जानिए वे 10 वजहें, जिनके कारण भारत में #EVM_Ban होना चाहिए। 1. EVM पारदर्शी नहीं है. पेपर बैलेट में वोट डालने वाले को नजर आता है कि उसने किस निशान पर मुहर लगाई. मुहर लगाने के बाद वह बैलेट पेपर को मोड़कर सभी उम्मीदवारों के प्रतिनिधि के सामने उसे बैलेट बॉक्स में डालता है....
ईवीएम में मतदाता को यह पता नहीं चल पाता कि उसने जिस निशान पर बटन दबाया है, वोट उसे ही गया है. इस कमी को पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीन लगाई गई है, जिससे कागज की एक पर्ची निकलती है, जिसे मतदाता देख सकता है....
VVPAT पर्चियां जमा होती हैं. हालांकि कागज की पर्ची और मशीन में दर्ज वोट समान है, इसकी कोई गारंटी नहीं हो पाती है. इसलिए विवाद की स्थिति में इन पर्चियों को गिनने का प्रावधान है. अभी तक का अनुभव है कि कागज की पर्चियों की गिनती नहीं होती है...
2. EVM में दोबारा मतगणना संभव नहीं.
ईवीएम में डाला गया वोट डिजिटल फॉर्म में मशीन में जाकर एक संख्या या नंबर में तब्दील हो जाता है. इसलिए पेपर बैलेट की तरह हर वोट को दोबारा नहीं गिना जा सकता. दोबारा गिनने के नाम पर तमाम ईवीएम में दर्ज कुल संख्या को ही जोड़ा जा सकता है...
3. आधुनिक लोकतंत्र EVM से राष्ट्रीय स्तर का मतदान नहीं कराते. ईवीएम की टेक्नोलॉजी काफी समय से उपलब्ध है. लेकिन US से लेकर ब्रिटेन, फ्रांस से लेकर ऑस्ट्रेलिया, जापान तक किसी भी देश में नेशनल इलेक्शन ईवीएम से नहीं होता. कुछ देशों ने प्रयोग के बाद ईवीएम का इस्तेमाल बंद कर दिया है...
जर्मनी ने ईवीएम से चुनाव कराने की पहल की, लेकिन वहां सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम से चुनाव न कराने के पक्ष में फैसला दिया.
नीदरलैंड में जनता के विरोध के बाद 2007 से वहां चुनाव पेपर बैलेट पर होते हैं. आयरलैंड और इटली ने इसका प्रयोग करने के बाद इन पर रोक लगा दी है...
ज्यादातर देशों ने EVM का कभी इस्तेमाल ही नहीं किया. ईवीएम से राष्ट्रीय स्तर का मतदान भारत के अलावा सिर्फ ब्राजील, वेनेजुएला और भूटान में होता है और वहां भी ये विवादों में हैं...
4. जिन देशों से ये टेक्नोलॉजी आई, वे भी पेपर बैलेट पर भरोसा करते हैं
माइक्रोचिप की टेक्नोलॉजी जिन देशों में विकसित हुई और जिन देशों में इनका निर्माण होता है, वे देश पेपर बैलेट से ही मतदान करके राष्ट्रीय सरकार चुनते हैं...
5. जो मशीन ठीक की जा सकती है, उसे खराब भी किया जा सकता है.
मतदान के लिए भेजी गई कोई ईवीएम खराब हो जाती है, तो उसे टेक्नीशियन ठीक करता है. इसका मतलब यह भी है कि किसी मशीन को खराब भी किया जा सकता है. इसकी आशंका को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता...
6. लगभग सभी प्रमुख दल कभी न कभी EVM को अविश्वसनीय बता चुके हैं
ईवीएम पर पहला एतराज बीजेपी ने जताया था. मौजूदा दौर में कांग्रेस, एसपी, बीएसपी, आरजेडी, तृणमूल कांग्रेस और वामपंथी दलों समेत 17 विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग को लिखकर दिया है कि ईवीएम की जगह पेपर बैलेट से मतदान कराए जाएं.
