जिज्ञासा हमेशा पढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
एक किताब मिल गई जिसमें 1971 में पीएम मोदी के जेल जाने का जिक्र है। मगर यहां जिक्र थोड़ा अलहदा है।

ऐंडी मरीनो लिखते हैं कि 1971 में RSS के लोग सेना में शामिल होने का अधिकार मांग रहे जबकि तब RSS पर बैन था...
लेकिन युद्ध के मोर्चे पर भेजने के बजाय सरकार ने हमें गिरफ्तार कर लिया। ऐसा ऐंडी मरीनो से पीएम मोदी कहते हैं।
अबतक जनसंघ के प्रदर्शन की बात आई थी, मगर ये नई और रोचक बात है।

मरीनो लिखते हैं कि उनकी कैद चंद दिनों की थी और नरेंद्र को जल्द ही रिहा कर दिया गया। जिससे यह संकेत साफ..
मिलता है कि यह घटना सिर्फ इसलिए हुई क्योंकि अधिकारी सड़कों को साफ करना चाहते थे। संघ आगे भी युद्ध शामिल होने की बात करता रहा है। मगर बिना प्रशिक्षण युद्ध में नहीं भेजा जाता।

कई और किताब के पन्ने ट्वीट कर रहे हैं जिसमें बांग्लादेश को मान्यता देने पर जनसंघ के प्रदर्शन में...
गिरफ्तारी की बात है। जितनी किताबें, उतनी बातें !

खैर ! मैं इस बात से खुश हूं कि चलो इसी बहाने कई व्हाट्सऐप वालों ने भी किताबें खोलने की जहमत उठाई। और ये बात साफ हो गई कि किताब का मुकाबला किताब ही कर सकती, व्हाट्सऐप ज्ञान उसके आगे कहीं नहीं टिक सकता।
खैर @manojkumarmukul सर ने एक और किताब बताई जिसमें 1971 में गिरफ्तारी का जिक्र है।मरीनों किताब में संघ की तरफ से आने का जिक्र,मकवाना की किताब संघ या जनसंघ साफ नहीं। किशुंग नाग की किताब में गिरफ्तारी की बात नहीं।

खैर मुझे अच्छा ये लग रहा कि WU से इतर किताबें पढ़ी जा रही है

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28 Mar
सीधे रोमांच पर आते हैं

कॉमरेड ओगिलवी ने 3 साल की उम्र में तीन को छोड़कर सारे खिलौने तोड़ डाले।जो खिलौने उन्होंने रखे वो थे..ढोल,छोटी मशीनग और हेलिकॉप्टर।
6 वर्ष की आयु में वो बाल जासूसों के सरदार बन गए।9 की उम्र में अपने राष्ट्रदोही चाचा को उन्होंने पुलिस के हवाले कर दिया 1/7 Image
17 साल की उम्र में कॉमरेड ओगिलवी सेक्स विरोधी लीग के जिला संयोजक बन गए। 19 की उम्र में उन्होंने ऐसा हथगोला बनाया जिसे शांति मंत्रालय (जो कि अशांति फैलाता था) ने देशहित में उपयोग के लिए स्वीकार कर लिया। जब उन हथगोलों का पहली बार प्रयोग किया तो उससे 31 यूरेशियन सैनिक मारे गए...
23साल की उम्र में वो जब हिंद महासागर के ऊपर हवाई जहाज से यात्रा कर रहे थे तब शत्रु के जेट विमानों ने उनका पीछा किया,उनके पास महत्वपूर्ण कागज थे,चुंकि कॉमरेड बचपन से बहादुर थे तो अपनी मशीन गन के साथ कागज जेब में रखकर समुद्र में कूद गए।23 साल की उम्र में वीरगति को प्राप्त हो गए..
Read 7 tweets
26 Mar
मैं ये नहीं कहता कि पीएम संघर्ष में जेल नहीं गए होंगे। मगर ये 1000% दावे के साथ कह सकता हूं कि आपने गुजराती में लिखी 'संघर्षमां गुजरात' नहीं पढ़ी होगी।
मगर मैंने 227 पन्नों का हिंदी अनुवाद दो बार पढ़ी।पूरी किताब 1975 की इमरजेंसी पर है,इसमें कहीं भी 1971 का जिक्र नहीं है
मैं ये दावे के साथ कह सकता हूं BJP के तमाम नेता और तमाम प्रबुद्ध लोग इस किताब को खोल के देखे तक नहीं होंगे। देखे होते तो ये इस किताब को 'टूल किट' की तरह ना इस्तेमाल करते। दुर्भाग्य से आप भी इस 'टूल किट' का शिकार हो।पढ़ता-लिखता रहता हूं, लजाने की जरूरत मुझे नहीं पड़ेगी। 🙏🙏
मेरी रीच कम है, फॉलोअर्स कम हैं,इसलिए कम लोग पढ़ेंगे।आपको ज्यादा पढ़ते हैं,आप जो कहेंगी WhatsApp University और Twitter University में सच माना जाएगा।फिर भी सच यही है कि पीएम मोदी ने 1971 का जिक्र कहीं भी नहीं किया है।

माफ करिएगा जवाब देने में देर हुई क्योंकि किताब ही पढ़ रहा था
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26 Mar
आइए एक किस्सा सुनाता हूं, WhatsApp University की दुनिया समझने में आसानी होगी..

