सब जानते है के इतिहास अपने आप को दोहराता है
वर्तमान परिस्थितीया ऐसे बन रही है के समझ मे साफ साफ आ रहा है के इतिहास लौट के आयेगा
1975 आपातकाल के वक्त अपनी कुर्सी बचाने के लिये INC ने आपातकाल देश पर थोप दिया।
कानून को तोडमरोड कर सारे विपक्षी नेताओ को और अन्य समाजसेवको को
19 महिने जेलो मे ठुस दिया। वो सब किया धरा INC का था
विपक्षी नेताओ को जेलो मे ठुस कर बिना संसदीय बहस के संविधान मे अनगिनत संशोधन किये
उसमे से 1 गैरसंवैधानिक संशोधन था भारत को संवैधानिक रूप से सेक्युलर घोषित करना
45 साल पहलेवाला वो इतिहास अपने आप को
देशहित के लिये कानूनन दोहरायेगा
सरकार की सोच से सोचा तो कई बाते साफ हो जाती है।
जैसे देढ साल मे जो 2 आंदोलन हुये,उनकी कमर सरकारने कैसे तोडी।
उन दोनो आंदोलन को हवा देनेवाले विपक्षी जमानत पर बाहर है।
आज नही तो कल उनका जेल जाना मानो तय ही है।
इसिलीये कुछ भी करके खुद को समर्थन जुटाने का अविरत प्रयास ये नेता कर रहे
है। सरकार हर 1 कदम सोच समझ के ही डाल रही है। विपक्षीयो को समझ ही नही आ रहा तबतक उनके सारे मनसुबे धरे के धरे रह जाते है।
वो "@narendramodi "एक नाम को समझ रहे थे
वो ही नाम आज "सोच" बन गया है।
और "सोच" को मिटानेवाले खुद ही मिट गये है
यही इनके समझ से परे है
*जो सड़-गल कर खत्म होने
वाला हो, उसको लाठी से खत्म करके बदनामी क्यों लें*
*एक पूर्ण बहुमत की चुनी हुई सरकार के पास जिसको 22 करोड़ से ज्यादा वोट मिलें हों, जो एक के बाद एक चुनाव जीतकर अपनी लोकप्रियता साबित किये जा रही हो, उसके पास आंदोलनों से निपटने का क्या तरीका है?*
*एक तरीका लाठी का है। बॉर्डर खाली कराना कोई इतना बड़ा काम नहीं है।*
*24 घंटे के अंदर सब साफ हो सकता है। मुश्किल ये हे कि इस तरीके का फायदा आज होगा लेकिन उस जोर जबरदस्ती के फोटो दशकों तक दिखाये जाएंगे किसानों को भड़काने के लिये। लोग भूल जाएँगे कि सिर्फ कुछ हज़ार किसान के वेष में
अड़ियल धरनेबाज लोगों को सरकार ने हटाया ताकि करोड़ों लोगों को होने वाली असुविधा से बचाया जा सके।*
*क्या सरकार का ये तरीका सही हे?*
*सही गलत तय करने के कई पैमाने होते हैं। देखा है कि मोदी सरकार का यही तरीका है कि सड़ा-सड़ा कर मारो ताकि वो खत्म भी हो जाये और कोई उसको याद भी ना रखे।*
*शाहीन बाग के साथ यही किया*
*भाजपा के जो नेता बागी होके चुपचाप पार्टी छोड़ कर निकलने की बजाय अनर्गल बोलना चालू करते हैं, उसके साथ भी भाजपा यही करती है। शत्रुघ्न सिन्हा उसका अच्छा नमूना है। बजाय पार्टी छोड़ने के उसने एक दो साल बकवास पार्टी के अंदर रह के चालू रखी।
किसी ने ना उसको निकाला ना कुछ किया। थककर वो INC,RJD,सपा सब पार्टियों मे भटका और आज राजनैतिक रूप से सड़ कर खत्म हो गया। खुद भी हारा, पत्नी भी हारी और बेटा MLA का चुनाव तक हार गया। अब उसको कोई नहीं पूछता है। उसका भोंकना भी बंद हो गया है। ऐसा ही अरुण शोरी के साथ किया।
यही जसवंत सिंह,यशवंत सिन्हा के साथ किया।*
