क्या हम कभी सच जान पाएंगे..?

#कश्मीर..

@sheshapatangi1
आइए आज बात करते हैं श्री रामचन्द्र काक की जो 1945 से 1947 तक कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे।

Image
एक कश्मीरी पंडित होने के नाते रामचन्द्र जी अच्छी तरह जानते थे किस प्रकार सूफी समाज ने कश्मीरी संस्कृति और रिवाजों का ह्रास किया और उन्होंने महाराजा हरी सिँह से परिग्रहण संधि पर हस्ताक्षर करने से पहले कुछ वर्ष रुक कर निर्णय लेने को कहा..
आखिर क्यों वे ऐसा नहीं चाहते थे?
उन्हें सरदार पटेल के अतिरिक्त किसी अन्य पर विश्वास नहीं था और सरदार पटेल ने महात्मा गाँधी के प्रभाव में आ कर काक को एक किनारे कर दिया था..
शेख अब्दुल्ला द्वारा 1946 में मोहम्मद अली जिन्ना के Direct Action Day के आह्वान को दिए गए समर्थन और उसके परिणामस्वरूप पंजाब और बंगाल में हुए हिंदूओं के संहार ने कश्मीर को भी प्रभावित किया।
जिसने भी अब्दुल्ला का नेतृत्व स्वीकार नहीं किया उसे अब्दुल्ला के गुंडों द्वारा डराया गया।
1946 में शेख अब्दुल्ला ने कश्मीर छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की।
15मई के दिन अब्दुल्ला को हिरासत में लिया गया।
नेहरू अब्दुल्ला का बचाव करने आए तो काक ने उन्हें 22जून को गिरफ्तार कर लिया।
नेहरू ये बात कभी नहीं भूले और काक को सदैव मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
काक ने अंतरिम गृह मंत्री सरदार पटेल से मिलने का प्रयास किया कि संभवतया वे स्थिति समझ सकें।
किंतु गाँधी के निष्ठावान अनुयायी होने के कारण पटेल ने मिलने से पहले अब्दुल्ला की रिहाई की मांग की जिसे काक ने अस्वीकार कर दिया।
कश्मीर का पाकिस्तान में विलय महाराजा को समझ नहीं आ रहा था।
काक का मानना था कि यदि कश्मीर पाकिस्तान में नहीं मिलता तो उसे भारत में भी मिलना नहीं चाहिए।
उन्होंने महाराजा को परामर्श दिया कि कश्मीर को कम से कम एक वर्ष स्वतंत्र रहना चाहिए।
जब जिन्ना ने कश्मीर के लिए बेहतर प्रस्ताव रखने की बात कही तब भी काक ने यही उत्तर दिया।
इसके कुछ ही सप्ताह बाद 11अगस्त को काक मंत्री पद से हटा दिये गए।
ध्यान रहे कि 1अगस्त को गाँधी कश्मीर गए और हरि सिँह पर दबाव डाला।
कश्मीर में भारत का पूर्ण विलय भारत को अफगानिस्तान,मध्यपूर्व और एशिया के बाकी हिस्सों के साथ अफ्रीका से भी सीधे जोड़ता।अंग्रेज ऐसा नहीं चाहते थे।
उन्हें डर था कि रूस नव स्वतंत्र देश भारत से मैत्री कर सामरिक महत्व के जल और थल मार्गों पर अधिकार कर लेगा।
शेख अब्दुल्ला का समर्थन कर गाँधी और नेहरू ने अँग्रेजों की हाँ में हाँ ही मिलाई।
1947 के बाद काक गुमनामी के अँधेरे में खो गए।
उन का निधन 10 फरवरी 1983 को हुआ।
कोई नहीं जानता कि 1947 से 1983 के बीच 36 सालों में क्या हुआ और जो जानते हैं उन्होंने कभी नहीं बताया।

आखिर क्या हुआ होगा?
जानने का प्रयास करें।

बस इतना ही..🙏
@sheshapatangi1 Image
त्रुटि सुधार.. रामचंद्र काक कश्मीर के प्रधानमंत्री थे।
🙏

• • •

Missing some Tweet in this thread? You can try to force a refresh
 

Keep Current with अक्षिणी.. 🇮🇳

अक्षिणी.. 🇮🇳 Profile picture

Stay in touch and get notified when new unrolls are available from this author!

Read all threads

This Thread may be Removed Anytime!

PDF

Twitter may remove this content at anytime! Save it as PDF for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video
  1. Follow @ThreadReaderApp to mention us!

  2. From a Twitter thread mention us with a keyword "unroll"
@threadreaderapp unroll

Practice here first or read more on our help page!

More from @Akshinii

13 Feb
न्यूनतम समर्थन मूल्य की बात करें?
कैसे चलता है नकली किसानों का गोरखधंधा?
कैसे लगाते हैं वो देश की अर्थव्यवस्था को चूना..?

