थ्रेड...
भयानक गृहयुद्ध की आहट !!
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जंगल में जो हाल हिरन का होता है लकड़बग्घे भेड़िए पागल कुत्ते सभी उसके मांस के लोभ में उसके पीछे पड़े रहते हैं वह सबसे सरल शिकार होता है.
वही हाल भारत में हिंदुओं का है जिहादी हो या फिर मिशनरियों या फिर मनोरोगी बन चुके अंबेडकरवादी पेरियारवादी हो यह VCK के नाम का तमिलनाडु की एक क्षेत्रीय पार्टी है जो पेरियार को फॉलो करती है उसका बयान देखिए इसने संपूर्ण हिंदू महिलाओं को खुलेआम वैश्या बोल दियाइसके ऊपर कोई
कार्यवाही नहीं हुई.
इसके समर्थक का पोस्ट किया फोटो देखिए एक हिंदू साधु की शिखा जिस तरह जानवरों को रस्सी से बांधा जाता है उसे डंडे से बांधा गया है और उसके पैर को जंजीर में जकड़ गया है.
जिस प्रकार भारत में हम लोग स्वास्थ्य समस्याओं को अंतिम समय तक इग्नोर करते हैं भयानक से भयानक बीमारी का पेन किलर से इलाज करते हैं अंत में वह बीमारी में और अंदर तक धसते चले जाते हैं.
उसी प्रकार भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े बहुत सारे विषय जो दिखता है
कि भारत के लिए चुनौती बन रहा है उसे इग्नोर करते चलते हैं भिंडरावाले के उदय के पहले ही दिखने लगा था कि पंजाब की स्थिति गंभीर हो रहा है लेकिन भिंडरावाले को इग्नोर किया गया और अंत में वह नासूर बन गया.
1990 में कश्मीरी पंडितों के पलायन के बहुत पहले से ही कश्मीर में स्थिति गंभीर
हो रही थी श्रीनगर के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच आयोजित किया गया था पूरा स्टेडियम से भारत विरोधी नारे लग रहे थे 80 के दशक से कश्मीर समस्या को इग्नोर करते चल रहे थे अंत में समस्या इग्नोर करने के कारण कश्मीरी हिंदुओं को अपना जान गंवाना पड़ा
असम में उल्फा के नासूर बनने से बहुत
पहले से ही हिंदी भाषियों को टारगेट किया जाने लगा था असम गृह युद्ध के कगार पर जाने लगा था मारवाड़ियों की दुकानें लूटी जा रही थी लेकिन भारत में समस्या को इग्नोर किया गया.
जिस प्रकार खालिस्तान कश्मीर असम की समस्या को इग्नोर किया गया उसी प्रकार इस समय अंबेडकरवादी समस्याओं को इग्नोर
किया जा रहा है कश्मीर असम और खालिस्तान तो बस पूरे भारत को चपेट में नहीं लिए थे क्षेत्र विशेष में लेकिन अंबेडकरवादी के नाम पर जो मनोरोग बढ़ रहा है यह पूरे भारत को चपेट में लेगा जैसे 1947 में मे हुआ था वैसे ही स्थिति की ओर बढ़ रहा है भारत.
तमिलनाडु में खड़े होकर इसके द्वारा खुलेआम हिंदू महिलाओं को वेश्या बोला जाना हो या हजारों किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश में सहारनपुर में महाराणा प्रताप की रैली को रोककर महाराणा प्रताप के खिलाफ अपशब्दों की बौछार हो या फिर अभी कुछ समय पहले पालघर में साधुओं की हत्या हो
सब कुछ स्पष्ट आंखों से दिख रहा है कि भारत एक भयानक गृह युद्ध की ओर बढ़ रहा है लेकिन फिर से वही कार्य करेंगे जो अब तक करते आए हैं समस्या को इग्नोर करेंगे या फिर बहुत होगा तो तुष्टीकरण वाले पेन किलर से इलाज करेंगे
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अक्सर जब हम मंदिर जाते है तो पंडित जी हमें भगवान का चरणामृत देते है.
क्या कभी हमने ये जानने की कोशिश की. कि चरणामृतका क्या महत्व है.
शास्त्रों में कहा गया है
अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्।
विष्णो: पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते ।।
"अर्थात भगवान विष्णु के चरण का अमृत रूपी जल समस्त पाप-व्याधियोंका शमन करने वाला है तथा औषधी के समान है।
जो चरणामृत पीता है उसका पुनः जन्म नहीं होता" जल तब तक जल ही रहता है जब तक भगवान के चरणों से नहीं लगता,
जैसे ही भगवान के चरणों से लगा तो अमृत रूप हो गया और चरणामृत बन जाता है.
जब भगवान का वामन अवतार हुआ, और वे राजा बलि की यज्ञ शाला में दान लेने गए तब उन्होंने
तीन पग में तीन लोक नाप लिए जब उन्होंने पहले पग में नीचे के लोक नाप लिए और दूसरे में ऊपर के लोक नापने लगे तो जैसे ही ब्रह्म लोक में उनका चरण गया तो ब्रह्मा जी ने अपने
कमंडलु में से जल लेकर भगवान
अक्सर जब हम मंदिर जाते है तो पंडित जी हमें भगवान का चरणामृत देते है.
