बड़ा तगड़ा प्रेशर था ऑनलाइन लोन बेचने का। डेढ़ सौ कस्टमर्स की लिस्ट पकड़ा दी गई। सबको कॉल करो और लोन लेने के लिए कन्विंस करो (गिड़गिड़ाओ)। अब सात तो ब्रांच का रायता समेटते-समेटते ही बज गए थे।
मन घर जाने का कर रहा था कि अचानक साहब का फ़ोन आ गया। "कितने लोगों को कॉल किया ऑनलाइन लोन के लिए आज?" जवाब में बोले कि दिन में टाइम कहाँ मिलता है, तो ये साहब को नागवार गुजरा। खरी-खोटी सुनाते हुए कहा कि अभी के अभी कॉल करो सबको।
आज "जीरो फिगर" नहीं जाना चाहिए तुम्हारी ब्रांच से। BM ने सोचा कि जीरो फिगर के लिए तो लड़कियां मरी जा रही हैं, इनको पता नहीं क्या आपत्ति है। फिर भी, करीना कपूर का ध्यान करते हुए लिस्ट उठायी और फ़ोन घुमाकर लोन बेचना शुरू किया।
(कस्टमर 1)
कस्टमर- ऐसे तो तुम बैंक वाले बोलते हो कि तुम्हारे पास टाइम नहीं होता। ऐसे तुम लोग इतने फ्री हो कि एक एक कस्टमर को फोन करने का टाइम है तुम्हारे पास? नहीं लेना कोई लोन-वोन। रखिये फ़ोन।
(कस्टमर 2)
कस्टमर- सरकारी बैंक वाले भी सेल्समेन रखते हैं क्या?
BM- अरे नहीं सर, XYZ ब्रांच का मैनेजर बोल रहा हूँ।
कस्टमर- क्या सर! इतना बड़ा बैंक है आपका। ये सेल्समेनगिरी आप लोगों पर अच्छी नहीं लगती।
BM- अरे सर नया फीचर है बैंक के मोबाइल एप्प का। इसलिए कस्टमर को फ़ोन करके बता रहे हैं।
कस्टमर- अरे तो इसके लिए ब्रांच मैनेजर थोड़े ही फ़ोन करेगा। आप इतने बड़े अफसर हो। आपको मना करते भी अच्छा नहीं लगता। जरूरत पड़ेगी तो जरूर बताएँगे सर।
(कस्टमर 3)
कस्टमर- आप कौन बोल रहे हैं?
BM- सर, मैं XYZ ब्रांच का ब्रांच मैनेजर।
कस्टमर- मैनजरों को ये सब काम भी करना पड़ता है क्या आजकल?
BM- अब ऐसा ही है सर।
कस्टमर- सच बताओ। मेरा लड़का बैंक PO की तैयारी कर रहा है। मुझे तो लगा अच्छी नौकरी होगी। अगर सेल्समेन ही बनना है तो इतनी मेहनत करने की क्या जरूरत। सरकारी दफ्तर में चपरासी ही बढ़िया है इससे तो।
BM- नो रिस्पांस।
(कस्टमर 4)
कस्टमर- आपको पता है मैं आज आपकी ब्रांच आया था लोन के लिए।
BM- नहीं सर।
कस्टमर- कैसे पता होगा, आपके आगे पचास लोग खड़े थे। आपके पास टाइम ही नहीं था। क्या ही बात करता आप से।
BM- क्या करें सर, दिन में टाइम ही नहीं मिलता। अभी बताइये। अभी लोन के बारे में बात कर सकते हैं।
कस्टमर- घर नहीं जाना आपको? रात को साढ़े साथ बजे आप ब्रांच में बैठे हो।
BM (दिन में शायद पहली बार सहनुभूति के दो बोल साइन तो रोने को हो दिया) - क्या बताएं सर। बैंकों का यही हाल है आजकल।
कस्टमर- घर जाइये साहब। रात हो गई है। घर वाले इंतज़ार कर रहे होंगे। लोन के बारे में बाद में बात करेंगे।
BM बेचारा अब तक करीना का जीरो फिगर भूल चुका था। ब्रांच के लाइट AC बंद करते हुए वो यही सोच रहा था कि कल साहब को क्या बोलेगा।
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(यहां मैं इस बारे में बात नहीं करूंगा कि KCC के पैसे का किसान क्या इस्तेमाल करता है, क्यूंकि ये तो एक सर्वविदित सी बात है)। KCC में ये सिस्टम होता है हर साल बिना मांगे 10% की लिमिट बढ़ा दी जाती है।
जैसे अगर किसी किसान की KCC लिमिट पहले साल में तीन लाख है तो दुसरे साल ये तीन लाख तीस हजार हो जायेगी, उसके अगले साले तीन लाख तिरेसठ हजार। अब तीन लाख तक 2% ब्याज की सब्सिडी तो बैंक ही देती है (सरकार बाद में वो पैसा बैंकों को वापिस करती है)।
जब UP के एक बड़े नेताजी ने रेप को लेकर कहा था कि "लड़के हैं गलतियां हो जाती हैं", तब हमने खूब कोहराम मचाया था। फिर एक समझदार आदमी ने हमसे कहा कि इन्होंने जो कहा है वो आपके लिए नहीं कहा है। इनके अपने वोट बैंक के लिए कहा है।
आप पढ़े लिखे समझदार लोगों को ये बात भले ही नागवार गुजरे मगर आप इनके वोट बैंक नहीं हैं। इन्होंने जो बात कही है वो इनके वोट बैंक तक पहुंच गई है। नेता कोई बेवकूफ नहीं होते हैं। आखिर सत्ता की इतनी सीढियां चढ़कर करोड़ों लोगों पर राज करने वाला आदमी बेवकूफ तो नहीं ही हो सकता।
इनको भी पता है कि जो इन्होंने कहा है वो अक्षरशः गलत है। मगर इनको ये भी पता है कि इनका वोट बैंक क्या सुनना चाहता है। इनकी ये दकियानूसी बात सुनकर जितने लोग इनको वोट नहीं देंगे उससे ज्यादा लोग इनको वोट देने के लिए प्रेरित होंगे।
कस्टमर- (साढ़े पांच बजे, ब्रांच के गेट के बाहर से चिल्लाते हुए) मेरे ATM से पैसा नहीं निकल रहा। मेरा खाता क्यों बंद किया?
