दर्दनाक है।शर्मनाक है।
यूपी के प्रयागराज में 3 साल की खुशी को पेट दर्द के बाद यूनाइटेड मेडीसिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।डॉक्टरों ने ऑपरेशन किया,परिवार ने खेत बेचकर 2लाख दिए।5 लाख की डिमांड हुई।परिवार ना दे सका।निर्दयी अस्पताल ने बिना टांका लगाए फटे पेट के साथ उसे निकाल दिया
मेरा पास पूरा वीडियो,इतना दर्दनाक है कि साझा नहीं कर सकता। बेचारी तड़प रही है, कलथ रही है। पूरे शरीर पर मौत की मक्खियां भिनभिना रही हैं। उसका चीरा हुआ पेट देख दिमाग हिल गया। तस्वीरें देखते ही परिवार को मैंने फोन किया तो पता लगा थोड़ी देर पहले उसकी मौत हो गई।
अब परिवार के पास ठीक से क्रिया-कर्म करने तक के पैसे नहीं हैं।कहने को तो आयुष्मान योजना से लेकर तमाम योजनाएं हैं,मगर वक्त पर इस गरीब के लिए कोई योजना काम ना आई।
जिसको भी लगता है कि ये छोटी-मोटी घटना है, तो बताइएगा तड़पती बच्ची का वीडियो भेज दूंगा, कलेजा ना कांप उठे तो कहिएगा
अगर आप परिवार की मदद करना चाहते हैं तो नंबर,पता मुझसे ले लीजिए
मगर @prayagraj_pol रावतपुर इलाके के यूनाइटेड मेडिसिटी अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों पर हत्या का मुकदमा होना चाहिए,पैसे के भूखे दानवों की जगह जेल में है। @CMOfficeUP ध्यान दीजिए @kpmaurya1 के शहर का मामला है
यूनाइटेड मेडिसिटी कोई छोटा-मोटा अस्पताल नहीं है,कुछ दिनों पहले ही बना और खुद को शहर का बेस्ट अस्पताल कहता है। जाहिर उन्हें लगता होगा कि एक गरीब की मौत उसका क्या ही बिगाड़ लेगी।
अब @Uppolice@CMOfficeUP को दिखाना है वो बच्ची को इंसाफ दिलाते हैं या नहीं।
मेरी परिवार से अभी फिर बात हुई।
बच्ची का शव अभी पोस्टमार्टम हाउस में है। परिवार को उसका आखिरी इंतजार है। पासबुक की फोटो भी मांगी है ताकि हम सब मदद कर सकें। प्रशासन भी हरकत में आया है।डीएम साहब ने परिवार से बात भी की है लेकिन परिवार इस बात से परेशान है कि अब तक FIR नहीं हुई।
मामले में अस्पताल का पक्ष सामने आया है, अस्पताल का कहना है कि उन्होंने ने सस्ते में इलाज किया। मगर पीड़ित पक्ष अब भी अपने आरोपों पर कायम है और कह रहा कि 5 लाख तक मांगे जा रहे थे, जब केस बिल्कुल बिगड़ गया तो उन्होंने सरकारी अस्पताल जाने को कहा।
सरकारी अस्पताल जाने पर वहां के डॉक्टरों ने कहा केस बिगड़ गया है, बच्ची बचेगी नहीं। दोबारा उसे परिवार यूनाइटेड ले गया और तब उन्हें गेट के अंदर भी घुसने नहीं दिया और बच्ची की मौत हो गई। अब पूरे मामले की जांच जिले के CMO करेंगे। नियमतह बिना CMO जांच के ऐसे मामलों में FIR नहीं होती
Ac 35623906698
Sbin0007511
निशा मिश्रा
खुशी के चाचा की तरफ से उनकी माताजी का ये अकाउंट डीटेल मिला है। जो मदद करने के इच्छुक हैं, इस पर कर सकते हैं
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महिला दिवस के मौके पर #इति_श्री_इतिहास उस महिला की अदम्य कूटनीति पर।जिसने दिमाग की धार से दुनिया के मानचित्र को बदल कर रख दिया।कहानी बड़ी है मगर1971 के असल राष्ट्रवाद को बताते हुए रोंगटे खड़े कर देगी। एक पल भी बोझिल नहीं होने दूंगा।इंदिरा गांधी क्या हस्ती थीं,आज जान ही लीजिए1/22
अप्रैल 1971 में पाकिस्तानी सितम के मारे 5 लाख बांग्लादेशी शरणार्थी हिंदुस्तान में शरण ले चुके थे।युद्ध साफ नजर आ रहा था। मगर यहां सिर्फ भारतीय सेना को पाकिस्तान से नहीं लड़ना था बल्कि लड़ाई अमेरिका-चीन जैसी दो महाशक्तियों से भी होनी थी। दोनों खुलकर पाकिस्तान के साथ खड़े थे...
