हमारी 1+1 की ब्रांच है। BM और कैशियर बारी बारी से लंच करने जाते हैं ताकि ग्राहकों को जवाब देने के लिए कोई काउंटर पर मौजूद हो। लंच भी 10 मिनट से ज्यादा नहीं करते। ढाई बजे थे। कैशियर मैडम लंच करने गईं। तभी ब्रांच में एक महोदय आए। उम्र लगभग 70-80 साल।
आते ही चिल्लाने लगे- "कैश काउंटर खाली क्यों है?" हमने इज्जत से जवाब दिया कि "लंच करने गईं हैं, 10 मिनट बैठिए।" सुनते ही साहब का पारा सातवें आसमान पर। "तो किसी दूसरे कोई बिठाओ काउंटर पर, तुम्हारे लंच के चक्कर में कस्टमर इंतजार करेगा क्या?"
हमने समझाने की कोशिश की तो साहब और भड़क गए। "अगर मेरे लड़के को इलाज के लिए पैसे की सख्त जरूरत तो और तुम्हारे लंच के चक्कर में मेरा लड़का मर जाए तो!!! मैं कुछ नहीं जानता, मुझे मेरा पैसा चाहिए अभी के अभी।" ब्रांच का माहौल अब तक बिल्कुल खराब हो चुका था।
महोदय जोर जोर से चिल्लाए जा रहे थे। इतनी भद्दी भाषा में बात कर रहे थे कि एक महिला ग्राहक बेचारी अपने बच्चे को लेकर बाहर चली गई। एक कस्टमर बेचारा दुखी होकर आया और महोदय से बोला, "साहब ये लीजिए 60,000 रुपए, आपका 60,000 का चेक मुझे लिखकर दे दीजिए।"
किस्मत से महोदय मान गए। चेक दिया और कैश लेकर गिनने लगे। तब तक कैशियर भी आ गईं। दूसरे वाले साहब ने चेक जमा कराया, कैश लिया और जाने लगे। तब तक ये महोदय अपना कैश ही गिन रहे थे। जाते जाते उन साहब ने महोदय को कहा कि आपका बच्चा 4 बजे बाद या छुट्टी के दिन मरेगा तब आप क्या करोगे?
उसके बाद ब्रांच में लंच करने का मन ही नहीं हुआ। ना मेरा न मेरे अस्थाई स्टाफ का। दोनों यही सोच रहे थे कि जो आदमी 10 मिनट के इंतजार के लिए अपने बच्चे को मार सकता है, वो आदमी कौनसी मिट्टी का बना होगा।
दिमाग में शोले फिल्म का वो डायलॉग गूंज रहा था, "जानते हो दुनिया का सबसे बड़ा बोझ क्या होता है? एक बाप के कंधे पर उसके बेटे का जनाजा।"

• • •

Missing some Tweet in this thread? You can try to force a refresh
 

Keep Current with WhiteCollarMazdoor

WhiteCollarMazdoor Profile picture

Stay in touch and get notified when new unrolls are available from this author!

Read all threads

This Thread may be Removed Anytime!

PDF

Twitter may remove this content at anytime! Save it as PDF for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video
  1. Follow @ThreadReaderApp to mention us!

  2. From a Twitter thread mention us with a keyword "unroll"
@threadreaderapp unroll

Practice here first or read more on our help page!

More from @BankerDihaadi

10 Oct
बेरोजगारी के साइड इफ़ेक्ट
1. अपराध बढ़ता है
2. नशे की प्रवृत्ति बढ़ती है
3. घरेलू हिंसा बढ़ती है
4. खाली बैठा आदमी जातिवाद और सम्प्रदायिकता के जाल में फंस जाता है
5. आबादी बढ़ती है (ताकि घर में कमाने वाले लोग बढ़ सकें)
6. लोगों की औसत आय कम होती है
7. मौजूदा वर्कफोर्स पर अत्याचार बढ़ता है
8. खेती की जमीन के और छोटे टुकड़े होते हैं
9. शिक्षा पर से लोगों का विश्वास खत्म होता है
10. विदेशी सैलानियों के साथ बदतमीजी बढ़ती है जिससे देश की इमेज खराब होती है
11. आतंकवाद, इंसरजेंसी, मिलिटेंसी बढ़ती है।
12. देश के बहुमूल्य संसाधन बर्बाद होते हैं (बेरोजगार देश के लिए NPA जैसा होता है)
13. गांवों से शहरों की ओर पलायन बढ़ता है।
14. देश के टैक्सपेयर और सरकारी खजाने पर दबाव बढ़ता है।
15. लैंगिक असमानता बढ़ती है
16. जनता में असुरक्षा की भावना बढ़ती है
17. जनता में असंतोष बढ़ता है
Read 4 tweets
10 Oct
Ok, let's talk about the SOP of big bank frauds.