*और तो और भारत पाकिस्तान के साथ भी यही कर रहा है। बजाय कोई सीधी कार्यवाही करने के जब तक कि पाकिस्तान कोई गलत हरकत ना करे उसको आंतरराष्ट्रीय रूप से सड़ा रहा है।*
*पाकिस्तानी चैनल देखो तो पता लगेगा रोज़ का यही रोना है कि भारत ने हमसे हमारे दोस्त छीन लिये। OIC उनकी सुनता नहीं है। सऊदी अरब, UAE ने पाकिस्तानियों का घुसना बंद सा कर दिया है। अरबों डॉलर अब अरब से नहीं आयेंगे। कर्जा नहीं मिलेगा।*
*भारत के आर्मी प्रमुख का सौदी दौरा तो जैसे जले पे नमक छिड़कने का काम था। पता लग गया आगे आगे क्या होने वाला है। पाकिस्तान को सड़ा-सड़ा कर खत्म किया जाएगा।*
*देश बहुत बड़ा है, तो कहीं ना कहीं तो कोई ना कोई आंदोलन चलता रहेगा। ना सरकार की गति रुकेगी ना सरकार विचलित होगी।*
कुछ दिन पहले ही GST का रेकॉर्ड आकड़ा आया है 115,000 करोड़ का जो पिछले दिसंबर जब सब कुछ सामान्य था उससे 12% ज्यादा है। ये तो हालात तब हैं जबकि टूरिझम, जेम, ज्वेलरी, होटल, एन्टरटेनमेन्ट, शादी, हवाई यात्रा, रेल्वे, आदि कई सेक्टर ऐसे हैं जिन पर अभी भी रोक लगी हुई है। वो रोक हटने
पर 10 से 20 %और उछाल आयेगा
*साफ-साफ दिखता है कि भारत प्रगति के रास्ते पर अनिर्बंध रूप से आगे बढ़ रहा है।*
*फिर क्यों, जो सड़ सड़ के खत्म होने वाला है,उसको लाठी मार कर खत्म करने की बदनामी मोल लें.* @INCIndia मोदी इस नाम के आदमी से जीतना आसान है लेकिन "मोदी नाम की सोच"से जीतना
नामुमकिन है
1 आसान उपाय भी है जीत पाने का।
तुमको तुम्हारी इस तुष्टीकरण की सोच को बदल कर
राष्ट्रहित सर्वोपरी रख के चलना होगा
और ये तुम्हारी नियत मे नही
वैसे @INCIndia मै आपका तहे दिल से शुक्रगुजार हू।
वो आप ही हो जिन्होने @narendramodi @AmitShah@myogiadityanath को
तकलीफ देके उनको मिटवा देने का भारी भरकम प्रयास किया।
कइ झुठे केस मढ दिये।
आप ही ने ये तीनो हिरे भारतमाता के पुनरुत्थान के लिये कठीण तरीके से तराशे है
आपके इस कार्य को कोई भी नजरअंदाज नही कर सकता। यकीन से कहता हू के मोदिशा भी आपके इस देश के प्रति निरपेक्ष भाव से किये कार्य की
सराहना करते होंगे।
इसिलीये तो आहिस्ता आहिस्ता बाकायदा हलाल कर रहे है।
जय हिंद
जय मा भारती
वंदे मातरम
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@anujdhar राम राम साहेब
नेताजी सुभाषचंद्र बोस महान सेनानी के बारे मे आपने जो भी कार्य किया है और करते है वो सराहनीय है।
इस विषय मे किसी ना किसी को पहल करनी ही थी
आप ने की इसीलिये मै आप का तहे दिल से शुक्रगुजार हू।आनेवाले समय मे तमाम भारतीय जनता आपको याद रखेगी
लेकिन आप के 1 विडिओ
मे मैने 1 बात नोटीस की वो ही मुझे हजम नही हुयी और नाही होगी
फिर भी
आपने कहा की ये सरकार mkg को कल्की अवतार भी घोषित करेगी
इसलीये मै ये कहता हू आपको
मोदी के संसद के भाषण को पूरा विश्व देखता है और बड़े गौर से सुनता है..यहाँ तक कि मोदीविरोधी भी मोदी के भाषण को कान लगाकर सुनते हैं.