7. पेपर बैलेट की किसी भी कमी का जवाब नहीं हैं EVM. मतदाता को लालच देने या धमकाने का मामला हो या उसे बूथ तक न जाने देने की शिकायत या किसी और मतदाता का वोट डाल देना यानी बोगस मतदान या बूथ पर कब्जा या चुनावी हिंसा... इनमें से किसी भी समस्या का समाधान ईवीएम में नहीं है...
8. EVM से चुनाव का समय नहीं बचता. 1984 का लोकसभा चुनाव पेपर बैलेट पर हुआ और पूरे देश का चुनाव 24 दिसंबर से 27 दिसंबर के बीच चार दिन में निबट गए और देश में नई सरकार बन गई. अब विधानसभाओं के चुनाव महीनों चलते हैं...
1989 का लोकसभा चुनाव भी बैलेट पेपर से हुए और मतदान 22 से 26 नवंबर के बीच पांच दिन में हो गए. वह भी तब जबकि सड़कें पहले ज्यादा खराब थीं और कई इलाकों में जहां अब सड़कें हैं, पहले सड़कें नहीं थीं...
9. यह कहना अवैज्ञानिक है कि EVM में छेड़छाड़ असंभव है. ईवीएम के बारे में ये दावा है कि इसे किसी भी बाहरी मशीन से जोड़ा नहीं जा सकता. लेकिन इस दावे का वैज्ञानिक आधार नहीं है. हो सकता है कि कोई भी आदमी ऐसा न कर पाया हो, लेकिन ऐसा हो ही नहीं सकता, यह कहना विज्ञान की भाषा नहीं है...
चुनाव आयोग कहता है कि बिना मशीन खोले इसमें छेड़खानी करके दिखाएं. वैसे भी इस मशीन में लगी माइक्रोचिप की प्रोग्रामिंग में इंसानी दखल होती है. कोई आदमी ही मशीन में ये जानकारी डालता है कि किसी चुनाव क्षेत्र में कितने उम्मीदवार हैं और किसका चुनाव चिह्न क्या है...
10. लोकतंत्र में भरोसा कायम रखने के लिए जरूरी है बैलेट पेपर. सभी राजनीतिक दल ईवीएम को किसी न किसी दौर में अविश्वसनीय बता चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी मतदाताओं का विश्वास बनाए रखने के लिए वीवीपैट जोड़ने की बात की. ईवीएम के खिलाफ दल बयान दे रहे हैं और ये सभी हारे हुए दल नहीं है.
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1.कोलिजियम सिस्टम
2.लैटरल एंट्री
3.प्राइवेट सेक्टर में रिज़र्वेशन
4.प्राइवेटाइजेशन
5.कास्ट सेंसस
6.हेल्थ-एजुकेशन सेक्टर में Govt निवेश न बढ़ाना
7.NPA होने देना
8.OPS
9.सरकारी पद ख़ाली रखना
10.कोटा लागू न करना
इन मुद्दों पर भी कांग्रेस और बीजेपी की समान राय है
1.EVM से चुनाव
2.सवर्ण आरक्षण यानी EWS
3.GST
कांग्रेस ये वादा भी नहीं कर सकती कि सत्ता में आने पर वह पूरे देश में MSP लागू करेगी। ये भी नहीं कहेगी कि अंबानी और अडानी ने जो लूटा है, उसका राष्ट्रीयकरण करेगी। कांग्रेस की समस्या ये नहीं है कि उसके पास मज़बूत नेता नहीं है। कांग्रेस के पास बीजेपी से अलग नीतियाँ नहीं हैं।
अगर आपके ट्विटर एकाउंट से एक या सवा करोड़ लोग जुड़े हों तो आपके एक ट्वीट पर एवरेज कितने रिट्वीट आने चाहिए? बारह से पंद्रह हज़ार? लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिन चैनलों के करोड़-सवा करोड़ फ़ॉलोवर हैं, उनके एक ट्वीट पर एवरेज 9 रिट्वीट आते हैं। जानिए क्या है राज़ #फॉलोवर_घोटाला
यह जानने के लिये हमने दो सबसे बड़े भारतीय चैनलों आज तक और एबीपी न्यूज के 1200 ट्वीट के आँकड़े जुटाए। नतीजा इस तरह रहा। आज तक को एक ट्वीट पर एवरेज 5 कमेंट, 11 रिट्वीट और 38 लाइक मिले। एबीपी को एवरेज 3 कमेंट, 7 रिट्वीट और 31 लाइक्स मिले... #फोलोवर_घोटाला