आइए सीधे शब्दों में समझने का प्रयास करते हैं..
तो शुरुआत से शुरू करते हैं..
एक किसान 70 रुपये की अपनी उपज
80 रुपये में एक नकली किसान को बेचता है..नकद..बिना किसी आय कर के..
नकली किसान 80 रुपये की ये खरीद
सरकार को 100 रुपये में बेचता है..
आय कर विभाग के लिए कोई गुंजाइश नहीं यहाँ ..
किसने कितना कमाया..कोई हिसाब नहीं..
नया कृषि कानून खरीदने और बेचने वाले दोनों से आधार और PAN नम्बर की अनिवार्यता चाहता है जो नकली किसानों यानि दलालों के लिए परेशानी वाली बात होगी..
Read 13 tweets
30 Jan
सप्तॠषि वैदिक काल के सबसे महान ऋषि माने जाते हैं। अपनी योग और प्रायश्चित की शक्ति से उन्होंने बहुत लंबी आयु अर्थात् लगभग अमरत्व की सिद्धि प्राप्त की..।
सप्त ऋषियों को चारों युग में मानव प्रजाति के मार्गदर्शन का कार्य सौंपा गया ।वे आदि योगी शिव के सहयोग से पृथ्वी पर संतुलन बनाये रखते हैं..
Read 31 tweets
27 Nov 20
आठवीं सदी की कहानी है.
बप्पा रावल के रणबाँकुरे लाम पे निकलते थे मुँह अँधेरे,
तलवार के धनी आटे की लोईयां सुबह रेत में दबाते,शाम तक जब लौट के आते,गर्म रेत में दबी लोईयां निकालते, फोड़ कर छाछ दूध संग खाते..
बस यही थी बाटी की शुरुआत..
सौंधा रहा होगा ना रेत में सिंकी बाटी का वो स्वाद?
एक बार गलती से बाटियों में गन्ने का रस गिर गया..
रेगिस्तान के लोग खाने को फेंकने की सोच भी नहीं सकते..वैसे ही चूर कर खाई गईं और जन्म हुआ बाटियों के साथी चूरमे का..
कालांतर में बाटी की मुलाकात दाल से हुई..आगे तो आप जानते ही हैं..
दाल बाटी चूरमा, जो खाए वो सूरमा..
बाटी राजस्थान के साथ-साथ मालवा क्षेत्र का भी लोकप्रिय व्यंजन है..
राजस्थान में इसे उड़द की छिलके वाली दाल या उड़द मोगर के साथ बनाया जाता है तो मालवा में अरहर की दाल के साथ किंतु सबसे अधिक पसंद की जाती है पंचमेल दाल जिसमें पाँच प्रकार की दालें मिला कर पकाई जाती हैं..
Read 13 tweets
9 Nov 20
पंचकुला में एक चौदह साल की लड़की..टेनिस की प्रतिभाशाली खिलाड़ी .. और एक पुलिस महानिरीक्षक..
टेनिस कोई वास्ता न होते हुए भी राज्य टेनिस एसोसिएशन के अध्यक्ष बन बैठे।
फिर सरकारी जमीन पर कब्ज़ा कर अपना टेनिस कोर्ट बनाया।
समरथ को नहीं दोष गोसाईं..
एक दिन उस चौदह वर्षीय खिलाड़ी लड़की के पिता से बोले कि उसमें प्रतिभा है पर विशेष प्रशिक्षण चाहिए..
अगले दिन लड़की अपनी एक सहेली के साथ टेनिस के विशेष प्रशिक्षण के लिए अधिकारी महोदय के टेनिस कोर्ट पहुँची।
Read 13 tweets
9 Nov 20
This looks like a vicious circle..
@BajajHousing..
Why does it take 15 days for you to issue a revised fore closure letter..?
None of your customer help lines receive calls..neither does your executives cooperate..
The request was raised on Nov 2nd after you executives refused to receive the cheque payment ..Which was acknowledged on 4th of Nov..
It takes 2 working days for you to acknowledge a request..
@BajajHousing
Read 7 tweets
9 Oct 20
दुर्गा भाभी..
अद्वितीय देशभक्ति की एक अनूठी मिसाल..@Sheshapatangi
नारी शक्ति का पर्याय दुर्गा भाभी जो जतिन्द्र नाथ दास की पार्थिव देह के साथ लाहौर से कलकत्ता आईं..जतीन्द्र नाथ जिनकी मृत्यु लाहौर कारागार में लगातार 63 दिनों के अनशन के कारण हुई,पूरे रास्ते लोग स्वतंत्रता के इस दीवाने को श्रृद्धांजलि देने के लिए जुड़ते रहे.
वे अपने घर में अकेली थी,उनके पति श्री भगवती चरण वोहरा 17/12/1928 को आयोजित काँग्रेस अधिवेशन में भाग लेने के लिए कलकत्ता गए थे..
लाला लाजपतराय की मृत्यु के लिए उत्तरदायी अंग्रेज पुलिस अधिकारी जाॅन सांडर्स मारा गया था और अंग्रेजी सरकार ने लाहौर में कड़ी पाबंदियां लगाई हुई थी।
Read 18 tweets

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3/month or $30/year) and get exclusive features!

Become Premium

Too expensive? Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal Become our Patreon

Thank you for your support!

Follow Us on Twitter!