#PrimeTimeWithRavishKumar
Ravish Kumar Exposed the reality of farmers double income in 2022.
......Must watch......
#HindiThread:-
मान लीजिए आपके गांव में 100 किसान हैं और सभी सब्जी को मार्केट में बेचने जाते हैं
अब यदि 50 किसान किसानी छोड़कर शहर चले जाते हैं काम करने के लिए
और गांव में अब खेती करने के लिए सिर्फ 50 किसान ही बचे हैं तो इसका मतलब है कि
"अब बाजार में सामान कम पहुंचेगा और किसी भी चीज का भाव बढ़ जाएगा"
क्या आप इससे सहमत हैं?
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मोदी सरकार यही रणनीति बनाकर कह रहे थी कि 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी होगी!
लेकिन सच्चाई कुछ और है
" दरअसल सरकार की योजना है किसानों की संख्या को आधा कर दिया जाए ना कि किसानों की आमदनी को दोगुना किया जाए"
तो जाहिर सी बात है जब शहरों में काम करने वालों की संख्या ज्यादा होगी तो कंपनियां वेतन भी कम देगी और सस्ते वेतन में काम करवाएंगे।
यह वादा 2016 में किया गया था कि 2022 आते-आते किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी और सरकार बिल्कुल इसी पैटर्न पर काम कर रही है और
2020 में ही तीन कृषि के कानून लाए जिसके तहत अब कंपनियों को यह अधिकार मिल जाता है कि वह किसानों की उपज का अनाजों का स्टॉक कर सकती है अनलिमिटेड और
इसे संवैधानिक रूप से वैध भी माना जाएगा और अगर किसी भी कारण से किसान और कंपनियों के बीच किसी तरह का मतभेद हो जाता है दामों को लेकर या फिर कोई अन्य मतभेद तो किसान कोर्ट भी नहीं जा सकता है उसे एसडीएम या फिर जिला कलेक्टर के यहां जाकर ही इस मामले को सुलझाना होगा और आपने देखा ही
कि किस तरह से एक पुलिस ऑफिसर किसानों को स्तर पर देने का आदेश दे देता है तो क्या हम उनसे उम्मीद लगा सकते हैं कि वह किसानों के साथ न्याय कर पाएगा मुझे तो नहीं लगता कि वह कभी किसानों के साथ न्याय कर पाएगा
2020 में जो 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज दिया गया था उसे अगर भारत की वर्तमान जनसंख्या से डिवाइड किया जाए और देखा जाए कि भारत के प्रत्येक नागरिक के हिस्से में कितना पैसा मिलता है तो यह लगभग 14 हजार के आसपास आ जाता है भारत के प्रत्येक नागरिकों
यह पैसा डायरेक्ट बिजी सभी नागरिकों के हाथ में दिया जा सकता था लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया सरकार ने उन पैसे को कंपनियों को लोन माफ करने में या फिर बैंकों को दिया ताकि वह बैंक कंपनियों को बिना गारंटी के और सस्ते लोन उपलब्ध करा सके ताकि कंपनियां लोगों को राहत दे सोचिए
सरकार चाहती तो उस पैसे को सीधे लोगों के खाते में दे सकते थे लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया वहीं निजी कंपनियों ने इन पैसों को अपने पुराने बकाया जो उन्होंने बैंक से कर्ज लिया था उसको चुकाने में कर लिया और फायदा कमा लिया
आम जनता के हाथ में सिर्फ घंटा ही मिला बजाते रहिए
बात साफ है कंपनियों को मजदूर चाहिए सस्ता मजदूर और इसके लिए जरूरी है कि किसानों को खेती में नुकसान हो कर्ज हो जाए ताकि वह शहर चले आए और उस कंपनी में काम करें
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#HindiThread:-ये इवेंट भी बीत गया और किसी को पता भी नहीं चला!
बात 1-2या-10 की नहीं 1 करोड़ की हो रही है,इतनी बड़ी संख्या को भी ढंग से सेलेब्रेट भी नहीं किया गया तो कितना रोपण हुआ उसकी बात करना ही बेकार का,
जब से कागज का आविष्कार हुआ तब से एक ट्रेंड बनना भी शुरू हो गया
आप कुछ भी कागज पर कर सकते हो, कितना भी मुश्किल काम क्यों न हो!
चाहें आप सरकार हों या कवि, कहावत सुनी है न
"जहां न जाए रवि, वहां भी जाए कवि"
मतलब कविता रचयिता अपने कल्पना से सूर्य से से आगे निकल जाते हैं!
खैर अब हम वापस मुद्दे पर आ जातें हैं
सरकार एक बार फिर से चालाकी कर गईं, पर क्यों? और
किससे?