क्या कभी हमने ये जानने की कोशिश की. कि चरणामृतका क्या महत्व है.
शास्त्रों में कहा गया है
अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्।
विष्णो: पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते ।।
"अर्थात भगवान विष्णु के चरण का अमृत रूपी जल समस्त पाप-व्याधियोंका शमन करने वाला है तथा औषधी के समान है।
जो चरणामृत पीता है उसका पुनः जन्म नहीं होता" जल तब तक जल ही रहता है जब तक भगवान के चरणों से नहीं लगता,
जैसे ही भगवान के चरणों से लगा तो अमृत रूप हो गया और चरणामृत बन जाता है.
जब भगवान का वामन अवतार हुआ, और वे राजा बलि की यज्ञ शाला में दान लेने गए तब उन्होंने
तीन पग में तीन लोक नाप लिए जब उन्होंने पहले पग में नीचे के लोक नाप लिए और दूसरे में ऊपर के लोक नापने लगे तो जैसे ही ब्रह्म लोक में उनका चरण गया तो ब्रह्मा जी ने अपने
कमंडलु में से जल लेकर
बन्दा बैरागी का जन्म 27 अक्तूबर, 1670 को ग्राम तच्छल किला, पुंछ में श्री रामदेव के घर में हुआ। उनका बचपन का नाम लक्ष्मणदास था। युवावस्था में शिकार खेलते समय उन्होंने एक गर्भवती हिरणी पर तीर चला दिया।
इससे उसके पेट से एक शिशु निकला और तड़पकर वहीं मर गया। यह देखकर उनका मन खिन्न हो गया। उन्होंने अपना नाम माधोदास रख लिया और घर छोड़कर तीर्थयात्रा पर चल दिये। अनेक साधुओं से योग साधना सीखी और फिर नान्देड़ में कुटिया बनाकर रहने लगे।
इसी दौरान गुरु गोविन्दसिंह जी माधोदास की कुटिया में आये। उनके चारों पुत्र बलिदान हो चुके थे। उन्होंने इस कठिन समय में माधोदास से वैराग्य छोड़कर देश में व्याप्त मुस्लिम आतंक से जूझने को कहा।
इस भेंट से माधोदास का जीवन बदल गया। गुरुजी ने उसे बन्दा बहादुर नाम दिया। फिर पाँच तीर,
पहचानिए इस हस्ती को, वृंदावन में करीब 54 एकड़ परिसर में साध्वी ऋतंभरा जी का 'वात्सल्य ग्राम' आश्रम है।
आश्रम के विशाल दरवाजे के बाईं ओर एक पालना है, जहां कोई भी व्यक्ति, किसी भी समय अनचहा या अनाथ शिशु को रखकर जा सकता है।
पालने में बच्चा छोड़कर जाने वाले व्यक्ति को आश्रम से संबंधित सदस्य किसी भी प्रकार का प्रश्न नहीं पूछता। पालने में कोई बच्चा रखते ही पालने पर लगा सेंसर आश्रम के व्यवस्थापन को इसकी सूचना देता है और आश्रम का कोई अधिकारी आकर उस बच्चे को आश्रम ले आता है।
आश्रम में प्रवेश होते ही वह बच्चा वात्सल्य ग्राम परिवार का सदस्य हो जाता है। अब वह वह अनाथ नहीं कहलाता, उसे आश्रम में ही माँ, मौसी, दादा-दादी; सब रिश्तेदार मिल जाते हैं !
इसके बाद सीबीएसई की पढ़ाई ....प्राकृतिक चिकत्सा .... योग..
आज हम जिस दुनिया में रहते हैं ये मोटे तौर पर फ्रांस की ही बनाई हुई दुनिया है। लिबरलिज्म (असली वाला), मानवाधिकार, सेक्युलरिज्म (असली वाला), लेफ्ट-राइट, लोकतंत्र, समेत जिन नागरिक अधिकारों और आदर्शों को हम जानते हैं ये सब फ्रांस की महान क्रांति से ही दुनिया को मिले हैं।
फ्रांस की महान क्रांति जिसके चार्टर को विश्व के पहले लोकतांत्रिक देश अमेरिका ने अपने संविधान का आधार बनाया।
लेकिन पिछले कुछ दिनों इस्लामिक चरमपंथ का सामना कर रहा फ्रांस आज खुलकर इसके खिलाफ खड़ा है। अपनी महान विरासत, सेक्युलरिज्म या लिबरलिज्म के बोझ में फ्रांस दबा नहीं जा रहा
। जिस कार्टून की वजह से चार्ली हब्दों में आतंकी हमला हुआ या सैम्युल पैटी की जिस कारण हत्या हुई फ्रांस ने वो कार्टून अपने सरकारी बिल्डिंगों पर लगा दिये हैं।
वहां नाथूराम गोडसे, संघ या सावरकर को गाली देने के नाम पर चरमपंथ पाला नहीं जा रहा।