प्रिय मित्र @shalabhmani और मैं एक ही कंपनी में काम कर चुके हैं। अब @myogiadityanath के सूचना सलाहकार हैं। कोरोना काल में पिछले 24 घंटे में उन्होंने कुल 18 लोगों को मदद करने की सूचना ट्विटर पर दी है। बधाई के पात्र हैं। 1-18 तक हर केस पर एक नज़र डालिए और अपने निष्कर्ष निकाल लीजिए।
ऐसा क्यों हुआ होगा, इस पर मेरी फ़िलहाल कोई टिप्पणी नहीं है। आप अपने निष्कर्ष निकालने के लिए स्वतंत्र हैं। मुमकिन है कि यही लोग उनके पास मदद माँगने पहुँचे हों। इसमें कोई क्या कर सकता है।
अगर इसके अलावा भी किसी को मदद करने की सूचना अगर आपको इनके ट्विटर टाइमलाइन पर नज़र आए तो मुझे बता दें। मैं ऐड कर दूँगा। यह एक समाजशास्त्रीय अध्ययन है। सहयोग करें।
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Babasaheb Dr. B.R. Ambedkar on Rama and Shambuka: “That without penal sanction the ideal of Chaturvarnya cannot be realized, is proved by the story in the Ramayana of Rama killing Shambuka. Some people seem to blame Rama because he wantonly and without reason killed Shambuka....
...But to blame Rama for killing Shambuka is to misunderstand the whole situation. Ram Raj was a Raj based on Chaturvarnya. As a king, Rama was bound to maintain Chaturvarnya....
...It was his duty therefore to kill Shambuka, the Shudra who had transgressed his class and wanted to be a Brahmin. This is the reason why Rama killed Shambuka. But this also shows that penal sanction is necessary for the maintenance of Chaturvarnya...
प्रशांत किशोर पांडे RSS का आदमी है। उसके पास कैंब्रिज एनालिटिका जैसी किसी जगह से डाटा आ गया है। उसे दिखा कर वह विपक्षी नेताओं को फाँसता है। फिर उसे समझाता है कि सॉफ़्ट हिंदुत्व करो, तभी बचोगे।वह पूरी पॉलिटिक्स को हिंदुत्व फ़ोल्ड में ले जाने के RSS के प्रोजेक्ट का खिलाड़ी है।
पश्चिम बंगाल बीजेपी को हर हाल में चाहिए। इसलिए प्रशांत किशोर पांडे को खुलकर ममता बनर्जी के ख़िलाफ़ विभीषण वाला काम करना पड़ा। उन पर मुसलमान तुष्टीकरण का आरोप लगाया। प्रशांत किशोर का काम पूरा हो चुका है। इन चुनावों के बाद उसे कोई काम नहीं देगा। वह BJP ज्वाइन कर सकता है।
तमिलनाडु में बीजेपी का कोई खेल नहीं है। वहाँ प्रशांत किशोर के पास खेलने के लिए कुछ नहीं है। वह काम सिर्फ अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए उसने किया है। उसने असली काम पश्चिम बंगाल में किया है। लेकिन यह उसका चुनाव मैनेजमेंट का आख़िरी काम है।
ब्राह्मणों को क्यों महात्मा ज्योतिबा फुले के प्रति आभारी होना चाहिए - Rahul Sonpimple
ज्योतिबा फुले (जन्म 11अप्रैल, 1827) के समय ब्राह्मणों की स्थिति क्या थी?
उनमें उस समय तक राष्ट्र की कोई भावना नहीं थी। वे खुद को विदेशी आर्य मानते थे। उनमें भारतीय होने का कोई बोध नहीं था...
फुले के बाद तक बाल गंगाधर तिलक से लेकर राम मोहन राय और राधाकुमुद मुखर्जी तक हर ब्राह्मण खुद को विदेशी आर्य मान रहा था।
उनके बीच मतभेद सिर्फ़ अपने नस्ल के मूल स्थान को लेकर था। कोई खुद को उत्तरी ध्रुव का तो कोई यूरोप का तो कोई खुद को यूरेशिया या स्टेपी का बता रहा था!
यही नहीं, ब्राह्मण उस समय तक खुद को बाक़ी भारतीयों से अलग बताने के लिए खुद को ब्रह्मा के मुँह से उत्पन्न बता रहे थे। खुद को भूदेव कह रहे थे। बाक़ी लोगों के साथ उनका कोई बंधुत्व नहीं था, और बंधुत्व के बिना तो राष्ट्र बन नहीं सकता।
Rahul Sonpimple on why the Brahmins must thank #Phule
Before #JyotibaPhule , the Brahmins never had the idea of a nation, they were busy in proving themselves as outsider colonizers- the superior race. They constructed the myth of divine origin....
Brahmins like Tilak propagated that North Pole was the original home of Brahmins. Phule built his Satyasodhak movement against such Brahmin myths & countered the hegeomony by posing the idea of ‘Bali Rajya’ - Bahujan Nation against the Brahmin-Baniya rule...
It was phule who forced brahmins to leave their myth of being a superior outsider race. Later the nation and Nationalism became only discourse for brahmins to maintain their hegemony. In simple words Phule straightened the Brahmins...
जानिए वे 10 वजहें, जिनके कारण भारत में #EVM_Ban होना चाहिए। 1. EVM पारदर्शी नहीं है. पेपर बैलेट में वोट डालने वाले को नजर आता है कि उसने किस निशान पर मुहर लगाई. मुहर लगाने के बाद वह बैलेट पेपर को मोड़कर सभी उम्मीदवारों के प्रतिनिधि के सामने उसे बैलेट बॉक्स में डालता है....
ईवीएम में मतदाता को यह पता नहीं चल पाता कि उसने जिस निशान पर बटन दबाया है, वोट उसे ही गया है. इस कमी को पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीन लगाई गई है, जिससे कागज की एक पर्ची निकलती है, जिसे मतदाता देख सकता है....
VVPAT पर्चियां जमा होती हैं. हालांकि कागज की पर्ची और मशीन में दर्ज वोट समान है, इसकी कोई गारंटी नहीं हो पाती है. इसलिए विवाद की स्थिति में इन पर्चियों को गिनने का प्रावधान है. अभी तक का अनुभव है कि कागज की पर्चियों की गिनती नहीं होती है...
1.कोलिजियम सिस्टम
2.लैटरल एंट्री
3.प्राइवेट सेक्टर में रिज़र्वेशन
4.प्राइवेटाइजेशन
5.कास्ट सेंसस
6.हेल्थ-एजुकेशन सेक्टर में Govt निवेश न बढ़ाना
7.NPA होने देना
8.OPS
9.सरकारी पद ख़ाली रखना
10.कोटा लागू न करना
इन मुद्दों पर भी कांग्रेस और बीजेपी की समान राय है
1.EVM से चुनाव
2.सवर्ण आरक्षण यानी EWS
3.GST
कांग्रेस ये वादा भी नहीं कर सकती कि सत्ता में आने पर वह पूरे देश में MSP लागू करेगी। ये भी नहीं कहेगी कि अंबानी और अडानी ने जो लूटा है, उसका राष्ट्रीयकरण करेगी। कांग्रेस की समस्या ये नहीं है कि उसके पास मज़बूत नेता नहीं है। कांग्रेस के पास बीजेपी से अलग नीतियाँ नहीं हैं।