Rahul Sonpimple on why the Brahmins must thank #Phule
Before #JyotibaPhule , the Brahmins never had the idea of a nation, they were busy in proving themselves as outsider colonizers- the superior race. They constructed the myth of divine origin....
Brahmins like Tilak propagated that North Pole was the original home of Brahmins. Phule built his Satyasodhak movement against such Brahmin myths & countered the hegeomony by posing the idea of ‘Bali Rajya’ - Bahujan Nation against the Brahmin-Baniya rule...
It was phule who forced brahmins to leave their myth of being a superior outsider race. Later the nation and Nationalism became only discourse for brahmins to maintain their hegemony. In simple words Phule straightened the Brahmins...
On this auspicious day of Phule jayanti more than anyone, it is the Brahmins who should thank Phule.
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ब्राह्मणों को क्यों महात्मा ज्योतिबा फुले के प्रति आभारी होना चाहिए - Rahul Sonpimple
ज्योतिबा फुले (जन्म 11अप्रैल, 1827) के समय ब्राह्मणों की स्थिति क्या थी?
उनमें उस समय तक राष्ट्र की कोई भावना नहीं थी। वे खुद को विदेशी आर्य मानते थे। उनमें भारतीय होने का कोई बोध नहीं था...
फुले के बाद तक बाल गंगाधर तिलक से लेकर राम मोहन राय और राधाकुमुद मुखर्जी तक हर ब्राह्मण खुद को विदेशी आर्य मान रहा था।
उनके बीच मतभेद सिर्फ़ अपने नस्ल के मूल स्थान को लेकर था। कोई खुद को उत्तरी ध्रुव का तो कोई यूरोप का तो कोई खुद को यूरेशिया या स्टेपी का बता रहा था!
यही नहीं, ब्राह्मण उस समय तक खुद को बाक़ी भारतीयों से अलग बताने के लिए खुद को ब्रह्मा के मुँह से उत्पन्न बता रहे थे। खुद को भूदेव कह रहे थे। बाक़ी लोगों के साथ उनका कोई बंधुत्व नहीं था, और बंधुत्व के बिना तो राष्ट्र बन नहीं सकता।
जानिए वे 10 वजहें, जिनके कारण भारत में #EVM_Ban होना चाहिए। 1. EVM पारदर्शी नहीं है. पेपर बैलेट में वोट डालने वाले को नजर आता है कि उसने किस निशान पर मुहर लगाई. मुहर लगाने के बाद वह बैलेट पेपर को मोड़कर सभी उम्मीदवारों के प्रतिनिधि के सामने उसे बैलेट बॉक्स में डालता है....
ईवीएम में मतदाता को यह पता नहीं चल पाता कि उसने जिस निशान पर बटन दबाया है, वोट उसे ही गया है. इस कमी को पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीन लगाई गई है, जिससे कागज की एक पर्ची निकलती है, जिसे मतदाता देख सकता है....
VVPAT पर्चियां जमा होती हैं. हालांकि कागज की पर्ची और मशीन में दर्ज वोट समान है, इसकी कोई गारंटी नहीं हो पाती है. इसलिए विवाद की स्थिति में इन पर्चियों को गिनने का प्रावधान है. अभी तक का अनुभव है कि कागज की पर्चियों की गिनती नहीं होती है...
1.कोलिजियम सिस्टम
2.लैटरल एंट्री
3.प्राइवेट सेक्टर में रिज़र्वेशन
4.प्राइवेटाइजेशन
5.कास्ट सेंसस
6.हेल्थ-एजुकेशन सेक्टर में Govt निवेश न बढ़ाना
7.NPA होने देना
8.OPS
9.सरकारी पद ख़ाली रखना
10.कोटा लागू न करना
इन मुद्दों पर भी कांग्रेस और बीजेपी की समान राय है
1.EVM से चुनाव
2.सवर्ण आरक्षण यानी EWS
3.GST
कांग्रेस ये वादा भी नहीं कर सकती कि सत्ता में आने पर वह पूरे देश में MSP लागू करेगी। ये भी नहीं कहेगी कि अंबानी और अडानी ने जो लूटा है, उसका राष्ट्रीयकरण करेगी। कांग्रेस की समस्या ये नहीं है कि उसके पास मज़बूत नेता नहीं है। कांग्रेस के पास बीजेपी से अलग नीतियाँ नहीं हैं।
अगर आपके ट्विटर एकाउंट से एक या सवा करोड़ लोग जुड़े हों तो आपके एक ट्वीट पर एवरेज कितने रिट्वीट आने चाहिए? बारह से पंद्रह हज़ार? लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिन चैनलों के करोड़-सवा करोड़ फ़ॉलोवर हैं, उनके एक ट्वीट पर एवरेज 9 रिट्वीट आते हैं। जानिए क्या है राज़ #फॉलोवर_घोटाला
यह जानने के लिये हमने दो सबसे बड़े भारतीय चैनलों आज तक और एबीपी न्यूज के 1200 ट्वीट के आँकड़े जुटाए। नतीजा इस तरह रहा। आज तक को एक ट्वीट पर एवरेज 5 कमेंट, 11 रिट्वीट और 38 लाइक मिले। एबीपी को एवरेज 3 कमेंट, 7 रिट्वीट और 31 लाइक्स मिले... #फोलोवर_घोटाला
यह रहस्य समझ पाना मुश्किल था कि जिन चैनलों के फ़ॉलोवर एक करोड़ से ऊपर हों, उनके ट्वीट पर इतना कम इंगेजमेंट क्यों है। लोग इन ट्वीट पर आ क्यों नहीं रहे हैं और इंगेज क्यों नहीं हो रहे हैं। मेरे जैसे हैंडल, 1.5 लाख फॉलोवर पर इससे पचास गुना ज़्यादा रिएक्शन आता है... #फॉलोवर_घोटाला
Thus said Dr. B.R. Ambedkar- “The Hindus claim to be a very tolerant people. In my opinion this is a mistake. On many occasions they can be intolerant, and if on some occasions they are tolerant, that is because they are too weak to oppose or too indifferent to oppose. This...
... indifference of the Hindus has become so much a part of their nature that a Hindu will quite meekly tolerate an insult as well as a wrong. You see amongst them, to use the words of Morris, "The great treading down the little, the strong beating down the weak...
... cruel men fearing not, kind men daring not and wise men caring not." With the Hindu Gods all-forbearing, it is not difficult to imagine the pitiable condition of the wronged and the oppressed among the Hindus. Indifferentism is the worst kind of disease...
वैक्सीन का आविष्कार ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने किया। ब्रिटेन/स्वीडन की एक कंपनी के पास इसका पेटेंट हैं। उसने दुनिया के 15 देशों में उसे बनाने का ठेका दिया। भारत का सीरम इंस्टीट्यूट उनमें एक है। यह वैक्सीन उतना ही भारतीय है जितना भारत में पैक हुआ पेप्सी का बोतल।
दवा कंपनी @AstraZeneca का कहना है कि वैक्सीन को गरीब देशों तक भी पहुँचाना उसका लक्ष्य है। यही मानवता है। इसलिए उसने कम मुनाफ़ा होने के बावजूद भारत में भी इसका प्रोडक्शन करने का फ़ैसला किया। भारत समेत कोई गरीब देशों में यही सप्लाई जाएगी।
वैक्सीन राष्ट्रवाद की कोई गुंजाइश नहीं है। यह भारतीय वैक्सीन नहीं है।