ये बात मोदी स्वयं बहुत अच्छी तरह से जानते हैं, इसलिए जब भी मोदी संसद में बोलते हैं तो अपने हिन्दू राष्ट्र के लक्ष्यों को साधने वाले शब्दबाणों को जरूर चलाते हैं जिससे वैश्विक पटल पर एकाएक गहन चर्चा जन्म ले लेती है.
कुछ इसी प्रकार के शब्दबाणों को कुछ दिन पहले मोदीजी ने
तेच मी ही म्हटलं
बोलायचं म्हटलं तर खूप आहे
आणि मी अगोदरच्या ट्विट ला बोललोय की
काकू तुम्ही चिखलात उभ्या राहून बाहेर दगड मारताय
मी न बोलण्याचे कारण हेच आहे की
कशाला आणि काय म्हणून चिखलात दगड मारायचा
संपूर्ण देश जाणतो की मोदी ही व्यक्ती निस्पृह व निस्वार्थी संन्यस्त जीवन जगते
12 वर्षे CM आणि आताची 7 वर्षे देशाचा PM असलेल्या माणसाचे स्वतःचे घर तसेच त्या माणसाचे नातेवाईक व त्यांची आर्थिक स्थिती बघितल्यावर कल्पना येते की देश सुरक्षित हातात आहे
ह्या चिखलकर काकू ना ही त्याची कल्पना नक्कीच आहे
तरीही गुलामी इतकी नसानसात भिनलीय की
मालकाचे लक्ष आपल्याकडे गेले
पाहिजे व काहीतरी घबाड आपल्याला मिळाले पाहिजे ह्या लालसेने अशी वाक्ये लिहिली जातात त्यांना हे ही माहितीय की
केजरीवाल ने दिल्ली निवडणूक प्रचार करताना मोदींविरोधात एक चकार शब्द काढला नाही
तेजस्वी यादव ने ही बिहार निवडणूक प्रचार करताना वाह्यात अक्षर ही काढलेले नाही
आणि म्हणूनच RJD
बंगाल में कांग्रेस और ममता का 'सेल्फ गोल'
टागोर की कुर्सी पर बैठे नेहरू और राजीव... आरोप लगा दिया अमित शाह पर
कल संसद में कांग्रेस और टीएमसी के सांसदों की बहुत जमकर फजीहत हुई है
फजीहत की वजह है लोकसभा में कांग्रेस के संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी
अधीर रंजन चौधरी ने 8 फरवरी को अपने एक बयान में कहा था कि अमित शाह बंगाल के दौरे के दौरान शांति निकेतन में मौजूद रवींद्रनाथ टागोर की कुर्सी पर बैठ गए
बंगाल की संस्कृति और परंपरा के मुताबिक रवींद्रनाथ टागोर की कुर्सी पर बैठना उनका अपमान करने के जैसा है
INC के इन आरोपों के बाद TMC ने भी अमित शाह के खिलाफ जमकर प्रचार किया और चुनावी लाभ लेने की कोशिश की
लेकिन 9 फरवरी को अमित शाह ने संसद में ना सिर्फ इससे इनकार किया बल्कि शांति निकेतन के वाइस चांसलर का पत्र भी दिखाया जिसमें ये कहा गया था कि अमित शाह उस कुर्सी पर बैठे थे जहां
आता बऱ्याच बाबी खूप दिसायला क्लिष्ट वाटतील
पण बऱ्याच सोप्या झाल्यात
CAA व हे तथाकथित शेतकरी आंदोलन
ह्या दोन्ही आंदोलनाचा फज्जा उडाला असे कोणीही म्हणूच नये
हा फज्जा उडवण्यात आलाय
आणि ह्यातून कितीतरी आंतरराष्ट्रीय संबंध उघडे करण्यात आले आहेत
आणि हे सर्व फक्त आणि फक्त मोदीजी मुळेच
शक्य झालेले आहे
