भक्तों ने झण्डे गाड़ दिए ...
.
भक्तों ने दिया आत्मनिर्भर भारत को अभूतपूर्व समर्थन ... स्वदेशी उत्पादों को अपनाया और चीनी माल से किया किनारा ... ये बात भारत के आयातकों को समय रहते पता चल गयी थी कि इस बार दिवाली में चीन के माल का दुर्गत होने वाला है ....
तो आयातकों ने भी चीन को आर्डर नहीं दिया .. जिसके कारण चीन में भारत के दिवाली को ध्यान में रखते हुए किया गया उत्पादन बेकार हो गया.. कोई भारतीय खरीददार ही नहीं आया और न चीन को आर्डर मिला.. चीन का इस दिवाली कम से कम Rs. 50000 करोड़ का बना बनाया माल बिका नहीं और कूड़ा बन गया ..
इतना ही नहीं चीन से रक्षाबंधन में आने वाली राखी भी नहीं भारत ने खरीदा जिससे 5000 करोड़ का माल पड़ा रह गया .. चीन गणेश चतुर्थी में 300 - 500 करोड़ रुपये का माल भारत निर्यात करता था वो भी इस बार किसी भारतीय आयातक ने नहीं उठाया ...
.
इस सबका फायदा लोकल उत्पादकों को मिला ..
इस वर्ष सारी मूर्तियाँ, सारे खिलौने, सारे सजावट के सामान भारतीय रहे ... पठाकों पर लगे बैन ने चीन के दिवाली के लिए बनाए पठाके बर्बाद कर दिए ... आयातकों ने पठाखे मंगाए ही नहीं ...
इस समय भारत के बाजार में उपलब्ध दिवाली का हर सामान स्वदेशी उत्पाद है या फिर आयातकों का पुराना
फँसा स्टॉक निकल रहा है ... आयातकों के सर्वे के अनुसार लोग बाजार में खरीदने से पहले ये सुनिश्चित कर रहे थे कि माल चीन का तो नहीं है.. पूरी तरह संतुष्ट होकर लोग स्वदेशी सामान ले रहे थे..केवल किसी मजबूरी जैसे कि अनुपलब्धता के चलते लोगों ने यदा कदा चीनी सामान को हाथ लगा रहे थे..
इसलिए आयातकों ने पुराने फंसे माल को निकालकर स्वदेशी उत्पादों में invest करना अधिक उपयुक्त समझा ...
.
कुल मिलाकर भक्तों ने इस वर्ष Dragon का Rs. 70000 करोड़ के आस पास के बाजार का भट्टा बैठा दिया है ... चीन का सामान नहीं खरीदने और स्वदेशी को लेने वालों में Lower Income Group,
Lower - Middle Income Group तथा Middle Income Group, का प्रतिशत सबसे अधिक रहा ..
.
अलग शहरों और कस्बों में किये एक सैंपल सर्वे के अनुसार भारत के 71% लोगों ने पूरी तरह चीनी माल से किनारा कर लिया ... इकॉनमी से सम्बन्धित पोर्टल Moneycontrol के अनुसार
हमें यह तो बता दिया गया है कि जिन्ना के आह्वान पर डायरेक्ट एक्शन डे पर अविभाजित बंगाल यानी कोलकाता और नोवाखली में 25 से 30,000 हिंदुओं का कत्लेआम एक झटके में कर दिया गया
लेकिन यह नहीं बताया गया इस कत्लेआम के तीन प्रमुख किरदारों को ईश्वर ने कितनी भयानक सजा दी
डायरेक्ट एक्शन डे के तीन प्रमुख किरदार थे
पहला किरदार था मोहम्मद अली जिन्ना दूसरा किरदार था उस वक्त तत्कालीन बंगाल यानी आज का बांग्लादेश और बंगाल का मुख्यमंत्री हुसैन शहीद सुहरावर्दी जो जिन्ना की पार्टी मुस्लिम लीग से था और तीसरा सबसे प्रमुख किरदार था मुस्लिम लीग का यूथ विंग
का प्रमुख शेख मुजीब उर रहमान।इन तीनों ने बड़े पैमाने पर कत्लेआम को अंजाम दिया हालांकि मोहम्मद अली जिन्ना दिल्ली में बैठा हुआ था लेकिन उसके दोनों प्यादे हुसैन शहीद सुहरावर्दी और शेख मुजीबुर्रहमान ने कोलकाता और नोआखली की गलियों में घूम घूम कर हिन्दुओ के कत्लेआम को अंजाम करवाया
सैदपुर के Sitting विधायक सुभाष पासी टोंटी चोर की मसाजवादी पाल्टी छोड़ के भाजपा में आ गए ।
ये एक बहुत बड़ी राजनैतिक Development है ।
जो लोग जमीन से कान लगा के समय की पदचाप सुनना जानते हैं वही इसे समझ सकते हैं ।
सुभाष पासी पिछले 12 साल से सक्रिय राजनीति में हैं और दो बार से लगातार विधायक बन रहे हैं ।
2017 की प्रचंड भाजपा सुनामी में भी सुभाष पासी अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे थे ।
2022 में भी उनका जीतना तय था ।
इसके बावजूद सुभाष पासी सपा छोड़ भाजपा में क्यों चले आये ?????
इसलिए चले आये कि सुभाष पासी जमीनी हक़ीक़त देख समझ रहे थे । वो जानते हैं कि 2022 में भी विधायक तो बेशक बन जायेंगे पर बैठना विपक्ष में ही पड़ेगा ।
सुभाष पासी के पलायन ने सपा को बुरी तरह झकझोर दिया है । उनके इस पलायन का असर सिर्फ सैदपुर नही बल्कि पूर्वांचल की 50 - 60
हरियाणा के पानीपत जिले में एक गाँव है चुलकाना. इसे चुलकाना धाम भी कहते हैं.
