2017-18 में 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के लिए 200 करोड़ रूपये, 2018-19 में 280 करोड़ रूपये, 2019-20 में 85.78 करोड़ रूपये खर्च हुए थे जबकि 2020-21 में 220 करोड़ रूपए प्रस्तावित था, जिसे बाद में संशोधित कर 100 करोड़ रूपए कर दिया गया। इस साल इसे कई अन्य योजनाओं के साथ मिला दिया गया है
बालिका शिक्षा प्रोत्साहन योजना के लिए एक करोड़ रूपए का बजट प्रस्तावित है। पिछले साल के बजट में भी इसे संशोधित कर एक करोड़ रूपये किया गया था, जबकि मूल बजट में इसके तहत 110 करोड़ रुपए का प्रस्ताव था। 2019-20 में इस योजना के तहत 87 और 2018-19 में 164.58 करोड़ रूपए खर्च हुए थे।
'समग्र शिक्षा' कार्यक्रम पर इस बजट में 7,000 करोड़ रूपए कम आवंटित किए गए हैं। साल 2019-20 के बजट में इसके तहत 32,376.52 करोड़ रूपए खर्च किए गए थे। 2020 में इस योजना के तहत 38,750.50 करोड़ रूपए की राशि प्रस्तावित थी जिसे संशोधित अनुमानों में घटाकर 28,077.57 करोड़ रुपए कर दिया गया।
@RTEForum_India की सृजिता मजूमदर कहती हैं, "महामारी के इस दौर में जहां एक तरफ उनकी पढ़ाई छूटने का डर है, वहीं दूसरी तरफ उनके बाल विवाह, कम उम्र में गर्भधारण, मानव तस्करी या फिर देह-व्यापार में जाने के मामले भी देश के अलग-अलग हिस्सों से सामने आ रहे है।" gaonconnection.com/read/cut-in-th…
@OxfamIndia की @anjela_taneja कहती हैं, "ऑनलाइन पढ़ाई के इस दौर में लड़कियां डिजिटल डिवाइड की सबसे अधिक शिकार हुई हैं। घरों में पढ़ाई के लिए फोन या लैपटॉप देने में लड़कों को प्राथमिकता दी जा रही है। ऐसे में उम्मीद थी कि सरकार बालिका शिक्षा के प्रोत्साहन के लिए कुछ विशेष करेगी।
यूएन के सतत विकास लक्ष्यों और सार्वजनिक नीतियों पर शोध कार्य कर रही मिताली निकोरे कहती हैं, "महामारी के इस समय में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना बहुत ही काम की साबित हो सकती थीं। इस बजट से स्कूली लड़कियों को मोबाइल और इंटरनेट की सुविधा प्रदान कराई जाती।" gaonconnection.com/read/cut-in-th…
सीबीपीएस, चैंपियंस फॉर गर्ल्स एजुकेशन (Champions for Girls' Education) और आरटीई फोरम द्वारा किए गए सर्वे में भी यह निकल कर सामने आया था 37% लड़कों की तुलना में महज 26% लड़कियों को ही ऑनलाइन पढ़ाई के लिए फोन और इंटरनेट की सुविधा मिल पाती है। @RTEForum_India@CbpsBlr@manojkjhadu
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