#Ramayana_And_Science Day -2 #जय_श्रीराम
पुन: प्राप्ते वसन्ते तु पूर्ण: संवत्सरोऽभवत्
प्रसवार्थं गतो यष्टुं हयमेधेन वीर्यवान्॥ वा.रा.1/13/1॥
अर्थात् एक वसंत ऋतु के बीतने पर दूसरे वसंत ऋतु का पुनः आगमन हुआ और यज्ञसंबंधी अश्व
को मुक्त छोड़ेहुए एक वर्ष पूर्ण हो चुका था।
प्लैनेटेरियम सॉफ्टवेयर द्वारा दिखाए गए आकाशीय दृश्य के अनुसार 31 दिसंबर, 5116 वर्ष ई.पू.
को पूर्ण चंद्रमा चित्रा नक्षत्र में था तथा इसके 15 दिन पश्चात् अर्थात्् 15 जनवरी 5115 वर्ष ई.पू. को चैत्र
मास के शुक्ल पक्ष की प्रथमा थी। @QueenAT18AT @pallavict @V_Shuddhi @pahuch
यह श्रीराम के जन्म से लगभग 1 वर्ष पहले वसंत ऋतु के प्रारंभ का
समय भी था
। स्टेलेरियम सॉफ्टवेयर के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रथमा 24 फरवरी 5115
वर्ष ई.पू. को थी।
राजा दशरथ के अनुरोध पर मुनि वसिष्ठ ने शास्त्रोक्त विधि के अनुसार यज्ञ के लिए सभी तैयारियाँ
पूरी कर लीं। वेदों में पारंगत मुनियों की देख-रेख में बेल, खैर, बिल्व तथा पलाश की लकड़ियों के छह-छह यूपों (यज्ञ के स्तंभ) का निर्माण किया गया।
बहेड़े व देवदार की लकड़ी का भी एक यूप तैयार था
रानी कौशल्या ने यज्ञ
के अश्व का यथाविधि संस्कार करके बड़ी प्रसन्नता के साथ तीन तलवारों से उसका स्पर्श किया।
तत्पश्चात् उस अश्वमेध यज्ञ के अंगभूत जो हवनीय पदार्थथे, उन सबको लेकर समस्त सोलह ऋत्विज
ब्राह्मण अग्नि में विधिवत् आहुति देने लगे।
अश्वमेध यज्ञ पूर्ण होने पर राजा दशरथ ने अत्यंत प्रसन्नता महसूस की
और उसके पश्चात् ऋष्यशृंग से अपने वंश को बढ़ाने हेतु अपेक्षित विनती की। अत्यंत बुद्धिमान और
ज्ञानी ऋष्यशृंग ने राजा दशरथ को चार पुत्रों की प्राप्ति का वरदान दिया।
उसके पश्चात् ऋष्यशृंग ने
पुत्रेष्टि यज्ञ शुरू किया, जिसे वैदिक मंत्रों के अनुसार उसके अचूक प्रभाव के लिए जाना जाता था।उसी समय यज्ञ के लिए एकत्रित हुए देवताओं और ऋषियों ने ब्रह्माजी से उन्हें रावण के अत्याचारों
से बचाने की प्रार्थना की।
रावण ब्रह्माजी से यह वरदान पाने के बाद राक्षस बन गया था कि उसका
वध देवता या राक्षस, गंधर्व या यक्ष कोई नहीं कर सकता था
रावण ने मनुष्य से सुरक्षा के लिए कोई भी
वरदान नहीं माँगा था, क्योंकि रावण मनुष्य को हेयदृष्टि से देखता था।
उसने कभी यह कल्पना भी
नहीं की थी कि उसका वध एक मनुष्य द्वारा किया जाएगा। देवताओं और ऋषियों ने रावण से रक्षा के
लिए ब्रह्माजी से प्रार्थना इसलिए की थी, क्योंकि ब्रह्माजी का वरदान प्राप्त होने के बाद रावण अत्यंत
शक्तिशाली और क्रूर राक्षस बन गया था।
जो पुण्य आत्माओं और ऋषियों पर अत्याचार करने से प्रसन्न
होता था। उस समय ब्रह्माजी को याद आया कि रावण का वध एक मनुष्य द्वारा किया जा सकता है,
इसीलिए उन्होंने देवताओं तथा ऋषियों को भगवान् विष्णु से प्रार्थना करने की सलाह दी।
सभी दवे ताओं और ऋषियों ने सृष्टि के तारणहार और उद्धारक भगवान् विष्णु का स्मरण किया।
उन्होंने विष्णुजी से महाप्रतापी राजा दशरथ के पत्र के रूप में मनुष्य जन्म लेकर रावण और अन्य राक्षसों
का वध कर डालने की प्रार्थना की।
इस पुत्रकामेष्टि यज्ञ के दौरान वहाँ पर उपस्थित ऋषियों और अन्य
मनुष्यों ने भी भगवान् विष्णु से प्रार्थना की कि किसी भी तरह रावण और उसके रिश्तेदारों के अत्याचारों
से मुक्ति दिलाने के किसी उपाय की खोज अवश्य करें। @Awasthi_Hitesh1 @Anshulspiritual
इस प्रकार सृष्टि के उद्धारक भगवान् विष्णुने
राजा दशरथ के पुत्र के रूप में मनुष्य अवतार लेने और सज्जन परुुषों को रावण और उसके अन्य संबंधी