थोडा वेगळ्या कोनातून विचार केल्यास असे जाणवते की भले कोरोना आला पण 21 च्या जनगणनेच्या व सीमावर्ती भाग WB निवडणूक च्या अनुषंगाने CAA च्या मागोमाग NRC तसेच CCA यायला हवा होता.हे दोन कायदे पास करून घेतले असते तर वेगळाच संदेश गेला असता
म्हणून कदाचित हा थोडा वेगळा
कायदा पास करून घेतला व आंदोलनाचा फज्जा उडवतानाच जागतिक पातळीवर तसेच देशातील नक्सली तसेच आंतरराष्ट्रीय हितशत्रू ना भारतीय जनतेसमोर उघडे पाडले गेले
ही सगळी तथाकथित नेतेमंडळी खोटारडी आहेत हे सामान्य आंदोलकाला समजले व त्यामुळे आंदोलनाचा फज्जा उडाला
आणि म्हणून ही नेते मंडळी आता बाबरी
टॉपिक है वामपंथी हिंदू और वामपंथी इस्लामी विचारधारा और उनकी तथाकथित धर्मनिरपेक्षता
1 हिंदू वामपंथी और 1 मुस्लिम वामपंथी में क्या फर्क है? देखे
कुछ दिन पहले म जब 1 लेखक उदय शंकर जिन्होंने भारत में अवार्ड वापसी गैंग की शुरुआत की थी उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए ₹5001 का
डोनेशन दिया और डोनेशन की रसीद को अपने फेसबुक वॉल पर लगाकर कहा कि मैंने आज मंदिर निर्माण के लिए अपना डोनेशन दिया है
कमेंट देखा तो तमाम वामपंथी हिंदू उन्हें कोस रहे यहां तक कि कुत्रकार अजीत अंजुम की लेखिका पत्नी भी उन्हें खूब बुरा भला लिख रही है और राम मंदिर को खूनी मंदिर कह
रही है।
अब कुछ मुस्लिम वामपंथियों पर आते हैं
सज्जाद जहीर कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापकों में से एक थे जो बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए और उन्होंने पाकिस्तान में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ पाकिस्तान का गठन किया था
बंटवारे के पहले मुंबई में जब कम्युनिस्ट पार्टी का सम्मेलन हो रहा था
43 साल पुराना खूनी राजनीति का वही खेल आज फिर दोहराया जा रहा है...
1977 में देश की जनता कांग्रेस को सत्ता से बुरी तरह बेदखल कर दो तिहाई बहुमत के साथ जनता पार्टी को सत्ता सौंप चुकी थी। पंजाब में भी जनता पार्टी और अकाली दल के गठबंधन ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर
दिया था और कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री रहे ग्यानी झैलसिंह द्वारा किये गए भयंकर भ्रष्टाचार की जांच के लिए गुरदयाल सिंह जांच आयोग बनाया था। इस आयोग की जांच की शुरूआत के साथ ही झैलसिंह का जेल जाना तय होने लगा था। इन परिस्थितियों से निजाद पाने के लिए
कांग्रेस ने एक योजना तैयार की थी। इस योजना के तहत संजय गांधी और झैलसिंह ने पंजाब से सिक्ख समुदाय के दो धार्मिक नेताओं को दिल्ली बुलाकर बात की थी। संजय गांधी और झैलसिंह की जोड़ी को उन दोनों में से 1 काम का नहीं लगा था क्योंकि वो उतना उग्र आक्रमक नहीं था