका बचपन का नाम लक्ष्मणदास था। युवावस्था में शिकार खेलते समय उन्होंने एक गर्भवती हिरणी पर तीर चला दिया। Image
इससे उसके पेट से एक शिशु निकला और तड़पकर वहीं मर गया। यह देखकर उनका मन खिन्न हो गया। उन्होंने अपना नाम माधोदास रख लिया और घर छोड़कर तीर्थयात्रा पर चल दिये। अनेक साधुओं से योग साधना सीखी और फिर नान्देड़ में कुटिया बनाकर रहने लगे।
इसी दौरान गुरु गोविन्दसिंह जी माधोदास की कुटिया में आये। उनके चारों पुत्र बलिदान हो चुके थे। उन्होंने इस कठिन समय में माधोदास से वैराग्य छोड़कर देश में व्याप्त मुस्लिम आतंक से जूझने को कहा।

इस भेंट से माधोदास का जीवन बदल गया। गुरुजी ने उसे बन्दा बहादुर नाम दिया। फिर पाँच तीर,
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26 Oct
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आज हम जिस दुनिया में रहते हैं ये मोटे तौर पर फ्रांस की ही बनाई हुई दुनिया है। लिबरलिज्म (असली वाला), मानवाधिकार, सेक्युलरिज्म (असली वाला), लेफ्ट-राइट, लोकतंत्र, समेत जिन नागरिक अधिकारों और आदर्शों को हम जानते हैं ये सब फ्रांस की महान क्रांति से ही दुनिया को मिले हैं।
फ्रांस की महान क्रांति जिसके चार्टर को विश्व के पहले लोकतांत्रिक देश अमेरिका ने अपने संविधान का आधार बनाया।

लेकिन पिछले कुछ दिनों इस्लामिक चरमपंथ का सामना कर रहा फ्रांस आज खुलकर इसके खिलाफ खड़ा है। अपनी महान विरासत, सेक्युलरिज्म या लिबरलिज्म के बोझ में फ्रांस दबा नहीं जा रहा
। जिस कार्टून की वजह से चार्ली हब्दों में आतंकी हमला हुआ या सैम्युल पैटी की जिस कारण हत्या हुई फ्रांस ने वो कार्टून अपने सरकारी बिल्डिंगों पर लगा दिये हैं।

वहां नाथूराम गोडसे, संघ या सावरकर को गाली देने के नाम पर चरमपंथ पाला नहीं जा रहा।
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25 Oct
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रावण का बखान (किसी को उसकी बहन बनना है तो किसी को पत्नी तो कोई उसकी विद्वता से मोहित है तो कोई उसके अजेय होने के दम्भ से)

आजकल की लाइफ लाइन सोशल मीडिया पर ऐसा ट्रेंड बहुत तेजी से चल पड़ा है। भावनाओं का ज्वार उफान पर है और कारण सिर्फ हिंदुओं के नामधारी सेक्युलरों की
हिंदुओं को अपमानित करने की नीच मानसिकता ही है।

बुद्धिजीवियों द्वारा महिमामंडन का कारण व गलतफहमी सुनिये...

....इसलिए कि उसने माता सीता को कभी छुआ नहीं ?

अरे भाई ! माता सीता को नहीं छूने का कारण उसकी भलमनसाहत नहीं, बल्कि कुबेर के पुत्र “नलकुबेर” द्वारा दिया गया श्राप था कि
यदि किसी स्त्री को उसकी इच्छा विरुद्ध छुआ, तो उसके सिर के टुकड़े-टुकड़े हो जायेंगे।

....इसलिए कि अपनी बहन के अपमान के लिये पूरा कुल दाँव पर लगा दिया? जी हाँ ! ... ये भी ठीक।

नए बुद्धिजीवी लोग ये कहानी सुनाने बैठ जाते हैं कि एक माँ अपनी बेटी से ये पूछती है
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23 Oct
स्कंदगुप्त... गौरवशाली इतिहास जो छुपाया गया...

थ्रेड... अवश्य पढ़ें

दुनियाँ उन्हें पुकारती थी......

#हूण

"""""""""" " The wrath of God " """""""""""""""

"""""""""""""" "खुदा का कहर " """"""""""""""""""'

भारत

455 ई.....
भारत अपने " स्वर्ण युग के वैभव " का आनंद उठा रहा था। पर शेष विश्व ?...

शेष विश्व उस समय आतंक से थरथरा रहा था ....

-----

वे अपने नमदे के तंबुओं के चलते फिरते शहर 'ओरदुओं में रहते थे।

वे दुश्मन की खोपडियाँ अपने तंबू में ट्रॉफियों की तरह सजाते थे।

वे
घोडी के दूध से बनी शराब 'कूमिस' अपने दुश्मन की खोपड़ी में पीते थे।

वे आतताइयों के जिंदगी को कीडे मकोडे से ज्यादा कुछ नहीं समझते थे।

वे अपने घोड़ों पर ही सोते जागते हुए जहाँ से भी गुजरते खून की नदियाँ बह निकलतीं थीं और आग का समंदर लहराने लगता था।
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22 Oct
थ्रेड... Must read

कल अफगानिस्तान के जलालाबाद में पाकिस्तान का वीजा लेने के लिए अफगानी लोग स्टेडियम में जुटे थे भगदड़ मच गई और 12 लोगों की दबकर मौत हो गई

दरअसल अफगानिस्तान के लोग अपनी रोजमर्रा की खरीदी के लिए पाकिस्तान का वीजा लेते हैं
पाकिस्तान उन्हें 3 महीने का मल्टीपल एंट्री वीजा देता है और अफगानिस्तान के लोग अपनी छोटी से छोटी चीजों की खरीदारी के लिए भी पाकिस्तान पर निर्भर है क्योंकि लाखों अफगानी पाकिस्तान का वीजा लेते हैं इसलिए पाकिस्तान एक बड़े से स्टेडियम में वीजा कैंप लगाता है
1986 तक अफगानिस्तान एशिया के सबसे ज्यादा विकास करता हुआ देश था, बेहद आधुनिक था बॉलीवुड की तमाम फिल्मों की शूटिंग अफगानिस्तान में होती थी जिसमें अंतिम फिल्म अमिताभ बच्चन और श्रीदेवी की खुदा गवाह है जो अफगानिस्तान में शूट की गई थी
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22 Oct
थ्रेड...

कमर दर्द , सरवाइकल और चारपाई हमारे पूर्वज बैज्ञानिक थे।
सोने के लिए खाट हमारे पूर्वजों की सर्वोत्तम खोज है। हमारे पूर्वजों को क्या लकड़ी को चीरना नहीं जानते थे ? वे भी लकड़ी चीरकर उसकी पट्टियाँ बनाकर डबल बेड बना सकते थे।
डबल बेड बनाना कोई रॉकेट साइंस नहीं है। लकड़ी की पट्टियों में कीलें ही ठोंकनी होती हैं। चारपाई भी भले कोई साइंस नहीं है , लेकिन एक समझदारी है कि कैसे शरीर को अधिक आराम मिल सके। चारपाई बनाना एक कला है। उसे रस्सी से बुनना पड़ता है और उसमें दिमाग और श्रम लगता है।
जब हम सोते हैं , तब सिर और पांव के मुकाबले पेट को अधिक खून की जरूरत होती है ; क्योंकि रात हो या दोपहर में लोग अक्सर खाने के बाद ही सोते हैं। पेट को पाचनक्रिया के लिए अधिक खून की जरूरत होती है। इसलिए सोते समय चारपाई की जोली ही इस स्वास्थ का लाभ पहुंचा सकती है।
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