राक्षसों के अत्याचारों से मुक्त करवाने का निर्णय लिया।
अन्तत: यज्ञ सम्पूर्ण हुआ एवम् सोने की परात में रखी हुयी खीर जो कि चांदी की प्लेट से ढकी थी हवनकुंड से प्रकट हुयी देवताओं ने आधा भाग महारानी कौशल्या को दे दिया। फिर बचे हुए आधे का
आधा भाग रानी सुमित्रा को अर्पण किया।
उन दोनों को देने के बाद जितनी खीर बच रही थी, उसका आधा
भाग तो उन्होंने कैकेयी को दे दिया, तत्पश्चात् उस खीर के अवशिष्ट भाग को पुन: रानी सुमित्रा को दे दिया।
अर्थात् 1 भाग कैकेयी को 1 भाग कौशल्या को एवम् 2 भाग सुमित्रा को मिला।
यज्ञ-समाप्ति के पश्चात् छह ऋतुएँ बीत जाने बाद, 12वें मास में चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसुनक्षत्र एवं कर्क लग्न में कौशल्या देवी ने
दिव्य लक्षणों से युक्त एक यशस्वी एवं प्रतिभाशाली पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम ‘राम’ रखा गया।
प्रोद्यमाने जगन्नाथं सर्वलोकनमस्कृतम् ।
कौसल्याजनयद् रामं दिव्यलक्षणसंयुतम्॥ वा.रा.1/18/10॥
यज्ञ-समाप्ति के 6 ऋतुएँ बीत जाने के बाद, 12वें मास में चैत्र शुक्ल नवमी
तिथि को पुनर्वसुनक्षत्र एवं कर्क लग्न में कौशल्या देवी ने
पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम श्रीराम रखा गया।
उस
समय चंद्रमा पुनर्वसुनक्षत्र में था, सूर्य, शुक्र, मंगल, शनि, बृहस्पति ये पाँच ग्रह अपने-अपने उच्च स्थान
में विद्यमान थे अर्थात् ये पाँच ग्रह अपने-अपने उच्च स्थान की राशि मेष, मीन, मकर, तुला, कर्क में
क्रमश: विद्यमान थे और बृहस्पति एवं चंद्रमा एक साथ चमक रहे थे।
ग्रहों की स्थितिको उच्च स्थान तथा निम्न स्थान से वर्णित किया
जाता रहा है और सभी ग्रहों की यह स्थितियाँ वैसे ही बिना परिवर्तन के आजतक भी दर्शाई जाती हैं। जब सूर्य अपने उच्च स्थान (मेष) में होता है, तब बुद्ध अपने
उच्च स्थान अर्थात्् कन्या (Virgo) में नहीं हो सकता।
इसलिए वाल्मीकिजी द्वारा वर्णित पाँच ग्रहों में बुद्ध
शामिल नहीं है।
निष्कर्ष निकलता है कि वाल्मीकिजी के अनुसार
श्रीराम का जन्म दोपहर के समय चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। श्रीराम के जन्म के
समय अन्य ग्रहों तथा राशियों की स्थिति निम्नानुसार थी— 👇
19 दिसंबर, 5115 वर्ष ई.पू. को पूर्ण
चंद्रमा चित्रा नक्षत्र अर्थात् Alpha vir spica में था। इससे यह पष्टि होती है कि उस दिन चैत्र का महीना
प्रारंभ हुआ था। शुक्ल पक्ष की नवमी अर्थात् बढ़ते चंद्रमा का नौवाँ दिन 10 जनवरी, 5114 वर्ष ई.पू. को था।
सदा प्रसन्नचित्त रहनेवाले भरत का जन्म पुष्य नक्षत्र और मीन लग्न में हुआ था, सुमित्रा के
दो पुत्रों, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म अश्लेषा नक्षत्र और कर्क लग्न में हुआ था।
भरत के जन्म का समय दिनांक 11 जनवरी, 5114
वर्ष ई.पू. (बढ़ते हुए चंद्रमा के 10वें दिन अर्थात् (चैत्र शुक्ल दशमी) को लगभग 04.30 बजे का था।
यह चैत्र शुक्ल दशमी का दिन था, मीन राशि पूर्व से उदय हो रही थी और चंद्रमा
पुष्य नक्षत्र में विराजमान था।
लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म अगले दिन अर्थात् चैत्र शुक्ल दशमी को हुआ। उनके
ये वर्णन अनन्य हैं, जो केवल 5114 वर्ष ई.पू. चैत्र मास में दिखाई दिए।
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This thread can take a month in its completion but I will keep adding daily something in this thread,
This thread will be on Ramayana and its scientific calculations.
