Dear @meenaharris , Your claim of being Hindu is false and irreligious. According to Agama, Smritis and Shastras you have to have a caste to be a Hindu. Your grand father, father and husband all are black. Like MLK, you are “untouchable.” Don’t interfere in our internal matters.
Caste is endogenous & hereditary transmitted. You just can’t acquire a caste. You born in it. It’s based on patriarchal linage. We are not interested in your grand mother’s caste. That’s inconsequential. As we can’t place you in any caste groups, hence you are not Hindu. Period.
Sorry for the typo. It’s *endogamous. My apologies.
Castelessness or caste blindness claimed by Indian diaspora, most of them are from upper castes, that “I don’t believe in caste” is a privilege. Having encashed their social & cultural capital into educational & other attainments; now conveniently saying that caste is past.
What is Hinduism without caste. Indians have exported caste to the US. Prophecy of Dr Ambedkar is coming true. “Hindus...are the sick men of India, and that their sickness is causing danger to the health and happiness of others...”
Martin Luther King Jr. was called “untouchable” in India. Indians love to see everything through the prism of caste. One can read that in his autobiography. Chapter- 13. “Yes, I am an untouchable, and every Negro in the United States of America is an untouchable."
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भारत के टेस्ट क्रिकेट इतिहास का सबसे अच्छा एवरेज आज भी विनोद कांबली के नाम है। लेकिन एक ख़राब फ़ॉर्म के बाद उसे मौक़ा नहीं मिला। 17 मैच खेले और ज़िंदगी भर के लिए आउट। सचिन की ज़िंदगी में नौ ऐसे मौक़े आए जब वह बुरी तरह आउट ऑफ़ फ़ॉर्म हुआ और हर बार उसे मौक़ा मिला। मेरिट का मिथ
मनुस्मृति के मुताबिक मेरिट क्या है?
एक के बाद 21 फिल्मों में पापा ली़ड रोल दिलाएँ और सभी फिल्म फ्लॉप होने के बाद भी 22वीं फिल्म मिले, तब जाकर पहली और आखिरी सफलता मिले और फिर कई असफल फिल्मों के बाद धूम सिरीज का मनरेगा मिले, तो इसे ही शास्त्रों में मेरिट कहा गया है.
अर्जुन तेंदुलकर को भी उसके पापा क्रिकेट का मनरेगा दिला रहे हैं। कई बार फेल होगा, लेकिन मौक़ा मिलता रहेगा। कितना भी गधा हो, कभी तो कुछ कर ही लेगा।
केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव है। स्थगित हो चुके कृषि क़ानूनों को दो साल तक सिर्फ़ बिहार में सख़्ती से लागू किया जाए। विरोध करने वालों की हड्डियाँ चटका दी जाएँ। दो साल बाद जब बाक़ी किसान देखेंगे कि बिहार के किसान मालामाल हो गए हैं तो वे क़ानून को खुद ही लागू कर लेंगे!
ठीक है?
बिहार की खेती को दो साल के लिए अडाणी भाई और अंबानी भाई को सौंप दिया जाए। सरकार उनके लिए लठैत की भूमिका निभाए। नए क़ानून के तहत कॉरपोरेट घराने दो साल में बिहार के किसानों को मालामाल करके दिखाएं। बाक़ी देश का किसान तो अपने आप राज़ी हो जाएगा।
बिहार का किसान देश में सबसे गरीब है। उसे ठोक-पीटकर अमीर बनाने का इससे अच्छा मौक़ा नहीं मिलेगा। किसान क़ानून के माध्यम से उन्हें ज़बर्दस्ती अमीर बनाया जाए। अडानी और अंबानी ये कर सकते हैं। सरकार डंडे की ताक़त से बिहारियों को अमीर बनाए।