2 किलो दही 25 किलो यूरिया के बराबर करता है काम! इस तकनीक को अपनाकर करें उपयोग कभी नहीं होगी यूरिया सहित अन्य उर्वरक की जरूरत !
आवाज एक पहल @nstomar @narendramodi
हाल के दिनों में यूरिया की किल्लत से परेशानी की खबर देश के हर जिले से आ रही है। घंटों मशक्कत के बाद भी किसानों को 1-2 बोरी यूरिया मिलने में परेशानी आ रही है। इस तरह के परेशानियों का सामना करने वाले सभी किसान भाइयों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। @Manojkumar18877 @BablieV
दरअसल खेती में दही का उपयोग करके आप यूरिया सहित अन्य उर्वरकों का दाम बचा सकते हैं।
दही का उपयोग करने के कई लाभ हैं। दही के उपयोग से खेती से लागत का 95 प्रतिशत बचता है और कृषि उत्पादन में कम से कम 15 प्रतिशत की वृद्धि होती है। दही के फायदों को देखकर,
कई किसानों ने इसकी ओर रुख किया है। खासकर जब से इसका प्रयोग भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और गुजरात के कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा किया गया है। मीठे नीम को छाछ पीलाना सालों से परंपरा रही है। दही का उपयोग अब खेत में किया जा रहा है। गुजरात में प्रति हेक्टेयर 500 किलोग्राम रासायनिक
उर्वरक का उपयोग किया जाता है। 2010-11 में खपत 19.39 लाख टन थी। 1012-13 में खपत 13.42 लाख टन थी। 2019-20 में रासायनिक उर्वरकों की खपत लगभग 10 लाख टन होने का अनुमान है।
15 दिनों तक सिंचाई करने की आवश्यकता नहीं है, इसलिए यह प्रति एकड़ 1000 रुपये बचाता है। रासायनिक उर्वरक की प्रति एकड़ लागत रु।1100 है, लेकिन दही की कीमत 110 रुपये प्रति 2 किलो दूध है। कीटनाशकों पर 1500 रुपये प्रति एकड़ खर्च नहीं होता है। @Sabhapa30724463 @nitin_gadkari
इस प्रकार, एक को प्रति एकड़ 3600 रुपये खर्च करने पड़ते हैं, लेकिन केवल 155 रुपये की मामूली लागत पर दहीं से काम चलता है।
दही कैसे बनाये
दही बनाने के लिए मिट्टी के बर्तन में देशी गाय का दो लीटर दूध डालें। दो किलो दही में एक तांबे का टुकड़ा या एक तांबे का चम्मच डुबोएं
और इसे 8 से 15 दिनों के लिए ढककर छाया में रखें। इसमें हरे रंग का तार होगा। तांबे या पीतल को धोकर दही में मिलाएं। 5 लीटर मिश्रण बनाने के लिए दो किलो दही में 3 लीटर पानी मिलाएं। एक एकड़ में एक पंप द्वारा पानी का छिड़काव किया जाता है। फिर 1 एकड़ में फसल पर पानी छिड़का जाता है।
ऐसा करने से पौधे 25 से 45 दिनों तक हरे रहेंगे। नाइट्रोजन की अब जरूरत नहीं है। फसल हरी हो जाएगी।
2 किलो दही से 25 किलो यूरिया बचता है
उत्तर बिहार में 1 लाख किसान यूरिया की जगह दही का इस्तेमाल करते हैं। अनाज, सब्जी और बागों के उत्पादन में 25 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है।
30 मिलीलीटर दही का मिश्रण एक लीटर पानी में डाला जाता है। दिल्ली के आसपास, 9 साल से यूरिया के बजाय दही का उपयोग किया जाता है।
सभी फसलों में उपयोगी