This thread will cover almost all scientific proofs.
Title :- #Ramayana_And_Science @pallavict @iSk_IND
So start with the Most respected man of India Dr kalam sir who said the movement of Grah and Nakshatras are defiend scientifically in Ramayana and in fact these all are true.
Nobody can deny with this.
राजा दशरथ सूर्यवंशी राजकुल के 63वें राजा थे इनके 8 मन्त्री धृष्टि,जयंत,विजय,सुराष्ट्र,राष्ट्रवर्धन, अकोप, धर्मपाल और सुमंत्र थे।
इनके अलावा महान् ऋषि वसिष्ठ और वामदेव के अतिरिक्त
जाबालि, कश्यप और गौतम ऋषि भी महाराज को मंत्रणा देते थे। मुनि वसिष्ठ राजा दशरथ के पुरोहित
थे।
UP is the most populated state in India,
It has 75 distt and approx 24 crore population,
The visionary CM @myogiadityanath Ji knows very well the talent of People of UP so he launched the scheme ODOP in 2018 to streghten the local work and their business to international level.
The government of Uttar Pradesh, UP has launched One District One Product scheme. This scheme would support the indigenous industries of handicrafts, processed foods, garments and other traditional products manufactured by local, micro, small and medium enterprises, MSME.
Various schemes and programmes are there to help people seek financial assistance. Here's a list:
Common Facility Centre (CFC) : This scheme would provide financial assistance of up to 90 % of the project cost. It is provided by the state govt. @Awasthi_Hitesh1 @ippatel
We were very much happy when @AmitShah ji became HM of India because we had clear understanding that he will act boldly And results we had seen during Article 370 abrogation and CAA bill,
Assam bodoland issue and many more.
But..
From the Farm Bill,
Incident of 26th Jan,
Bengali women raped,
Bur ning of a man,
Lakhimpur issue,
And recent Singhu border issue.
Dear @AmitShah Ji and @narendramodi Ji consider us as jambwant and please act,
Because you have the blessings of Ram ji.
And for the Rambhakta,
कवन सो काज कठिन जग माहीं।
जो नहिं होइ तात तुम्ह पाही।।
And please GDP growth is not an issue for us,
Kindly intervene in the sudden rise in the price of fuel,oil,tomato,potato,onion,sugar etc.
Hey @UNESCO Let me show you Chennakeshva Temple,Belur,Karnataka.
India.
Built by Vishnuvardhana in 1117 CE.
For you only Taj mahal is only wonder but if you go through our temples you will say Inadia is a land of wonders. @Sanjay_Dixit @Voice_For_India @LostTemple7
This temple took 103 years in its completion,
3 generation of the king was involved in it.
Many times this temple was destructed but still it is showing its beauty to the world.
Even Nails could be identified easily. @JyotiKarma7
This is 2nd october we all know its birthday of Gandhi who is known in India as a man of principle,
According to historians his three principles were there. 1- Dont see bad 2- Dont do bad 3- Dont hear bad.
Firat read this thread and then decide about him was he overrated or under
History of Gandhi in India starts from the year 1915 but I will start from the year 1900 Boer war and he was in SA as assistant superintendent of the Indian volunteer stretcher-bearer corps.
about Boer war he wrote in his auto biography :- 👇
When the war was declared, my personal sympathies were all with the Boers, but my loyalty to the British rule drove me to participation with the British in that war. I felt that, if I demanded rights as a British citizen, it was also my duty,