बंगाल में कांग्रेस और ममता का 'सेल्फ गोल'
टागोर की कुर्सी पर बैठे नेहरू और राजीव... आरोप लगा दिया अमित शाह पर
कल संसद में कांग्रेस और टीएमसी के सांसदों की बहुत जमकर फजीहत हुई है
फजीहत की वजह है लोकसभा में कांग्रेस के संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी
अधीर रंजन चौधरी ने 8 फरवरी को अपने एक बयान में कहा था कि अमित शाह बंगाल के दौरे के दौरान शांति निकेतन में मौजूद रवींद्रनाथ टागोर की कुर्सी पर बैठ गए
बंगाल की संस्कृति और परंपरा के मुताबिक रवींद्रनाथ टागोर की कुर्सी पर बैठना उनका अपमान करने के जैसा है
INC के इन आरोपों के बाद TMC ने भी अमित शाह के खिलाफ जमकर प्रचार किया और चुनावी लाभ लेने की कोशिश की
लेकिन 9 फरवरी को अमित शाह ने संसद में ना सिर्फ इससे इनकार किया बल्कि शांति निकेतन के वाइस चांसलर का पत्र भी दिखाया जिसमें ये कहा गया था कि अमित शाह उस कुर्सी पर बैठे थे जहां
कोई भी बैठ सकता है
अमित शाह ने पंडित नेहरू और राजीव गांधी की वो तस्वीरें भी शेयर की जिसमें दोनों नेता रवींद्रनाथ टागोर की कुर्सी पर बैठे हुए हैं
यानी बंगाल चुनाव के पहले कांग्रेस और टीएमसी का इतना बड़ा झूठ पकड़ा गया है जो उनके लिए फजीहत के साथ साथ पराजय की वजह भी बन सकता है
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@anujdhar राम राम साहेब
नेताजी सुभाषचंद्र बोस महान सेनानी के बारे मे आपने जो भी कार्य किया है और करते है वो सराहनीय है।
इस विषय मे किसी ना किसी को पहल करनी ही थी
आप ने की इसीलिये मै आप का तहे दिल से शुक्रगुजार हू।आनेवाले समय मे तमाम भारतीय जनता आपको याद रखेगी
लेकिन आप के 1 विडिओ
मे मैने 1 बात नोटीस की वो ही मुझे हजम नही हुयी और नाही होगी
फिर भी
आपने कहा की ये सरकार mkg को कल्की अवतार भी घोषित करेगी
इसलीये मै ये कहता हू आपको
मोदी के संसद के भाषण को पूरा विश्व देखता है और बड़े गौर से सुनता है..यहाँ तक कि मोदीविरोधी भी मोदी के भाषण को कान लगाकर सुनते हैं.
ये बात मोदी स्वयं बहुत अच्छी तरह से जानते हैं, इसलिए जब भी मोदी संसद में बोलते हैं तो अपने हिन्दू राष्ट्र के लक्ष्यों को साधने वाले शब्दबाणों को जरूर चलाते हैं जिससे वैश्विक पटल पर एकाएक गहन चर्चा जन्म ले लेती है.
कुछ इसी प्रकार के शब्दबाणों को कुछ दिन पहले मोदीजी ने
सब जानते है के इतिहास अपने आप को दोहराता है
वर्तमान परिस्थितीया ऐसे बन रही है के समझ मे साफ साफ आ रहा है के इतिहास लौट के आयेगा
1975 आपातकाल के वक्त अपनी कुर्सी बचाने के लिये INC ने आपातकाल देश पर थोप दिया।
कानून को तोडमरोड कर सारे विपक्षी नेताओ को और अन्य समाजसेवको को
19 महिने जेलो मे ठुस दिया। वो सब किया धरा INC का था
विपक्षी नेताओ को जेलो मे ठुस कर बिना संसदीय बहस के संविधान मे अनगिनत संशोधन किये
उसमे से 1 गैरसंवैधानिक संशोधन था भारत को संवैधानिक रूप से सेक्युलर घोषित करना
45 साल पहलेवाला वो इतिहास अपने आप को
देशहित के लिये कानूनन दोहरायेगा
तेच मी ही म्हटलं
बोलायचं म्हटलं तर खूप आहे
आणि मी अगोदरच्या ट्विट ला बोललोय की
काकू तुम्ही चिखलात उभ्या राहून बाहेर दगड मारताय
मी न बोलण्याचे कारण हेच आहे की
कशाला आणि काय म्हणून चिखलात दगड मारायचा
संपूर्ण देश जाणतो की मोदी ही व्यक्ती निस्पृह व निस्वार्थी संन्यस्त जीवन जगते
12 वर्षे CM आणि आताची 7 वर्षे देशाचा PM असलेल्या माणसाचे स्वतःचे घर तसेच त्या माणसाचे नातेवाईक व त्यांची आर्थिक स्थिती बघितल्यावर कल्पना येते की देश सुरक्षित हातात आहे