यह सभी प्रकार की फसलों जैसे मक्का, गेहूं, आम, केला, सब्जियां, लीची, धान, गन्ना पर छिड़का जा सकता है।
गार्डन
बगीचे में फूल आने से 25 दिन पहले दही पानी का उपयोग किया जाता है। यह बगीचों को फास्फोरस और नाइट्रोजन प्रदान करता है। फसल पर जैविक पदार्थ तैयार हो जाएगा। सभी फल एक समान आकार के होते हैं।
जहरीला मक्खन
छाछ से निकलने वाला मक्खन किट नियंत्रक के रूप में काम करेगा। जहरीले मक्खन में वर्मीकम्पोस्ट डाल कर पौधे की जड़ों में रगड़ें। कीड़े और कीट चले जाएंगे। विषाक्त पदार्थों के बारे में पता होना महत्वपूर्ण है।
निस्संक्रामक
अगर ये किसान इसमें दही के अलावा मेथी का पेस्ट या नीम का तेल मिलाते हैं और इसे कीटनाशक के रूप में स्प्रे करते हैं, तो फसल को फंगस नहीं लगेगा। ऐसा करने से नाइट्रोजन प्रदान करता है, कीटों को समाप्त करता है और अनुकूल कीटों से बचाता है।
मिट्टी में खाद
दही का उपयोग मिट्टी में भी किया जा सकता है। 2 किलो दही प्रति एकड़ के हिसाब से लगायें। मिट्टी में माइक्रोबियल दर अधिक है। ऐसा करने से सभी फसलों में उत्पादन 25-30 प्रतिशत बढ़ सकता है। दही का उपयोग पंचगव्य में किया जाता है।
पानी की खपत कम हो जाती है
गर्मी में दही में 300 ग्राम और पानी में 300 ग्राम सेंधा नमक मिलाकर 300 ग्राम सेंधा नमक छिड़कने से फसल को 15 दिनों तक पानी की जरूरत नहीं होती है।
कृषि अनुसंधान संस्थान
जैसा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने मार्च 2017 में इस नवाचार को मान्यता दी थी, मुजफ्फरपुर के किसानों को दही की खेती करके सम्मानित किया गया था।
भारत में, सालाना 500 लाख टन उर्वरक का उपयोग किया जाता है। उपर के अनुभव किसानो का है।
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🧑🎨 *इन्दिरा गाधी को आयरन लेडी समझने वाले ध्यान से पढ़ें -*
विंग कमांडर अभिनंदन का नाम तो आप निश्चय ही नहीं भूले होंगे. शायद उनकी _’हैंडल बार’_ मूछें भी याद ही होंगी.
लेकिन इसी भारतीय वायु सेना के कुछ अन्य जांबाज़ पायलट के नाम नीचे मैंने लिखे हैं. इनकी तस्वीरें देखना तो दूर, हममें से कोई एकाध ही होगा जिसने ये नाम सुन रखे होंगे.
🥲लेकिन इनका रिश्ता अभिनंदन से बड़ा ही गहरा है. पढ़िए ये नाम.👇
विंग कमांडर हरसरण सिंह डंडोस
स्क्वाड्रन लीडर मोहिंदर कुमार जैन
स्क्वाड्रन लीडर जे एम मिस्त्री
स्क्वाड्रन लीडर जे डी कुमार
स्क्वाड्रन लीडर देव प्रशाद चटर्जी
फ्लाइट लेफ्टिनेंट सुधीर गोस्वामी
1962 के भारत चीन युद्ध के बाद रूस ने चीन को अपना भाई और भारत को दोस्त कहा था......
जाहिर सी बात है दोस्त के लिए भाई को छोड़ना आसान नही है...
रूस वही चाल चल रहा है जो उसके और चीन के हित में हो और इसकी रूप रेखा तभी खिंच गयी थी जब रूस और पाकिस्तान की सेना का
संयुक्त युद्ध अभ्यास की बात चली चली थी....
बहुत कुछ है जो आज से नही 12 साल पहले से ही पक रहा था और उसका फाइनल टच भी शीघ्र ही दिया जाएगा....