BM- सर, कस्टमर सर्विस टाइम 4 बजे तक है। कल टाइम से आइए, देख लेंगे जो समस्या होगी।
कस्टमर- मैं SBI का रिटायर्ड चीफ मैनेजर हूँ, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे मना करने की?
(अब तक BM का भी माथा गरम हो चुका था)
BM- तो मैं क्या करूं? बैंक का टाइम खत्म हो गया। कल आइए।
कस्टमर- केवल कैश का टाइम खत्म हुआ है। इन्क्वायरी के लिए बैंक हमेशा खुला रहता है।
BM- (जानते हुए कि कस्टमर झूठ बोल रहा है) अच्छा दिखाओ क्या समस्या है।
कस्टमर- गेट खोलो पहले।
BM- गेट नहीं खुलेगा, बाहर से ही बताओ।
कस्टमर- मैं SBI का रिटायर्ड...
BM- जो बोलना है बाहर से बोलो
कस्टमर- (ATM की स्लिप दिखाते हुए) मेरा खाता बंद क्यों किया? पैसे क्यों नहीं निकल रहे।
हमारी 1+1 की ब्रांच है। BM और कैशियर बारी बारी से लंच करने जाते हैं ताकि ग्राहकों को जवाब देने के लिए कोई काउंटर पर मौजूद हो। लंच भी 10 मिनट से ज्यादा नहीं करते। ढाई बजे थे। कैशियर मैडम लंच करने गईं। तभी ब्रांच में एक महोदय आए। उम्र लगभग 70-80 साल।
आते ही चिल्लाने लगे- "कैश काउंटर खाली क्यों है?" हमने इज्जत से जवाब दिया कि "लंच करने गईं हैं, 10 मिनट बैठिए।" सुनते ही साहब का पारा सातवें आसमान पर। "तो किसी दूसरे कोई बिठाओ काउंटर पर, तुम्हारे लंच के चक्कर में कस्टमर इंतजार करेगा क्या?"
हमने समझाने की कोशिश की तो साहब और भड़क गए। "अगर मेरे लड़के को इलाज के लिए पैसे की सख्त जरूरत तो और तुम्हारे लंच के चक्कर में मेरा लड़का मर जाए तो!!! मैं कुछ नहीं जानता, मुझे मेरा पैसा चाहिए अभी के अभी।" ब्रांच का माहौल अब तक बिल्कुल खराब हो चुका था।
बेरोजगारी के साइड इफ़ेक्ट 1. अपराध बढ़ता है 2. नशे की प्रवृत्ति बढ़ती है 3. घरेलू हिंसा बढ़ती है 4. खाली बैठा आदमी जातिवाद और सम्प्रदायिकता के जाल में फंस जाता है 5. आबादी बढ़ती है (ताकि घर में कमाने वाले लोग बढ़ सकें) 6. लोगों की औसत आय कम होती है
7. मौजूदा वर्कफोर्स पर अत्याचार बढ़ता है 8. खेती की जमीन के और छोटे टुकड़े होते हैं 9. शिक्षा पर से लोगों का विश्वास खत्म होता है 10. विदेशी सैलानियों के साथ बदतमीजी बढ़ती है जिससे देश की इमेज खराब होती है 11. आतंकवाद, इंसरजेंसी, मिलिटेंसी बढ़ती है।
12. देश के बहुमूल्य संसाधन बर्बाद होते हैं (बेरोजगार देश के लिए NPA जैसा होता है) 13. गांवों से शहरों की ओर पलायन बढ़ता है। 14. देश के टैक्सपेयर और सरकारी खजाने पर दबाव बढ़ता है। 15. लैंगिक असमानता बढ़ती है 16. जनता में असुरक्षा की भावना बढ़ती है 17. जनता में असंतोष बढ़ता है
During Emergency period, Shri R K Talwar was the Chairman of SBI. He received a loan proposal which was not viable. Contemporary PM Mrs. Indira Gandhi called the Chairman and asked him to sanction the big budget loan.
Being a man of integrity, Shri Talwar refused. He was removed immediately, a puppet was posted as SBI Chairman who willingly obeyed the dictator. Now, if that loan goes bad, whose fault is it? Will you still blame the banker?
Apparently, in every sector and organization you can find people who will do anything for a favor. You cannot expect everyone in the banking sector to have full integrity. In a democracy, everyone has a boss. Even for the top most banker, there is a political boss.