इसका क्या प्रभाव पड़ेगा पर्यावरण पर?
हर साल हजारों-करोड़ रुपए का बिल पास करा लिया जाता है सांसद से, और लोग देखतें ही रह जातें हैं।
पर्यावरण के साथ धोखा करना और फिर भी देशवासियों का चुप रह जाना बहुत भारी पड़ेगा एक दिन
के द्वारा;
फिर अचानक आसमान से मुसीबत का पहाड़ टूटा या फिर न जाने क्या हुआ;
White house ने भारत के प्रधानमंत्री; राष्ट्रपति और जिसको भी follow किया था एक ही हफ्ते बाद सबको unfollow कर दिया।
मैं आज तक अपमानित महसूस कर रहा हूँ कि हमारे देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ
कोई भी ऐसा व्यवहार कैसे कर सकता है!? #HindiThread :- (उपर से पढ़ें)
.#HindiThread:-
"सिकुड़ता मानसिकता": सोशल मीडिया के संदर्भ में
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आज भारत की ज्यादातर आबादी सोशल मीडिया जैसे फेसबुक यूट्यूब और दूसरे कई प्लेटफार्म यूज़ करते हैं जिस पर #Reel's या फिर #ShortVideos वाला फीचर उपलब्ध है जहां लोग अपनी जिंदगी का कई घंटे बिताते हैं रोजाना
बच्चे जवान पूरे पुरुष स्त्री कोई भी हर तबका एक ही तरह का कांटेक्ट दिख रहा है सारे प्लेटफार्म पर चाहे वह फेसबुक हो यूट्यूब हो इंस्टाग्राम हो या फिर कोई और
जगह ऐसे में डर है कि कहीं लोगों के विचार आए और मानसिकता एक जैसे ना हो जाए एक समान ना हो जाए और भविष्य में समाज के लिए खतरा
ना बन जाए
"लोगों के विचारों को इन सोशल मीडिया एप्स के द्वारा कंट्रोल किया जा रहा है"
अभी शुरुआत है
इसलिए लोगों को मजा आ रहा है
लेकिन इसका खामियाजा आज नहीं तो कल कभी ना कभी हर किसी को भुगतना ही पड़ेगा
चाहे वह बच्चे हो या फिर उनके मां-बाप आज हर किसी को.....
#HindiThread:- जब किसी की एक्सीडेंट हो जाता है तब:-
◆हमारा नैतिकता क्या कहता है?
••हमें बिना समय गवाए मदद करना चाहिए; पैसे की परवाह नहीं करना चाहिए; इंसान की जान के आगे पैसे का कोई महत्व नहीं!
◆क्या कहता है निजीकरण?
••लोग मारतें हैं तो मरे; हमें प्रॉफिट चाहिए; भाड़ में गई नैतिकता; हमने लाखों रुपए खर्च किया है, फ्री/सस्ते में इलाज चाहिए तो सरकारी अस्पताल चले जाओ....
"इस दुनिया में नैतिकता और अच्छाई की कोई जगह नहीं"
पैसा सबसे ऊपर है
अब तय आपको करना है दोस्तों;
आपको नैतिकता के साथ जाना है या फिर पैसों के साथ?
मैं निजीकरण का विरोध करता हूँ। और भविष्य में कभी ऐसी पार्टी को वोट नहीं दूगाँ जो निजीकरण को support करेगा। @PMOIndia@narendramodi@FinMinIndia#StopPrivatization
#HindiThreads: क्या सरकार का विरोध करना मतलब कांग्रेस पार्टी का समर्थन करना बन गया है!
पहले तो ऐसा कभी नहीं होता था
पहले होता था
सरकार का विरोध करना मतलब सरकार का ही विरोध करना और
•आज जब हम सरकार का विरोध करते हैं तो कुछ लोग कहते हैं कि यार तुम कांग्रेस का समर्थन कर रहे हो?
हां हम सरकार का विरोध करते हैं
क्योंकि हम विपक्ष हैं क्योंकि आज मतलब 17th लोकसभा चुनाव में भारत में विपक्ष पूरी तरह से खत्म हो गया है और
संवैधानिक विपक्ष का खत्म हो जाना मतलब सीधा सीधी यह होता है कि अब विपक्ष कोई पार्टी नहीं बल्कि विपक्ष जनता खुद है और यह बात आप को समझना पड़ेगा
राजनीतिक पार्टियां तो आती जाती रहती हैं सत्ता में पर जनता जनता हमेशा विपक्ष होता है और विपक्ष ही रहता है और विपक्ष के रूप में जनता का यह कर्तव्य बनता है कि वह हमेशा सत्ता पर नजर रखें सरकार पर नजर रखें