ह्या चिखलकर काकू ना ही त्याची कल्पना नक्कीच आहे
तरीही गुलामी इतकी नसानसात भिनलीय की
मालकाचे लक्ष आपल्याकडे गेले
पाहिजे व काहीतरी घबाड आपल्याला मिळाले पाहिजे ह्या लालसेने अशी वाक्ये लिहिली जातात त्यांना हे ही माहितीय की
केजरीवाल ने दिल्ली निवडणूक प्रचार करताना मोदींविरोधात एक चकार शब्द काढला नाही
तेजस्वी यादव ने ही बिहार निवडणूक प्रचार करताना वाह्यात अक्षर ही काढलेले नाही
आणि म्हणूनच RJD
आता बऱ्याच बाबी खूप दिसायला क्लिष्ट वाटतील
पण बऱ्याच सोप्या झाल्यात
CAA व हे तथाकथित शेतकरी आंदोलन
ह्या दोन्ही आंदोलनाचा फज्जा उडाला असे कोणीही म्हणूच नये
हा फज्जा उडवण्यात आलाय
आणि ह्यातून कितीतरी आंतरराष्ट्रीय संबंध उघडे करण्यात आले आहेत
आणि हे सर्व फक्त आणि फक्त मोदीजी मुळेच
शक्य झालेले आहे
थोडा वेगळ्या कोनातून विचार केल्यास असे जाणवते की भले कोरोना आला पण 21 च्या जनगणनेच्या व सीमावर्ती भाग WB निवडणूक च्या अनुषंगाने CAA च्या मागोमाग NRC तसेच CCA यायला हवा होता.हे दोन कायदे पास करून घेतले असते तर वेगळाच संदेश गेला असता
म्हणून कदाचित हा थोडा वेगळा
कायदा पास करून घेतला व आंदोलनाचा फज्जा उडवतानाच जागतिक पातळीवर तसेच देशातील नक्सली तसेच आंतरराष्ट्रीय हितशत्रू ना भारतीय जनतेसमोर उघडे पाडले गेले
ही सगळी तथाकथित नेतेमंडळी खोटारडी आहेत हे सामान्य आंदोलकाला समजले व त्यामुळे आंदोलनाचा फज्जा उडाला
आणि म्हणून ही नेते मंडळी आता बाबरी
टॉपिक है वामपंथी हिंदू और वामपंथी इस्लामी विचारधारा और उनकी तथाकथित धर्मनिरपेक्षता
1 हिंदू वामपंथी और 1 मुस्लिम वामपंथी में क्या फर्क है? देखे
कुछ दिन पहले म जब 1 लेखक उदय शंकर जिन्होंने भारत में अवार्ड वापसी गैंग की शुरुआत की थी उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए ₹5001 का
डोनेशन दिया और डोनेशन की रसीद को अपने फेसबुक वॉल पर लगाकर कहा कि मैंने आज मंदिर निर्माण के लिए अपना डोनेशन दिया है
कमेंट देखा तो तमाम वामपंथी हिंदू उन्हें कोस रहे यहां तक कि कुत्रकार अजीत अंजुम की लेखिका पत्नी भी उन्हें खूब बुरा भला लिख रही है और राम मंदिर को खूनी मंदिर कह
रही है।
अब कुछ मुस्लिम वामपंथियों पर आते हैं
सज्जाद जहीर कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापकों में से एक थे जो बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए और उन्होंने पाकिस्तान में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ पाकिस्तान का गठन किया था
बंटवारे के पहले मुंबई में जब कम्युनिस्ट पार्टी का सम्मेलन हो रहा था
43 साल पुराना खूनी राजनीति का वही खेल आज फिर दोहराया जा रहा है...
1977 में देश की जनता कांग्रेस को सत्ता से बुरी तरह बेदखल कर दो तिहाई बहुमत के साथ जनता पार्टी को सत्ता सौंप चुकी थी। पंजाब में भी जनता पार्टी और अकाली दल के गठबंधन ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर
दिया था और कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री रहे ग्यानी झैलसिंह द्वारा किये गए भयंकर भ्रष्टाचार की जांच के लिए गुरदयाल सिंह जांच आयोग बनाया था। इस आयोग की जांच की शुरूआत के साथ ही झैलसिंह का जेल जाना तय होने लगा था। इन परिस्थितियों से निजाद पाने के लिए
कांग्रेस ने एक योजना तैयार की थी। इस योजना के तहत संजय गांधी और झैलसिंह ने पंजाब से सिक्ख समुदाय के दो धार्मिक नेताओं को दिल्ली बुलाकर बात की थी। संजय गांधी और झैलसिंह की जोड़ी को उन दोनों में से 1 काम का नहीं लगा था क्योंकि वो उतना उग्र आक्रमक नहीं था