शीघ्र ही भारत पर एक युद्ध थोपा जा सकता है क्योंकि समूचा विश्व जान चुका है मोदी को हटाना इतना आसान नही है।
यदि हटाया न गया तो भारत एक बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में उभरकर आगे आएगा।
कोरोना काल में जिस तरह से मोदी सरकार ने जनकल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन किया है यह अपने आप में एक बड़ी मिशाल है जिसे देखकर विश्वकी महाशक्तियां चकित हैं कि आखिर ये सब मैनेज कैसे हुआ ..?
अंधों को भले ना दिख रहा हो लेकिन देश तो बदल रहा है।
भारतीय उद्यमियों की उद्यमिता के संरक्षण संवर्धन के लिए 6 वर्ष पूर्व 15 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी ने स्टार्टअप इंडिया अभियान की घोषणा की थी। 16 जनवरी 2016 को यह अभियान विधिवत प्रारम्म हुआ था।
स्टार्टअप इंडिया भारत सरकार द्वारा की गई एक ऐसी पहल थी जिसका उद्देश्य अपने नागरिकों के बीच उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देना और प्रोत्साहित करना था। स्टार्टअप इंडिया पहल शुरू करने का प्रमुख उद्देश्य इसके माध्यम से बेरोजगारों के बीच रोजगार पैदा करना भी था।
उस समय प्रधानमंत्री मोदी की उस पहल का राहुल गांधी समेत समस्त विपक्ष ने और लुटियन दिल्ली के मीडियाई दलालों ने जमकर मजाक उड़ाया था। आज भी यह लोग चीखते चिल्लाते हैं और सवाल उछालते रहते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था तबाह बरबाद हो गयी, कहां गया स्टार्टअप इंडिया.?
भारत ऐसे ही तपस्वी लोगों की भूमि नहीं बोला जाता है I
गुरुकुल घरोंदा के एक आचार्य थे।
वे जनसंघ के टिकट पर सांसद बन गए, तो उन्होंने सरकारी आवास नहीं लिया और बाजार सीताराम, दिल्ली-6 के आर्य समाज मंदिर से संसद तक पैदल जाया करते थे कार्रवाई में भाग लेने। वे ऐसे पहले सांसद थे,
जो हर सवाल पूछने से पहले संसद में एक वेद मंत्र बोला करते थे, वे सब वेदमंत्र संसद की कार्रवाई के रिकार्ड में देखे जा सकते हैं। उन्होंने एक बार संसद का घेराव भी किया था, गोहत्या पर बंदी के लिए....
एक बार इंदिरा जी ने किसी मीटिंग में उन्हें पांच सितारा होटल में बुलाया। वहां जब लंच चलने लगा तो उन्होंने अपनी जेब से लपेटी हुई बाजरे की सूखी दो रोटी निकाली और खाने लगे। इंदिरा जी ने कहा आप क्या करते हैं, क्या यहां खाना नहीं मिलता। तो वे बोले मैं संन्यासी हूं,
बाइडेन , राहुल गांधी , तालिबान , भाईजान लोग और मौलवी का इश्क़
न जाने क्यों वामपंथी भाई जान लोग बाइडेन और राहुल गांधी की बीमारी की चर्चा मात्र से डरते रहते हैं। शायद यह भी एक बीमारी है। फिर इस बीमारी के लपेट में वामपंथी ही क्यों
सारे सेक्यूलर हिप्पोक्रेट्स दीखते हैं। फ़ैसला भले बराक ओबामा का था पर जिस तरह अफगानिस्तान बाइडेन ने खाली किया है और बेआबरु हुए हैं , विश्व की दर्दनाक घटना है। पर गाय तक पर ज्ञान बघारने वाले यह लोग अफगानिस्तान के इंसानों पर हो रहे
जुल्मो-गारत पर गॉगल्स लगा कर खामोश हैं।
याद कीजिए कि कुछ समय पहले इसी अमरीका का राष्ट्रपति रहा ट्रंप जब कभी हवा भी खारिज करता था तो यही लोग तुरंत सूंघ कर उस की बदबू कैसी है से फौरन दुनिया को परिचित करवाते थे। जब कि बाइडेन भी अमरीका का ही