एक आदमी ने 1995 में अमेरिका में दो बैंक लूटे।दोनों जगह वह बिना चेहरा ढके गया और बैंक से पैसा लूटने के बाद मुस्कराता हुआ सिक्योरिटी कैमरा के सामने जाकर खड़ा हो गया। कैमरे के सामने बड़े आराम से काफी..
देर उसको मुंह चिंढ़ाता रहा, फिर वह भाग गया। पर रात होते तक पुलिस ने उसकी पहचान कर के उसको गिरफ्तार कर लिया।
लुटेरा अपनी गिरफ्तारी पर स्तब्ध था। उसको समझ नहीं आ रहा था कि उसकी पहचान कैसे हुई। पुलिस वालों ने उसको बताया कि भइया, हमें पहचान करने में कोई दिक्कत नहीं आई थी...
क्योंकि तुम नकाब नहीं पहने थे और उसके ऊपर तुम खुद ही सिक्योरिटी कैमरा के सामने आकर अपना वीडियो बना गए थे।

अब यहां से कहानी में खेल है

लुटरे को उनकी बात पर यकीन नहीं हो रहा था। वह हैरान था कि कैमरे ने उसकी तस्वीर ले कैसे ली, जबकि वह अपने चेहरे पर नीबू का रस लगा कर गया था।
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24 Mar
शहीद-ए-आजम भगतसिंह की फांसी के लिए गांधी जी को ना जाने क्या कुछ कहा जाता है, आजकल तो सावरकर से भी संबंध जोड़े जाने लगे हैं तो ऐसे #इति_श्री_इतिहास क्या कहता है?

बात 28 अक्टूबर 1928 की,साइमन कमीशन का लाहौर में तगड़ा विरोध हुआ,बौखलाए अंग्रेजों ने क्रूरता की लाठियां चलवा दी 1/40
उप निरीक्षक सांडर्स ने लाला लाजपत राय जी पर सीधी लाठी चलाई, एक सीने पर, दूसरी कंधे और तीसरी सिर पर लगी। बुजुर्ग लाला जी लाठियों की मार से पूरे 18 दिन लड़े
और 17 नवंबर को देह त्याग दिया। लाला जी की नीतियों से भगतसिंह भले ही खिलाफ हो गए थे, मगर लाला जी पर पड़ी लाठियों ने...
उन्हें हिलाकर रख दिया। 17 दिसंबर 1928 को लाहौर में अंग्रेज सुप्रीटेंडट स्कॉट को मारने का प्लान बना।स्कॉट को पहचानने की जिम्मेदारी जयगोपाल की थी, जिसने आगे चलकर
भगतसिंह से गद्दारी की, जयचंद बना और सरकारी गवाह बन गया। खैर! स्कॉट की जगह सामने 21 साल का सांडर्स आ गया...
Read 38 tweets
23 Mar
#इति_श्री_इतिहास
अंग्रेजी यातना सहकर एक चाचा स्वर्णसिंह की मौत हो चुकी थी, दूसरे चाचा अजीत सिंह अंग्रेजों से बचने के लिए विदेश में फरारी
काट रहे थे।घर में एक चाची विधवा थीं,दूसरी ना विधवा,ना सधवा। वो गोद में लेकर 3 साल के भगत सिंह को प्यार करती और नजरें मिलते ही रो पड़तीं 1/13
कहते हैं पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं, तो भगत के भी दिखने लगे थे। दुधमुहे दातों वाले 3 साल के भगत सिंह बड़ी चाची के गले में बाहें डालकर कहते
'रोओ मत , मैं अंग्रेजों को मार भगाऊंगा और चाचा जल्द लौट आएंगे। दूसरी चाची से कहते- मैं अंग्रेजों से बदला लूंगा।...
एक दिन बाग की जमीन तैयार कर आम के पौधे रोपे जा रहे थे, पिता सरदार किशन सिंह अपने मित्र मेहता नंदकिशोर को बाग दिखाने आए तो भगतसिंह को भी साथ
लाए। बेटा पिता की उंगली छोड़ खेत में जा बैठा और पौधों की तरह तिनके रोपने लगा। पिता ने पूछा- क्या कर रहे हो ?
जवाब आया- बंदूकें बो रहा हूं..
Read 13 tweets
17 Mar
आरोप लगता है कि नेहरू की वजह से कश्मीर समस्या है,पटेल की जगह नेहरू ने इसे अकेले हैंडल किया इसलिए सब गुड़गोबर हो गया, UN जाकर सत्यानाश किया।सच क्या है?
#इति_श्री_इतिहास में लाल चौक पर झंडा फहराकर भीड़ के बीच खड़े पं.नेहरू की तस्वीर देखते हुए आज थोड़ा धैर्य पढ़िएगा

अब तथ्य 1/30
सितंबर का महीना,1949। कश्मीर घाटी में एक बेहद खास सैलानी पहुंचते हैं, नाम था पंडित जवाहर लाल नेहरू। झेलम नदी इस बात की गवाह है कि पं.नेहरू और शेख अब्दुला उसकी गोद
में थे। दोनों ने करीब 2 घंटे तक खुले आसमान के नीचे नौकाविहार किया।आगे-पीछे खचाखच भरे शिकारों की कतार थी...
हर कोई प.नेहरू को एक नजर निहार लेना चाहता था। नेहरू पर फूलों की वर्षा हो रही थी, नदी के किनारे आतिशबाजी हो रही थी, स्कूली बच्चे नेहरू-अब्दुला जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे। इस पर टाइम मैग्जीन ने लिखा- ''सारे लक्षण ऐसे हैं कि हिंदुस्तान ने कश्मीर की जंग फतह कर ली है'' मगर ये...
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