यही वो स्थान हैं जहाँ घटोत्कच पुत्र बर्बरीक का शीश भगवान श्रीकृष्ण ने मांग लिया था.
कथा है जब तीन वाणधारी बर्बरीक कुरुक्षेत्र युद्धस्थल की ओर जा रहा था तब
श्रीकृष्ण ने इसी स्थान पर वेश बदल कर उसे रोका था.
बर्बरीक के यह कहने पर कि वह केवल हारते हुए पक्ष की ओर से ही युद्ध करेगा श्रीकृष्ण चिंतित हो गए. यह बेहद गंभीर बात थी. इस तरह तो कौरव और पांडव दोनों का सफाया हो जायेगा. क्योंकि कोई एक पक्ष तो हारेगा ही और बर्बरीक उसकी तरफ से
युद्ध करने लगेगा. जब दूसरा पक्ष हारने लगेगा तो बर्बरीक पाला बदल कर उसकी तरफ हो जाएगा. इसका परिणाम यह होगा कि एक समय ऐसा आएगा जब दोनों पक्षों का सफाया हो जायेगा.
बर्बरीक का कहना था सम्पूर्ण विश्व को नष्ट करने के लिए उसका एक वाण ही बहुत है. अपनी बात सिद्ध करने के लिए
रसोई में नल से पानी रिस रहा था, तो मैंने एक प्लंबर को बुला लिया। मैं उसको काम करते देख रहा था।*.
उसने अपने थैले से एक रिंच निकाली। रिंच की डंडी टूटी हुई थी। मैं चुपचाप देखता रहा कि वह इस रिंच से कैसे काम करेगा?
*उसने पाइप से नल को अलग किया। पाइप का जो हिस्सा गल गया था,
उसे काटना था। उसने फिर थैले में हाथ डाला और एक पतली-सी आरी उसने निकाली। आरी भी आधी टूटी हुई थी।*.
मैं मन ही मन सोच रहा था कि पता नहीं किसे बुला लिया हूं? इसके औजार ही ठीक नहीं तो फिर इससे क्या काम होगा?
*वह धीरे-धीरे अपनी मुठ्टी में आरी पकड़ कर पाइप पर चला रहा था।
उसके हाथ सधे हुए थे। कुछ मिनट तक आरी आगे-पीछे किया और पाइप के दो टुकड़े हो गए। उसने गले हिस्से को बाहर निकाला और बाकी हिस्से में नल को फिट कर दिया।*
इस पूरे काम में उसे दस मिनट का समय लगा।
*मैंने उसे 100 रूपये दिए तो उसने कहा कि इतने पैसे नहीं बनते साहब। आप आधे दीजिए।*
छत्तीसगढ़ में दुर्गा भक्तों के कुचले जाने का कोई खास संज्ञान नहीं लिया गया !
जसपुर को किसी ने लखीमपुर नहीं बनाया , जबकि यहाँ देवीभक्त कुचले गए थे !
बनाया तो किसी ने सिंधु बॉर्डर को भी ललितपुर नहीं , जबकि यहाँ तो दलित की नृशंस हत्या हुई थी ?
मीडिया ने भी छत्तीसगढ़ में उतनी रुचि ली न दिल्ली में !
काश घटनाएँ यूपी में हुई होती या फिर उनके शासित राज्यों में ?
फिर भला काहे का पायता और काहे का दशहरा ?
अब तो सब दशहरा मनाते रहे , छुट्टियाँ मनाते रहे , न पीर उपजी , न फोटो खिंचे , न दर्द हुआ !
ऐसे सैट होते हैं नैरेटिव । अर्जुन को जैसे सिर्फ और सिर्फ मछ्ली की आँख नजर आ रही थी , उन्हें सिर्फ मोदी नजर आते हैं । घटनाओं के दर्द अब नहीं हुआ करेंगे । हर दुर्घटना या घटना को देखने का नजरिया राज्य बना करेगा । हम हनुमानगढ़ में दलित की हत्या हो या किसानों के बाड़े में ,
🙏 जय श्री राम 🙏
*अंधभक्ति किसे कहते हैं, चलो आज समझते हैं*🤔 1. कांग्रेस की स्थापना अंग्रेजो ने की,
ये "स्थानीय राष्ट्रिय पार्टी" नहीं अंग्रेजों की पार्टी थी, ("अंधभक्ति") 2. नेहरू ने चंद्रशेखर आजाद की खबर अंग्रेजों को देकर उन्हें मरवा दिया.... ("अंधभक्ति")
3. लाल बहादुर शास्त्री को मरवाया... फिर भी ("अंधभक्ति") 4. 1923 में नाभा रियासत में गैर कानूनी ढंग से प्रवेश करने पर अंग्रेजों ने नेहरू को 2 साल की सजा दी,
तब नेहरू ने माफीनामा देकर दो हफ्ते में ही अपनी सजा माफ करवा ली,
( "अंधभक्ति" ) 5. नेहरू ने कश्मीर, लद्दाख, अरुणाचल का
हिस्सा चीन, पाकिस्तान को दे दिया और खुद को भारत रत्न दे दिया..
है ना ("अंधभक्ति") 5. नेहरू ने नेपाल को भारत में मिलाने का प्रस्ताव ठुकरा दिया था,
फिर भी "अंधभक्ति" 6. UN में स्थाई सदस्यता के लिए मना किया फिर वही भीख मांगने पहुंचा, कश्मीर का मुद्दा