मगर इंदिरा जी भी अडिग थीं। इस बीच अप्रैल 1971 में चीनी प्रधानमंत्री ने पाकिस्तानी राष्ट्रपति याह्या खान को चिट्ठी लिखी और साफ शब्दों में कहा-"हिंदुस्तान अगर पाकिस्तान पर हमला करने का दुस्साहस करता है तो पाकिस्तान की संप्रभुता और स्वतंत्रता के लिए हर मुमकिन मदद चीन करेगा"
पं.नेहरू पर सबसे बड़ा आरोप लगाया जाता है कि उन्होंने UN की स्थाई सीट खुद ना लेकर चीन को दे दी।इस पर ऐतिहासिक तथ्य क्या करते हैं,ध्यान से पढ़िएगा।झूठ के गुबार से निकलना आसान होगा #इति_श्री_इतिहास
बात 1949 की है।चीन में कम्यूनिस्टों की जीत हुई, माओ के हाथ चीन की सत्ता आई... 1/6
सोवियत तानाशाह स्टालिन के दिए हथियारों के दम पर माओ ने नेशनलिस्ट चांग काई शेक को हरा दिया।उन्हें भाग कर ताइवान जाना पड़ा।चांग काई शेक ने ताइवान को रिपब्लिक ऑफ चाइना नाम दिया और माओ ने मेनलैंड चाइना का नाम पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना रखा।मतलब 2-2 चीन हो गए।अब सबसे गौर करने वाली बात
चीन 1945 से ही सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य था।मगर जब दो चीन हो गए तो पं.नेहरू ने स्थाई सदस्यों से कम्यूनिस्टों के चीन को मान्यता देने की बात कही,क्योंकि छोटे से द्वीप ताइवान का स्थाई सदस्य होना ठीक नहीं लगा। इस पर अमेरिका ने पं.नेहरू से कहा चीन की जगह आप स्थाई सदस्यता ले लीजिए
#इति_श्री_इतिहास
1952 में प्रचंड बहुमत मत से जीतकर नेहरू अब देश के निर्वाचित प्रधानमंत्री थे। और नेहरू अपने उस फैसले पर ताउम्र कायम रहे जो उन्होंने खुद से वादा किया था। नेहरू ने क्या कहा था, उसे शब्दशः बड़े ध्यान से पढ़िएगा।
' नेहरू तुम्हें जूलियस सीजर नहीं बनना है...1/4
सीजर होने का मतलब है कि गणतांत्रिक तरीके से चुनकर सत्ता में आना और फिर तानाशाह की तरह काम करना। वैसे भी इतिहास बताता है कि लोकतंत्र में तानाशाह नंगी तलवार लिए घोड़े पर चढ़कर नहीं आते, जनता अपने कांधों पर उसकी पालकी उठाती है और तख्त पर बैठाती है।' नेहरू आगे कहते हैं..2/4
जब वो चुना हुआ नेता तानाशाह बनने की प्रक्रिया में होता है तो सबसे पहले संकीर्ण राष्ट्रवाद की बात करता है। जनता इस पर ताली बजाती है। फिर धीरे-धीरे वो संस्थाओं को खत्म करता है और उसकी भक्त जनता कहती है कि संस्थान राष्ट्र की प्रगति में बाधक थे। और अंत में ...