यह रहस्य समझ पाना मुश्किल था कि जिन चैनलों के फ़ॉलोवर एक करोड़ से ऊपर हों, उनके ट्वीट पर इतना कम इंगेजमेंट क्यों है। लोग इन ट्वीट पर आ क्यों नहीं रहे हैं और इंगेज क्यों नहीं हो रहे हैं। मेरे जैसे हैंडल, 1.5 लाख फॉलोवर पर इससे पचास गुना ज़्यादा रिएक्शन आता है... #फॉलोवर_घोटाला
Thus said Dr. B.R. Ambedkar- “The Hindus claim to be a very tolerant people. In my opinion this is a mistake. On many occasions they can be intolerant, and if on some occasions they are tolerant, that is because they are too weak to oppose or too indifferent to oppose. This...
... indifference of the Hindus has become so much a part of their nature that a Hindu will quite meekly tolerate an insult as well as a wrong. You see amongst them, to use the words of Morris, "The great treading down the little, the strong beating down the weak...
... cruel men fearing not, kind men daring not and wise men caring not." With the Hindu Gods all-forbearing, it is not difficult to imagine the pitiable condition of the wronged and the oppressed among the Hindus. Indifferentism is the worst kind of disease...
वैक्सीन का आविष्कार ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने किया। ब्रिटेन/स्वीडन की एक कंपनी के पास इसका पेटेंट हैं। उसने दुनिया के 15 देशों में उसे बनाने का ठेका दिया। भारत का सीरम इंस्टीट्यूट उनमें एक है। यह वैक्सीन उतना ही भारतीय है जितना भारत में पैक हुआ पेप्सी का बोतल।
दवा कंपनी @AstraZeneca का कहना है कि वैक्सीन को गरीब देशों तक भी पहुँचाना उसका लक्ष्य है। यही मानवता है। इसलिए उसने कम मुनाफ़ा होने के बावजूद भारत में भी इसका प्रोडक्शन करने का फ़ैसला किया। भारत समेत कोई गरीब देशों में यही सप्लाई जाएगी।
वैक्सीन राष्ट्रवाद की कोई गुंजाइश नहीं है। यह भारतीय वैक्सीन नहीं है।
6 Chatur (intelligent) Brahmins are running Finance Ministry.
Minister - Nirmala Sitharaman
Economic Adviser- K. Subramanian
Finance Sec. - A. B. Pandey
Revenue Sec. - T.V. Somnathan
RBI Director- S. Gurumurthy
ED chief - Sanjay Mishra
If anything goes wrong, don’t blame me!
This team well sell India and then go to the world bank on deputation. For repentance they can do some puja and Ganga Snana.
Dear @meenaharris , Your claim of being Hindu is false and irreligious. According to Agama, Smritis and Shastras you have to have a caste to be a Hindu. Your grand father, father and husband all are black. Like MLK, you are “untouchable.” Don’t interfere in our internal matters.
Caste is endogenous & hereditary transmitted. You just can’t acquire a caste. You born in it. It’s based on patriarchal linage. We are not interested in your grand mother’s caste. That’s inconsequential. As we can’t place you in any caste groups, hence you are not Hindu. Period.