During Emergency period, Shri R K Talwar was the Chairman of SBI. He received a loan proposal which was not viable. Contemporary PM Mrs. Indira Gandhi called the Chairman and asked him to sanction the big budget loan.
Being a man of integrity, Shri Talwar refused. He was removed immediately, a puppet was posted as SBI Chairman who willingly obeyed the dictator. Now, if that loan goes bad, whose fault is it? Will you still blame the banker?
Apparently, in every sector and organization you can find people who will do anything for a favor. You cannot expect everyone in the banking sector to have full integrity. In a democracy, everyone has a boss. Even for the top most banker, there is a political boss.
Read 8 tweets
10 Oct
Sir,
1. The setup (including the infra like Parliament, Rashtrapati Bhawan etc.) on which your govt is running was actually created by the British. So as per you logic we should invite the British to take over.

thehindu.com/business/Econo…
2. The residential territory on which you live today, actually belong to the Feudal Princes. Lets invite them to take over.
3. The land we live on, actually belong to the animals and forest. So you should immediately vacate and shift to a cave.
4. Since you are talking about DFI, can you please tell why exactly you are privatising IDBI which had the similar purpose. Why couldn't you restructure IDBI which could've been much easier?
Read 11 tweets
4 Oct
तरक्की का मतलब क्या है?

आधुनिकता कहती है कि जैसे जैसे समाज तरक्की करता जाता है, काम अधिक जटिल होता जाता है, जिसके लिए विशेषज्ञता अपरिहार्य हो जाती है। किसी भी क्षेत्र में जितनी अधिक विशेज्ञता प्राप्त कर लेते हैं, उतने ही अधिक सफल समझे जाते हैं।
जैसे कि बैंक का ही उदाहरण ले लेते हैं। एक बैंकर को ब्रांच मैनेजर बनाया और उसने बहुत अच्छी ब्रांच चलायी तो बहुत अधिक सम्भावना है कि वो अगले कई वर्षों तक BM ही बनाया जायेगा। क्यूंकि उसको मैनेजरी में महारथ/विशेज्ञता हासिल हो चुकी है।
उसके ब्रांच मैनेजर के अनुभव को जाया थोड़े ही जाने देगी बैंक। अब इससे कोई फरक नहीं पड़ता कि वो आदमी क्या चाहता है। वो एक सर्टिफाइड एफ्फिसिएंट BM बन चुका है। बड़े सन्दर्भ में हम इसे कैरियर प्रोग्रेशन कह सकते हैं।
Read 14 tweets
27 Aug
वैसे ताइजी तो कुछ और बोल रही थी। ऑयल बॉन्ड वाला झूठ पकड़ा गया तो आ गए वही पुराना राग अलापने पर। कुणाल कामरा मुझे पसंद नहीं लेकिन ये लोग हर बार उसकी बात को सच साबित कर देते हैं। "वहां सियाचिन में सैनिक मर रहे हैं तुम इतना भी नहीं कर सकते?"
"वहां LOC पर सैनिक खड़े हैं, तुम भूखे नहीं रह सकते?" " वहां सैनिक...तुम...नहीं कर सकते"? कब तक चलाओगे ये एक ही गाना? 2014 से पहले सैनिक नहीं थे? कपड़े नहीं पहनते थे? बंदूक की जगह लाठी लेकर घूमते थे? 2014 से पहले वायुसेना हैरी पॉटर की झाड़ू लेकर उड़ती थी?
नौसेना के पास तो पनडुब्बियां तो अभी भी पूरी नहीं हैं। तीन एयरक्राफ्ट कैरियर की जरूरत है नौसेना को। जरा बताइए तो हमारी मौजूदा सरकार ने कितने नए एयरक्राफ्ट कैरियर का ऑर्डर दिया? (विक्रांत का नाम मत लेना क्योंकि इसका ऑर्डर बहुत पहले हुआ था, अभी केवल कमिशन हुआ है)
Read 10 tweets
26 Aug
पेट्रोल डीजल की कीमतें ऐसे ही नहीं बढ़ रही हैं। सरकार लाख बहाना बनाये कि ऑयल बांड का ब्याज चुका रहे हैं, अंतर्राष्ट्रीय कीमतें बढ़ रही हैं, या घोड़ी ने गधे का बच्चा दिया है। पर थोड़ी थोड़ी सच्चाई सभी को पता है। मुझे लगता है कि सरकार ये कीमतें जान बूझकर बढ़ा रही है ताकि:
1. ताकि लोग त्राहि त्राहि कर उठें। फिर सरकार आकर बताएगी कि तेल इसलिए महंगा है क्यूंकि ये GST के अंतर्गत नहीं आता। और ईंधन को GST में लाने के लिए राज्य सरकारें मान नहीं रहीं। मतलब ठीकरा राज्य सरकारों के सर फोड़ा जाए, जिससे राज्य सरकारों से तेल पर टैक्स लगाने का अधिकार छीना जा सके।
2. देश में सबसे बड़ी रिफाइनरी आज रिलायंस के पास है। बाकी आप समझदार हैं।
3. सरकार की मेहरबानी से आज सारे नए ऑयल और गैस एक्सप्लोरेशन फील्ड प्राइवेट के पास ही जा रहे हैं। सरकार इस बात का ख़ास ध्यान रख रही है कि PSUs को इससे जितना हो सके दूर ही रखा जाए।
Read 6 tweets

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3/month or $30/year) and get exclusive features!

Become Premium

Too expensive? Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal Become our Patreon

Thank you for your support!

Follow Us on Twitter!

:(