ज़रा सा वक़्त बीतेगा और सब माज़ी हो जाएगा …
फिर किसी दिन बात निकलेगी और माज़ी पुकारेगा … 1/9 #FarmersProtest
तुम्हारी नस्लें तुमसे पूछेंगी कि “ये ग़ैरत क्या होती है?”
तो कहना वो इक बेकार बेदाम सी शय थी
जब एक दिन किसान छोड़ के घरबार खेत परिवार
अपना हक़ माँगने निकले तो उनके रास्तों में हमने
कटीले तार बिछवाए,लोहे की कीलें कुछ गाढ़ी
और उन कीलों के नीचे ये ग़ैरत भी गाढ आए हम #FarmersProtest
अगर नस्लें पूछ बैठें कि “ये हक़ क्या होता है?”
तो कहना वो हमारे किस काम आता जीने में
हम गूंगी बहरी हुकूमत के टुकड़ों पर पलते थे
वो जो फेंक कर दे दें उसी पर फ़ख़्र करते थे
तो कड़कती ठंड में जब किसान सड़को पर बैठे थे
तो पानी की बौछारे कीं और उसी में हक़ बहा आए ..3/9 #FarmersProtest