6 महीने में आप बाइक के मैकेनिक बन सकते हो।
6 महीने में आप कार के मैकेनिक बन सकते हो।
6 महीने में आप साइकिल के मकैनिक बन सकते हो।
6 महीने में आप #BeeKeeping सीख सकते हो।
6 महीने में आप दर्जी का काम सिख सकते हो।
6 महीने में आप डेयरी फार्मिंग सीख सकते हो।
6 महीने में आप हलवाई का काम सीख सकते हो।
6 महीने में आप घर की इलेक्ट्रिक वायरिंग सीख सकते हो।
6 महीने में आप घर का प्लंबर का कार्य सीख सकते हो।
6 महीने में आप मोबाइल रिपेयरिंग सीख सकते हो।
6 महीने में आप जूते बनाना सीख सकते हो।
6 महीने में आप दरवाजे बनाना सीख सकते हो।
6 महीने में आप वेल्डिंग का काम सीख सकते हो।
6 महीने में आप मिट्टी के बर्तन बनाना सीख सकते हो।
6 महीने में आप घर की चिनाई करना सीख सकते हैं।
6 महीने में आप योगासन सीख सकते हो।
6 महीने में आप मशरूम की खेती का काम सीख सकते हो।
6 महीने में आप बाल काटने सीख सकते हो।
6 महीने में आप बहुत से काम ऐसे सीख सकते हो जो आपके परिवार को भूखा नहीं सोने देगा।
आज भारत में सबसे अधिक दुखी वह लोग हैं जो बहुत अधिक पढ़ लिखकर बेरोजगार हैं।
जो शिक्षा आप को रोजगार न दे सके वह शिक्षा किसी काम की नहीं।
रोजगार के लिए आपका अधिक पढ़ा लिखा होना कोई मायने नहीं।
भारत में 90% रोजगार वे लोग कर रहे हैं जो ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं।
10% रोजगार पाने के लिए पढ़े लिखे लोगों में मारामारी है।।
स्वंय विचार करें।
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साईं की मृत्यु के बाद दशकों तक उनका कहीं कोई नामलेवा नहीं था।
हो सकता है कि मात्र थोड़ी दूर तक के लोग जानते होंगे।
पर अब कुछ तीस या चालीस वर्षों में उनकी उपस्थिति आम हो गई है और लोगों की आस्था का पारा अचानक से उबाल बिंदु को पार करने लगा है।
आप किसी भी साठ या सत्तर साल के व्यक्ति से पूछ लें कि उन्होंने साईं बाबा का नाम पहली बार अपने जीवन में कब सुना था?.. निश्चित ही वो कहेगा कि उसने पहले नहीं सुना था... कोई नब्बे या कोई अस्सी के दशक में हीं सुना हुआ कहेगा।
फिर इतनी जल्दी ये इतने बड़े भगवान कैसे बन गए??
एक बात और... हिन्दुओं के भगवान बनाने के पहले इनके चेले चपाटों ने इन्हें कुछ इस प्रकार से पेश किया था जैसे कि सभी धर्मों के यही एकमात्र नियंता हों। हिन्दू , मुस्लिम, सिक्ख ईसाई... सभी के इष्ट यही थे।
यूपी की सियासत के एक बड़े माहिर खिलाड़ी हुआ करते थे, नरेश अग्रवाल। हरदोई जिले में नरेश अग्रवाल के परिवार का खासा दबदबा माना जाता था। जिला पंचायत, नगर पालिका से लेकर हरदोई विधानसभा तक, 40 साल तक उनका कब्ज़ा रहा है।
कहने को तो वो खाँटी सपाई थे मगर प्रदेश में सरकार किसी की भी रही हो, नरेश अग्रवाल का जलवा हमेशा बरकार रहा।
अपने बयानों को लेकर नरेश अग्रवाल हमेशा अखबारों और मीडिया में चर्चा का विषय रहते थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर हिंदू देवी-देवताओं तक पर वो विवादित बयान दे देते थे। उन पर हिन्दू देवी देवताओं को लेकर गलत बयानबाज़ी के चलते एफआइआर तक दर्ज हुई थी।
A new clinical protocol issued by Director General of Health Services (DGHS) for #COVID treatment that dropped hydroxychloroquine (HCQ), ivermectin ,azithromycin, doxycycline, zinc , vitamins & antiviral drug favipiravir saying have no evidence of benefit...
