अंधों को भले ना दिख रहा हो लेकिन देश तो बदल रहा है।
भारतीय उद्यमियों की उद्यमिता के संरक्षण संवर्धन के लिए 6 वर्ष पूर्व 15 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी ने स्टार्टअप इंडिया अभियान की घोषणा की थी। 16 जनवरी 2016 को यह अभियान विधिवत प्रारम्म हुआ था।
स्टार्टअप इंडिया भारत सरकार द्वारा की गई एक ऐसी पहल थी जिसका उद्देश्य अपने नागरिकों के बीच उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देना और प्रोत्साहित करना था। स्टार्टअप इंडिया पहल शुरू करने का प्रमुख उद्देश्य इसके माध्यम से बेरोजगारों के बीच रोजगार पैदा करना भी था।
उस समय प्रधानमंत्री मोदी की उस पहल का राहुल गांधी समेत समस्त विपक्ष ने और लुटियन दिल्ली के मीडियाई दलालों ने जमकर मजाक उड़ाया था। आज भी यह लोग चीखते चिल्लाते हैं और सवाल उछालते रहते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था तबाह बरबाद हो गयी, कहां गया स्टार्टअप इंडिया.?
कहां है स्टार्टअप इंडिया.?
इस सप्ताह उन सारे सवालों का जवाब सामने आ गया है। यह जवाब भी किसी भारतीय या भाजपाई मंच ने नहीं दिया है। वैश्विक स्तर पर पूरी दुनिया के स्टार्टअप्स पर पर पैनी दृष्टि रखने वाले अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त
Hurun Research Institute की तरफ से यह जवाब आया है।
2 दिन पूर्व हुरून रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा जारी की गयी दुनिया भर के स्टार्टअप्स की क्रमांक सूची में भारत के स्टार्टअप्स को तीसरा स्थान दिया गया है और भारतीय स्टार्टअप्स की कुल पूंजी लगभग 12.26 लाख करोड़ रूपए
आंकी गयी है। शुरुआत के बाद केवल 6ठें वर्ष में भारतीय स्टार्टअप्स को मिली यह सफलता यह उपलब्धि अभूतपूर्व है। विशेषकर लगभग डेढ़ वर्ष लंबी कोरोना काल की विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारतीय स्टार्टअप्स की यह सफलता अविश्वसनीय भी है और अविस्मरणीय भी है। 12.26 लाख करोड़ की
पूंजी वाले यह छोटे उद्योग कितने लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार दे रहे होंगे, इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। लेकिन भारतीय स्टार्टअप्स को मिली इस सफलता पर राहुल गांधी समेत समस्त विपक्ष ने और लुटियन दिल्ली के मीडियाई दलाल मरघटी चुप्पी साधे हुए हैं।
आर्थिक मोर्चे पर ही दूसरी ऐतिहासिक सफलता की एक और अद्वितीय कहानी भारतीय अर्थव्यवस्था द्वारा लिखी जा रही है। यह कहानी भी राहुल गांधी समेत समस्त विपक्ष और लुटियन दिल्ली के मीडियाई दलालों के उस सफेद झूठ की धज्जियां उड़ा देगी कि... प्रधानमंत्री मोदी ने
भारतीय अर्थव्यवस्था को पूरी तरह तबाह और बरबाद कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि इस वित्तीय वर्ष 2021-22 के पहले 5 महीनों में लगभग 5.64 लाख करोड़ से अधिक का GST संग्रह हो चुका है। अर्थात अबतक प्रतिमाह औसतन लगभग 1.13 हजार करोड़ का GST संग्रह हुआ है।
यदि यही औसत ही रहा तो इस वित्तीय वर्ष में GST संग्रह लगभग 13.56 करोड़ होगा। उल्लेख कर दूं कि यह एक नया रिकॉर्ड होगा क्योंकि किसी भी वित्तीय वर्ष में इतना GST संग्रह पहले कभी नहीं हुआ है। हालांकि अब अगले 5 महीने पूरी तरह से त्यौहारों और शादी विवाह का सीजन होंगे।
अतः यह निश्चित है कि इन महीनों में GST संग्रह पिछले 5 महीनों की तुलना में काफी अधिक होगा। अतः इस वित्तीय वर्ष में GST संग्रह 14 लाख करोड़ के पार हो जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। इसे आप इस तरह समझिए कि जुलाई 2017 में GST लागू होने के बाद से जिस
वित्तीय वर्ष 2019-20 में सर्वाधिक GST संग्रह (12.22 लाख करोड़ रु) हुआ था। उसके प्रथम 5 महीनों में हुए GST संग्रह (5.12 लाख करोड़ रु) से 10 प्रतिशत से भी अधिक (5.64 लाख करोड़ रु) GST संग्रह इस वित्तीय वर्ष में हुआ है। अतः इसबार यह आंकड़ा 14-15 लाख करोड़ के बीच ही होगा।
यह भारतीय अर्थव्यवस्था की अभूतपूर्व सफलता का ठोस प्रमाण होगा।
अंत में यह उल्लेख कर दूं कि GST संग्रह किसी आसमानी कृपा से नहीं होता। बाजार की कमाई का ही एक हिस्सा होता है। बाजार अपने छोटे बड़े कर्मचारियों के बिना यह कमाई नहीं कर सकता।
अगर इस वित्तीय वर्ष के GST संग्रह में बाजार अपना रिकॉर्ड तोड़ योगदान करता हुआ स्पष्ट दिखाई दे रहा है तो आप स्वंय ही सहज ही यह अनुमान लगा सकते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था की तबाही बरबादी तथा करोड़ों लोगों के बेरोजगार हो जाने का जो विधवा विलाप #राहुल_गांधी समेत समस्त विपक्ष
और लुटियन दिल्ली के मीडियाई दलाल कर रहे हैं। वह विधवा विलाप कितना सच कितना झूठ है।
बहुत आसान शब्दों में मैंने अपनी बात आप मित्रों के समक्ष रखी है और मेरा स्पष्ट मानना है कि...
★अंधों को भले ना दिख रहा हो लेकिन देश तो बदल रहा है।★
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🧑🎨 *इन्दिरा गाधी को आयरन लेडी समझने वाले ध्यान से पढ़ें -*
विंग कमांडर अभिनंदन का नाम तो आप निश्चय ही नहीं भूले होंगे. शायद उनकी _’हैंडल बार’_ मूछें भी याद ही होंगी.
लेकिन इसी भारतीय वायु सेना के कुछ अन्य जांबाज़ पायलट के नाम नीचे मैंने लिखे हैं. इनकी तस्वीरें देखना तो दूर, हममें से कोई एकाध ही होगा जिसने ये नाम सुन रखे होंगे.
🥲लेकिन इनका रिश्ता अभिनंदन से बड़ा ही गहरा है. पढ़िए ये नाम.👇
विंग कमांडर हरसरण सिंह डंडोस
स्क्वाड्रन लीडर मोहिंदर कुमार जैन
स्क्वाड्रन लीडर जे एम मिस्त्री
स्क्वाड्रन लीडर जे डी कुमार
स्क्वाड्रन लीडर देव प्रशाद चटर्जी
फ्लाइट लेफ्टिनेंट सुधीर गोस्वामी
1962 के भारत चीन युद्ध के बाद रूस ने चीन को अपना भाई और भारत को दोस्त कहा था......
जाहिर सी बात है दोस्त के लिए भाई को छोड़ना आसान नही है...
रूस वही चाल चल रहा है जो उसके और चीन के हित में हो और इसकी रूप रेखा तभी खिंच गयी थी जब रूस और पाकिस्तान की सेना का
संयुक्त युद्ध अभ्यास की बात चली चली थी....
बहुत कुछ है जो आज से नही 12 साल पहले से ही पक रहा था और उसका फाइनल टच भी शीघ्र ही दिया जाएगा....