यानी अब तक जो कोविड के मरीज ठीक हुए हैं उन्हें दवा ने नहीं दुआ ने ठीक किया है, और जो मरीज अस्पताल जाकर भी बच नहीं पाए वह शायद इन दवाओं के दुष्प्रभाव के कारण मरे होंगे।
भाई डॉक्टर साहब लोग जब तुम लोग भी तजुर्बा करके ही सीख रहे हो तो फिर आयुर्वेद को निशाना क्यों बनाते हो??
जब तुम लोग भी अपनी अज्ञानता के कारण उलट-पुलट किसी भी दवाई को लिख देते हो और उसे बाजार में हजारों लाखों रुपए के भाव में बिकवा देते हो तो फिर किसी देसी दवाई के प्रति घृणा क्यों फैलाते हो।
आपको प्रशांत किशोर नाम याद हैं!!
जरा दिमाग पर जोर डालिये और मात्र छह साल पहले 2014 अगस्त याद कीजिये जब काँग्रेस ने प्रशांत किशोर को ठेका दिया था राहुल गाँधी को राजनीति में चमकाने का!
प्रशांत ने 350 करोड़ में राहुल गाँधी को राजनीति का सूरज बना देने का कॉन्ट्रेक्ट साइन किया था।
अगस्त के आखिर में PK ने बाकायदा सोशल मीडिया पर विज्ञप्ति निकाली थी कि जो लोग सोशल मीडिया पर लिखने में एक्सपर्ट हैं वे उससे जुड़े, करीब 60 हजार लोगों की लिस्ट बनी थी। मुंबई में और दूसरी बनारस में मीटिंग रखी गयी।
5000 लोगों को छाँट कर एक IT Cell बनी जो काँग्रेस को अपग्रेड करते थे
दूसरा आपको "द वायर" याद है, जिसने अमित शाह के बेटे पर 300% मुनाफा कमाने का आरोप लगाया था और रातों रात चर्चा में आई थी??
हालाँकि 'द वायर' ने बाद में केजरीवाल की तरह माफी भी माँगी और कोर्ट में जुर्माना भी भरा था, लेकिन द वायर को चर्चा में आना था सो वह आ गई।
हमारे समाज में ऐसी धारणा है कि जमा हुआ शहद मिलावटी होगा, लेकिन यह पूरी तरह गलत धारणा है। शहद का जमना एक कुदरती प्रक्रिया है। शुद्ध शहद भी जम सकता है, क्रिस्टलाइज्ड हो सकता है।
शहद का जमना इस बात पर निर्भर करता है कि शहद किस स्रोत से उत्पन्न हुआ है अर्थात कौन से फूलों के रस से मधुमक्खियों ने शहद का निर्माण किया है। मधु के अंदर प्राकृतिक रूप से ग्लूकोस और फ्रुक्टोज जैसी शर्कराएं होते हैं।
यदि शहद के अंदर ग्लूकोज की मात्रा अधिक रही तो उसमें जमने की प्रवृत्ति अधिक होगी। जिन फूलों के रस में प्राकृतिक रूप से ग्लूकोज की मात्रा अधिक होती है उनके रस से अगर मधुमक्खी शहद का निर्माण करती है तो उस शहद में जमने का गुणधर्म ज्यादा रहेगा।
सपा के "बेवकूफ मुखिया" का यह कहना कि वे "भाजपा का वैक्सीन" नहीं लगाएंगे, अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण है तथा निंदा करने योग्य है। वह स्वयं तो अपनी कोठी और बंगले में अपने आपको सुरक्षित रख लेगा लेकिन अपने वोट बैंक को कोरोना के सामने धकेल कर उन्हें मौत के मुंह में पहुंचाना चाहता है।
नेता वह होता है जो अपने अनुयायियों को मार्ग दिखाता है पर ये तो ऐसा मूर्ख है जो अपने ही लोगों का जीवन खतरे में डाल रहा है। जो लोग भी अखिलेश पर भरोसा करते हैं और उसका कहा मान कर वैक्सीन का विरोध करेंगे वह कहीं ना कहीं अपने लिए ही आत्मघाती कदम उठा रहे होंगे।
वैक्सीन इंसानों के लिए बन रही है जानवरों के लिए नहीं। स-मा-ज-वादी पार्टी के मुखिया akles और उनके अनुयाई "वोट बैंक" यदि इससे दूरी बनाना चाहें तो वह खुद अपने दुर्भाग्य को प्राप्त होंगे।