शीघ्र ही भारत पर एक युद्ध थोपा जा सकता है क्योंकि समूचा विश्व जान चुका है मोदी को हटाना इतना आसान नही है।
यदि हटाया न गया तो भारत एक बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में उभरकर आगे आएगा।
कोरोना काल में जिस तरह से मोदी सरकार ने जनकल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन किया है यह अपने आप में एक बड़ी मिशाल है जिसे देखकर विश्वकी महाशक्तियां चकित हैं कि आखिर ये सब मैनेज कैसे हुआ ..?
2 किलो दही 25 किलो यूरिया के बराबर करता है काम! इस तकनीक को अपनाकर करें उपयोग कभी नहीं होगी यूरिया सहित अन्य उर्वरक की जरूरत !
आवाज एक पहल @nstomar @narendramodi
हाल के दिनों में यूरिया की किल्लत से परेशानी की खबर देश के हर जिले से आ रही है। घंटों मशक्कत के बाद भी किसानों को 1-2 बोरी यूरिया मिलने में परेशानी आ रही है। इस तरह के परेशानियों का सामना करने वाले सभी किसान भाइयों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। @Manojkumar18877 @BablieV
दरअसल खेती में दही का उपयोग करके आप यूरिया सहित अन्य उर्वरकों का दाम बचा सकते हैं।
दही का उपयोग करने के कई लाभ हैं। दही के उपयोग से खेती से लागत का 95 प्रतिशत बचता है और कृषि उत्पादन में कम से कम 15 प्रतिशत की वृद्धि होती है। दही के फायदों को देखकर,
भारत ऐसे ही तपस्वी लोगों की भूमि नहीं बोला जाता है I
गुरुकुल घरोंदा के एक आचार्य थे।
वे जनसंघ के टिकट पर सांसद बन गए, तो उन्होंने सरकारी आवास नहीं लिया और बाजार सीताराम, दिल्ली-6 के आर्य समाज मंदिर से संसद तक पैदल जाया करते थे कार्रवाई में भाग लेने। वे ऐसे पहले सांसद थे,
जो हर सवाल पूछने से पहले संसद में एक वेद मंत्र बोला करते थे, वे सब वेदमंत्र संसद की कार्रवाई के रिकार्ड में देखे जा सकते हैं। उन्होंने एक बार संसद का घेराव भी किया था, गोहत्या पर बंदी के लिए....
एक बार इंदिरा जी ने किसी मीटिंग में उन्हें पांच सितारा होटल में बुलाया। वहां जब लंच चलने लगा तो उन्होंने अपनी जेब से लपेटी हुई बाजरे की सूखी दो रोटी निकाली और खाने लगे। इंदिरा जी ने कहा आप क्या करते हैं, क्या यहां खाना नहीं मिलता। तो वे बोले मैं संन्यासी हूं,
बाइडेन , राहुल गांधी , तालिबान , भाईजान लोग और मौलवी का इश्क़
न जाने क्यों वामपंथी भाई जान लोग बाइडेन और राहुल गांधी की बीमारी की चर्चा मात्र से डरते रहते हैं। शायद यह भी एक बीमारी है। फिर इस बीमारी के लपेट में वामपंथी ही क्यों
सारे सेक्यूलर हिप्पोक्रेट्स दीखते हैं। फ़ैसला भले बराक ओबामा का था पर जिस तरह अफगानिस्तान बाइडेन ने खाली किया है और बेआबरु हुए हैं , विश्व की दर्दनाक घटना है। पर गाय तक पर ज्ञान बघारने वाले यह लोग अफगानिस्तान के इंसानों पर हो रहे
जुल्मो-गारत पर गॉगल्स लगा कर खामोश हैं।
याद कीजिए कि कुछ समय पहले इसी अमरीका का राष्ट्रपति रहा ट्रंप जब कभी हवा भी खारिज करता था तो यही लोग तुरंत सूंघ कर उस की बदबू कैसी है से फौरन दुनिया को परिचित करवाते थे। जब कि बाइडेन भी अमरीका का ही